Raj Sharma stories--रूम सर्विस compleet

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raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 22:06

रूम सर्विस --3

दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा रूम सर्विस का पार्ट -३ लेकर आपके सामने हाजिर हूँ

कब आँख लगी और कब सुबह हुई पता ही नही चला… सुबह ऋतु ठंड के मारे सिमट चुकी थी. उसके घुटने उसकी छाती पे थे और अभी भी उसने वोही टवल लप्पेट रखा था जो वो बाथरूम से ओढ़ कर आई थी. उसकी आँख खुली तो करण आस पास कहीं नही था. वो उठी और चादर लप्पेट के बाहर आई ड्रॉयिंग रूम में. वहाँ करण सोफे पे बैठा किसी से बात कर रहा था. उसने अब अपने बॉक्सर्स पहन लिए थे. उसके एक हाथ में सिगरेट और दूसरे में फोन था.

“शर्मा जी आप लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट बनवा दीजिए..”

………………….(फोन पे शर्मा जी को सुनता हुआ करण)

“यस.. नाम लिखिए ऋतु कुमार, आगे 22 हांजी …. इसे जल्दी से बनवा के एक घंटे के अंदर फ्लॅट पे भिजवाए. ”

………………..

“यह काम आप प्राइयारिटी पे कीजिए. थॅंक्स बाइ.”

तभी करण ने ड्रॉयिंग रूम के किनारे पे खड़ी ऋतु को देखा और मुस्कुराया.

“गुड मॉर्निंग ब्यूटिफुल ….कम हियर”

“गुड मॉर्निंग” और ऋतु करण की तरह बढ़ी

करण ने उसका हाथ पकड़ के उसे अपनी गोद में बिठा दिया…

“करण कल मेरी ज़िंदगी की सबसे यादगार रात थी”

“ऐसी कई और रातें हैं अभी हमारे बीच ऋतु” और कारण ने ऋतु के होंठो को चूम लिया

ऋतु मुस्कुराइ“किससे बातें कर रहे थे??”

“ऑफीस में लीगल सेल में रूपक शर्मा हैं ना… उनसे. कुछ काग़ज़ात बनवाने थे”

“किस तरह के काग़ज़ात”

“लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट… अब तुम उस हॉस्टिल में नही रहोगी… दिस ईज़ युवर न्यू हाउस.”

“लेकिन मैं यहाँ कैसे रह सकती हूँ …. यह तो बहुत ही आलीशान घर हैं.. मैं तो वहीं ठीक हूँ.. हॉस्टिल में”

“ऋतु तुम करण पाल सिंग की गर्लफ्रेंड हो… तुम उस हॉस्टिल में नही रह सकती… यह जगह तुम्हारे लिए सही हैं”

यह बात सुनकर ऋतु मन ही मन उच्छल पड़ी… करण ने उसे अपनी गर्लफ्रेंड कहा था.

“लेकिन करण मैं यहाँ इतने बड़े घर में अकेले .. मतलब .. कैसे रहूंगी”

“अकेले कहाँ मैं हूँ ना… मैं आता रहूँगा.” करण ने उसको अपने बाहो में भर लिया… ऋतु का तो खुशी का ठिकाना ना रहा

दोनो के कपड़े वहीं ड्रॉयिंग रूम में बिखरे पड़े थे. कारण की पॅंट शर्ट और ऋतु की सलवार कमीज़ ब्रा और पॅंटी…

“मैं कपड़े उठा लेती हूँ… यहाँ काब्से बिखरे पड़े हैं और मिस्टर शर्मा भी तो आ रहे हैं”

“रहने दो अभी… वो तो एक घंटे बाद आएँगे.”

“लेकिन उठाने तो हैं ही ना”

“एक घंटा हैं ना …अभी पहन के क्या करोगी… आओ ना…” कहते हुए करण ने ऋतु की शरीर पे लिपटी चादर की गाँठ खोल दी… ऋतु शरमाई और करण के गोड से उठकर बेडरूम की तरफ भागने की कोशिश करने लगी…

“बेडरूम में क्या रखा हैं ऋतु… यहीं कर लेते हैं ना”

“यहाँ??? ड्रॉयिंग रूम में”

“कहाँ लिखा हैं की ड्रॉयिंग रूम में सेक्स नही कर सकते”

“हहहे लिखा तो कहीं नही हैं”

“तो फिर आओ”

raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 22:08

करण ने ऋतु के लिप्स को चूमा और उसकी चूत पे वापस हाथ फेरने लगा और उपर से सहलाने लगा. ऋतु ने उसके बॉक्सर्स में हाथ डाल दिया और उसके सोए हुए लंड को जगाने लगी… करण का एक हाथ ऋतु के बूब्स पेट और दूसरा चूत पे.. और वो बेहताशा ऋतु को चूमे जा रहा था… रात भर आराम के बाद सुबह एनर्जी लेवेल्ज़ हाइ थे और करण के लंड को अपना पूरा आकार लेते हुए ज़्यादा समय नही लगा.

ऋतु की चूचियाँ भी करण के मूह में सख़्त हो चुकी थी.. तने हुए उसके चूचे रात के एपिसोड के बाद और पाने के लिए बेचैन थे… उसकी चूत भी करण के लंड की प्यासी हो रही थी… करण चालू था फुल फ्लो में और रुकने का नाम नही ले रहा था… उसने ऋतु की चूत में दो उंगलियाँ डाल दी… ऋतु को अत्यंत दर्द का एक्सास हुआ… रात को ही तो उसकी सील टूटी थी.. अभी ठीक से घाव भरे भी नही थे की करण ने वापस प्रहार शुरू कर दिया था… चूत गीली हो चुकी थी…

करण उठा सोफे पे से और उसने ऋतु को कहा.

“ऋतु मूड जाओ और अपने हाथ पैर सोफे पे रखो”

ऋतु हैरान हो गयी…यह करण ना जाने क्या बोल रहा था… उसे समझ नही आया.. फिर भी उसने करण की बात मान ली और वैसा ही किया जैसा उसे कहा गया था. करण का मान तो कुछ नये ही स्टाइल में करने का था… रात को मिशनरी करके वो ऊब चक्का था… उसे कुछ अलग तरह से करना था अब. ऋतु के हाथ और पैर अब सोफे पे थे और करण उसके पीछे आके खड़ा हो गया.. उसकी आँखों के सामने का नज़ारा ऐसा था की किसी बड़ी उम्र का आदमी देख लेता तो शाटड़ हार्ट अटॅक से मर जाता लेकिन दोस्तो ये राज शर्मा तो बेशरम आदमी है जो उन्हे अपनी आँखो से देख भी रहा था ओर सुन भी रहा था अब आप सोच रहे होंगे ये राज शर्मा यहाँ कैसे आ गया अरे भाई लेखक ही तो सब देखता है

ऋतु की कोमल गांद अपने पूरे शबाब में करण के सामने थी… गांद का छेद हल्के भूरे रंग का और एकद्ूम टाइट दिख रहा था… उसको देख के करण मन ही मन हसा और सोचा “तेरा नंबर भी आएगा.” गांद की दरार के नीचे एक पतली सी लाइन ऋतु की चूत की थी… चूत की दोनो फाँकें आपस से सिमटी हुई थी और उनके बीच कोई जगह नही दिख रही थी… जगह तो तब बनती जब करण अपना 7” लंड उस दरार में छूसा के उसे बड़ा करेगा..

ऋतु के गुटने आपस में टच कर रहे थे.. कारण ने उन्हे दूर किया और ऊट पे वापस हाथ फेरा… काफ़ी गीली थी.. टाइम आ चुक्का था की ऋतु को इस नयी पोज़िशन से वाकिफ़ करवाया जाए. वो नीचे झुका और उसकी चूत को पीछे से चाटने लगा… ऋतु के मूह से आहें निकलने लगी…. उसने जीभ ऋतु की चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. उसने एक हाथ से उसके क्लिट को भी सहलाया जो की अब तक सूज के बड़ी हो चुकी थी…

“ओह करण… प्लीज़ डू इट. प्लीज़”

कारण ने लंड को पकड़ा और ऋतु की चूत में घुसेड दिया…. ऋतु की चूत अभी तक पूरी तरह से लंड लेने की आदि नही हुई थी… लंड घुसते ही ऋतु आगे की और लपकी ताकि लंड से बच सके और अपनी चूत को भी बचा सके.. लेकिन करण ने भी कोई कची गोलियाँ नही खेली थी… उसने एक हाथ ऋतु के नीचे, उसके पेट पे रखा था.. उसने उसी हाथ से ऋतु को वापिस खीचा और उसका पूरा लंड ऋतु की नाज़ुक चूत में समा गया.

अब वो धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा…. ऋतु को शुरू में तो दर्द हुआ लेकिन वो दर्द जल्दी ही एक मीठे एहसास में बदल गया जिसमे उसे बहुत मज़ा आ रहा था… करण जानता था की यह डॉगी स्टाइल पोज़िशन ऐसी हैं जिसमे मॅग्ज़िमम पेनेट्रेशन मिलती हैं…. … इसीलिए वो धीरे धीरे कर रहा था ताकि एक बार ऋतु थोड़ी ढीली हो जाए तो वो पूरा जलवा दिखाएगा…

करण के हाथ ऋतु के चुतताड पे थे… वो उन गोल मांसल चुतताड़ो को सहलाता था.. उन्हे मसलता था…. और हल्के हल्के से उन्हे मार भी रहा था… ऋतु के गोरे गोरे चुतताड करण के ठप्पड़ो की वजह से लाल हो गये थे… अब वो खुद भी आगे पीछे हिल रही थी ताकि आछे से आनंद ले सके… करण ने अब ज़ोर से धक्के लगाने चालू किए और पूरा का पूरा लंड अंदर देने लगा. ऋतु भी मज़े में ऊह आह करने लगी

“ओह करण आइ लव यू… आ अया …. येस्स्स्स” करण ऐसे ही करते रहो आह बड़ा मज़ा आ रहा है

करण ने अपने मूह से थोडा सा थूक निकाल कर टपका दिया ऋतु के गांद के छेद पे … निशाना एकद्ूम सटीक था… उसने अब अपनी उंगली से छेद पे थोड़ा सा दबाव बनाया और उसे हल्के हल्के दबाने लगा… वो अंदर नही डालने वाला था उंगली.,.. बस ऋतु को मज़े देने के लिए कर रहा था…

यह सब करने पर ऋतु को असहनीया आनंद हुआ और वो पानी छोड़ने लगी और साथ ही आवाज़ें निकालने लगी..

“यह क्या कर रहे हो करण… ओह इट फील्स सो गुड..डोंट स्टॉप.”

raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 22:10

ऋतु के बदन पे पसीने की एक हल्की सी परत बन गयी थी… इस बार वो भी पूरी मेहनत कर रही थी… करण को तो पसीना आ ही रहा था…. दोस्तो ऐसी चुदाई चल रही थी जिसे देख कर अच्छे अच्छे चोदुओ को पसीना आ जाए

इसी लिए तो कहता हूँ मुलाहीजाफरमाएँ .......

चूत मारे चूतिया ओर गान्ड मारे पाजी

दोनों हाथों से प्रेक्टिस कर लो इसी ते राम राज़ी

जब रात के बारह बजता है हम हॅंड प्रेक्टिस करता है

अहसान किसी का सहता नहीं हाथो से गुज़ारा करता है

दोस्तो पेंट से हाथ बाहर निकालो ये काम बाद मैं कर लेना अभी तो कहानी का मज़ा लो यार आपका राज शर्मा

करण ने उसके बदन के नीचे हाथ डालकर उसके बूब्स को पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से मसालने लगा… यह करते ही ऋतु और भी ज़्यादा पागल हो रही थी… वो एक बार तो पानी छोड़ ही चुकी थी …. दूसरी बार भी दूर नही था… अब करण ने अपने एक हाथ से चुचियो को मसलाना शुरू किया ऋतु भी पूरे जलाल पर थी हाय मेरे राजा चोदो और ज़ोर से चोदो

मेरी चूत की प्यास भुजा दो आह्ह्ह्ह ओरर्र

करीब 20 मिनिट तक यह धाक्का मुक्की चलती रही…. करण ने फाइनल धक्के देने शुरू किए… उसका ऑर्गॅज़म बिल्ड हो रहा था… ऋतु का भी ऐसा ही हाल था… करण ने ऋतु के हिप्स को और भी ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी रफ़्तार बढ़ा दी… ऋतु ने भी सोफे को और ज़ोर से पकड़ लिया… एक ज़ोरदार आआआह के साथ करण ने अपना वीर्य ऋतु की चूत में छोड़ दिया…. ऋतु ने बी लगभग उसी समय पानी छोड़ दिया.. तकरीबन 8-10 सेकेंड्स तक करण ऋतु की चूत में वीर्यपात करता रहा… ऋतु को उसके वीर्य की गर्मी महसूस हो रही थी… वो भी पानी छोड़ रही थी…

दोनो पसीने में लथपथ वही सोफे पे लेट गये… ऋतु की चूत से बहकर वीर्य उसकी जाँघो पे आ गया था… वो करण की छाती पे सर रखकर लेटी हुई थी… दोनो ऐसे ही ना जाने कितनी देर तक लेटे रहे…

तभी दरवाज़े पे एक दस्तक हुई…. ऋतु चौंक के उठ पड़ी और अपने कपड़े समेत के अंदर बेडरूम में चली गयी. करण ने अपने बॉक्सर्स पहने और दरवाज़ा खोला…

“गुड मॉर्निंग मिस्टर करण”

“गुड मॉर्निंग… कम इन प्लीज़… बैठिए”

रूपक शर्मा ने देखा की कमरे में करण के कपड़े बिखरे पड़े हैं फर्श पे.. पास ही टेबल पे आँधा कटा केक था और सामने फूल ही फूल… वो ग्ल्फ कंपनी में बहुत सालों से था और पेशे से वकील था… ग्ल्फ के लीगल सेल में उची पोज़िशन में था… करण ने उसे सुबह 1 घंटे पहले ही एक लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट बनानी के लिए कहा था… लीव आंड लाइसेन्स ऋतु कुमार के नाम पे था.

रूपक जानता था की ऋतु सेल्स डेपारमेंट में नयी आई हैं… और यहाँ पर करण के कपड़े बिखरे पड़े हैं… सामने केक फूल हैं, बेडरूम का दरवाज़ा बंद हैं. उसको दो और दो चार करने में वक़्त नही लगा और वो समझ गया की करण की पिछली रात बहुत ही रंगीन रही हैं.. तभी उसकी नज़ार एक ऐसी चीज़ पे गयी जिससे उसका शक़ यकीन में बदल गया.

सोफे पे करण के वीर्या की दो तीन बूँदें थी जो लेटे लेटे ऋतु की चूत से सरक के टपक गयी थी. रूपक समझदार आदमी था … अपना मूह बंद रखा. करण के ऐसे कई कामो से वो वाकिफ़ था जिनमें उसे रूपक की वकालत और कनेक्षन्स की ज़रूरत पड़ी थी.. .. मसलन जब कारण ने एक रात शराब के नशे में रिंग रोड पे अपनी गाड़ी से एक मोटरसाइकल वाले को उड़ा दिया था और गाड़ी भगा के ले गया था… रूपक ने तुरंत पोलीस में अपनी जान पहचान लगा के मामले को रफ़ा दफ़ा करवाया था. गुणडो से उस मोटरसाइकल वाले को डरा धमका के और कुछ पैसे देके उसका मूह भी बंद करवा दिया था. वो करण के काले कारनामो का पूरा चिट्ठा जानता था.

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