करण ने ऋतु की चूत पर भी हाथ फेरना शुरू किया ताकि उसका ध्यान बट जाए.
“ऋतु ट्राइ टू रिलॅक्स… प्लीज़ गान्ड को ढीला छोड़ो… जितना टाइट करोगी उतना दर्द होगा”
ऋतु ने रिलॅक्स किया और दर्द में कमी महसूस की… उसने सोचा थोडा और रिलॅक्स करती हूँ गान्ड को…
करण चालू था फुल फ्लो में लगा हुआ था. उसे तो गान्ड मारने में ही मज़ा आता था… गान्ड में जो टाइटनेस मिलती थी वो उसे ऋतु की टाइट चूत में भी नही मिलती थी….
ऋतु अब तक पूरी तरह रिलॅक्स कर चुकी थी… हल्का हल्का दर्द हो रहा था और उसे मज़ा आने लगा था… उसकी टांगे करण के कंधे पर थी… करण का लंड ऋतु की गान्ड में… राइट हॅंड का अंगूठा चूत के अंदर और इंडेक्स फिंगर क्लिट पे था….उसका दूसरा हाथ ऋतु के बूब्स को मसल रहा था… वो ऋतु की टाँगें चूमने लगा जो की उसके कंधे पे थी… ऋतु इन अनेक पायंट्स से आ रहे प्लेषर को महसूस कर रही थी. उसकी चूत के मुसल्सल पानी छोढ़ रहे थे… उसे पता चल रहा था की गान्ड मरवाने में तो चूत मरवाने से भी ज़्यादा मज़ा हैं
कारण पिछले 15 मिनिट से ऋतु की गान्ड मार रहा था… अब उसका ऑर्गॅज़म भी होने को था… करण ने झड़ने से पहले लंड बाहर निकाल लिया. उसने अपने लेफ्ट हाथ से ऋतु की बाँह पकड़ी और उसे डाइनिंग टेबल से उतार दिया… ऋतु अपने पैरों पे खड़ी हो गयी…. करण दूसरे हाथ से लंड को हिला रहा था. उसने ऋतु के कंधे पे ज़ोर लगाया और उसे नीचे धकेल दिया… ऋतु अब अपने घुटनो पे आ गयी थी…
“यह क्या कर रहे हो करण??”
“नीचे बैठो… मूह खोलो अपना…”
“क्या.. मु खोलूं.. लेकिन क्यू??”
“सवाल मत करो… जैसा ..मैं बोलता हू ….वैसा ही करो.” करण रुक रुक कर बोल रहा था.,. जैसे की उसकी साँस अटक रही हो.
ऋतु नीचे बैठी और अपना मूह खोल लिया… जैसे ही उसने मूह खोला करण ने अपना लंड उसके मूह में दे दिया… ऋतु को लगा की करण उससे लंड चुसवाना चाहता हैं… ऋतु ने लंड मूह में लिया लेकिन लंड का टेस्ट बहुत बुरा लगा.. आख़िर उसकी गान्ड में था अब तक वो लंड… उसके लंड मूह से बाहर निकालने की कोशिश की… लेकिन
करण ने उसे ऐसा ना करने दिया… उसने ऋतु के सर के पीछे हाथ रखकर दबा दिया ताकि वो लंड को मूह से बाहर ना निकाल पाए. वो लंड को और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा…. उसकी आँखें बंद हो रही थी… ऋतु के सर के पीछे उसका दबाव अभी भी था…
ऋतु लाख कोशिश करने के बाद भी लंड को मूह से निकाल नही पा रही थी… लंड उसके गले तक पहुच चुक्का था और ऋतु को चोक कर रहा था… ऋतु को यह बहुत ही गंदा लग रहा था… वो लंड उसकी गान्ड में था अब तक और ऋतु को इस ख़याल से घिंन आ रही थी. ऋतु की आँखो से आँसू निकल रहे थे.. वो खांस रही थी और लगातार कुछ बोल रही थी लेकिन वो क्या बोल रही थी वो सॉफ नही था क्यूकी उसके मूह में तो लंड था करण का.
आख़िर करण की सीमा का बाँध टूटा और उसने ज़ोर से वीर्य की एक फुहार ऋतु के मूह में उतार दी,, ऋतु को इस बात का एहसास हुआ और उसने वापस कोशिश की लंड को बाहर निकालने की लेकिन बेचारी सर के पीछे हाथ होने की वजह से ऐसा नही कर पाई… करण ने एक और फुहार ऋतु के मूह में डाल दी.. ऋतु के मूह में अब कारण का बिर्य था…. लंड क्यूंकी गले तक पहुच चुक्का था इसलिए ऋतु को चोकिंग हो रही थी… वो ना चाहते हुए भी उस वीर्य को घूट गयी…. करण ने आखरी वीर्य की धार ऋतु के मूह में छोड़ी और उसका भी वही हाल हुआ… वो भी ऋतु के गले से नीचे उतर गयी.
अब करण ने ऋतु के सर के पीछे से हाथ हटा लिया… ऋतु झट से लंड मूह से निकाल कर खड़ी हो गयी… उसकी आँखों में आँसू थे… उसने वो आँसू पोंछे और भाग कर बाथरूम में चली गयी… बाथरूम में जाकर उसने जल्दी से पानी से कुल्ला किया… उसने कुछ पानी मूह पे भी मारा. उसने वापस कुल्ला किया लेकिन उसके मूह में से करण के लंड, वीर्य और उसकी गान्ड का स्वाद जा ही नही रहा था.
ऋतु ने टूतपेस्ट खोली और ब्रश करने लगी… इसी उसे कुछ सुकून मिला… कुछ वीर्य छलक कर उसके बूब्स पर भी टपक गया था… उसने वो भी सॉफ किया. जब ऋतु बाथरूम से बाहर आई तो करण सोफे पे बैठ के अपना ड्रिंक पी रहा था. उसने दूसरा ड्रिंक ऋतु को ऑफर किया. ऋतु ने दूसरी और मूह फेर लिया. करण ड्रिंक लेके उसके पास आया और बोला
“आइ आम सॉरी ऋतु… ईलो यह ड्रिंक बनाया हैं तुम्हारे लिए”
Raj Sharma stories--रूम सर्विस compleet
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
“आइ आम सॉरी ऋतु… ईलो यह ड्रिंक बनाया हैं तुम्हारे लिए”
“रहने दो .. आइ डॉन’ट नीड इट”
“आइ नो जो भी हुआ वाज़ ए बीट ऑक्वर्ड फॉर यू लेकिन इट्स ऑल नॉर्मल यार”
“करण तुमने अपना सीमेन मेरे मूह में डाला और मुझे मजबूरन वो पीला दिया.”
“ऋतु इट्स कंप्लीट्ली हार्मलेस.. उससे कुछ नही होता… देखो तुम इन सब बातों के बारे में ज़्यादा मत सोचो.. मैने सॉरी कहा ना… चलो अब मान भी जाओ… प्लीज़”
ऋतु अंत में मान ही गयी… दोनो ने अपने ड्रिंक वहीं ड्रॉयिंग रूम मे ख़तम किए और बेडरूम मे जाकर सो गये… सोते हुए ऋतु का सर करण की छाती पे था और करण का हाथ ऋतु की पीठ पे… दोनो एक दूसरे से चिपके ही नींद की आगोश में चले गये.
मंडे को जब ऋतु ऑफीस पहुचि और अपनी गाड़ी पार्क की. गेट पे वॉचमन से लेके लीगल सेक्षन में बैठे रूपक शाह तक सभी उसको देख रहे थे. ओवर दा वीकेंड ऋतु में जो परिवर्तन हुए थे वो देख के सब अचंभित थे…. कहाँ वो कल की सलवार सूट पहनने वाली ऋतु जो हमेशा बॉल चोटी में बाँध के रखती थी और कहाँ आज ही यह नयी ऋतु.
खुले हुए काले चमचमाते बाल. एक वाइट कलर का टाइट टॉप.. नी लेंग्थ की फिगर हगिंग ब्लॅक स्कर्ट… ब्लॅक कलर की स्टॉकिंग्स आंड ब्लॅक हाइ हील्स. गले में एक सिंपल सी चैन जो की बहुत ही कंटेंपोररी डिज़ाइन की थी और कानो में बड़े बड़े हूप्स. जिसकी नज़र एक बार इस हुस्न की देवी पर पड़ पड़ती वोही इसके हुस्न का दीवाना हो जाता. ऋतु को सब कुछ थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन वो कॉन्फिडेंट थी की वो इस सब को संभाल लेगी…. वेकेंड पे हुई चुदाई ने उसमे जैसे एक नया आत्मविश्वास जगा दिया था. वो अपने हुस्न के प्रति जागरूक हो गयी थी. उसे पता था की वो आकर्षक हैं… तभी तो करण जैसा हॅंडसम लड़का उससे प्यार करता था.
ऋतु जाके अपने कॅबिन में बैठी और उसने अपना कंप्यूटर ऑन किया. तभी वहाँ रूपक शाह आ गया. रूपक जो की लीगल आड्वाइज़र था ग्ल्फ कंपनी में.
“हेलो ऋतु… नया फ्लॅट मुबारक हो… कोई तकलीफ़ तो नही हैं ना वहाँ”
ऋतु थोड़ी चौंक गयी की इसे कैसे पता.“जी शुक्रिया.. आप यह कैसे जानते हैं की मैं नये फ्लॅट में मूव कर गयी हूँ?”
“लो कर लो बात… मैने ही तो सुबह सुबह उठ के वो लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट बनवाया था आपके लिए और करण साहब को दिया था आके वहाँ फ्लॅट पे. आप दिखी नही वहाँ… शायद अंदर किसी बेडरूम में थी”. रूपक ऋतु से जानबूझकर ऐसी बातें कर रहा था की वो अनकंफर्टबल हो जाए. उसको इसमे बहुत मज़ा आ रहा था… लड़कियों की बेबसी में उसे जो ठंडक मिलती थी वो पूरे ऑफीस को पता था. किसी भी लड़की के चेहरे की और देखकर वो बात नही करता था. हमेशा चेहरे से कुछ नीचे लड़कियों के बूब्स को घूरता था… अगर कोई लड़की सामने से गुज़र जाए तो मूड मूड के उसकी गान्ड को देखता था. और एक घिनोनी आदत थी उसमे. घड़ी घड़ी उसके लंड में खुजली होती थी. पेनाइल इचिंग की इस प्राब्लम के कारण ऑफीस में उसका नाम खुजली पड़ गया था.
ऋतु रूपक की बातें सुनकर एंबॅरास्ड हो गयी.
“रूपक जी मुझे बहुत काम हैं…”
“अजी अब आपको काम करने की क्या ज़रूरत हैं… आपका काम तो अब दूसरे करेंगे.”
और रूपक ने अपने हाथ को लंड पे ले जाके खुज़ाया, “आप कहें तो मैं आपका काम कर दूं.”
ऋतु उसकी डबल मीनिंग वाली बातों से गुस्सा हो गयी और उसने मूह फेर लिया… रूपक ने ऋतु को एक घिनोनी सी मुस्कुराहट दी और चला गया अपने कॅबिन में. रूपक वहाँ से निकला और अपने कॅबिन में बने अटॅच्ड टाय्लेट में जाकर मूठ मारने लगा. ऑफीस में मूठ मारना उसका रोज़ का काम था..
आज ऋतु के नाम पे मार रहा था तो कभी ऑफीस की रिसेप्षनिस्ट तो कभी क्लाइंट्स. 40 साल का रूपक यूँ तो शादी शुदा था लेकिन उसकी शादी हुई थी 35 साल की उमर में… उसके गाओं की एक ग़रीब लड़की से. वो लड़की शादी की समय 18 साल की थी और रूपक 35 का … लगभग उससे दुगनी एज. शादी के दिन से आज तक एक भी दिन ऐसा नही गया था जब रूपक ने अपनी बीवी की ना ली हो. वो बेचारी सुहाग्रात पे ना जाने कितने सपने सॅंजो के बैठी थी बेड पे और रूपक दारू के नशे में चूर अंदर आया .. कुछ बोले बिना सीधे उसके कपड़े उतारे और चढ़ गया. बेचारी 18 साल की कुँवारी लड़की की चीखें निकल गयी ऐसे चोदा रूपक ने.
रूपक मूठ मारकर बाहर अपने कॅबिन में बैठ गया और ऋतु के बारे में सोचने लगा. उसके सर पर तो अब सिर्फ़ ऋतु सवार थी. लेकिन वो यह चाहता था की उसके लंड पे भी ऋतु सवार हो. दोस्तो क्या अपने रूपक की ये तमन्ना पूरी हुई और क्या करण सच मैं ऋतु से प्यार करता था या ये सब वो ऋतु के शरीर से सिफ खेलने लिए कर रहा था ये सब जानने के लिए पढ़िए रूम सर्विस पार्ट -4
“रहने दो .. आइ डॉन’ट नीड इट”
“आइ नो जो भी हुआ वाज़ ए बीट ऑक्वर्ड फॉर यू लेकिन इट्स ऑल नॉर्मल यार”
“करण तुमने अपना सीमेन मेरे मूह में डाला और मुझे मजबूरन वो पीला दिया.”
“ऋतु इट्स कंप्लीट्ली हार्मलेस.. उससे कुछ नही होता… देखो तुम इन सब बातों के बारे में ज़्यादा मत सोचो.. मैने सॉरी कहा ना… चलो अब मान भी जाओ… प्लीज़”
ऋतु अंत में मान ही गयी… दोनो ने अपने ड्रिंक वहीं ड्रॉयिंग रूम मे ख़तम किए और बेडरूम मे जाकर सो गये… सोते हुए ऋतु का सर करण की छाती पे था और करण का हाथ ऋतु की पीठ पे… दोनो एक दूसरे से चिपके ही नींद की आगोश में चले गये.
मंडे को जब ऋतु ऑफीस पहुचि और अपनी गाड़ी पार्क की. गेट पे वॉचमन से लेके लीगल सेक्षन में बैठे रूपक शाह तक सभी उसको देख रहे थे. ओवर दा वीकेंड ऋतु में जो परिवर्तन हुए थे वो देख के सब अचंभित थे…. कहाँ वो कल की सलवार सूट पहनने वाली ऋतु जो हमेशा बॉल चोटी में बाँध के रखती थी और कहाँ आज ही यह नयी ऋतु.
खुले हुए काले चमचमाते बाल. एक वाइट कलर का टाइट टॉप.. नी लेंग्थ की फिगर हगिंग ब्लॅक स्कर्ट… ब्लॅक कलर की स्टॉकिंग्स आंड ब्लॅक हाइ हील्स. गले में एक सिंपल सी चैन जो की बहुत ही कंटेंपोररी डिज़ाइन की थी और कानो में बड़े बड़े हूप्स. जिसकी नज़र एक बार इस हुस्न की देवी पर पड़ पड़ती वोही इसके हुस्न का दीवाना हो जाता. ऋतु को सब कुछ थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन वो कॉन्फिडेंट थी की वो इस सब को संभाल लेगी…. वेकेंड पे हुई चुदाई ने उसमे जैसे एक नया आत्मविश्वास जगा दिया था. वो अपने हुस्न के प्रति जागरूक हो गयी थी. उसे पता था की वो आकर्षक हैं… तभी तो करण जैसा हॅंडसम लड़का उससे प्यार करता था.
ऋतु जाके अपने कॅबिन में बैठी और उसने अपना कंप्यूटर ऑन किया. तभी वहाँ रूपक शाह आ गया. रूपक जो की लीगल आड्वाइज़र था ग्ल्फ कंपनी में.
“हेलो ऋतु… नया फ्लॅट मुबारक हो… कोई तकलीफ़ तो नही हैं ना वहाँ”
ऋतु थोड़ी चौंक गयी की इसे कैसे पता.“जी शुक्रिया.. आप यह कैसे जानते हैं की मैं नये फ्लॅट में मूव कर गयी हूँ?”
“लो कर लो बात… मैने ही तो सुबह सुबह उठ के वो लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट बनवाया था आपके लिए और करण साहब को दिया था आके वहाँ फ्लॅट पे. आप दिखी नही वहाँ… शायद अंदर किसी बेडरूम में थी”. रूपक ऋतु से जानबूझकर ऐसी बातें कर रहा था की वो अनकंफर्टबल हो जाए. उसको इसमे बहुत मज़ा आ रहा था… लड़कियों की बेबसी में उसे जो ठंडक मिलती थी वो पूरे ऑफीस को पता था. किसी भी लड़की के चेहरे की और देखकर वो बात नही करता था. हमेशा चेहरे से कुछ नीचे लड़कियों के बूब्स को घूरता था… अगर कोई लड़की सामने से गुज़र जाए तो मूड मूड के उसकी गान्ड को देखता था. और एक घिनोनी आदत थी उसमे. घड़ी घड़ी उसके लंड में खुजली होती थी. पेनाइल इचिंग की इस प्राब्लम के कारण ऑफीस में उसका नाम खुजली पड़ गया था.
ऋतु रूपक की बातें सुनकर एंबॅरास्ड हो गयी.
“रूपक जी मुझे बहुत काम हैं…”
“अजी अब आपको काम करने की क्या ज़रूरत हैं… आपका काम तो अब दूसरे करेंगे.”
और रूपक ने अपने हाथ को लंड पे ले जाके खुज़ाया, “आप कहें तो मैं आपका काम कर दूं.”
ऋतु उसकी डबल मीनिंग वाली बातों से गुस्सा हो गयी और उसने मूह फेर लिया… रूपक ने ऋतु को एक घिनोनी सी मुस्कुराहट दी और चला गया अपने कॅबिन में. रूपक वहाँ से निकला और अपने कॅबिन में बने अटॅच्ड टाय्लेट में जाकर मूठ मारने लगा. ऑफीस में मूठ मारना उसका रोज़ का काम था..
आज ऋतु के नाम पे मार रहा था तो कभी ऑफीस की रिसेप्षनिस्ट तो कभी क्लाइंट्स. 40 साल का रूपक यूँ तो शादी शुदा था लेकिन उसकी शादी हुई थी 35 साल की उमर में… उसके गाओं की एक ग़रीब लड़की से. वो लड़की शादी की समय 18 साल की थी और रूपक 35 का … लगभग उससे दुगनी एज. शादी के दिन से आज तक एक भी दिन ऐसा नही गया था जब रूपक ने अपनी बीवी की ना ली हो. वो बेचारी सुहाग्रात पे ना जाने कितने सपने सॅंजो के बैठी थी बेड पे और रूपक दारू के नशे में चूर अंदर आया .. कुछ बोले बिना सीधे उसके कपड़े उतारे और चढ़ गया. बेचारी 18 साल की कुँवारी लड़की की चीखें निकल गयी ऐसे चोदा रूपक ने.
रूपक मूठ मारकर बाहर अपने कॅबिन में बैठ गया और ऋतु के बारे में सोचने लगा. उसके सर पर तो अब सिर्फ़ ऋतु सवार थी. लेकिन वो यह चाहता था की उसके लंड पे भी ऋतु सवार हो. दोस्तो क्या अपने रूपक की ये तमन्ना पूरी हुई और क्या करण सच मैं ऋतु से प्यार करता था या ये सब वो ऋतु के शरीर से सिफ खेलने लिए कर रहा था ये सब जानने के लिए पढ़िए रूम सर्विस पार्ट -4
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
रूम सर्विस --4
सब लोग ऋतु में आए इस बदलाव को देख के हैरान थे… उसी ऑफीस में काम करने वाली एक और सेल्स ऑफीसर थी – पायल. पायल दिल्ली की ही रहने वाली थी..और उसने ऋतु के साथ ही ट्रैनिंग ली थी सेल्स की. पायल ने आके ऋतु से पूछा
“हाय…क्या बात हैं ऋतु आज तो बहुत अच्छी लग रही हो”
“हाय पायल.. अर्रे कुछ नही यार बस ऐसे ही.. वीकेंड पे थोड़ी शॉपिंग करने निकल गयी थी”
“थोड़ी?? अर्रे तू तो सर से पाँव तक बदल गयी हैं”
“हहे अर्रे ऐसा कुछ नही हैं यार… तुम ही बस ऐसे ही”
“अच्छा सुन वो ह्युंडई आइ10 भी तेरी ही हैं ना??”
“ओह वो.. हां मेरी ही हैं… इंस्टल्लमेंट पे ली हैं… ”
“ओके… ऋतु लगता हैं तेरी तो पक्का कोई लॉटरी लगी हैं”
“ऐसा ही समझ ले” और ऋतु उठकर एक फाइल लेके अपने मॅनेजर के कॅबिन में चली गयी लहराती हुई.
उस दिन ऋतु के पास 2 नये क्लाइंट्स आए और उन्होने फ्लॅट्स पर्चेज किए. इन दोनो सेल्स से ऋतु को अछा ख़ासा कमिशन मिला. करण के निर्देश का पालन करते हुए ऋतु के पास सारे जेन्यूवन क्लाइंट्स भेजे जाने लगे. ऋतु दिन ब दिन दुगनी और रात चौगिनी तरक्की करने लगी.
वहाँ करण भी उसके फ्लॅट पे अक्सर आता था और सुबह तक अपनी वासना की आग बुझाकर चला जाता था. ऋतु अब इस नये महॉल में अपने आप को पूरी तरह से ढाल चुकी थी. उसे ऐश-ओ-आराम की यह ज़िंदगी भाने लगी थी.. अक्सर ऋतु और करण ऑफीस के बाद कहीं बाहर जाकर अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाते थे और उसके बाद ऋतु के फ्लॅट पे जाके सेक्स करते थे. करण के पास फ्लॅट की एक चाबी रहती थी. कई दफ़ा जब ऋतु फ्लॅट में लौट-ती थी शाम को तो करण उसे वहीं मिलता था. करण की कंपनी में ऋतु ने रेग्युलर्ली ड्रिंक करना चालू कर दिया था. बिना वाइन वोड्का विस्की जिन कॉग्नॅक या रूम के उसे डिन्नर करने में मज़ा ही नही आता था. जहाँ वो पहले मोहल्ले के टेलर से साल में 2-3 सूट सिल्वाती थी वहीं अब हर वीकेंड शॉपिंग करती थी बड़े बड़े माल्स के उचे शोरूम्स में. डिज़ाइनर लेबल्स पहनने लगी थी. जहाँ पहले उसके पास सिर्फ़ 2 जोड़ी सॅंडल थी अब वहीं दर्जनो थी. ऋतु इस पैसे, शान-ओ-शौकत,और अयाशी की ज़िंदगी में इस कदर घुल मिल गयी थी कि कहना मुश्किल था की यह लड़की पठानकोट के एक साधारण मध्यम वर्गिया परिवार से हैं.
ऑफीस में भी लोग तरह तरह की बातें करने लगे थे. रूपक ने ना जाने कैसी कैसी बातें कहीं थी पूरे स्टाफ में. बाकी सेल्स ऑफिसर्स ऋतु से ईर्ष्या करने लगे थे. पायल जो की ऋतु की अच्छी सहेली थी उससे दूर हो गयी थी. सभी लोग ऋतु और करण के पीठ पीछे उनके बारे में तरह तरह की बातें करते थे. कुछ लोग तो ऋतु को करण की ‘रखैल’ तक बोलते थे.
ऋतु को भी इस बात का एहसास था. उसे यह अच्छा नही लगता था. वो करण को बेहिसाब प्यार करती थी. उससे तन मन धन से अपना सब कुछ मानती थी… और उनके रिश्ते को .लोग बुरी नज़र से देखें यह उसे गवारा नही था. उसने कई बार यह बात करण के साथ करनी चाही लेकिन करण ने हमेशा टाल दिया.
एक रात जब करण और ऋतु सेक्स करने के बाद बेड पे लेटे हुए थे तो ऋतु ने कहा
“करण… डू यू लव मी?”
“हां ऋतु… इसमे पूछने वाली क्या बात हैं”
“मेरी क्या हैसियत हैं तुम्हारी ज़िंदगी में??”
“व्हाट डू यू मीन ऋतु”
“वही जो मैं पूछ रही हूँ.. मेरी क्या हैसियत हैं तुम्हारी ज़िंदगी में?”
“तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो.. और क्या”
“तुम्हे कैसा लगेगा अगर कोई यह कहेगा की मैं तुम्हारी रखैल हूँ”
“व्हाट!! किसने कहा…. मुझे नाम बताओ उसका”
“किस किसका नाम बताउ करण… हम लोगों की ज़ुबान तो नही बंद कर सकते. तुम और मैं कितने महीनो से यहाँ एक साथ पति पत्नी की तरह रह रहें हैं… लेकिन सच हैं की हुमारी शादी नही हुई हैं. बताओ करण लोगों को क्या नाम देना चाहिए इस रिश्ते को”
“ओह प्लीज़ ऋतु… यह सब बातें फिर से शुरू ना करो. तुम्हे पता हैं मुझे कोई फरक नही पड़ता की कौन क्या सोचता हैं और क्या बोलता हैं”
“तुम्हे फरक नही पड़ता करण क्यूकी तुम एक लड़के हो. अगर कोई लड़का किसी लड़की के साथ सोता हैं तो लोग उसकी प्रशंसा करते हैं. उसे मर्द कहते हैं. लेकिन अगर यही काम कोई लड़की करे तो उसे छिनाल और रंडी कहते हैं. उसे लूज कॅरक्टर कहते हैं”
“ऋतु तुम्हारी बातों से मुझे सर दर्द हो रहा हैं. प्लीज़ स्टॉप इट.” करण ने उची आवाज़ में कहा
सब लोग ऋतु में आए इस बदलाव को देख के हैरान थे… उसी ऑफीस में काम करने वाली एक और सेल्स ऑफीसर थी – पायल. पायल दिल्ली की ही रहने वाली थी..और उसने ऋतु के साथ ही ट्रैनिंग ली थी सेल्स की. पायल ने आके ऋतु से पूछा
“हाय…क्या बात हैं ऋतु आज तो बहुत अच्छी लग रही हो”
“हाय पायल.. अर्रे कुछ नही यार बस ऐसे ही.. वीकेंड पे थोड़ी शॉपिंग करने निकल गयी थी”
“थोड़ी?? अर्रे तू तो सर से पाँव तक बदल गयी हैं”
“हहे अर्रे ऐसा कुछ नही हैं यार… तुम ही बस ऐसे ही”
“अच्छा सुन वो ह्युंडई आइ10 भी तेरी ही हैं ना??”
“ओह वो.. हां मेरी ही हैं… इंस्टल्लमेंट पे ली हैं… ”
“ओके… ऋतु लगता हैं तेरी तो पक्का कोई लॉटरी लगी हैं”
“ऐसा ही समझ ले” और ऋतु उठकर एक फाइल लेके अपने मॅनेजर के कॅबिन में चली गयी लहराती हुई.
उस दिन ऋतु के पास 2 नये क्लाइंट्स आए और उन्होने फ्लॅट्स पर्चेज किए. इन दोनो सेल्स से ऋतु को अछा ख़ासा कमिशन मिला. करण के निर्देश का पालन करते हुए ऋतु के पास सारे जेन्यूवन क्लाइंट्स भेजे जाने लगे. ऋतु दिन ब दिन दुगनी और रात चौगिनी तरक्की करने लगी.
वहाँ करण भी उसके फ्लॅट पे अक्सर आता था और सुबह तक अपनी वासना की आग बुझाकर चला जाता था. ऋतु अब इस नये महॉल में अपने आप को पूरी तरह से ढाल चुकी थी. उसे ऐश-ओ-आराम की यह ज़िंदगी भाने लगी थी.. अक्सर ऋतु और करण ऑफीस के बाद कहीं बाहर जाकर अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाते थे और उसके बाद ऋतु के फ्लॅट पे जाके सेक्स करते थे. करण के पास फ्लॅट की एक चाबी रहती थी. कई दफ़ा जब ऋतु फ्लॅट में लौट-ती थी शाम को तो करण उसे वहीं मिलता था. करण की कंपनी में ऋतु ने रेग्युलर्ली ड्रिंक करना चालू कर दिया था. बिना वाइन वोड्का विस्की जिन कॉग्नॅक या रूम के उसे डिन्नर करने में मज़ा ही नही आता था. जहाँ वो पहले मोहल्ले के टेलर से साल में 2-3 सूट सिल्वाती थी वहीं अब हर वीकेंड शॉपिंग करती थी बड़े बड़े माल्स के उचे शोरूम्स में. डिज़ाइनर लेबल्स पहनने लगी थी. जहाँ पहले उसके पास सिर्फ़ 2 जोड़ी सॅंडल थी अब वहीं दर्जनो थी. ऋतु इस पैसे, शान-ओ-शौकत,और अयाशी की ज़िंदगी में इस कदर घुल मिल गयी थी कि कहना मुश्किल था की यह लड़की पठानकोट के एक साधारण मध्यम वर्गिया परिवार से हैं.
ऑफीस में भी लोग तरह तरह की बातें करने लगे थे. रूपक ने ना जाने कैसी कैसी बातें कहीं थी पूरे स्टाफ में. बाकी सेल्स ऑफिसर्स ऋतु से ईर्ष्या करने लगे थे. पायल जो की ऋतु की अच्छी सहेली थी उससे दूर हो गयी थी. सभी लोग ऋतु और करण के पीठ पीछे उनके बारे में तरह तरह की बातें करते थे. कुछ लोग तो ऋतु को करण की ‘रखैल’ तक बोलते थे.
ऋतु को भी इस बात का एहसास था. उसे यह अच्छा नही लगता था. वो करण को बेहिसाब प्यार करती थी. उससे तन मन धन से अपना सब कुछ मानती थी… और उनके रिश्ते को .लोग बुरी नज़र से देखें यह उसे गवारा नही था. उसने कई बार यह बात करण के साथ करनी चाही लेकिन करण ने हमेशा टाल दिया.
एक रात जब करण और ऋतु सेक्स करने के बाद बेड पे लेटे हुए थे तो ऋतु ने कहा
“करण… डू यू लव मी?”
“हां ऋतु… इसमे पूछने वाली क्या बात हैं”
“मेरी क्या हैसियत हैं तुम्हारी ज़िंदगी में??”
“व्हाट डू यू मीन ऋतु”
“वही जो मैं पूछ रही हूँ.. मेरी क्या हैसियत हैं तुम्हारी ज़िंदगी में?”
“तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो.. और क्या”
“तुम्हे कैसा लगेगा अगर कोई यह कहेगा की मैं तुम्हारी रखैल हूँ”
“व्हाट!! किसने कहा…. मुझे नाम बताओ उसका”
“किस किसका नाम बताउ करण… हम लोगों की ज़ुबान तो नही बंद कर सकते. तुम और मैं कितने महीनो से यहाँ एक साथ पति पत्नी की तरह रह रहें हैं… लेकिन सच हैं की हुमारी शादी नही हुई हैं. बताओ करण लोगों को क्या नाम देना चाहिए इस रिश्ते को”
“ओह प्लीज़ ऋतु… यह सब बातें फिर से शुरू ना करो. तुम्हे पता हैं मुझे कोई फरक नही पड़ता की कौन क्या सोचता हैं और क्या बोलता हैं”
“तुम्हे फरक नही पड़ता करण क्यूकी तुम एक लड़के हो. अगर कोई लड़का किसी लड़की के साथ सोता हैं तो लोग उसकी प्रशंसा करते हैं. उसे मर्द कहते हैं. लेकिन अगर यही काम कोई लड़की करे तो उसे छिनाल और रंडी कहते हैं. उसे लूज कॅरक्टर कहते हैं”
“ऋतु तुम्हारी बातों से मुझे सर दर्द हो रहा हैं. प्लीज़ स्टॉप इट.” करण ने उची आवाज़ में कहा