Hindi Sex Stories By raj sharma

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 06:41



थोड़ी देर की बातों के बाद ये ऑफीस से आ गये और शबाना इनसे नमस्ते करके चली गयी, मेरे पति जाती हुए शबाना की गांद को घूर रहे थे.

मैने चाइ बनाई और ये कुछ ज़रूरी काम से मुंबई जाने वाले थे रात को ही तो मैने तैयारी लगानी शुरू कर दी.

इन्होने मुझसे कहा कि शबाना आंटी को बुला लेना सोने के लिए तो मैने कहा नही मैं कंचन को बुला लूँगी उसके हज़्बेंड भी बाहर गये हुए है, तो इन्होने हाँ मे सिर हिलाया और फिर मेरे साथ एक ज़ोर दार सेक्स किया लेकिन मुझे पता नही क्या हो गया था, मैं आँखें बंद किए हुए माधव के ख़यालों मे खोई हुए थी, और जल्दी जल्दी 3 बार झाड़ गयी.

उसके बाद ये चले गये मैने कंचन को कॉल किया और आने को कहा तो वो बोली अकेले आउ या किसी और को भी साथ लाउ.

मैने कहा, “आज तो अकेले ही आ, पूरा हफ़्ता है किसी और का बाद मैं देखते है.”

कंचन ने कहा, “ठीक है मेरी जान.” और फोन काट दिया

मैं उसके आने का इंतेजर करने लगी.

कंचन थोड़ा लेट आई थी और वो अपने बच्चे को घर पर ही छ्चोड़ कर आई थी और अंदर आते ही मैने दरवाज़ा बंद कर दिया, सारे खिड़की पर्दे सब मैने पहले ही बंद कर रखा था.

मैने अपनी चूत को भी बहुत अच्छे से धोया था और सारे बाल भी सॉफ का लिए थे, लेकिन मस्ती इतनी थी कि चूत से पानी टपक रहा था और मेरी पॅंटी को गीला कर रहा था. आते ही हम दोनो सोफे पर ही गुत्थम गुत्था हो गये, कंचन ने झट से अपना कुर्ता और ब्रा निकाल दी उसके मोटे मोटे निपल मैने अपना मुँह मे भर लिए और बारी बारी से एक एक स्तन को मसल कर उसके निपल का रस पान करने लगी. कंचन ने भी मेरी मॅक्सी निकाल दी और पॅंटी भी, जो मैने नहा कर बिल्कुल अभी पहनी थी लेकिन वो चूत रस से भीग गयी थी.

फिर कंचन खड़ी हुई और सलवार निकाल दी, उसकी पॅंटी चूत के पास से उठी हुई थी जैसे ही उसने पॅंटी निकली मैं हैरान रह गयी. उस कुतिया ने वो वाइब्रटर अपनी चूत मे डाला हुआ था और वो बॅट्री मोड पर ऑन था.

मैने देखा तो वो बोली, "मेरी जान मैं हमेशा इसको चूत मे फसा का बाहर जाती हूँ ताकि मर्दो को देख कर बार बार झाड़ सकूँ."

"तू साली बहुत चुड़क्कड़ है." मैने कहा तो वो भी तपाक से बोली, "तुझे भी बना दूँगी."

और उसने वो वाइब्रटर निकाल कर मेरे मुँह मे घुसा दिया, उसकी चूत रस के साथ साथ मूत का नमकीन कसैला सा स्वाद भी जेहन मे उतरता चला गया, लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैने वो रस चाट लिया, अब कंचन ने मुझे सोफे पर ही घोड़ी बना दिया और वो वाइब्रटर मेरी चूत मे पीछे से घुसा दिया, और स्पीड भी एकदम फुल कर दी, मैं 2 मिनिट मे ही झाड़ गयी लेकिन उसने मुझे बुरी तरह से जाकड़ लिया था मैं उठ भी नही सकती थी और हिल भी नही सकती थी.

मेरा सारा बदन अकड़ने लगा और मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया और मैने इतना महसूस किया कि मेरी चूत से एक तेज धार कंचन के स्तनो को भिगो रही थी.

जब मुझे होश आया तो मैं सोफे पर ही पड़ी थी और कंचन बड़बड़ा रही थी, "साली मेरे मुँह पर ही मूत दिया."

मैने नॉर्मल होने की कॉसिश की और उठा कर अपने बेडरूम मे गयी, कंचन भी पीछे से आ गयी. मुझे सेक्स हमेशा से ही स्लो और लंबा पसंद है वाइल्ड सेक्स के कारण मुझे घबराहट हो रही थी. मैं आँखें बंद करके लेट गयी.

मेरी आँख तब खुली जब कंचन ने मेरी चूत के लिप्स पर अपनी जीभ घुमाई, और मेरी चूत का दाना बहुत संवेदनशील हो गया था, जैसे ही उसने दाना अपने मुँह मे भरा मेरी सिसकी निकल गयी.

मैं, "आआआहह कंचन धीरे कर."

कंचन समझ रही थी कि मैं रूफ सेक्स की आदि नही हूँ, मेरे हज़्बेंड भी मुझे धीरे धीरे उत्तेजित करते हुए प्यार से मेरी चुदाई करते है.कंचन ने अपने दोनो हाथो से मेरी चूत को फैलाया और अंदर के भाग पर जीभ फेरी मेरे मूत छिद्र पर उसकी जीभ कुछ ऐसा जादू कर रही थी मानो कि मेरा मूत निकल जाएगा, वो पूरी चूत को मुँह मे भर कर चूम रही थी.

फिर कंचन ने एक उंगली अंदर डाल दी और दाने पर जीभ चलाने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, अचानक उसने मेरी चूत को अपने मुँह मे दबा लिया, और काँपने लगी, मैने आँखें खोल कर देखा तो वो उसकी चूत से वाइब्रटर निकाल रही थी

फिर हम दोनो लिपट कर लेट गये. थोड़ी ही देर मे हमे कब नींद आ गयी पता ही नही चला

सुबह आँख खुली तो कंचन तैयार होकर जा रही थी, उसकी बेटी को स्कूल जाना था. दूसरी रात वो नही आ सकती थी लेकिन छाया आंटी से कंचन ने मेरे घर पर सोने को बोल दिया था,

छाया उमर के इस पड़ाव पर भी एक दम फिट थी. वो रोज योगा करती थी वो जानती थी कि उसे खुद को फिट रखना ही होगा. लेकिन उसके पति की मौत के बाद किसी ने उसको नंगा नही देखा था. वो अपनी चूत मे उंगलिया करते करते बोर हो गयी थी और कुछ नया चाहती थी. छाया भी मेरी तरफ आकर्षित थी लेकिन वो ये सोच कर रुक जाती थी कि अगर मैने विरोध किया तो उसकी मेरी नज़र मे क्या रह जाएगी. छाया कई बार मेरे नाम लेकर भी अपनी चूत को सहला चुकी थी.

हम दोनो बैठ कर बात कर ही रहे थे, छाया के दिलो दिमाग़ मे एक द्वन्द चल रहा था, हम बात ही कर रहे थे कि छाया आंटी का हाथ सोफे से मेरी पीठ पर मैने महसूस किया, ये नॉर्मल टच नही था, औरतों को टच की पहचान होती है.

छाया बोली, “चलो एक राइड हो जाए कार से घूम कर आते है, मैने भी हाँ कर दी और हम दोनो घूमने निकल पड़े.
क्रमशः

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 06:42

चार सहेलियों को बजाया --2

गतान्क से आगे .......................
थोड़ा सुनसान आते ही छाया आंटी बोली थोड़ा गाड़ी रोक, तो मैने गाड़ी रोक दी

उनके साथ मैं भी नीचे उतर गयी, वो थोड़ा आगे गयी और साड़ी उठा कर ज़मीन पर बैठ गयी और उनकी दुबली पतली सी गोरी गांद मेरे सामने थी, वो जान बुझ कर लाइट मे जाकर बैठी थी, और मूतने की मधुर आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी. अब मुझे भी कुछ होना शुरू हो गया था.

हम दोनो वही बुनट पर टिक कर खड़े हो गये, छाया आंटी की उंगलियाँ मेरे हाथ के ऊपर ही थी.

छाया आंटी बोली, “एक बात पुच्छू तुमसे.”

मुझे जैसे लगा कि वो क्या चाहती है, “हा आंटी पूछो ना.”

वो थोड़ा रुक गयी और बोली, “मर्दो का साथ कैसा होता है, मुझे पता है. लेकिन एक लड़की के साथ होना कैसा लगता है.”

मुझे लगा कि मैं झाड़ रही हूँ और चूत का रस मेरी पॅंटी को भिगो रहा है,

छाया आंटी मेरी तरफ घूमी और मेरे गाल पर अपना हाथ रखा, मैं उनकी तरफ ही देख रही थी, और वो मेरी तरफ बढ़ी और उनका चेहरा मेरे पास आ गया, मैने साँस रोक ली और मैं बहुत उत्तेजित हो गयी थी.

और हम दोनो के होठ मिल गये, उूुुउउम्म्म्मममममम और कुछ ही देर मे हम दोनो की जीभ एक दूसरे के साथ खेल रही थी, प्यार का खेल जो अभी सिर्फ़ शुरू ही हुआ था.

छाया आंटी ने मुझे खुद से लिपटा लिया और मैं मेल की तरह उनसे लिपट गयी. हम दोनो के हाथ एक दूसरे की पीठ को सहला रहे थे, छाया आंटी ने ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे स्तन को दबाना और सहलाना शुरू किया. मेरे निपल कड़क हो गये थे, वो मेरी ब्रा और ब्लाउज के ऊपर से छाया आंटी महसूस कर रही थी. उन्होने मेरे बटन खोलना चाहे पर मैने उनको रोक दिया और कहा घर चलो.

5 मिनिट मे ही हम घर पर थे. आते ही छाया आंटी ने मेरा ब्लाउस खोल दिया वो मेरे नंगे होते बदन पर ऐसे हाथ फेर रही कि मैं उस नशे मे खोती ही जा रही थी. छाया आंटी ने मेरे पेटिकोट का नाडा खोला और मेरा पेटिकोट और साड़ी वही फर्श पर गिर गये.

"उसने जब मेरे हिप्स पर छुआ तो मैं काँप गयी, वो बोली, “मेरी जान मैं तुमको आज अपना बनाना चाहती हूँ.”

छाया आंटी ने मेरा हाथ उनके स्तनो पर रख और मैने उनके स्तन दबाना शुरू किया और उनका ब्लाउस और साडी खोल दी, फिर मैने उनका पेटिकोट भी निकाल दिया. छाया आंटी के निपल थोड़े बड़े थे मैं उनको पकड़ा, तो वो उछल पड़ी आआआहह धीरे करो मेरी जान.

उनकी चूत से भी रस टपक रहा था और उनकी पॅंटी भीग गयी थी, मैने छाया आंटी की गर्देन पर चूमना शुरू किया, किसी भी औरत को गर्देन पर चूमना बहुत जल्दी उत्तेजित करता है, अब मैने उनको सोफे पर लिटा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गयी और उनके निपल चूसने लगी. छाया आंटी ने मुझे कहा, तुम बहुत सुंदर हो मेरी रानी.”

मैने छाया आंटी की पॅंटी निकाल दी, उनकी चूत का गीलापन बाहर तक टपक रहा था और फूली हुए बिना बालों वाली चूत की महक मुझे आने लगी थी, मैने उसकी फूली हुए चूत पर हाथ फेरा और झुक कर उसकी गरम गीली चूत पर अपनी जीभ घुमाई, नीचे से जहाँ उसकी चूत खुल रही थी और उसकी गांद के भूरे छेद तक. और ज़ोर से उसकी पूरी चूत को मुँह मे भर लिया, आआआहह उसकी सिसकी निकल गयी, अंगूठे से मैने छाया आंटी की चूत के दाने को घिसना शुरू किया, और नीचे की तरफ मैं जीभ फेर रही थी, मैं उसकी चूत भूखी कुतिया जैसे अपना खाना खाती है वैसे चाट रही थी.

"हे भगवान, आआआआआहह चतो और चतो म्‍म्म्ममममममम बहुत मज़ा आ रहा है मुझे..." छाया आंटी बड़बड़ा रही थी

मुझे पता ही नही था कि जीभ इतने कमाल की चीज़ है जो लंड से ज़्यादा मज़ा दे सकती है और वो भी तब जब एक औरत दूसरी औरत के साथ हो तब. छाया आंटी की चूत से रस टपक रहा था और मैं उस कसैले नमकीन मीठे से स्वाद वाले चूत रस को चाते जा रही थी. छाया आंटी काँपने लगी थी और शायद वो अब झड़ने ही वाली थी.

और जैसे ही मैने उनकी चूत का दाना मुँह मे भरा वो झड़ने लगी. और वो बहुत देर तक झड़ती रही और एकदम शांत हो गयी.

अब उनकी बारी थी लेकिन मैं उनको थोड़ा आराम का मौका देना चाहती थी इस लिए मैं बाथरूम मे चली गयी.

जब मैं वापिस आई तो छाया आंटी टाय्लेट जाने के लिए उठी, उनके गालों पर गुलाबी रंगत छाई हुए थी मैने उनका हाथ पकड़ा और कान के पास मुँह लेजाते हुए बोली, “ कैसा लगा मेरी प्यारी आंटी.” और कान मे फूँक मार दी, वो सिहर गयी और हाथ छुड़ाते हुए बाथरूम मे भाग गयी.

मैं बेड पर लेट गयी और दोनो पैर भी ऊपर उठा कर रख दिए,

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 06:43


छाया आंटी कब आई मुझे नही पता, लेकिन अब वो बेड के नीचे मेरी दोनो टॅंगो के बीच मे थी और मेरी टपकती हुए चूत पर उनकी जीभ चलने लगी, और उन्होने दाने पर जीभ चलाते हुए एक उंगली मक्कन जैसी चिकनी चूत मे उतार दी, मैने भी गांद उछाल कर उनकी उंगली को अंदर तक ले लिया.

मेरा मुँह खुल गया था और मैं मुँह से साँस ले रही थी,

मैं बोली. "आआआआआआअहह आंटी बहुत प्यारा लग रहा है,"

छाया आंटी ने धीरे से कहा, "आहे देख ये तो शुरुआत है."

छाया आंटी ने अब एक और उंगली मेरी चूत मे डाल दी और आगे पीछे कर दी मैने भी अपने शरीर का भार आगे को लिए और उठकर उनकी उंगलियों को चूत मे अंदर बाहर होते हुए देखने लगी, और मैने भी अपनी गांद को आगे पीछे करते हुए गांद को उनके हाथ के ले से ताल मिलाने लगी, छाया आंटी कीउंगलियाँ अब मुझे लंड के जैसा ही मज़ा दे रही थी, और मैने अपनी कोहली को मोड़ कर अपने हाथ से अपने ही निपल को पकड़ कर मसलना शुरू किया, अब मस्ती अपने शबाब पर थी और मैं एक अलग ही दुनिया मे थी.

मैने अपनी आँखें बंद कर ली थी अचानक छाया आंटी ने अपनी उंगलियाँ निकाल ली और उसकी जगह किसी और चीज़ ने ले ली थी, छाया आंटी ने बस वो चीज़ मेरी चूत मे घुसानी शुरू कर दी, ये तो वो लंबा वाला बैंगन था जो वो सुबह पकाने के लिए लाई थी और उसने सोचा भी ना था कि इसको ऐसे भी इस्तेमाल कर सकते है.

छाया आंटी मेरी चूत के दाने को सहलाते हुए बॅंगेन को अंदर बाहर करने लगी, वो ठंडा बैंगन मुझे बहुत मज़ा दे रहा था, और मेरी छ्होट और ज़्यादा फैल गयी थी.

छाया आंटी बोली, “बेटा तुम्हारी छूत तो झरना बन गयी है, कितना रस छ्चोड़ रही है.”

छाया आंटी के तरीकों से मैं अब पूरी तरह से पिघलने को तैयार थी और मेरा बदन अकड़ने लगा था और मैं तेज आआआआआआआआआआअहह के साथ झाड़ गयी.

लेकिन छाया आंटी ने बंद नही किया, वो रुक ही नही रही थी बल्कि बैंगन को और तेज़ी के साथ मेरी चूत के अंदर बाहर कर रही थी.

मेरी गांद का छेद फिर से सिकुड गया और एक तेज लहर मेरे बदन मे उठी और झड़ने के साथ साथ मेरा मूत निकल गया. और छाया आंटी पूरा भीग गयी.

अब छाया आंटी ने मेरी छूत से वो बैंगन बाहर निकाल लिया और झुक कर वो मेरी रस से भरी हुई चूत को चाटने लगी, और एक उंगली से वो मेरी गांद के छेद को कुरेदने लगी, मेरे साथ ऐसा कभी नही हुआ था. मैने गांद को सिकोड लिया, पर जब वो जीभ से मेरी गांद को चाटने और सहलाने लगी तो मैने अब अपनी गांद को ढीला कर दिया, मेरे पति चाहते थे कि वो एक बार तो मेरी गांद मार ले पर मैने उनको कभी हाथ भी नही लगाने दिया था, लेकिन छाया आंटी की तरह अगर उन्होने मेरी गांद को चटा होता तो शायद……..

छाया आंटी ने एक उंगली को पहले चूत मे डाला फिर उसी उंगली को गांद मे डाल दिया. मुझे कभी इतना मज़ा नही आया था

"आंटी, ये क्या कर रही हो?" मैने पूछा

"तुमको प्यार के खेल सिखा रही हूँ मेरी जान," छाया आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, मैं घबराई हुए थी तो वो फिर से बोली, "तकलीफ़ नही होगी, डरो मत"


और झक कर मेरी गांद के छेद को चाटने लगी. धीरे धीरे चाटने और जीभ की नोक से गांद के छेद को खोलने की कोशिश. आआआआआआआहह म्‍म्म्ममममममममम मैं अब इस एहसास का और गांद चटाई का मज़ा ले रही थी.

अब उन्होने एक हाथ मेरी चूत पर टीकाया और जीभ गांद पर और चूत को सहलाते हुए गांद चाटने लगी, अब उन्होने दो उंगलियाँ चूत मे डाली और निकाल ली और फिर से उन्होने एक उंगली गांद मे और एक चूत मे डाल दी, थोड़ा सा लगा पर मैं इस मज़े को पाना चाहती थी, मैने अपनी गांद को सिकोड लिया था, पर छाया आंटी ने इशारा किया तो मैने फिर अपना बदन ढीला छ्चोड़ने की कोशिश की और अब मैने खुद ही नीचे को दबाब डाला और दोनो उंगलियों को गहराई मे उतार लिया.

अब वो बहुत तेज़ी से उंगलियों को अंदर बाहर कर रही थी और छाया आंटी ने कब दो उंगलियों मेरी गांद मे डाल दी पता ही नही चला, अब उन्होने दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ चूत मे डाल दी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैं भी उनके धक्को का जवाब अपने धक्को से दे रही थी. और अचानक उन्होने वो बैंगन मेरी गांद मे टीका दिया, मैं डर से काँप गयी क्योंकि वो थोड़ा मोटा था.

"हाए, भगवान के लिए आंटी. इससे बहुत दर्द होगा मत करो मैं मर जाउन्गि, पहले मैने कभी ऐसा नही किया है, प्लीज़ रुक जाओ."

"चिंता मत करो मेरी जान तुमको ज़रा भी तकलीफ़ नही होगी,"वो थोड़ा तेज गुस्से भरे लहजे मे बोली

"सारा बदन ढीला छ्चोड़ दो बेटा, , और गारी साँस लो," छाया आंटी बोली

मैं शांत होने की पूरी कोशिश कर रही थी और छाया आंटी ने बैंगन का दवाब बदाया और मेरी गांद का छल्ला खुलने लगा और वो बैंगन को रास्ता दे रहा था.


"आआअहह माआआआअ !" मैं कराह रही थी, और रात के सन्नाटे मे इस आवाज़ को ज़रूर किसी ने सुना होगा

Post Reply