गर्ल'स स्कूल compleet
Re: गर्ल'स स्कूल
सरिता की नज़र टफ पर गयी.. वो उसकी मा की चूत को जीभ से सॉफ कर रहा था... सरिता को वो जीभ अपनी चूत पर ही चलती महसूस हुई... उसने झट से अपनी सलवार और पनटी उतार दी और बेड के कोने पर सीधी होकर पसार गयी," कामना! ऐसे ही करो ना..." अपनी चूत पर उंगली लगाकर उसने टफ की और इशारा करके कहा... कामना थोड़ी सी झिझकी पर सरिता ने उसको अपनी चूत पर झुका दिया...
कामना उसकी चूत की खुली फांको को देखकर अपनी चूत के बारे में सोचने लगी... इसकी तो कितनी खुली हुई है... मेरे अंदर तो जब संदीप ने किया था... इसकी तो जान ही निकल गयी थी... कामना ने सरिता को थोड़ा और उपर सरकया और तरारे में अपनी सलवार भी उतार दी... और अपना पिच्छवाड़ा सरिता के मुँह पर रख कर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा दी...," आआआआः! आरााम से काआमुऊउन्ाअ!" सरिता के मुँह से अजीब सी सिसकियाँ निकल रही थी... इनको एक ही तरीके से रोका जा सकता था... अपने होंटो को बंद करने के लिए... कामना की गोरी चित्ति, मक्खन जैसी चूत को अपने मुँह पर खींच लिया... जीभ चूत से टच होते ही कामना उच्छल पड़ी... बड़ा ही उत्तेजक सीन था... अब टफ अपना पिच्छवाड़ा उपर उठाए झुक कर प्यारी की चूत को अपनी जीभ से काफ़ी अंदर तक चोद रहा था... प्यारी हाथ नी चे किए अपनी बेटी के बॉल नोच रही थी... सरिता को अपने से थोड़ी ही दूर टफ का लंड पॅंट में झूलता दिखाई दिया... बाहर से ही उसकी मोटाई और लंबाई का अंदाज़ा लग रहा था.. सरिता ने अपना हाथ बढ़ा कर लंड को अपने काबू में कर लिया.. उसने लंड को गोलों से भी उपर से पकड़ रखा था और उसको बुरी तरह अपनी और खींच रही थी... टफ ने उसके दिल की बात सुन ली... उसने उठकर अपनी पॅंट निकली और सरिता के मुँह के पास लंड लटकाकर प्यारी को अपनी और खींच लिया... टफ के चूतड़ अब इश्स पोज़िशन में कामना की गांद से टकरा रहे थे.. सरिता ने अपने सिर के नीचे तकिया लगाकर लंड को अपने होंटो के कब्ज़े में लेने में देर नही की... कामना उसकी चूत पर टूट पड़ी थी... अपनी गांद को बार बार वा पीछे करके टफ की गांद से टकरा रही थी... टफ तो जैसे सब कुछ भूल गया.. उसने अपनी जीभ बाहर निकली और पीछे गर्दन करके चल रहे काम युद्ध को देखने लगा... कामना की चूत गीली हो गयी थी.. सरिता के होंटो के इंतज़ार में... सरिता को जाने क्या सूझी... लंड को मुँह से निकाला और पिछे मोड़ कर कामना की चूत से घिसा दिया.. कामना चीख पड़ी आनंद में," ....ओहजहह मुंम्म्ममममी... मॅर गिइइ रीए!
प्यारी इस बीच आधार में ही लटक गयी... उसने टफ की उंगली अपनी गांद में घुसा ली और अपनी गांद उच्छलने लगी... बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम!
अचानक जब टफ से सहन करना बर्दास्त के बाहर हो गया तो उससने अपना लंड सरिता के हाथो से छीना और और अपने सामने पड़ी चूत में सर्ररर से घुसा दिया..
प्यारी की ख़ुसी का कोई अंदाज़ा नही था... वो सिसक रही थी और अपनी चूचियों को खुद ही मसल मसल कर उपर उठा रही थी ताकि टफ उन्न पर भी ध्यान दे... टफ प्यारी को चोद्ते हुए एक दूसरे की चूतो से खेलती हुई सरिता और कामना को देख रहा था... कामना की नज़रें अभी भी उसके लंड को नापने में लगी थी.. जैसे ही टफ लंड बाहर निकल कर अंदर धकेलटा... कामना.. अपनी चूत को सरिता के मुँह पर झुका देती... और फिर वापस उठा लेती.. ये समझने के लिए की जैसे वही चुद रही हो... सरिता का हाथ फ्री था.. उसको अपनी मा की गांद मुँह खोले दिखाई दी... सरिता ने मौके का फ़ायदा उठाया और धीरे से अपनी उंगली आते जाते लंड के नीचे अपनी मा की गांद में घुसा दी... लूंबे नाख़ून होने की वजह से उसकी गांद में नाख़ून चुभ गया और प्यारी उछाल पड़ी...," ये क्या कर रहा है... गांद काट दी साले....... मार गयी मैं... और उसकी चूत लापर लापर बरस पड़ी.... ," बुसस्स रहने दे... मार दियाअ...! हाए.. मुझे छ्चोड़, छ्होरियों को चोद.... मुझमें क्या रखा है...
टफ उसके उपर से हटा और छ्होरियों को देखने लगा... अब किसकी मारू?
उसका लन्ड़ फ्री होते ही सरिता ने कामना को उछाल कर बेड पर पटक दिया.. और कल की प्यासी सरिता.. उसके लंड पर टूट पड़ी... मा की चूत के रस में भीगक़े हुआ लंड चखने में सरिता को और भी मीठा लगा.........
टफ ने कामना की और देखा... सरिता तो तब तक अपना कमीज़ और ब्रा भी उतार चुकी थी... उसकी जांघें उसकी चूत के रस और कामना के थूक से सनी पड़ी थी.. सरिता की आँखों में वासना का तूफान तेर रहा था पर कामना मे टफ को अपनी और गौर से देखते पाया तो वा थोड़ी सी शर्मा गयी.. और अपने कमीज़ को जांघों तक खींच कर किसी तरह अपनी चूत को छिपा लिया... टफ ने कामना को खींच कर अपनी गोद में समेट लिया... उसका शरीर ताप रहा था... उसने टफ की छाती में अपने आपको छुपाने की कोशिश की..
टफ ने उसकी जांघों को प्यार से सहलाया.. जैसे बलि से पहले बकरे की आवभगत की जाती है... ठीक ऐसे ही!
सरिता टफ को भूखी नज़रों से देख रही थी.. जैसे कह रही हो.. उसका नम्बर. पहले क्यूँ नही... वा टफ के पास आई और उसके गालों को जीभ से चाटने लगी... टफ ने अपना हाथ कामना की जांघों से होते हुए उसकी चूत तक पहुँचा दिया.. कामना ने टफ को इश्स तरह पकड़ लिया जैसे वा आसमान में उसके साथ लटक रही हो और छोड़ते ही नीचे गिर जाएगी... अब टफ ही उसको इसके वासना के हवाई जहाज़ से उतार सकता था..
टफ ने उंगलियों से उसकी चूत से खेलना शुरू किया.. उसके होन्ट हालाँकि सरिता को चख रहे थे... सरिता ने अपनी एक चूची को उसके मुँह में भर दिया.. जैसे ही टफ ने उसके निप्पल के दाने को चूसना शुरू किया.. वा मिमियने लगी.. उसने टफ के दूसरे हाथ को पकड़ कर अपनी चूत में उंगली घुसा ली... मर्द का हाथ तो आख़िर मर्द का ही होता है... दोनो बुरी तरह से काँप रही थी.. चूत में उंगली जाने पर सरिता तो अपनी चूचियाँ उसके मुँह से निकल कर उछाल सी रही थी... और कुच्छ का कुच्छ बक रही थी.. ," मेरी.. अया... मा चोद्द्द दी... साले... मुझी कब..." प्यारी अपनी बेटी का ये रूप देखकर हैरान थी... उसको ये तो पता था की ये करवाती है.. पर ये नही पता था की बिल्कुल उसी पर गयी है... उसका दिल किया की एक बार अपनी बेटी के साथ लेस्बियान गेम खेल ले...
उसने सरिता को पकड़ कर खींच लिया....
टफ अब फ्री होकर कामना की कामना शांत करने लग गया.....
प्यारी ने जैसे ही सरिता को अपनी तरफ खींचा वा निढाल होकर उसके उपर आ गिरी... वैसे तो मा बेटी का इश्स तरह प्यार से एक दूसरी से चिपकना आम बात होती है.. पर यहाँ बात खास थी.. प्यारी ने पहली बार अपनी जाई बेटी को जवान होने के बाद पहली बार सिर से चोटी तक और चूत से गांद तक नंगी देखा था.. सरिता तो वासना की आग में इश्स कदर जल रही थी की उसने अच्छा बुरा सोचे बिना अपनी मा का हाथ पकड़ा और अपनी जाँघो के बीच दे दिया.. प्यारी अपने ही खून को इश्स तरह गरम देखकर फूली नही समा रही थी.. वही चूचियाँ, वही मोटी गांद; वही गड्राया हुआ जिस्म और वही जाँघ! सरिता बिल्कुल उसी पर गयी थी.. प्यारी ने उसकी चूत में उंगली डाल कर उसका तापमान चेक किया.. वा भट्टी की तरह ताप रही थी.. रात से ही टफ इसके कॉयलों को हवा जो दे रहा था.. अंगुली अंदर जाते ही सरिता ने कसमसा कर अपने निप्पल्स को उमेटा और प्यारी की चूचियों से अपना मुँह लगा दिया.. प्यारी ने अपनी टांगे चौड़ी करके सरिता को भी वैसा ही करने का इशारा किया.. सरिता ने तुरंत अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा दी... वो एक दूसरे में इतनी खो गयी की उन्हे ध्यान ही नही रहा की कब टफ कामना को उठाकर बाथरूम में ले गया...
बाथरूम में टफ बार बार कामना को अपने से अलग करता और बार बार कामना उससे चिपक जाती.. या तो उसको टफ के अपनी और देखने से शरम आ रही थी या फिर वो उससे दूर ही नही होना चाह रही थी.. टफ ने उसको उठा कर वॉश बेसिन की साइड में स्लॅब पर बिठा दिया और उसके हाथ उपर करके उसका सब कुच्छ निकाल दिया.. कामना ने आँखें बंद कर रखी थी.. उसका चेहरा अजीब तरह से चमक रहा था.. टफ ने उसकी छातियों पर हाथ फेरा और अपना मुँह उनसे लगा दिया.. हल्के लाल रंग के निप्पल्स तने हुए थे.. टफ ने जब उनको चूसना शुरू किया तो कामना का खुद पर काबू पाना मुश्किल हो गया.. उसने हाथ झुका कर टफ के लंड को छूना चाहा पर वो उसकी पहुँच से बाहर था.. टफ ने एक टाँग उठा कर स्लॅब पर रख ली.. और कामना के हाथ में अपना हथियार पकड़ा दिया... करीब 8" लंड को पाकर कामना को लग रहा था की आज तो उसकी जान ही निकलेगी... संदीप तो उस्स वक़्त 15 साल का ही था जब उसने अपने 'घेर' में कामना को घेर कर उसको प्यार करवाना सिखाया था.. कामना अचरज से लगातार और उफनते जा रहे लंड को देखती रही... जी भर कर चूसने के बाद टफ ने उसको नीचे उतारा और खुद स्लॅब पर जाकर बैठ गया....
उधर प्यारी ने सरिता को उल्टा कर के चूत को अपनी जीभ का स्वाद देना शुरू कर दिया... मा बेटी का ये खेल देखने लायक था.. और बाहर जमा हो चुकी लड़कियाँ दरवाजे के कीहोल से देख भी रही थी... काफ़ी देर तक दिव्या को वापस ना आया देख उसकी रूम मेट उसको देखने वहाँ तक आ पहुँची और उसके दरवाजा खटखटाने पर भी जब प्यार में रात कमरों से कोई आवाज़ नही आई तो उसने के होल से ये नज़ारा देखा और जाकर सबबको चुप चाप आने को कहकर सभी को बिना टिकेट की फिल्म बारी बारी से दिखा रही थी...
प्यारी पूरी मस्ती से अपनी चूत में से निकली चूत को खाने में लगी थी.. वो सरिता के मस्त मोटे चूतदों को जैसे फाड़ कर एक दूसरे से अलग कर देना चाहती थी... दोनो मा बेटी एक दूसरी को गंदी से गंदी गालियाँ देकर अपने मॅन को शांत कर रही थी... पर सरिता को जैसे इससे संतोष नही हो रहा था... वा बार बार अपने चूतदों को पीछे ढका कर अपनी मा के चेहरे पर मार रही थी... लंड की प्यास भला जीभ से कैसे बुझती.. पर प्यारी अपनी तरफ से उसको चोदने में कोई कसर नही छ्चोड़ रही थी... उसने अपनी उंगली अपनी चूत के रस से भारी और सरिता की गांद में घुसा दी.. पर इससे तो सरिता भड़कनी ही थी.. उसने अपने चूतड़ और उठा दिए.. मा कुछ करो कुछ मोटा दे दो माआअ . बाहर की सब लड़कियाँ एक एक करके मा बेटी के संभोग को देख देख कर अपने दांतो तले उंगलिइयँ दबा रही थी... कुछ की उंगलिइयँ हालाँकि उनकी जांघों तले भी थी... उनकी चूत में.........
टफ ने अपना लंड कामना के हाथ में पकड़ा दिया," इसको चख कर देखो मेरी कामना!"
कामना ने अपना मुँह खोल कर टफ के सूपदे पर रखा... उसके मुँह की औकात दमदार लौदे से कम ही थी.. सो ले नही पाई..! टफ सूपदे को उसके होंठो से ही रगड़ने लगा.. इतने प्यारे होंतों की चुअन से ही उसको वो मज़ा मिल रहा था जो किसी बूड्दी चूत में घुसाने में उसको आता.. कामना की शर्म धीरे धीरे खुल रही थी और उसका मुँह भी... उसने जैसे तैसे करके सूपदे को मुँह में भर लिया... लेकिन वो वहाँ पर हिलने की हालत में नही था...
कुच्छ देर बाद टफ ने उसको भी उपर चढ़ा लिया.. उपर आते ही कामना को शीशे में अपनी चूचियों का तनाव दिखाई दिया... सच में इतनी सुंदर तो वा कभी नही लगी.... जितनी आज नंगी एक जवान मर्द के साथ आईने में खुद को देख कर उसमें आए इतने निखार को देखकर वा माह सूस कर रही थी...
टफ उसके जिस्म के हर हिस्से को चूम लेना चाहता था..उसके होंटो और गालों से शुरू होकर वो उसकी गोरी मस्त चूचियों को चाट-ता हुआ सा उसकी नाभि तक आ चुका था... कामना को होश ही नही था.. वो तो और उपर उठती जा रही थी ताकि जल्दी से उसके इश्स मर्द आशिक को उसकी मंज़िल तक पहुँचा सके!
ज्यों ही टफ के होन्ट उसके हल्क सुनहरे बालों तक पहुँचे, कामना की आँखे बंद हो चुकी थी और आने वेल आनंद को सोच कर पागल हुई जा रही थी... उसका हाथ टफ के सिर को नीचे दबा रहा था... जैसे ही टफ के होन्ट उसकी अधखुली चूत की पंखुड़ियों तक पहुँचे.. उसकी चूत बरस पड़ी यौवन रस के साथ.... टफ इश्स रस का इस्तेमाल अपने खास मकसद के लिए करना चाहता था...
टफ ने कामना के घुटने मोड और उसको अपने लंड की और झुकने लगा... कामना से कामिनी बन चुकी उसकी चूत भी जैसे अपने अंदर उस्स खास हथियार की भूख महसूस कर रही थी... वो नीचे होती गयी और उस्स के सूपदे पर जाकर टिक गयी...
टफ को आइडिया था की वो अंदर लेते हुए नखरे ज़रूर करेगी.. इसीलिए दबाव डालने से पहले ही उसने कामना को पीछे चूतदों से कस कर पकड़ लिया.
जैसे ही टफ ने उसको नीचे की तरफ खींचने शुरू किया तो कामना की चूत की हां दिमाग़ से निकल रही ना ना में बदल गयी... दर्द के कारण... इश्स असमंजस को दूर टफ ने अपने हाथो से दबाव डाल कर दूर कर दिया... उसकी चूत जैसे चिर सी गयी जब सूपदे ने अंदर जाकर साँस ली... टफ उसको बुरी तरह से चूमता हुआ तसल्ली देने की कोशिश कर रहा था.. पर कामना को उसकी हरकत चूत में छुरी, मुँह में प्यार लग रही थी... धीरे धीरे जैसे जैसे उसका दर्द कूम होता गया.. वो अपने आप ही उस्स पर बैठती चली गयी... चिकनी हों की वजह से एक बार खुलने के बाद उसको ज़्यादा समय नही लगा अपने चूतदों को हिला हिला कर अपनी चूत की दीवारों को लंड से सहलाने में...
टफ को जब तसल्ली हो गयी की मामला अब फिट है तो वो अपने हाथ उसकी गांद पर से हटाकर उसकी जाँघो के नीचे ले आया और पिछे सीशे से अपनी कमर सटा कर कामना को धीरे धीरे उपर नीचे करने लगा.. लंड इतनी संकरी चूत में आने जाने से टफ को इतना मज़ा आ रहा था.. जो आज तक नही आया.. वा तो हवश में दर्द देना ही सीखा था आज तक.. पर आज पहली बार प्यार देकर आर प्यार लेकर उसका तन और मन बाग बाग हो उठे थे...
अब कामना भी कामवेश में अपने चूतड़ उठा उठा कर लंड पर मार रही थी.. शीशे में खुद का चेहरा देखते देखते वो और ज़्यादा उत्तेजित होती जा रही थी... वो धक्के जब तक जारी रहे जब तक टफ का रस उसकी चूत में ना बहने लगा... इसके साथ ही चूत में टफ का रस जाते ही वो भी तीसरी बार अपनी योनि का बाँध तुद्वा बैठी और टफ से चिपक गयी..
इतना मज़ा आज तक टफ को नही आया था..
टफ उसको उठाकर बाहर लेकर गया तो वहाँ का नज़ारा देख कर सुन्न रह गया... सरिता और प्यारी दोनो एक दूसरे के उपर नीचे 69 की पोज़िशन में पड़ी चूतो को ज़ोर ज़ोर से अपने हाथों से चोद रही थी... प्यारी हाँफते हुए कह रही हही," पूरा हाः दे दे कामिनी..." दोनों इन ठंड में भी पसीने से नहाई हुई थी...
टफ का लंड यह सीन देखकर फिर से अंगड़ाइयाँ लेने लगा.... वा बेड पर जा चढ़ा और उनको सीधा लिटा दिया.. सरता को उसने प्यारी के उपर सीधा करके इश्स तरह लिटाया की सरिता की गांद की गोलाइया प्यारी की चूत के उपर उससे चिपकी हुई थी... टफ अपने असली रूप में आ गया... दोनो मा बेटी अचरज से टफ को देख रही थी.. की क्या होने वाला है......
जिस वक़्त सरिता ने टफ वाले कमरे में प्रवेश किया था.. लगभग उससे थोड़ी देर पहले ही अंजलि गौरी को अपने कमरे में देख कर चौंक थी... पर राज ने उसको अपने उपर से उठाने नही दिया था... अंजलि को खुद पर ही अफ़सोस था... उसने ही तो दरवाजा खुला छोड़ दिया था, राज की बाहों में आने की जल्दी में... किसी तरह से मचल कर उसने आपने आपको राज की बाहों से आज़ाद कराया और अपना सिर नीचा करके बैठ गयी...
गौरी उसके पास आई और बोली," कोई बात नही दीदी! मुझे बुरा नही लगता.. बुल्की अच्च्छा लगता है... आप ऐसे क्यूँ मुँह लटकयं बैठी
हैं.."
"नही कुच्छ नही!" अंजलि के पास इससे ज़्यादा बोलने को कुछ था ही नही...
राज गौरी के उभारों को गौर से देख रहा था.. आज ही नयी खरीदी घुटनो से भी उपर तक की नाइटी में वो गजब ढा रही थी... राज जल्दी से उसको खेल दिखा कर गरम करना चाहता था... ताकि वो भी खेल में शामिल हो सके," अंजलि! सब तुम्हारी ग़लती है..., अब हमें
गौरी के आगे ही..."
"नही प्लीज़.. गौरी!" अंजलि ने गौरी की और याचना की ड्रस्टी से देखा... जैसे वो बड़ी नही बुल्की गौरी से भी छोटी हो..
गौरी तो मॅन बनाकर आई थी...," ये ग़लत है दीदी! आपने प्रोमिसे किया था... और आज तो मैं आपको रंगे हाथो पकड़ चुकी हूँ... आपका और राज सर का मॅच तो मैं देखकर ही
रहूंगी....
"क्यूँ ज़िद कर रही हो... देखने दो ना... और फिर ये तो लड़की ही तो है... जब मुझे शरम नही
आती तो तुम्हे क्यूँ आ रही है...?"
अंजलि सिर झुकाए बैठी रही... उसको अब लग रहा
था ... अपनी बेटी के आगे नंगा होना पड़ेगा....
गौरी बेड के साथ रखी एक कुर्सी को खींच कर बेड के सामने ले आई और उस्स पर बैठ गयी... बैठने की वजह से उसकी पतले कपड़े की नाइटी उपर सरक आई. राज की नज़र उसकी चिकनी शायद वॅक्स की हुई दमकती जांघों पर पड़ी.. इतनी सुंदर मखमली जांघे राज ने कभी देखी नही थी.. बैठने की वजह से उसके पुथे कातिल तरीके से बाहर की और उभर आए.. गौरी ने जब राज को इतने बुरे तरीके से उसके नीचे की और झाँक रहे राज को देखा तो वा सकपका गया और अपनी टाँगों को सीधा करके बेड के नीचे सरका दिया और अपनी नाइटी ठीक करी," चलो अब शुरू हो जाओ! बड़ा मज़ा आएगा!" राज ने अंजलि को अपने पास खींच लिया और उसकी
नाइटी उतरने लगा.. पर अंजलि ने अपनी नाइटी को नीचे से कसकर पकड़ लिया...," पहले तुम उतारो!"
राज ने झट से अपनी शर्ट उतार कर बेड पर फाँक दी... उसको क्या अपने घुंघरू टूटने का डर था... वा अंजलि की और बढ़ा तो उसने फिर उस्स्को बीच में ही टोक दिया," नीचे से भी...!"
"चलो ठीक है.. ये भी सही...!" राज ने अपनी पंत भी उतार दी... अब वा सिर्फ़ अंडरवेर में था जिसमें से उसके तने हुए लंड के सॉफ महसूस होने ने गौरी को भी शरमाने पर मजबूर कर दिया... उसकी धड़कने तेज़ हो गयी. राज ने गौरी की और देखा तो वो दायें बायें नज़रे चुराने लगी... राज ने अंजलि को कहा," अब तो ठीक है..."
"नही; ये भी उतारो!" अंजलि राज को ऐसे गौरी के सामने देखकर अपनी हँसी पर मुस्किल से काबू पा रही तही... वो जैसे तैसे टाइम ही गुजर रही थी ताकि गौरी खुद शर्मा कर भाग जाए.. उसका सोचना सही था पर राज ने इसका मौका ही नही दिया.. ," अब ये ग़लत बात है... खुद पुर कपड़े पहन रखे हैं.. मुझे नंगा ही कर रही हो...,क्यूँ गौरी! सही कह रहा हूँ ना"
गौरी शर्मा गयी.. नज़रें नीची करके अपना सिर हिला दिया...," लाइव मॅच देखना कोई "पाँचवी पास से तेज" वाला गेम नही था... इसमें तो बड़ी बड़ी बेशर्म और बेबाक लड़कियाँ भी मेदान छ्चोड़ कर भाग जाती हैं.. या फिर मॅच में शामिल हो जाती हैं... अब गौरी को महसूस हो रहा था की ये शर्त खुद उसके लिए कितनी मुश्किल थी... पर हिम्मत करके बिना देखे उसने राज की बात का जवाब ज़रूर दिया था... हां में!
राज गौरी पर झपट गया और उसके विरोध के बावजूद उसकी नाइटी खींच कर निकल दी... वा सिर्फ़ ब्रा और एक सफेद पनटी में ही रह गयी थी... गौरी ने देखा; पनटी नीचे से गीली थी... तभी उसको लगा उसकी चूत भी चूने लगी है; धीरे धीरे....
अंजलि सिमट कर बेड के सिरहाने जा लगी.. जितना अधिक हो सकता था उसने अपने आपको छुपाने की कोशिश करी.. अपने पैर मोड़ लिए और आगे झुक गयी... उसको राज से नही बल्कि गौरी के आगे राज से शरम आ रही थी... गौरी नही होती तो वो कब का ग़मे पूरा भी कर चुके होते...
राज ने अंजलि को अपनी और खींच लिया और कमर के उस्स पार हाथ फँसा कर ब्रा का हुक खोल दिया.. ब्रा खुलते ही अंजलि बेड पर पॅट के बल गिर पड़ी और अपनी चूचियों को चादर में छुपा लिया...
गौरी जैसी कयामत की चीज़ भी अंजलि की मस्त चूतदों की गोलाइयाँ देख कर आ किए बिना ना रह सकी.. उसकी गांद मस्त सॉलिड थी और गांद से नीचे उसकी जाँघो के बीच चिपकी हुई उसकी पनटी में से उसकी फांकों की मोटाई झलक रही थी..
गौरी ने अपने आपको संभाला और गीली होने की वजह से चिपक चुकी उसकी पनटी को अपनी गांद पर से हटा, अपना हाथ नीचे ले जाकर.. अब राज का ध्यान भी गौरी से हटकर अंजलि की जांघों पर ही अटका हुआ था... थोड़ी सावली पर जिकनी मस्त जांघे उसके सौंदर्या का बखान कर रही थी.......
अंजलि का ध्यान अपने पिच्छवाड़े पर नज़रें गड़ाए हुई गौरी पर पड़ी.. उसका अचानक ही अपने चूतदों का ख़याल आया और वा एक दम से उठकर गौरी से जा चिपकी," खेल देखना है तो तुझे भी मेरी तरह होना पड़ेगा.. गौरी हड़बड़ा कर कुर्सी से पीछे गिर पड़ी.. पीछे होने की वजह से राज को उसकी मांसल जांघों की जड़ में छुपी बैठी उसकी पनटी और चूत के उभर के दर्शन हो गये... राज धान्या हो गया... गौरी को भोगने की उसकी इच्छा और बलवती हो गयी...
गौरी ने उठने की कोशिश की पर अंजलि ने उसको वही दबोच लिया और उसकी नाइटी नीचे सरका कर उसको पेट तक ला दिया... दोनो हंस भी रही थी और शर्मा भी रही थी... गौरी की गोरी और सॉफ गांद देखकर राज अपने लंड को पकड़ कर बैठ गया... गौरी की नाभि और उसका कमसिन पतला पेट गजब ढा रहा था... सच ही उसका नाम गौरी था... गोरी!
तभी अंजलि उसको पकड़े पकड़े ही राज को कहने लगी," इधर आओ ना, मेरी मदद करो इसके भी कपड़े उतरने चाहिए ना... फ्री में ही मज़े ले रही है..."
"नही सर.. प्लीज़.. मैं मर जवँगी... " गौरी अपने हाथ से पकड़ कर उसकी नाइटी को और उपर उठने से रोक रही थी... उसकी हँसी कम होती जा रही थी और उसके चेहरे पर शर्म की चादर चेहरे पर पैर पसारती जा रही थी...
राज ने झुक कर गौरी को अपनी बाहों में उठा लिया.. गौरी ने कुर्सी को पकड़ कर अपने आपको उसको बाहों में जाने से रोकने की कोशिश की पर कुर्सी भी साथ ही उठती चली गयी...
राज ने अंजलि से पूचछा," क्या करना है अब इसका?"
अंजलि मुस्कुराइ और गौरी के चेहरे पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली," नंगा!" अब वा अपने नंगेपन को भूल कर गौरी की इज़्ज़त उतरवाने पर उतारू हो गयी....
शर्म से पानी पानी हो चुकी गौरी ने अंजलि को अपनी बाहों का घेरा डाल कर पकड़ लिया," दीदी... प्लीज़..!" छ्चोड़ दो ना!" उसने गौरी को कसकर पकड़ लिया... राज ने तो गौरी को पकड़ा ही हुआ था... दोनो बेड पर जाकर बैठ गये.. गौरी उन्न दोनो के बीच झूलती हुई बेड पर जा टिकी....
Re: गर्ल'स स्कूल
राज का एक हाथ गौरी की जांघों पर था... उसने हाथ को बातों बातों में थोडा सा और उपर करके उसकी पनटी के उपर रख दिया.. वहाँ उसने गौरी को कसकर पकड़ा हुआ था..... अंजलि उसकी गर्दन को अपनी गोद में रखे उसके हाथों को पकड़े हुए थी...
मॅच देखने आई गौरी की हालत पतली हो गयी... पर उसको लग रहा था वो सुरक्षित हाथों में है... अपनी मम्मी और अपने सर के हाथों में... इसीलिए थोडा सा निसचिंत थी...
ये वही समय था जब दिव्या की रूम मेट सभी लड़कियों को जगा कर ले आई थी... दोनो कमरों में चल रहा वासना का नंगा नाच फ्री में दिखाने के लिए....
गौरी की हालत पतली होती जा रही थी.. मर्द के हाथ उसकी चूत के पास होने से वो लाख चाह कर भी अपने आपको बेचैन सा महसूस कर रही थी... उधर अंजलि उसके कपड़े उतारने पर आमादा थी.. राज चुपचाप उसकी छतियो का उतना बैठना देख रहा था.. जब सीधी उंगली से ही घी निकल रहा हो तो टेडी करके क्या फयडा... वो इंतज़ार कर रहा था की कब अंजलि उसको नंगा करे और कब वो उस्स बेमिसाल हुस्न की मल्लिका के दीदार कर सके... गौरी के लाख कोशिश करने पर भी जब अंजलि ने उसके हाथों को नही छोड़ा तो उसने अपना सिर अंजलि की गोद में घुसा दिया... अंजलि की रस से भारी पनटी की भीनी भीनी खुसबू उसका विरोध लगातार ढीला करती चली गयी... अंजलि ने पहले ही पेट तक आ चुकी उसकी नाइटी को उसकी ब्रा के उपर तक सरका दिया... वो मचलती रही... पर अब मचलना पहले जैसा नही था... शायद दिखावा ज़्यादा था... वो सेक्स के प्रति मानवीया कमज़ोरी से टूट-ती जा रही थी लगातार...
राज उसको अकल्पनीया यौवन को देखकर पत्थर सा हो गया... वो सोच रहा था, सुंदर तो उसकी बीवी भी बहुत है... पर क्या 18 साल और 22 साल में इतना फ़र्क़ आ जाता है.. या फिर पराया माल कुच्छ ज़्यादा ही अपना लगता है.... उसका हाथ उसकी जाँघ से उपर उठकर उसके पेट पर ब्रा से थोड़ा सा नीचे जाकर जम गया... क्या चीज़ है ययार!
अंजलि ने थोड़ी सी कोशिश और की और नाइटी उसके हसीन बदन से अलग होकर बेड के सिरहने पर जाकर टंग गयी...
गौरी का दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था की उसकी धक धक बिना स्टेतस्कोप के अंजलि और राज को सुनाई दे रही थी.. राज का दिल उसकी छातियो की ताल से ताल मिला कर धड़क रहा था.. अपनी कोहनी से अपनी आँखों को ढके गौरी ये सोच रही थी की जब उसको कुच्छ नही दिखता तो औरों को भी नही दिखता होगा... ठीक उस्स कबूतर की तरह जो बिल्ली को आया देख आँखें बंद करके गुटरगू करता रहता है.. उड़ने की बजाय... गौरी को नही पता था की राज की आँखें बिल्ली की तरह ही उसकी घात लगाए बैठी हैं... उसका शिकार करने के लिए... अंजलि के मॅन में भी उसको राज की जांघों पर सवार करने का कोई इरादा नही था... वो तो बस अपनी झिझक दूर करने के लिए ही उसको शरम से पानी पानी कर देना चाहती थी... जब अंजलि ने राज को उसकी पनटी और ब्रा पर नज़र घूमते देखा तो वो राज का आशहया समझ गयी.. उसने गौरी को छोड़ दिया," जा उठकर अपने कपड़े पहन ले... अब तो समझ आ गया होगा की कितनी शर्म आती है.. अगर तू सच में दिल से मुझे दीदी कहती है तो प्लीज़ यहाँ से चली जा...
गौरी को अपनी ग़लती का अहसास हो गया था पर उसको इश्स कदर गरम करके राज की बाहों से उठा देना उसको अजीब सा लगा.. पर अपने आपको उसने संभाला और अपनी नाइटी पहन ली. वह आकर अपनी दीदी मा से लिपट गयी," आइ लव यू मम्मी!"
पहली बार गौरी को अहसास हुआ की नारी चाहे सग़ी मा हो या सौतेली.. पर मा तो मा ही होती है ...
पहली बार उसने अंजलि को मा कहा.. दोनों की आँखें छलक आई......
उधर टफ ने तो जैसे अपनी जिंदगी के सारे सेक्स के अनुभवोव को एक साथ ही सरिता और प्यारी की चूत में डाल देना था.... उनकी चूत इतनी पास पास थी की एक चूत से दूसरी चूत में लंड के जाने का पता ही टफ को नाहो लगता था... पता लगता था तो सिर्फ़ सरिता और प्यारी की आवाज़ों से... जिसकी चूत से उसका लंड बाहर निकलता वो तड़प उठती और जिसकी चूत में वो जाता वो सिसक उठती.... कामना सेक्स के इश्स जादूगर को बिना हीले देख रही थी... बिना पालक झपकाए...
उधर राकेश भी जी भर कर 2-2 लड़कियों को मस्त बना रहा था... एक की चूत में लंड सररर सर्ररर जा रहा था और दूसरी की चूत में उंगली अपना काम कर रही थी... जब एक का काम हो गया तो उसने एक्सपाइर माल की तरह उसको एकतरफ ढाका दिया और दूसरी को जन्नत की सैर करने लगा... लगभग 15-20 मिनिट में ही उसने दोनो को निहाल कर दिया और खुद भी लंड चूत से बाहर निकल कर निढाल हो गया... तीनो हाल्फ रहे थे....
गौरी अपनी मम्मी की गोद से उठकर अलग हो गयी और उन्न दो जवान पांच्छियों को यौवन सुख के लिए अकेला छोड़ दिया... पर अस्ल मुसीबत तो बाहर गेट पर खड़ी थी... जैसे ही गौरी ने दरवाजा खोला... बाहर खड़ी सभी लड़कियाँ आपा धापी में भाग ली.... गौरी के होश उड़ गये... उसने झट से दरवाजा बंद कर दिया और हैरत
से राज और अंजलि की और देखने लगी... राज और अंजलि भी सारा माजरा समझ गये....
उधर टफ दोनों के अस्थि पंजर ढीले करके अपनी पॅंट पहन ही रहा था जब उसको अचानक कमरों के बहा शोर सुनाई दियाअ...
सब का नशा एक दम से काफूर हो गया...
कुच्छ देर बाद राज टफ के कमरे में आया...," उसने देखा एक और लड़की खड़ी है दीवार से लगकर ... वो रो रही थी... ," कामना, अपने रूम में जाओ!"
"मैं नही जवँगी सर! मैं कैसे जाऊं... सबने सब कुछ देख लिया होगा... वो उस्स वक़्त तक भी नंगी खड़ी थी... पर राज ने उसकी ओर ध्यान तक नही दिया...
"ठीक है.. तुम जल्दी से कपड़े पहनो और अंजलि मेडम के पास जाओ... हम सब ठीक कर देंगे... कुछ सोचते है.." दोनो लड़कियाँ और प्यारी दूसरे कमरे में चली गयी...
राज ने टफ से पूछा," क्या करें भाई... बॅंड बज गया"
टफ ने बेड के सिरहाने से अपना सिर लगाया और सिग्गेरेत्टे सुलगा ली...," मुझे सोचने दो!"
टफ और राज आपस में बात कर ही रहे थे की अंजलि और प्यारी भी उसी कमरे में आ गयी...," अब क्या होगा?" अंजलि के माथे पर चिंता की सिल्वट सॉफ दिखाई दे रही थी... प्यारी भी कम परेशन नही थी... उसकी 'इज़्ज़त' खराब होने का डर उसको भी सता रहा था....
टफ ने सिग्गेरेत्टे बुझाते हुए कहा... "मेरे पास एक आइडिया तो है... पर सफल होगा या नही; इसकी कोई गॅरेंटी नही है...."
"जल्दी बताओ ना!" अंजलि इश्स बात को दबाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी...
"देखो पसंद ना आए तो मत लेना... लेकिन में सीरीयस हूँ... मैने एक इंग्लीश मूवी में ऐसा देखा था..." टफ ने बताने से पहले उनको भरोसे में लेना चाहा...
" अब कुछ बको भी... या पहेलियाँ ही बुझते रहोगे..."राज अपना धैर्या खोता जा रहा था... उसको शिवानी से बहुत डर लगता था...
टफ ने अपना थर्ड क्लास आइडिया उगल दिया..," हम एक खेल खेलेंगे कल रात को जिसमें बारी बारी से सब लड़कियाँ अपने कपड़े उतारती जायेंगी.."
"बकवास करने की भी हद होती है यार! हूमें यहाँ अपने कपड़े बचाने की पड़ी है.. और तुम दूसरी लड़कियों के भी कपड़े उतरने की सोच रहे हो... कुच्छ तो सोचा होता..." राज उसकी बात सुनकर फफक पड़ा....
"पूरी बात सुनोगे या नही?" टफ ने ज़ोर से चिल्लाकर राज को चुप कर दिया...
अंजलि ने भी राज से सहमति जताई," ऐसा कभी हो ही नही सकता... वो गाँव की लड़कियाँ हैं... तुम्हारी ब्लू फिल्म की हेरोइन नही.."
"फिर तो एक ही तरीका है.. बचने का.." टफ अब भी शैतानी कर रहा था... उसका था भी क्या... गाँव में भी जाता तो जाता; ना भी जाता...
"अब क्या है!" सारे उसकी बात सुनकर पक रहे थे...
"स्यूयिसाइड!" उसने कहा और उठकर बाथरूम चला गया...
सभी के दिमाग़ काम करना बंद कर चुके थे... आख़िर उन्होने टफ की ही शरण ली... अंजलि ने प्यार से टफ को कहा," अच्छा तुम पूरा तरीका बताओ!"
"अरे बहुत सारे तरीके हैं... गोली खा लो, फाँसी पर...!"टफ को अंजलि ने बीच में ही रोक दिया.. उसने तकिया उठाकर प्यार से टफ के मुँह पर दे मारा...," वो बताओ; पहले वाला..." अंजलि को लगा, भागते चोर की लंगोटी पकड़ लेनी चाहिए!
"ध्यान से सुनो.. पूरा सुन-ने से पहले अगर कोई बीच में बोला तो में उठकर चला जवँगा.. आज ही ड्यूटी पर... अपना क्या है? एक तो साला तुम्हारे बारे में फोकट में दिमाग़ घिसाओ, उपर से तुम्हारे नखरे भी सुनो.... अगर मंजूर हो तो उन्न छिप्कलियो को भी बुला लो... प्लान को ठीक से समझ कर उसकी अड्वर्टाइज़्मेंट कर देंगी...
प्यारी झट से उठ कर दूसरे कमरे में डरी बैठी उन्न ," छिप्कलियो" को बुला लाई...
तीनों लड़कियों के आने के बाद टफ ने बोलना शुरू किया:
"देखो! हमारे पास इश्स रास्ते के अलावा दूसरा कोई रास्ता नही है की हम सभी लड़कियों को इश्स खेल में शामिल करें.. और जब हमाम में सभी नंगे हो जाएँगे तो फिर किसका डर रहेगा... इसके लिए इन्न लड़कियों का हमारा साथ देना ज़रूरी है... ये अब कमरों में जाकर
बेशर्मी से ये बताएँगी की उन्होने हमसे एक खेल सीखा है... बहुत ही मजेदार खेल... खेल
में धीरे धीरे करके अपने कपड़े उतारने पड़ते हैं.. और जो इश्स खेल में पीछे
रहेगी.. वो हारेगी.. और जिसके कपड़े सबसे पहले उतरेंगे वो इश्स खेल में विजेता होगी...
मुझे पता है उन्हे शुरू में बहुत झिझक होगी.. पर वो सब इनके बाकी लड़कियों को बताने के तरीके पर डिपेंड करता है... और सुबह अंजलि के भासन पर भी....
अंजलि को जब सुना की उसको भी लड़कियों को इश्स बारे में बोलना पड़ेगा तो वो एक दम से टफ को टोकने को हुई.. पर उसको टफ की बात याद आ गयी... बीच में ना बोलने वाली....
टफ का प्लान जारी था...
"सारी नही तो कुछ लड़कियाँ ज़रूर खेलने को तैयार हो जाएँगी... पर हुमको हर एक लड़की को नंगा करना है... इश्स खेल से हमें कम से कम ये तो पता लग ही जाएगा की कौन कौन लड़कियाँ नंगी नही हुई... बस! वही हमारे लिए ख़तरा बन सकती हैं... उनके बारे में बाद में सोचेंगे... हां जो कुच्छ अंजलि को सुबह लड़कियों को कहना है... उससे मुझे विस्वास है की जिन लड़कियों का बदन दिखाने लायक है... वो तो तकरीबन ही तैयार हो जाएँगी... अब तुम तीनो जाओ और खेल का प्रचार शुरू कर दो... उनको खुल कर ये बताना है की इश्स खेल में जो मज़ा है... वो आज तक तुम्हे नही आया... बाकी प्लान में आप को बता दूँगा...
"एक दो तो मेरे कहने से ही तैयार हो जाएगी.." सरिता ने टफ की और देखते हुए कहा..
"अरे हां! जिन लड़कियों के राज तुम तीनो जानती हो उनको तो पहले ही तैयार कर लो ताकि वो भी तुम्हारे साथ दूसरी लड़कियों को खेल के लिए तैयार कर लें.... तुम सबसे पहले उन्ही को मेरे पास लेकर आओ!" टफ ने लड़कियों को जाते हुए रोक कर कहा..
कुच्छ ही देर बाद काई और लड़कियाँ भी उनक 'गेम प्रमोटर ग्रूप' में शामिल हो गयी.... कविता, दिव्या, अदिति, मुस्कान, नेहा; इन्न सबको मिला कर अब कुल 10 लड़कियाँ कमरे में सिर झुकाए खड़ी थी... तीनो ने इन सबको प्यार से या फिर ब्लाकक्मैँलिंग की डर से तैयार कर लिया था गेम में शामिल होने के लिए... सभी कमरे में सिर झुकाए खड़ी थी...
टफ इतनी बड़ी संख्या में लड़कियों को देखकर खुश हो गया... "बस अब हमारा ग़मे सुपेरहित होकर रहेगा..." अब तो सिर्फ़ 34 ही बची हैं..."" तुम क्पडे उतारने के लिए तैयार हो या थोड़ी प्रॅक्टीस चाहिएगी... अभी..."
एक साथ काई लड़कियाँ बोल पड़ी," नही सर! हम तैयार हैं...."
"गुड! अब अंजलि मेडम तुम्हे कल सुबह खेल की आवस्यकता और उसके फ़ायदों के बारे में जानकारी देंगी... जाओ अब सभी अपने अपने रूम्स में इश्स खेल के बारे में बताना शुरू कर दो.. ऑल थे बेस्ट!"
लड़कियाँ चली गयी... जाते ही अंजलि टफ पर बरस पड़ी... "मैं कैसे सबको इश्स बारे में...!"
राज ने अंजलि को बीच में ही टोक दिया.. ," डोंट वरी! मैं बता दूँगा! मुझको ऐसी बातें बताने का बड़ा शौक है.. आगे वो माने या ना माने... वो उनकी मर्ज़ी... " राज अपनी लाइफ में पहली बार इतना सीरीयस हुआ था, लड़कियों की बात पर....
"क्या बोलना है... ये भी बता दो!" राज ने टफ से पूछा...
टफ ने उसको अपने प्लान का थीम बता दिया.. और बाकी खुद सोच लेने को कह दिया..
सब के चेहरे पर निसचिंत-ता सी झलकने लगी थी... कुछ कुछ... प्यारी और अंजलि उठ कर कमरे में चली गयी....
"क्या हो गया यार!" टूर का सारा मज़ा खराब हो गया....
" कुच्छ नही हुआ! सो जा... सुबह देखना कितना मज़ा आएगाअ" टफ ने राज को कहा और करवट बदल कर आँखें बंद कर ली.....
राज की आँखों में नींद नही थी... यही हाल अंजलि का भी था... पर प्यारी को अपने यार पर पूरा भरोसा था.... वो जल्द ही खर्राटे लेने लगी...
तो भाई लोग कैसी लगी ये कहानी कैसी लगी बताना मत भूलना कहानी अभी बाकी है.आगे की कहानी आप गर्ल्स स्कूल--16 मैं पढ़ सकते है.
कहानी अगले पार्ट मैं तब तक के लिए विदा
लकिन दोस्तो कहानी पढ़ने के बाद एक कमेंट दे दिया करो मैं भी खुश हो जाउगा तो फिर देर मत कीजिए अपना कमेंट देने मैं
Re: गर्ल'स स्कूल
राज का एक हाथ गौरी की जांघों पर था... उसने हाथ को बातों बातों में थोडा सा और उपर करके उसकी पनटी के उपर रख दिया.. वहाँ उसने गौरी को कसकर पकड़ा हुआ था..... अंजलि उसकी गर्दन को अपनी गोद में रखे उसके हाथों को पकड़े हुए थी...
मॅच देखने आई गौरी की हालत पतली हो गयी... पर उसको लग रहा था वो सुरक्षित हाथों में है... अपनी मम्मी और अपने सर के हाथों में... इसीलिए थोडा सा निसचिंत थी...
ये वही समय था जब दिव्या की रूम मेट सभी लड़कियों को जगा कर ले आई थी... दोनो कमरों में चल रहा वासना का नंगा नाच फ्री में दिखाने के लिए....
गौरी की हालत पतली होती जा रही थी.. मर्द के हाथ उसकी चूत के पास होने से वो लाख चाह कर भी अपने आपको बेचैन सा महसूस कर रही थी... उधर अंजलि उसके कपड़े उतारने पर आमादा थी.. राज चुपचाप उसकी छतियो का उतना बैठना देख रहा था.. जब सीधी उंगली से ही घी निकल रहा हो तो टेडी करके क्या फयडा... वो इंतज़ार कर रहा था की कब अंजलि उसको नंगा करे और कब वो उस्स बेमिसाल हुस्न की मल्लिका के दीदार कर सके... गौरी के लाख कोशिश करने पर भी जब अंजलि ने उसके हाथों को नही छोड़ा तो उसने अपना सिर अंजलि की गोद में घुसा दिया... अंजलि की रस से भारी पनटी की भीनी भीनी खुसबू उसका विरोध लगातार ढीला करती चली गयी... अंजलि ने पहले ही पेट तक आ चुकी उसकी नाइटी को उसकी ब्रा के उपर तक सरका दिया... वो मचलती रही... पर अब मचलना पहले जैसा नही था... शायद दिखावा ज़्यादा था... वो सेक्स के प्रति मानवीया कमज़ोरी से टूट-ती जा रही थी लगातार...
राज उसको अकल्पनीया यौवन को देखकर पत्थर सा हो गया... वो सोच रहा था, सुंदर तो उसकी बीवी भी बहुत है... पर क्या 18 साल और 22 साल में इतना फ़र्क़ आ जाता है.. या फिर पराया माल कुच्छ ज़्यादा ही अपना लगता है.... उसका हाथ उसकी जाँघ से उपर उठकर उसके पेट पर ब्रा से थोड़ा सा नीचे जाकर जम गया... क्या चीज़ है ययार!
अंजलि ने थोड़ी सी कोशिश और की और नाइटी उसके हसीन बदन से अलग होकर बेड के सिरहने पर जाकर टंग गयी...
गौरी का दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था की उसकी धक धक बिना स्टेतस्कोप के अंजलि और राज को सुनाई दे रही थी.. राज का दिल उसकी छातियो की ताल से ताल मिला कर धड़क रहा था.. अपनी कोहनी से अपनी आँखों को ढके गौरी ये सोच रही थी की जब उसको कुच्छ नही दिखता तो औरों को भी नही दिखता होगा... ठीक उस्स कबूतर की तरह जो बिल्ली को आया देख आँखें बंद करके गुटरगू करता रहता है.. उड़ने की बजाय... गौरी को नही पता था की राज की आँखें बिल्ली की तरह ही उसकी घात लगाए बैठी हैं... उसका शिकार करने के लिए... अंजलि के मॅन में भी उसको राज की जांघों पर सवार करने का कोई इरादा नही था... वो तो बस अपनी झिझक दूर करने के लिए ही उसको शरम से पानी पानी कर देना चाहती थी... जब अंजलि ने राज को उसकी पनटी और ब्रा पर नज़र घूमते देखा तो वो राज का आशहया समझ गयी.. उसने गौरी को छोड़ दिया," जा उठकर अपने कपड़े पहन ले... अब तो समझ आ गया होगा की कितनी शर्म आती है.. अगर तू सच में दिल से मुझे दीदी कहती है तो प्लीज़ यहाँ से चली जा...
गौरी को अपनी ग़लती का अहसास हो गया था पर उसको इश्स कदर गरम करके राज की बाहों से उठा देना उसको अजीब सा लगा.. पर अपने आपको उसने संभाला और अपनी नाइटी पहन ली. वह आकर अपनी दीदी मा से लिपट गयी," आइ लव यू मम्मी!"
पहली बार गौरी को अहसास हुआ की नारी चाहे सग़ी मा हो या सौतेली.. पर मा तो मा ही होती है ...
पहली बार उसने अंजलि को मा कहा.. दोनों की आँखें छलक आई......
उधर टफ ने तो जैसे अपनी जिंदगी के सारे सेक्स के अनुभवोव को एक साथ ही सरिता और प्यारी की चूत में डाल देना था.... उनकी चूत इतनी पास पास थी की एक चूत से दूसरी चूत में लंड के जाने का पता ही टफ को नाहो लगता था... पता लगता था तो सिर्फ़ सरिता और प्यारी की आवाज़ों से... जिसकी चूत से उसका लंड बाहर निकलता वो तड़प उठती और जिसकी चूत में वो जाता वो सिसक उठती.... कामना सेक्स के इश्स जादूगर को बिना हीले देख रही थी... बिना पालक झपकाए...
उधर राकेश भी जी भर कर 2-2 लड़कियों को मस्त बना रहा था... एक की चूत में लंड सररर सर्ररर जा रहा था और दूसरी की चूत में उंगली अपना काम कर रही थी... जब एक का काम हो गया तो उसने एक्सपाइर माल की तरह उसको एकतरफ ढाका दिया और दूसरी को जन्नत की सैर करने लगा... लगभग 15-20 मिनिट में ही उसने दोनो को निहाल कर दिया और खुद भी लंड चूत से बाहर निकल कर निढाल हो गया... तीनो हाल्फ रहे थे....
गौरी अपनी मम्मी की गोद से उठकर अलग हो गयी और उन्न दो जवान पांच्छियों को यौवन सुख के लिए अकेला छोड़ दिया... पर अस्ल मुसीबत तो बाहर गेट पर खड़ी थी... जैसे ही गौरी ने दरवाजा खोला... बाहर खड़ी सभी लड़कियाँ आपा धापी में भाग ली.... गौरी के होश उड़ गये... उसने झट से दरवाजा बंद कर दिया और हैरत
से राज और अंजलि की और देखने लगी... राज और अंजलि भी सारा माजरा समझ गये....
उधर टफ दोनों के अस्थि पंजर ढीले करके अपनी पॅंट पहन ही रहा था जब उसको अचानक कमरों के बहा शोर सुनाई दियाअ...
सब का नशा एक दम से काफूर हो गया...
कुच्छ देर बाद राज टफ के कमरे में आया...," उसने देखा एक और लड़की खड़ी है दीवार से लगकर ... वो रो रही थी... ," कामना, अपने रूम में जाओ!"
"मैं नही जवँगी सर! मैं कैसे जाऊं... सबने सब कुछ देख लिया होगा... वो उस्स वक़्त तक भी नंगी खड़ी थी... पर राज ने उसकी ओर ध्यान तक नही दिया...
"ठीक है.. तुम जल्दी से कपड़े पहनो और अंजलि मेडम के पास जाओ... हम सब ठीक कर देंगे... कुछ सोचते है.." दोनो लड़कियाँ और प्यारी दूसरे कमरे में चली गयी...
राज ने टफ से पूछा," क्या करें भाई... बॅंड बज गया"
टफ ने बेड के सिरहाने से अपना सिर लगाया और सिग्गेरेत्टे सुलगा ली...," मुझे सोचने दो!"
टफ और राज आपस में बात कर ही रहे थे की अंजलि और प्यारी भी उसी कमरे में आ गयी...," अब क्या होगा?" अंजलि के माथे पर चिंता की सिल्वट सॉफ दिखाई दे रही थी... प्यारी भी कम परेशन नही थी... उसकी 'इज़्ज़त' खराब होने का डर उसको भी सता रहा था....
टफ ने सिग्गेरेत्टे बुझाते हुए कहा... "मेरे पास एक आइडिया तो है... पर सफल होगा या नही; इसकी कोई गॅरेंटी नही है...."
"जल्दी बताओ ना!" अंजलि इश्स बात को दबाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी...
"देखो पसंद ना आए तो मत लेना... लेकिन में सीरीयस हूँ... मैने एक इंग्लीश मूवी में ऐसा देखा था..." टफ ने बताने से पहले उनको भरोसे में लेना चाहा...
" अब कुछ बको भी... या पहेलियाँ ही बुझते रहोगे..."राज अपना धैर्या खोता जा रहा था... उसको शिवानी से बहुत डर लगता था...
टफ ने अपना थर्ड क्लास आइडिया उगल दिया..," हम एक खेल खेलेंगे कल रात को जिसमें बारी बारी से सब लड़कियाँ अपने कपड़े उतारती जायेंगी.."
"बकवास करने की भी हद होती है यार! हूमें यहाँ अपने कपड़े बचाने की पड़ी है.. और तुम दूसरी लड़कियों के भी कपड़े उतरने की सोच रहे हो... कुच्छ तो सोचा होता..." राज उसकी बात सुनकर फफक पड़ा....
"पूरी बात सुनोगे या नही?" टफ ने ज़ोर से चिल्लाकर राज को चुप कर दिया...
अंजलि ने भी राज से सहमति जताई," ऐसा कभी हो ही नही सकता... वो गाँव की लड़कियाँ हैं... तुम्हारी ब्लू फिल्म की हेरोइन नही.."
"फिर तो एक ही तरीका है.. बचने का.." टफ अब भी शैतानी कर रहा था... उसका था भी क्या... गाँव में भी जाता तो जाता; ना भी जाता...
"अब क्या है!" सारे उसकी बात सुनकर पक रहे थे...
"स्यूयिसाइड!" उसने कहा और उठकर बाथरूम चला गया...
सभी के दिमाग़ काम करना बंद कर चुके थे... आख़िर उन्होने टफ की ही शरण ली... अंजलि ने प्यार से टफ को कहा," अच्छा तुम पूरा तरीका बताओ!"
"अरे बहुत सारे तरीके हैं... गोली खा लो, फाँसी पर...!"टफ को अंजलि ने बीच में ही रोक दिया.. उसने तकिया उठाकर प्यार से टफ के मुँह पर दे मारा...," वो बताओ; पहले वाला..." अंजलि को लगा, भागते चोर की लंगोटी पकड़ लेनी चाहिए!
"ध्यान से सुनो.. पूरा सुन-ने से पहले अगर कोई बीच में बोला तो में उठकर चला जवँगा.. आज ही ड्यूटी पर... अपना क्या है? एक तो साला तुम्हारे बारे में फोकट में दिमाग़ घिसाओ, उपर से तुम्हारे नखरे भी सुनो.... अगर मंजूर हो तो उन्न छिप्कलियो को भी बुला लो... प्लान को ठीक से समझ कर उसकी अड्वर्टाइज़्मेंट कर देंगी...
प्यारी झट से उठ कर दूसरे कमरे में डरी बैठी उन्न ," छिप्कलियो" को बुला लाई...
तीनों लड़कियों के आने के बाद टफ ने बोलना शुरू किया:
"देखो! हमारे पास इश्स रास्ते के अलावा दूसरा कोई रास्ता नही है की हम सभी लड़कियों को इश्स खेल में शामिल करें.. और जब हमाम में सभी नंगे हो जाएँगे तो फिर किसका डर रहेगा... इसके लिए इन्न लड़कियों का हमारा साथ देना ज़रूरी है... ये अब कमरों में जाकर
बेशर्मी से ये बताएँगी की उन्होने हमसे एक खेल सीखा है... बहुत ही मजेदार खेल... खेल
में धीरे धीरे करके अपने कपड़े उतारने पड़ते हैं.. और जो इश्स खेल में पीछे
रहेगी.. वो हारेगी.. और जिसके कपड़े सबसे पहले उतरेंगे वो इश्स खेल में विजेता होगी...
मुझे पता है उन्हे शुरू में बहुत झिझक होगी.. पर वो सब इनके बाकी लड़कियों को बताने के तरीके पर डिपेंड करता है... और सुबह अंजलि के भासन पर भी....
अंजलि को जब सुना की उसको भी लड़कियों को इश्स बारे में बोलना पड़ेगा तो वो एक दम से टफ को टोकने को हुई.. पर उसको टफ की बात याद आ गयी... बीच में ना बोलने वाली....
टफ का प्लान जारी था...
"सारी नही तो कुछ लड़कियाँ ज़रूर खेलने को तैयार हो जाएँगी... पर हुमको हर एक लड़की को नंगा करना है... इश्स खेल से हमें कम से कम ये तो पता लग ही जाएगा की कौन कौन लड़कियाँ नंगी नही हुई... बस! वही हमारे लिए ख़तरा बन सकती हैं... उनके बारे में बाद में सोचेंगे... हां जो कुच्छ अंजलि को सुबह लड़कियों को कहना है... उससे मुझे विस्वास है की जिन लड़कियों का बदन दिखाने लायक है... वो तो तकरीबन ही तैयार हो जाएँगी... अब तुम तीनो जाओ और खेल का प्रचार शुरू कर दो... उनको खुल कर ये बताना है की इश्स खेल में जो मज़ा है... वो आज तक तुम्हे नही आया... बाकी प्लान में आप को बता दूँगा...
"एक दो तो मेरे कहने से ही तैयार हो जाएगी.." सरिता ने टफ की और देखते हुए कहा..
"अरे हां! जिन लड़कियों के राज तुम तीनो जानती हो उनको तो पहले ही तैयार कर लो ताकि वो भी तुम्हारे साथ दूसरी लड़कियों को खेल के लिए तैयार कर लें.... तुम सबसे पहले उन्ही को मेरे पास लेकर आओ!" टफ ने लड़कियों को जाते हुए रोक कर कहा..
कुच्छ ही देर बाद काई और लड़कियाँ भी उनक 'गेम प्रमोटर ग्रूप' में शामिल हो गयी.... कविता, दिव्या, अदिति, मुस्कान, नेहा; इन्न सबको मिला कर अब कुल 10 लड़कियाँ कमरे में सिर झुकाए खड़ी थी... तीनो ने इन सबको प्यार से या फिर ब्लाकक्मैँलिंग की डर से तैयार कर लिया था गेम में शामिल होने के लिए... सभी कमरे में सिर झुकाए खड़ी थी...
टफ इतनी बड़ी संख्या में लड़कियों को देखकर खुश हो गया... "बस अब हमारा ग़मे सुपेरहित होकर रहेगा..." अब तो सिर्फ़ 34 ही बची हैं..."" तुम क्पडे उतारने के लिए तैयार हो या थोड़ी प्रॅक्टीस चाहिएगी... अभी..."
एक साथ काई लड़कियाँ बोल पड़ी," नही सर! हम तैयार हैं...."
"गुड! अब अंजलि मेडम तुम्हे कल सुबह खेल की आवस्यकता और उसके फ़ायदों के बारे में जानकारी देंगी... जाओ अब सभी अपने अपने रूम्स में इश्स खेल के बारे में बताना शुरू कर दो.. ऑल थे बेस्ट!"
लड़कियाँ चली गयी... जाते ही अंजलि टफ पर बरस पड़ी... "मैं कैसे सबको इश्स बारे में...!"
राज ने अंजलि को बीच में ही टोक दिया.. ," डोंट वरी! मैं बता दूँगा! मुझको ऐसी बातें बताने का बड़ा शौक है.. आगे वो माने या ना माने... वो उनकी मर्ज़ी... " राज अपनी लाइफ में पहली बार इतना सीरीयस हुआ था, लड़कियों की बात पर....
"क्या बोलना है... ये भी बता दो!" राज ने टफ से पूछा...
टफ ने उसको अपने प्लान का थीम बता दिया.. और बाकी खुद सोच लेने को कह दिया..
सब के चेहरे पर निसचिंत-ता सी झलकने लगी थी... कुछ कुछ... प्यारी और अंजलि उठ कर कमरे में चली गयी....
"क्या हो गया यार!" टूर का सारा मज़ा खराब हो गया....
" कुच्छ नही हुआ! सो जा... सुबह देखना कितना मज़ा आएगाअ" टफ ने राज को कहा और करवट बदल कर आँखें बंद कर ली.....
राज की आँखों में नींद नही थी... यही हाल अंजलि का भी था... पर प्यारी को अपने यार पर पूरा भरोसा था.... वो जल्द ही खर्राटे लेने लगी...
तो भाई लोग कैसी लगी ये कहानी कैसी लगी बताना मत भूलना कहानी अभी बाकी है.आगे की कहानी आप गर्ल्स स्कूल--16 मैं पढ़ सकते है.
कहानी अगले पार्ट मैं तब तक के लिए विदा
लकिन दोस्तो कहानी पढ़ने के बाद एक कमेंट दे दिया करो मैं भी खुश हो जाउगा तो फिर देर मत कीजिए अपना कमेंट देने मैं