गर्ल'स स्कूल compleet

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rajaarkey
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Re: गर्ल'स स्कूल

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 10:47

गर्ल्स स्कूल--16

सुबह उठे तो सभी लड़कियों में एक अजीब तरह की खलबली मची हुई थी... सभी कानाफूसी में बात कर रही थी... खुल कर नही... लड़कियों ने उनको जिस गेम के बारे में रात को बताया था... हर तरफ उसी का चर्चा था.. एक लड़की कोमल ने अपनी सहेली नीरू को अलग ले जाकर पूछा... यार ये गेम का फंडा क्या है... तू खेलेगी...?
"पागल है क्या?" नीरू ने उसको झिड़कते हुए कहा..." तेरे में अकल है की नही... भला सबके सामने तू कपड़े निकल देगी अपने... मेरे ख्याल में तो वो हमारा ध्यान हटाना चाहते हैं... कल रात हमने जो कुछ भी देखा.. वो कोई खेल था... मुझे तो इतनी शर्म आ रही थी.. देखते हुए भी... कैसे बेशार्मों की तरह 'लोग लुगाई' (हज़्बेंड वाइफ) के जैसे नंगे पड़े हुए थे... ये भी कोई खेल है?
कोमल ने लंबी आ भरते हुए कहा," हां तू ठीक कह रही है... पर क्या तू किसी को गाँव में जाकर कुच्छ बताएगी... यहाँ के बारे में.."

वो बाथरूम में जा चुकी थी. नीरू अपनी सलवार खोल कर पेशाब करने को बैठ गयी... कोमल की नज़र उसकी गोरी जांघों पर पड़ी," तेरी ये कितनी सुंदर हैं..."
"चुप बेशर्म! उधर मुँह कर ले..."

वो दोनो 11थ की लड़कियाँ थी... दोनो सहेलियाँ थी पर कोमल का नज़रिया दूसरा था... वो गेम खेल लेना चाहती थी... पर नीरू के जवाब के बाद उसने अपनी छाती पर पत्थर रख लिया..

उधर सुबह उठते ही टफ ने लड़कियों को बताए जाने वाले खेल का खाका बना कर दे दिया... जिसको राज को अपने शब्दों में लड़कियों को बताना था...," यार ये सब कुछ कहने से लड़कियाँ मान तो जाएँगी ना!"

टफ ने उसके चेहरे के उड़े रंग को देखा और बोला," चल बाहर घुमा कर लता हूँ!"

वो दोनो सुबह सुबह ही होटेल से बाहर चले गये... टफ उसको वाइन शॉप पर ले गया...," टू सिगनेचर्स प्लीज़!"

टफ के हाथ में दारू की बोतल देखकर राज बोला," यार तू ऐसे मौके पर शराब पिएगा?"
टफ ने उसके कंधे पर हाथ रखा," मैं नही तू पिएगा..! चिंता मत कर.. इससे तेरा कॉन्फिडॅन्स बढ़ जाएगा और तू गेम के रूल सबको अच्छी तरह समझा पाएगा...! चल आ...

अपने रूम में बैठकर दोनों ने मिलकर 1 बोतल खींच ली... टफ अक्सर पीता था.. इसीलिए उस्स पर खास असर नही था.. पर बोतल में से क्वॉर्टर पीकर ही राज के रंग देखने लायक थे... तभी कमरे में अंजलि आई... ," य्ये... क्या कर रहे हो तुम...? प्लान का क्या हुआअ?"
राज ने डगमगाती आवाज़ से अंजलि को अपने पास बैठने को बोला... अंजलि कुर्सी को दूर खींच कर बैठ गयी...
" पिलान ये है.. प्लान तो बदल गया है जान... मैं... सोचता हू! ... की हम दोनो अभी यहाँ से... दूर भाग जाएँगे... मैं!.... तुमसे... शादी कर लूँगा... दुनिया... को बकने दो... प्रोमिस!"
इश्स गंभीर हालत में भी अंजलि राज की हालत देखकर ज़ोर से हंस पड़ी...," क्याअ.. .. क्या बक रहे हो?"

"प्रोमिसे जान! आइ लव यू..."
टफ ने अंजलि को वापस भेज दिया...," अबे तुझे ऐसा होने के लिए नही बोला था.." तेरी समझ में आ रही है ना बात!"

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"आ रही है... कमिशनर साहब!.. मैं तो ऐसे ... ही लाइन... मार कर... चेक कर रा था.. अभी ओ.के. है या नही... शादी! शिवानी.. मेरी गांद मार लेगी..!"

टफ को विस्वास हो गया ये अपने आपे में नही है... मामला बिगड़ सकता था.. उसने राज को नाश्ता करके सोने को कह दिया!

राज ने वैसा ही किया...

प्यारी ने 11 बजे लड़कियों को डाइनिंग हाल में आने का टाइम दे दिया.. सुबह के.. उसने बताया की आज कोई ट्रिप नही होगी... आज उनसे कुछ ज़रूरी बातें करनी है... ज़रूरी बात सब लड़कियों को पता थी...

करीब 10:45 पर ही डाइनिंग हाल में सभी लड़कियाँ आ चुकी थी.. सभी एक दूसरे से पीछे बैठने की जुगत में थी... ताकि छुप कर खेल देख सकें... कोई भी उनको खेल का आनंद उठाते ना देख सके... आलम ये था की करीब 100 सीटो में से आगे की आधी खाली थी... और सबसे आगे ये 'खेल' खेल चुकी लड़कियाँ ही बैठी थी... सिर्फ़ निशा को छोड़ कर... निशा को ज़बरदस्ती गौरी ने अपने साथ बिठा लिया... हालाँकि उसने ये खेल खेलने से सॉफ माना कर दिया था...

बीच की चार पंक्तियाँ बिल्कुल खाली थी...

नहा धोकर कुछ हद तक अपने नशे को कंट्रोल कर चुके राज ने दरवाजे से प्रवेश किया... टफ उसके पीछे था और प्यारी उसके पीछे... अंजलि ने आने से मना कर दिया... वो लड़कियों का सामना करने से घबरा रही थी... सभा में सन्नाटा छा गया... राज ने आकर अपनी 'मुख्या वक्ता' की कुर्सी संभाली... टफ उसके पीछे कुर्सी डाल कर बैठ गया... प्यारी दूसरी पंक्ति में जाकर कुर्सी पर बैठ गयी.....

टफ के कहने पर राज बोलने के लिए खड़ा हुआ... अजीब सा माहौल था... इतनी चुप्पी तो राज ने कभी क्लास में पढ़ते हुए भी नही देखी थी...

टफ को किसी भी लड़की के चेहरे से नही लग रहा था की वो खेलने को तैयार होगी... सभी अपना चेहरा छिपाने में लगी थी... कहीं सर उसको पहचान ना लें!

आख़िरकार राज ने बोलना शुरू किया....

"प्यारी सालियो.. अब ये मत पूछना मैं तुम्हे इतने प्यार से साली क्यों पुकार रहा हूँ.... मेरा तुम सब से बड़ा ही गहरा नाता है... तुम्हारी उन्नति के लिए मैं समाज से टक्कर लेने को तैयार हूँ... आख़िर हमारी सरकार पागल नही है जो 'तुम सबको' सेक्स एजुकेशन' देना चाहती है...
अरे मैं तो कहता हूँ

पारो और चंद्र मुखी का नूर आप पे बरसे, हर कोई आपके साथ सोने को तरसे,
आपके जीवन मे आए इतने लड़के,
की अप चड्डी पहेन ने को तरसे..

बिना 'सेक्स एजुकेशन' के तुम्हारा पढ़ना लिखना बेकार है... ऐसा सरकार मानती है... कभी कभी गलियों में से गुज़रते हुए कोई शरारती लड़का तुमको छेड़ देता होगा.. और तुम गुस्सा हो जाती होगी... या फिर घर वालों से उसकी शिकायत कर देती होगी... पर तुमने ध्यान दिया होगा... ना चाहने पर भी तुम नीचे से गीली हो जाती होगी.... ऐसा क्यूँ होता है?

तुमने देखा होता... बचपन में मम्मी पापा तुम्हे भरी दुपहरी में खेलने भेज देते होंगे.. या फिर 1 रुपय्या देकर पप्पू बानिए के पास भेज देते होंगे... और जब तुम कभी जल्दी वापस आ गयी होगी तो दरवाजा बंद मिला होगा... या कभी वो ग़लती से दरवाजा बंद करना भूल गये होंगे तो अचानक तुम्हारी मम्मी ने पापा को अपने उपर से फैंक कर कहा होगा," देखो मुनिया! बाहर मामा आया है.... वो क्या है?
तुम्हारे रात को सोने के बाद कभी कभी नींद खुल जाने पर मम्मी पापा को तुमने लड़ते देखा होगा. मम्मी कहती होगी," अब तुझमें वो बात नही रही!" और पापा गुस्से में पूरा ज़ोर लगाकर कहते होंगे," साली ! तुझे तो छोटे में बात नज़र आती है.." ऐसा क्यूँ होता है...
थोड़ा और बड़ा होने पर तुमने देखा होगा... तुम्हे काका की गोदी में बैठने में मज़ा आता है... तुम्हे साइकल की गद्दी पर बैठने में मज़ा आता है... तुम्हे पेशाब करते वक़्त नीचे देखने में मज़ा आता है... तुम्हे लड़कों से अपनी चोटी पकड़ कर अपनी और खेल खेल में ही खीँचवा लेने में मज़ा आता है... ऐसा क्यूँ है...?

तुमने देखा होगा.... और बड़ा होने पर जब तुम्हारी छातियाँ तुम्हारे कमीज़ में से उभरने लगी होंगी तो मम्मी ने कहा होगा," बेशर्म चुननी ले लिया कर... ... लड़कों को तुमने तुम्हारी छातियों में कुछ ढूंढते पाकर तुमको शर्म आई होगी... और हां! लूका छिपी खेलने के बहाने जब तुम जान बुझ कर ठिंकू की गोद में 'ग़लती से बैठ जाया करती होगी... और वो 'ठिंकू' फिर तुम्हे आसानी से उठने नही देता होगा... तुमने महसूस किया होगा.. हर लड़का तुम्हे ही क्यूँ इतने अंधेरे में ढूँढ लेता है.. और दूर से 'आइ स्पाइ' कहकर तुम्हे आउट करने की बजे तुमसे हाथ लगवाकर दोबारा बारी देने चला जाता होगा... ऐसा क्यूँ है?

थोडा और बड़ा होने पर अचानक एक दिन साइकल चलाते हुए तुम बिना चोट लगे ही नीचे से घायल हो गयी होगी... और मम्मी ने कारण बताने की बजाय एक कपड़ा वाहा थूस कर कह दिया होगा," अब तू बड़ी हो गयी है...!" पापा ने तुम्हे तुम्हारे साथ साथ ही आँख मिचौनी खेल खेल कर बड़े हुए ठिंकू से ज़्यादा बात ना करने को कहा होगा... ऐसा क्यूँ है.....?

rajaarkey
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Re: गर्ल'स स्कूल

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 10:49


टफ की आँखें लगातार राज को हैरत से देख रही थी... ये क्या बोलने लग गया... ! ऐसा तो उसने कुछ नही कहा था...उसने राज शर्मा का ऐसा रूप पहली बार देखा था
सारी लड़कियाँ इश्स तरह से राज को बोलते हुए ध्यान से सुन रही थी की जैसे ये कोई सेक्स क्लास नही बल्कि किसी साधु महात्मा का प्रवचन चल रहा है... और उनसे बड़ा भगत उस्स का कोई नही है...

शराब में टन साधु महात्मायानी अपने राज शर्मा का प्रवचन जारी था......

तुमने महसूस किया होगा... तुम्हारी उमर बढ़ने के साथ ही तुम्हारी छातियों में मिठास सी भरने लगी होगी! और ये मिठास तुम्हारी गली के भंवरों को तुम्हारे आते जाते, उठते बैठते, पानी लाते और गाँव के बाहर तालाब पर कपड़े ढोते अपनी और खींचती होगी... तुम्हे महसूस किया होगा... तुम्हे भी ये सब अच्छा लगने लगा होगा... कभी गाँव के लड़के ने तुम्हारे रास्ते में पर्ची फैंकी होगी... तुमने इधर उधर देखकर पर्चो उठाकर पढ़ा होगा... किसी को मत बताना... आइ लव यू... ! और जब तुम पढ़कर मटकती हुई आगे चली गयी होगी तो उसने सीटी बजकर तुम्हे थॅंक्स बोला होगा... फिर अगले दिन उसी जगह उसने पर्ची में समय और स्थान लिख दिया होगा... मिलने का... वो क्यूँ मिलना चाहता है... अलबत्ता तो बापू के डर से तुम गयी ही नही होगी... और चली गयी होगी तो तुम्हे पता लग चुका होगा... उसने क्यूँ बुलाया था...
जाने ऐसे कितने ही 'क्यूँ' हैं जो तुम्हे टेन्षन में डाले रखते हैं...जाने ऐसे कितने ही क्यूँ हैं जिनका जवाब तुम चाह कर भी नही ले पाती... बस घुट-ती रहती हो... मान ही मान में... पढ़ भी नही पति... और बच भी नही पति और.... पूच भी नही पाती....

सरकार को पता है.. तुम घर वालों से नही पूछ सकती.... सरकार को पता है... इन सबसे ग़ुजरकर देखे बिना तुम पढ़ भी नही पाती... सरकार को पता है.... ये एजुकेशन तुम्हारे लिए कितनी ज़रूरी है... सरकार को सब पता है.....

अब खुल कर बात बिना झिझक दूर किए नही हो सकती... और झिझक दूर करने के लिए ही सरकार ने तुम्हे यहाँ घूमने आने के लिए आधा खर्चा दिया है... और ये जिम्मा हमारा है की हम तुम्हारी झिझक तोड़ कर तुम्हे उन्न सब सवालों के खुल कर जवाब दें... सरकार ऐसा चाहती है... सरकार पागल नही है... सरकार बहुत समझदार है... तुमको सेक्स एजुकेशन देना चाहती है.....

सरकार बहुत अच्छी है....

सारा समा बँधा हुआ था... लड़कियों को ये अहसास होने लगा था की सरकार बहुत अच्छी .... उनके भले के लिए ही उनको यहाँ इतनी दूर भेजा है... सीखने के लिए... घरवालों से दूर... उनको लगने लगा था की 'जिस सेक्स एजुकेशन पर आजकल बवाल मचा हुआ है .. वो यही है जो रात को राज और टफ मॅडमो और उन लड़कियों को दे रहे थे... पर जैसे ही कपड़े निकालने वाले गेम का ध्यान उनको आता.. वो शर्मा कर सिमट जाती... ऐसा कैसे हो सकता है....?


राज का बोलना बिना रुके जारी था.......
चलो मैं तुम सबको एक चुटकुला सुनता हूँ


1--दो दोस्त कार से जा रहे थे.
अचानक कार के सामने एक बिल्ली आई.
कार चलाने वाले ने जम के गली दी........."तेरी मा की चूत"
दूसरा तुरंत बोला..."अरे चूत से याद आया भाभिजी कैसे हैं.?
अब ये बताओ गाली दी किसको ओर याद आई किसको



2-दो रंडी सहेली होती है।

एक बार छोटी रंडी के पास एक आदमी आता है और उसकी गांड मारता है।

खुब ज़ोर से याहन तक कि उसकी गांड फट जाती है।

छोटी रंडी : लाओ 5000 रुपये।

आदमी : तुमहारा रेट तो 2500 है।

छोटी रंडी : 2500 चुदवाने का और 2500 सिलवाने का।

रात को वो बडी रंडी को ये बात बताती है। मगर बडी रंडी की गांड पहले से फटी थीं। तो वो अपनी गांड मैं बम रख लेती है।


एक पठान उसकी गांड मारने आता है। गांड मारने के दोरान बम फट जाता है।

वो खुश होकर बोलती है : लाओ 5000 - 2500 गांड मारने के और 2500 सिलवाने के।


पठान उसकी शकल देखता है और कहता है : खोशि हम तुम को 10,000 देगी - पहले ये तो बताओ हमारा लौडा कहाँ गिया।

टफ ने राज को ट्रॅक से उतरते देख उसके पिच्छवाड़े पर लात मारी... लात खाते ही राज ट्रॅक पर वापस आ गया....
पर ये एजुकेशन लेना सब के बस की बात नही... जो पढ़ना चाहती हैं और आगे बढ़ाना चाहती हैं उनको हमारे साथ एक गेम खेलना होगा... सभी लड़कियाँ गेम में हिस्सा लेंगी... जैसा की हमारी स्काउट्स ने आपको बताया होगा, गेम में कपड़े उतारने पड़ेंगे... ज़रूरी नही है की गेम में हिस्सा लेने पर सबको ही कपड़े उतारने पड़ेंगे... जो ना चाहे.. वो आउट हो सकती है... और जो सीखना चाहे पूछना चाहे वो अपना एक वस्त्रा उतार कर अपनी झिझक दूर होने का सबूत दे सकती है... आगे तुम्हारी मर्ज़ी... पर सरकार का नारा है.... अगर एक भी लड़की छूट गयी; समझो छतरी टूट गयी!


लड़कियाँ हैरान थी; उन्होने ये तो सुना था की "एक भी बच्चा छूट गया.. सुरक्षा चकरा टूट गया.." अमिताभ बच्चन के मुँह से, पोलीयो प्रचार की आड में... पर ये नारा तो उन्होने पहली बार सुना... अपने सर के मुँह से... कुच्छ लड़कियों ने सोचा...," सरकार का गुप्त अभियान होगा... मम्मी पापा से बचाकर लड़कियों को सिखाने का.... इसीलिए तो टी.वी. पर नही आता.....
राज ने गेम के रूल बताने शुरू किए...

"गेम रात को 10 बजे के बाद खेला जाएगा... सभी लड़कियों को यहीं आना है... डाइनिंग हाल में... उसके बाद लकी ड्रॉ से सभी लड़कियों के 4 ग्रूप बनाए जाएँगे... चारों ग्रूप अलग अलग बैठेंगे... हर ग्रूप में ग्यारह लड़कियाँ होंगी... एक बार एक ग्रूप हमारे पास आएगा... सभी ग्यारह लड़कियाँ अपना अपना सवाल लेकर आएँगी... ग्रूप में से जो लड़की ना आना चाहे वो अपने स्थान पर ही बैठी रहेगी... बाकी ग्रूप की लड़कियाँ अपना अपना सवाल एक पर्ची पर लिख कर लाएँगी... उन्न पर्चोयोँ में से मैं बिना देखे एक पर्ची उठवँगा... जिसकी पर्ची निकली... उसको छोड़ कर बाकी लड़कियों को अपना एक कपड़ा शरीर से उतारना होगा... और जिस लड़की की पर्ची निकलेगी, उसके सवाल का जवाब दिया जाएगा... जो लड़की ग्रूप में बाकी सभी लड़कियों के नंगी होने पर ज़रा सी भी ढाकी बची रहेगी... उसको इनाम दिया जाएगा... हर ग्रूप का इनाम अलग अलग होगा.... लास्ट की चार लड़कियों को उनकी मनपसंद ड्रेस खरीद कर दी जाएगी... तभी कोमल ने राज को टोक दिया," मगर सर... प्यारी मेडम ने तो कहा था.. जो सबसे पहले... मतलब.. वो हो जाएगी... उसको इनाम देंगे!"
"देखा! कितनी शरमाती हो.. ये 'वो' क्या होता है?" राज ने कोमल से पूछा... पर कोमल का चेहरा शर्म से लाल हो गया... पास बैठी नीरू ने उसका सूट पकड़ कर नीचे खींच लिया..

"ऐसा है साली साहिबाओ! पहले वही प्लान था... पर भाई... हाफ हार्टेड ने उसको सेन्सर कर दिया... इसीलिए... प्लान हमने चेंज कर दिया...

बाकी तुम्हारी मर्ज़ी... सब 10 बजे यहाँ आ जाना... अब जाकर सोचो... आगे बढ़ाना चाहती हो या... घुट घुट कर मरना...

कहकर राज डाइनिंग हाल से बाहर निकल गया.. जाते ही टफ ने राज की पीठ थपथपाई.. "आबे! तू तो पूरा गुरु घन्टाल निकला! ये प्लान तूने कब बनाया...

"पता नही! पर नशा उतरने पर मुझे समझा देना, की गेम कैसे खेलना है.. और उसके क्या क्या रूल हैं...

राज जाते ही गद्दे पर गिर पड़ा... टफ उसको अचरज से देख रहा था...!

लड़कियों का दिमाग़ चक्राया हुआ था... उन्हे दिल्चस्पि सेक्स एजुकेशन में नही थी... बड़ी लड़कियों में से तो काइयों को राज के हर 'क्यूँ' का जवाब 'प्रॅक्टिकली' पता था.... पर वो भी सेक्स एजुकेशन के इश्स गेम के बहाने अपनी 'मस्त हसरत' पूरी करें या नही... इश्स असमन्झस में थी... और छोटी अनचुई कलियाँ उनकी ही और देख रही थी... यहाँ अगर कोई उनको नंगे नाच से रोक सकता था तो सिर्फ़ समझदार लड़कियाँ.. जिन्होने दुनिया देख रखी थी.. और जो उन्न छोटियों को यादा कदा छोटी मोटी सेक्सी बात बता कर मस्ती से भर दिया करती थी... पर यहाँ तो वो ही खुद असमंजस में थी.. दूसरों को क्या समझायें... सभी एक दूसरी से उसकी राय पूच्छ रही थी.. पर जवाब कोई नही दे रहा था...
छोटी लड़कियों की लीडर दिव्या थी... वो उनको बुर्गला रही थी," मज़े बहुत आते हैं... मुझे पता है... मैने अपने मामा के स्कूल में ये गेम खेला था एक बार..!
" पर दिव्या! इन्होने घर बता दिया तो?"

"कोई नही बताएगी, जो नही खेलेगी, सर उसको फैल कर देंगे! और फिर सोच! इनाम में ड्रेस भी तो मिलेगी..."

"हूंम्म... मैं अदिति दी से पूछ आऊँ...."

rajaarkey
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Re: गर्ल'स स्कूल

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 10:51


अदिति तो राज के साथ दिव्या की पार्ट्नर रह चुकी थी... वो सीधी उसके कमरे में पहुँची.. वहाँ पर 7-8 लड़कियाँ बैठी थी... अदिति उनको कॉन्विएनसे करने की कोशिश कर रही थी... ," बाकी तुम्हारी मर्ज़ी! पर सर ने मुझे बताया था... जो भी गेम खेलेगी... उसको अलग से फाइनल में नंबर. दिए जाएँगे... " राज की सेक्सी स्काउट्स अपने आप ही अलग अलग तरह के प्लान बना बना कर बता रही थी...

नीरू वही बैठी थी," जा तू ले लेना अलग से नंबर... बड़ी आई सर की चमची... अरे हम क्या कोई बछियाँ हैं जो ऐसे झूठे लोलीपोप के लालच में आ जाएँगी.. "
पर सुरसुरी उसके बदन में भी होने लगी थी... पर गाँव में उसकी इमेज एक शरीफ लड़की की थी.. और वा उसको तोड़ना नही चाहती थी... पर उसके बोलने का लड़कियों पर असर हो रहा था...

जो खेलना चाहती थी... वो भी पीछे हट रही थी... नीरू की वजह से...
दिव्या ने अदिति को बाहर बुलाया... उसकी छोटी बहन स्वाती उसको एक तरफ ले जाकर बोली," "दीदी! क्या करना है..."
"चल तू अपने कमरे में... अपने आप पता चल जाएगा..." अदिति ने स्वाती के सिर पर हाथ फेरा....
" पर आप मम्मी को तो नही बताओगे ना?" स्वाती को बस इसी बात का डर था...

"मैने कहा ना तू जा... अगर बाकी खेलेंगे तो तू भी खेल लेना....

अदिति ने अपनी रिपोर्ट जाकर राज को दी," सर एक दो लड़कियाँ तैयार हो भी रही हैं तो उनको वो नीरू भड़का रही है....

राज ने नीरू को उसके पास भेजने को कहा.. उसस्पर से नशे का शुरूर अभी तक उतरा नही था...........

राज ने टफ को दूसरे कमरे में भेज दिया... कुछ देर बाद नीरू आई... ," यस सर!" वो नज़रें चुरा रही थी!"

काफ़ी देर बाद तक भी जब राज कुछ ना बोला तो उसने राज की तरफ देखा... वो उसकी चूचियों को घूर रहा था... नीरू ने तुरंत अपनी चुननी ठीक की....
राज ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा," मेरी तरफ देखो नीरू!"
बार बार कहने पर नीरू ने राज से नज़रें मिलाई..," तो तुम गेम में पार्टिसिपेट नही करना चाहती!"
"नही सर!" नीरू का जवाब सटीक था...!"
"क्यूँ?"
"सर! ये ग़लत चीज़ होती है...!" उसने काँपते अधरों से शर्मा कर जवाब दिया..
"अच्छा! तुम्हे किसने बताया?"
"मुझे पता है सर....!" सर के सामने उसके विरोध में वो बात नही थी जो वो लड़कियों के सामने कर रही थी...
"अच्छा! तुम्हे पता है... तो ये बताओ... अगर मैं अभी तुम्हे छू लूं तो तुहे कैसा लगेगा और क्यूँ लगेगा?"
नीरू की ज़ुबान अटक गयी...सर के छू लेने का मतलब वो समझ रही थी..," पता नही सर!" उसकी आवाज़ गले से बाहर मुश्किल से आ पाई...
"इधर आओ! मैं बताता हूँ..."
नीरू हिली तक नही.. बल्कि थोड़ा सा पीछे हट गयी... राज उसके पास चला गया... वो डर के मारे काँप रही थी... जैसे ही राज ने उसका हाथ पकड़ा... वो सिहर गयी...," नही सर!"
राज उसका हाथ छोड़ कर बेड पर चला गया," क्या अभी तक ऐसे तुम्हारा हाथ किसी ने नही पकड़ा है...?"
"पकड़ा है सर!"
"तो क्या तुम हमेशा ऐसे ही काँप जाती हो..!"
नीरू ने ना में गर्दन हिला दी!

"तो अभी ऐसा क्यूँ किया...?"
नीरू के पास कोई जवाब नही था....

"दट'स व्हाट वी आर ट्राइयिंग टू मेक यू लर्न, डर्टी बिच!" वॉट डू यू हेल थिंक ऑफ उर्सेलफ" राज नशे में था... वा कुछ भी बके जा रहा था... नीरू डर के मारे काँप रही थी...
"सॉरी सर!"
"वॉट सॉरी? आंड वॉट डू यू वॉंट टू बी... आर यू नोट ए गर्ल?"
"यस सर!" नीरू को लगा जैसे वो बहुत ही ग़लत कर रही थी लड़कियों को भड़का कर..," सर, मैं अब ऐसा नही करूँगी!"

राज रास्ते पर आया देख नरम पड़ गया," तो क्या तुम खेलोगी?"
उस्स वक़्त तो हां करने के सिवा कोई रास्ता ही नही था..," यस सर!"
"ठीक है, तो कपड़े उतारो!"
"सर क्या?"
"तो अब तुमको मेरी आवाज़ भी नही सुनाई दे रही.."
नीरू ने राज की आँखों में एक वाहसी पन सा देखा... उसने अपनी चुननी उतार दी!
"अपनी कमीज़ उतारो!"
नीरू अपनी कमीज़ उतारते हुए रो रही थी... उसके आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे...
अब उपर उसकी ब्रा के सिवाय कुछ नही था... वो बुरो तरह अपना मुँह अपने हाथों से ढके रो रही थी...

राज फिर से उसके पास गया... वो पिछे हट-ती हुई एक कोने से जाकर चिपक गयी... ये उसकी हद थी... पीछे हट-ने की!
राज ने उसके हाथ हटाकर गालों पर हाथ रख दिया.. फिर उसके होंटो पर... उसके नरम पतले गुलाबी होन्ट भी आँसू में भीगे हुए थे... पर अब उसकी आँखें बंद होकर 'जो होना है; वो तो होगा ही' के अंदाज में निस्चल हो गयी... उसका सुबकना बंद हो गया...
जैसे ही राज का हाथ उसकी गर्दन से नीचे आया.. उसने राज का हाथ पकड़ लिया... पर हटाया नही...
राज ने अपना हाथ हटाने की कोशिश की पर नीरू ने हाथ कस कर पकड़ लिया... उसके भाव बदल चुके थे...
राज ने दोबारा कोशिश की तो नीरू ने हाथ.. और भी कसकर पकड़ लिया, और अपनी छाती की और खींचने लगी... ," सॉरी सर!"
"मेरा हाथ छोड़ो! राज ने गुस्सा दिखाते हुए कहा..."
नीरू ने हाथ छोड़ दिया और अपनी छतियो को हाथों से ढके, आँखें बंद किए... दीवार से सटी रही...
"मैं ये सिखाना चाहता था तुमको! अगर ग़लत होता है तो भगवान ने इसमें इतना मज़ा क्यूँ दिया है... इसीलिए हम इंडियन आज तक उभर नही पाए... चलो निकलों यहाँ से.... नीरू ने अपना कमीज़ पहना और बे-आबरू सी होकर निकल गयी..... कमरे से...
दोस्तो मैं तो कहता हूँ आदमी के देखने नज़रिए पर निर्भर करता है की क्या सही है क्या ग़लत है चलिए
इसी बात पर एक शेर अर्ज़ करता हूँ
अर्ज़ किया है ...

निगाहों से निगाहें मिला कर तो देखो ...

कभी किसी लड़की को पटा कर तो देखो ....

हसरतें दिल में दबाने से क्या होगा ....

अपने हाथों से "बॉल" दबा कर तो देखो ....

आसमान सिमट जाएगा तुम्हारे आगोश में....

लड़की की टाँगें फैला कर तो देखो ...

ये ना कर सके ...तो हारना नहीं ....

दो बूँदें ज़रूर गीरेंगी ....

अपने लॅंड को हिला कर तो देखो

तो भाई लोगो कहानी अभी बाकी है

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