अंजानी डगर

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007
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Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:37

अंजानी डगर पार्ट--11 गतान्क से आगे.................... रश्मि अपने होश मे नही थी. कुल मिलकर वो अब बबलू की गुलाम बन चुकी थी.... रश्मि ने बबलू की पॅंट की ज़िप को खोल दिया और अंदर हाथ डाल दिया.... रश्मि के हाथो का स्पर्श पाते ही बबलू के लंड को राहत मिलने लगी थी. रश्मि का हाथ बाहर आया तो एक 10 इंच का काला नाग निकाल लाया जो बाहर आते ही फुफ्कारने लगा. रश्मि उसको देखते पागल सी हो गयी. वो खुद को रोक ना सकी और उसे बेतहाशा चूमने लगी. अपने लंड पर चुंबनो की बौछार पाकर बबलू निहाल हो रहा था. इसके बाद रश्मि ने बबलू की पॅंट का बटन खोल दिया और अंडरवेर के साथ पॅंट को नीचे उतार दिया. फिर वो खड़ी हो गयी और बबलू की शर्ट के बटन खोलने लगी. बबलू भी कहा रुकने वाला था.उसके हाथ भी अपना काम कर रहे थे. उसने रश्मि की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार अपने आप नीचे गिर गयी. अब रश्मि बबलू के सामने एक पॅंटी मे खड़ी थी और उसके मोटे बूब्स ब्रा के बाहर थे. बबलू भी केवल खुली बटन की शर्ट मे खड़ा था. उसका लंड एक दम तननाया हुआ था. दोनो पता नही किस खुमारी मे थे, जैसे बरसो से सेक्स कर रहे हो. कोई भी पीछे हटने को तैय्यार नही था. सब कुछ इतनी तेज़ी से हो रहा था की कुछ सोचने की फ़ुर्सत ही कहा थी. उधर नीचे निशा की हालत अब काबू से बाहर थी. वो स्क्रीन पर इन दोनो के सीन के लाइव टेलएकास्ट को देख कर बावली हुई जा रही थी. उसका हाथ उसकी चूत को कपड़ो के उपर से ही सहला कर शांत करने की नाकाम कोशिश कर रहा था. बबलू ने रश्मि को थोड़ा पीछे करके एक स्विंग मशीन की टेबल पर बैठा दिया. फिर अपने दोनो हाथ उसकी जाँघो के नीचे से लेजाकर रश्मि की जाँघो को नीचे से अपने हाथो पर थाम लिया. रश्मि के बूब्स ज़रूर मोटे थे पर उसका शरीर छरहरा था. उसका फूल जैसा शरीर ज़मीन से 1 फुट उपर बबलू के मजबूत हाथो पर टीका था. इससे रश्मि की चूत बबलू के लंड की सिधायी मे आ गयी थी. अब रश्मि की साँसे बबलू की सांसो से टकरा रही थी. रश्मि के रसीले होठ कांप रहे थे जैसे बबलू के होंठो को चूमने का आग्रह कर रहे हो. बबलू ने ये आमंत्रण स्वीकार कर लिया और उसके होठ रश्मि से चिपक गये. रश्मि के जवान जिस्म की आग अब बुरी तरह भड़क चुकी थी. उसने बबलू की चेहरे को अपने हाथो से जाकड़ लिया और बेतहाशा चूमने लगी. दोनो एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे को चाटने लगे. इसी चूमा-चॅटी मे बबलू का लंड रश्मि की चूत से रगड़ा खा गया. दोनो ही के शरीर झनझणा उठे. दोनो अब और दूरी सहन करने की स्थिति मे नही थे. रश्मि ने हाथ बढ़ा कर बबलू के लंड को पकड़ा और पॅंटी की साइड से अपनी चूत के मुहाने पर लगा दिया. बबलू ने ज़ोर का धक्का लगाया और लंड फिसलता हुआ एक झटके मे पूरा 8 इंच अंदर तक चला गया. रश्मि की रसभरी चूत एकदम हाइवे लग रही थी जिस पर बबलू ने अपना ट्रक दौड़ा दिया था. और हाइवे पर लगा बारैकेड भी उसे रोक नही पाया था. पर रश्मि अब आनंद से सागर से निकल कर दर्द की हक़ीकत मे आ चुकी थी. उसे होश आ गया था. उसकी सील टूट चुकी थी. वो रूवन्सी होने लगी और बबलू की छाती पर मुक्के मारने लगी. रश्मि- तुमने मेरी इजात लूट ली. मुझे बर्बाद कर दिया. दूर हटो मुझसे. पर बबलू अभी भी आनंद के सागर मे गोते लगा रहा था. वो रश्मि की चूत मे लंड डाले रुका रहा. धीरे-धीरे रश्मि का दर्द कम हुआ तो उसने अपनी गंद पीछे कर के बबलू का लंड बाहर निकालने की कोशिश की. पर वो तो बबलू के हाथो मे फँसी हुई थी. इस से लंड तो निकला नही, बबलू को सिग्नल ज़रूर मिल गया. बबलू ने धीरे से पीछे होकर आधा लंड बाहर निकाला और फिर से अंदर पेल दिया. इस धक्के से रश्मि की रसभरी चूत पिघल सी गयी. बबलू ने एक बार फिर वही किया. रश्मि का गुस्सा अब गायब हो चुका था और फिर वही खुमारी छाने लगी थी. बबलू रश्मि के चेहरे के बदलते भाव के अनुसार धक्को की रफ़्तार बढ़ाता गया. रश्मि अभी भी बबलू के हाथो पर टिकी थी रश्मि को हर धक्के पर आगे और फिर पीछे कर रहे थे. हर नया धक्का रश्मि के शरीर मे आनंद के नयी लहर ले आता. रश्मि आनंद के सागर मे पूरी तरह डूब चुकी थी. बार बार उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और हर बार वो बबलू से बुरी तरह चिपक कर उसे यहा वाहा चूमने लगती. उसके मोटे-मोटे मम्मे उछल-उछल कर बबलू को और उत्तेजित कर रहे थे. बबलू रश्मि को उठाए हुए ही ज़मीन पर लेट गया. बबलू का लंड पूरे 9 इंच तक रश्मि मे गढ़ा हुआ था. अब रश्मि घुड़-सवार की तरह बबलू के उपर बैठी थी और बबलू का लंड उसकी चूत मे फँसा हुआ था. रश्मि की चूत पानी छ्चोड़-छ्चोड़ कर बहाल हो गयी थी. उसने अपनी चूत से बबलू का लंड बाहर निकालने के लिए अपनी गंद को थोड़ा उपर किया पर बबलू ने उसके गुदाज कुल्हो को पकड़ लिया और रश्मि बस 6-7 इंच उपर ही उठ सकी. इससे बबलू को लंड चलाने की जगह मिल गयी. वो रश्मि के नीचे से ही उछाल-उछाल कर रश्मि की चूत से अंदर बाहर होने लगा. ये अनुभव रश्मि के भी लिए नया सा था. वो हवा मे ही टँगी हुई चुद रही थी. उसकी घायल चूत मे फिर से तरंगे उठ रही थी. जब सहन नही हुआ तो उसने बबलू की छाती पर अपनी हथेलिया टिकाई और खुद ही बबलू के लंड पर उछलने लगी. बबलू रश्मि को काम करते देख उछालना बंद कर के अपनी चुदाई का मज़ा लेने लगा. रश्मि के बूब्स लेफ्ट-राइट करते हुए उसके साथ ही उछल रहे थे. बीच-बीच मे रश्मि आनंद के अतिरेक मे उछलना भूल जाती तो नीचे लेटा बबलू रश्मि को उछाल देता और रश्मि का सिर जबरदस्त मज़ा मिलने से घूम सा जाता. थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा पर कोई मैदान छोड़ने को तैय्यार नही था. कुछ सोच कर रश्मि मुस्कुराने लगी. रश्मि- साले…तू मुझे चोद रहा था ना…ले अब मैं तुझे चोद रही हू. बबलू- चलो हमारा हिसाब तो बराबर हो गया ना. अब तो कोई शिकायत नही है तुम्हे. रश्मि- साले...बाते कम कर और नीचे ध्यान लगा...तुझे तो मैं बाद मे बताउन्गी. ऊवूवयायीईयीईयैआइयैआइयैयियैयीयीयीयियी माआआआ रश्मि एक बार फिर ढेर हो गयी थी. चाहे छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर, कटेगा तो खरबूजा ही ना… आख़िरकार बबलू के चरमसुख की घड़ी आ ही गयी थी. पर अचानक रश्मि बीच मे दगा दे गयी थी. बबलू एक बांका नौजवान था…कोई पत्थर नही. उसने फिर से रश्मि को थोड़ा उपर उठाया और नीचे से ही चुदाई शुरू कर दी. 2 मिनिट बाद ही रश्मि की जोरदार चुदाई ने उसके लंड से पानी निकाल दिया. बबलू आनंद की गहराइयो मे गोते लगाने लगा उधर रश्मि फिर गरम हो गयी और उछलने लगी. बबलू का लंड रश्मि की चूत मे अपना रस उगल रहा था पर रश्मि इससे बेख़बर उछलती ही रही. चरमसुख पाकर बबलू तो शांत हो गया था पर रश्मि की आग भड़की हुई थी. वो उठ कर खड़ी हो गयी. उसकी चूत से बबलू का रस टपाक रहा था. रश्मि- कामीने…ये तेरा साँप बीच मे ही कैसे मर गया. अब ये खड़ा होगा या नही. जल्दी खड़ा कर इसे. बबलू कुछ कहता इससे पहले … क्रमशः........

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Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:37

. part--11 gataank se aage.................... Rashmi apne hosh me nahi thi. Kul milakar wo ab Bablu ki gulam ban chuki thi.... Rashmi ne Bablu ki pant ki zip ko khol diya aur andar hath dal diya.... Rashmi ke hatho ka sparsh pate hi Bablu ke lund ko rahat milne lagi thi. Rashmi ka hath bahar aaya to ek 10 inch ka kala naag nikaal laya jo bahar aate hi fufkarne laga. Rashmi usko dekhte pagal si ho gayi. Wo khud ko rok na saki aur use betahasha chumne lagi. Apne lund par chumbano ki bauchar pakar Bablu nihal ho raha tha. Iske bad Rashmi ne Bablu ki pant ka button khol diya aur Underwear ke sath pant ko neeche utar diya. Fir wo khadi ho gayi aur Bablu ki shirt ke button kholne lagi. Bablu bhi kaha rukne wala tha.Uske hath bhi apna kaam kar rahe the. Usne Rashmi ki salwar ka nada khol diya aur salwar apne aap niche gir gayi. Ab Rashmi Bablu ke samne ek panty me khadi thi aur uske mote boobs Bra ke bahar the. Bablu bhi kewal khuli button ki shirt me khada tha. Uska Lund ek dum tannaya hua tha. Dono pata nahi kis khumari me the, Jaise barso se sex kar rahe ho. Koi bhi piche hatne ko taiyyar nahi tha. Sab kuch itni teji se ho raha tha ki kuch sochne ki fursat hi kaha thi. Udhar niche Nisha ki halat ab kabu se bahar thi. Wo screen par in dono ke scene ke live telecast ko dekh kar bawli huyi ja rahi thi. Uska hath uski chut ko kapdo ke upar se hi sehla kar shant karne ki nakam koshish kar raha tha. Bablu ne Rashmi ko thoda piche karke ek Sewing Machine ki Table par baitha diya. Fir apne dono hath uski jangho ke niche se lejakar Rashmi ki jangho ko niche se apne hatho par tham liya. Rashmi ke boobs jarur mote the par uska shreer charhara tha. Uska phool jaisa shareer jameen se 1 foot upar Bablu ke majboot hatho par tika tha. Isse Rashmi ki choot Bablu ke lund ki sidhayi me aa gayi thi. Ab Rashmi ki sanse Bablu ki sanso se takra rahi thi. Rashmi ke rasile hoth kanp rahe the jaise Bablu ke hotho ko chumne ka agarah kar rahe ho. Bablu ne ye amantran sweekar kar liya aur uske hoth Rashmi se chipak gaye. Rashmi ke jawan jism ki aag ab buri tarah bhadak chuki thi. Usne Bablu ki chehre ko apne hatho se jakad liya aur betahasha chumne lagi. Dono ek dusre se chipak kar ek dusre ko chatne lage. Isi chuma-chati me Bablu ka lund Rashmi ki chut se ragada kha gaya. Dono hi ke shareer jhanjhana uthe. dono ab aur duri sahan karne ki sthiti me nahi the. Rashmi ne hath badha kar Bablu ke lund ko pakda aur panty ki side se apni chut ke muhane par laga diya. Bablu ne jor ka dhakka lagaya aur lund fisalata hua ek jhatke me pura 8 inch andar tak chala gaya. Rashmi ki rasbhari chut ekdum Highway lag rahi thi jis par Bablu ne apna truck dauda diya tha. Aur Highway par laga Baricade bhi use rok nahi paya tha. Par Rashmi ab anand se sagar se nikal kar dard ki hakikat me aa chuki thi. Use hosh aa gaya tha. Uski seal toot chuki thi. Wo ruwansi hone lagi aur Bablu ki chati par mukke marne lagi. Rashmi- Tumne meri ijaat loot li. Mujhe barbad kar diya. Door hato mujhse. Par Bablu abhi bhi anand ke sagar me gote laga raha tha. Wo Rashmi ki chut me lund dale ruka raha. Dhire-dhire Rashmi ka dard kam hua to usne apni gand piche kar ke Bablu ka lund bahar nikalne ki koshish ki. Par wo to Bablu ke hatho me fansi huyi thi. Is se lund to nikla nahi, Bablu ko signal jarur mil gaya. Bablu ne dhire se piche hokar adha lund bahar nikala aur fir se andar pel diya. Is dhakke se Rashmi ki rasbhari chut pighal si gayi. Bablu ne ek bar fir wahi kiya. Rashmi ka gussa ab gayab ho chuka tha aur fir wahi khumari chane lagi thi. Bablu Rashmi ke chehre ke badalte bhavo ke anusar dhakko ki raftar badhata gaya. Rashmi abhi bhi Bablu ke hatho par tiki thi Rashmi ko har dhakke par aage aur fir piche kar rahe the. Har naya dhakka Rashmi ke shareer me anand ke nayi lehar le aata. Rashmi anand ke sagar me puri tarah doob chuki thi. Bar bar uski chut pani chod rahi thi aur har baar wo Bablu se buri tarah chipak kar use yaha waha chumne lagti. Uske mote-mote mumme uchal-uchal kar Bablu ko aur uttejit kar rahe the. Bablu Rashmi ko uthaye huye hi jameen par let gaya. Bablu ka lund pure 9 inch tak Rashmi me gada hua tha. ab Rashmi Ghud-sawar ki tarah Bablu ke upar bathi thi aur Bablu ka lund uski chut me fansa hua tha. Ab Rashmi ki sanse Bablu ki sanso se takra rahi thi. Rashmi ke rasile hoth kanp rahe the jaise Bablu ke hotho ko chumne ka agarah kar rahe ho. Bablu ne ye amantran sweekar kar liya aur uske hoth Rashmi se chipak gaye. Rashmi ke jawan jism ki aag ab buri tarah bhadak chuki thi. Usne Bablu ki chehre ko apne hatho se jakad liya aur betahasha chumne lagi. Dono ek dusre se chipak kar ek dusre ko chatne lage. Isi chuma-chati me Bablu ka lund Rashmi ki chut se ragada kha gaya. Dono hi ke shareer jhanjhana uthe. dono ab aur duri sahan karne ki sthiti me nahi the. Rashmi ne hath badha kar Bablu ke lund ko pakda aur panty ki side se apni chut ke muhane par laga diya. Bablu ne jor ka dhakka lagaya aur lund fisalata hua ek jhatke me pura 8 inch andar tak chala gaya. Rashmi ki rasbhari chut ekdum Highway lag rahi thi jis par Bablu ne apna truck dauda diya tha. Aur Highway par laga Baricade bhi use rok nahi paya tha. Par Rashmi ab anand se sagar se nikal kar dard ki hakikat me aa chuki thi. Use hosh aa gaya tha. Uski seal toot chuki thi. Wo ruwansi hone lagi aur Bablu ki chati par mukke marne lagi. Rashmi- Tumne meri ijaat loot li. Mujhe barbad kar diya. Door hato mujhse. Par Bablu abhi bhi anand ke sagar me gote laga raha tha. Wo Rashmi ki chut me lund dale ruka raha. Dhire-dhire Rashmi ka dard kam hua to usne apni gand piche kar ke Bablu ka lund bahar nikalne ki koshish ki. Par wo to Bablu ke hatho me fansi huyi thi. Is se lund to nikla nahi, Bablu ko signal jarur mil gaya. Bablu ne dhire se piche hokar adha lund bahar nikala aur fir se andar pel diya. Is dhakke se Rashmi ki rasbhari chut pighal si gayi. Bablu ne ek bar fir wahi kiya. Rashmi ka gussa ab gayab ho chuka tha aur fir wahi khumari chane lagi thi. Bablu Rashmi ke chehre ke badalte bhavo ke anusar dhakko ki raftar badhata gaya. Rashmi abhi bhi Bablu ke hatho par tiki thi Rashmi ko har dhakke par aage aur fir piche kar rahe the. Har naya dhakka Rashmi ke shareer me anand ke nayi lehar le aata. Rashmi anand ke sagar me puri tarah doob chuki thi. Bar bar uski chut pani chod rahi thi aur har baar wo Bablu se buri tarah chipak kar use yaha waha chumne lagti. Uske mote-mote mumme uchal-uchal kar Bablu ko aur uttejit kar rahe the. Bablu Rashmi ko uthaye huye hi jameen par let gaya. Bablu ka lund pure 9 inch tak Rashmi me gada hua tha. ab Rashmi Ghud-sawar ki tarah Bablu ke upar bathi thi aur Bablu ka lund uski chut me fansa hua tha. Rashmi ki chut pani chhod-chhod kar behal ho gayi thi. Usne apni chut se Bablu ka lund bahar nikalne ke liye apni gand ko thoda upar kiya par Bablu ne uske gundaj kulho ko pakad liya aur Rashmi bas 6-7 inch upar hi uth saki. Isse Bablu ko lund chalane ki jagah mil gayi. Wo Rashmi ke niche se hi uchal-uchal kar Rashmi ki chut se andar bahar hone laga. Ye anubhav Rashmi ke bhi liye naya sa tha. Wo hawa me hi tangi huyi chud rahi thi. Uski ghayal chut me fir se tarange uth rahi thi. Jab sahan nahi hua to usne Bablu ki chati par apni hatheliya tikayi aur khud hi Bablu ke lund par uchalne lagi. Bablu Rashmi ko kam karte dekh uchalna band kar ke apni chudayi ka maja lene laga. Rashmi ke boobs left-right karte huye uske sath hi uchal rahe the. Beech-beech me Rashmi anand ke atirek me uchalna bhool jati to niche leta Bablu Rashmi ko uchal deta aur Rashmi ka sir jabardast maja milne se ghum sa jata. Thodi der tak aisa hi chalta raha par koi maidan chodne ko taiyyar nahi tha. Kuch soch kar Rashmi muskurane lagi. Rashmi- Sale…tu mujhe chod raha tha na…le ab mai tujhe chod rahi hu. Bablu- Chalo hamara hisab to barabar ho gaya na. Ab to koi shikayat nahi hai tumhe. Rashmi- Sale...bate kam kar aur neeche dhyan laga...tujhe to mai baad me bataungi. UUUUUYYYYYYYYYYIIIIIIIII MAAAAAAAA Rashmi ek baar fir dher ho gayi thi. Chahe churi kharbuje par gire ya kharbuja churi par, katega to kharbuje hi na… Akhirkar Bablu ke charamsukh ki ghadi aa hi gayi thi. Par achanak Rashmi beech me daga de gayi thi. Bablu ek banka naujawan tha…koi pathar nahi. Usne fir se Rashmi ko thoda upar uthaya aur niche se hi chudayi shuru kar di. 2 minute bad hi Rashmi ki jordar chudai ne uske lund se pani nikal diya. Bablu anand ki gehrayiyo me gote lagane laga udhar Rashmi fir garam ho gayi aur uchalne lagi. Bablu ka lund Rashmi ki chut me apna ras ugal raha tha par Rashmi isse bekhabar uchalti hi rahi. Charamsukh pakar Bablu to shant ho gaya tha par Rashmi ki aag bhadaki huyi thi. Wo uth kar khadi ho gayi. Uski chut se Bablu ka ras tapak raha tha. Rashmi- Kamine…ye tera sanp beech me hi kaise mar gaya. Ab ye khada hoga ya nahi. Jaldi khada kar ise. Bablu kuch kehta isse pehle … kramashah..........

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Re: अंजानी डगर

Unread post by 007 » 11 Nov 2014 08:38

अंजानी डगर पार्ट--12 गतान्क से आगे.................... मॉनिटर पर दोनो की पूरी काम-क्रीड़ा का लाइव टेलएकास्ट देख लेने के बाद निशा की हालत बेकाबू हो चुकी थी. बेचारी काउंटर बैठे हुए ही अपनी चिड़िया को सेलहाए जा रही थी पर अब सहन करना मुश्किल हो रहा था. बस कोई आ जाए और इस ओखली मे मूसल डाल कर धोन्च्ता रहे....फाड़ डाले इस निगोडी चूत को. अब कोई चारा नही बचा तो कंप्यूटर और कॅश बॉक्स को बंद कर खड़ी हो गयी. फिर संजना और रोज़ी से बोली- मैं टाय्लेट होकर आ रही हू. तुम ज़रा यहा का ध्यान रखना. फिर वो उपर की ओर चल दी. वाहा पहुचते ही उसने जीने का गेट बंद कर दिया और मास्टर जी के कमरे मे घुस गयी. वाहा बबलू का पानी निकल चुका था और रश्मि उस पर चिल्ला रही थी… रश्मि- कामीने…ये तेरा साँप बीच मे ही कैसे मर गया. अब ये खड़ा होगा या नही. जल्दी खड़ा कर इसे. बबलू कुछ कहता इससे पहले … मदहोश निशा बबलू के पास पहुचि और उसने घुटनो पर बैठ कर मुरझाए हुए लंड को अपने मूह मे ले लिया. निशा की इस हरकत से बबलू और रश्मि सकते मे आ गये. दोनो सेक्स के खेल मे इतने मस्त हो गये थे कि ध्यान ही नही रहा कि वो कहा पर है. जब तक बबलू संभलता निशा ने उसके लंड को चूस- चूस कर फिर से खड़ा कर दिया. इसके बाद उसने देर ना करते हुए अपनी सलवार उतारी और चढ़ गयी बबलू पर घुड़-सवारी करने. निशा की चूत चुदाई के लिए एकदम तय्यार थी. उसकी योनि का रस बह कर उसकी टाँगो पर आ चुक्का था. बबलू को कुछ करने की ज़रूरत नही पड़ी. तीर निशाने पर था. आआआआयययययययययययईईईईई- एक घुटि हुई सी चीख सुनाई दी और निशा का भी कोमार्य बबलू के लंड पर कुर्बान हो गया. थोड़ा सा खून निशा की चूत से रिस कर योन-रस के साथ बाहर आ गया. निशा की चूत की फांके बबलू के टट्टो को चूम रही थी. अब बबलू भी पूरे रंग मे वापस आ गया था. उसने निशा के सूट के बटन खोल दिए और उसे उतार दिया. निशा की नाषपाती के साइज़ की दूधिया रंग की चुचिया एक टीनेजर ब्रा मे क़ैद थी. साइज़ रश्मि से छोटा था पर गोरे रंग ने गजब कर दिया था. ऐसी सुंदरता तो बबलू ने सपने मे भी नही देखी थी. निशा थोड़ी देर के बाद उछलने लगी. जैसे उसने रश्मि को चलते हुए देखा था. उसकी ब्रा मे क़ैद नश्पातिया भी उपर नीचे उछल रही थी. बबलू तो जैसे ईन्द्र के सिंहासन पर था और कोई अप्सरा उसकी सेवा कर रही थी. पर वो ज़्यादा देर तक इस शानदार एहसास मे नही रह पाया. बबलू को अब असलियत का आभास हो रहा था. हालाँकि, आज उसकी जिंदगी का सबसे खुशनसीब दिन था. आज एक नही 2-2 कुँवारी कमसिन लड़कियो की कोरी चूत की सील उसने तोड़ी थी. पर वो डर भी रहा था. नयी जगह. नये लोग. और पहली ही बार मे ये सब…उसके मूह से अपने आप ही बोल फूटने लगे. बबलू- अरे तुम ये क्या कर रही हो. निशा- (चुप) बबलू- देखो तुम ये ठीक नही कर रही. निशा- और तू रश्मि के साथ क्या कर रहा था. रश्मि- मैं तो अपना नाप देना सिखा रही थी. निशा- तो ठीक है मैं भी सिखा दूँगी. बबलू- मस्टेरज़ी ने मुझे इसका नाप लेने को कहा है. निशा- चुप चाप मेरा नाप लो…नही तो उनको बता दूँगी कि तुम कैसे नाप ले रहे थे. ये सुन कर बबलू चुप हो गया. पर रश्मि की चूत मे भी को आग भड़की हुई थी जो निशा की हर्कतो ने और भड़का दी थी. वो भी बेचारे बबलू के मूह पर बैठ गयी. रश्मि की चूत के लिप्स बबलू के मूह के लिप्स से जुड़ गये. रश्मि बबलू के मूह पर ही अपने निचले लिप्स को रगड़ने लगी. बबलू ने अपनी जीभ को बाहर निकाला और उसी से रश्मि की चूत को चोदने लगा. बड़ा जोरदार थ्रीसम सीन चल रहा था. बबलू के कसरती जिस्म का 2-2 अप्सराए मान-मर्दन कर रही थी. तीनो की जवानिया एक दूसरे से जम कर लोहा ले रही थी. देखना था की किसमे कितना दम है. आख़िरकार, सबसे पहले रश्मि का पानी छूटा. उसने अपनी योनि को बबलू के मूह पर कस कर दबा दिया और उसके सिर को कस कर पकड़ लिया. फिर वो वहाँ से हट कर एक तरफ निढाल हो कर ढेर हो गयी. रश्मि के हटने के बाद बबलू ज़मीन से थोड़ा सा उठा और घुटने मोड़ कर निशा को खड़ा कर दिया. निशा तो मदमस्त हथनी की तरह लंड पर जमी हुई थी. वो उससे अलग नही होना चाहती थी पर बबलू के आगे उसकी एक ना चली. बबलू ने खड़े होकर निशा की अब तक क़ैद नाश्पतियो को ब्रा खोल कर बाहर निकाल लिया. निशा का गोरा बेदाग जिस्म अब पूरी तरह अनावृत हो चुक्का था. लोग चोदने से पहले एक दूसरे का जिस्म निहार कर उत्तेजना बढ़ाते है. यहा उल्टा हो रहा था. निशा का धैर्य जवाब दे रहा था. उसे तो बस एक ही चीज़ दिख रही थी जिसे वो हर हाल मे पा लेना चाहती थी. पर ये बबलू तो निशा को निहारने मे ही लगा हुआ था. निशा फिर से बबलू के जिस्म लिपट गयी. उधर रश्मि भी निशा की गर्मी को देख कर फिर से पिघलने लगी और निशा से जा लिपटी और उसे चूमने लगी. पर जिसका डर था वही हुआ… नॉक-नॉक तभी अचानक खटखटाने की आवाज़ आई. शायद जीने के दरवाजे पर कोई था. बबलू तो होश मे था पर दोनो अप्सराओ के दिमाग़ पर तो जैसे सेक्स का भूत सवार था. दोनो की चूत का उद्घाटन तो हो गया था पर जवानी की प्यास भुजने की बजाए और भड़कती ही जा रही थी. दोनो रति क्रिया मे ऐसे खोई हुई थी कि इसी काम के लिए ही जन्म लिया हो. बबलू ने किसी तरह खुद को अलग किया और दोनो को झींझोड़ा. पर वो भूखे बच्चे की तरह उसके लंड पर टूट पड़ी. दोनो उसकी सेक्स-स्लेव बन चुकी थी. बबलू ने उनको उस नशे का चस्का लगा दिया था जो हर डोज के साथ और नशीला हो रहा था. उधर खटखताहत की आवाज़ बढ़ती ही जा रही थी. इधर बबलू की हालत पस्त हो रही थी. बबलू- मस्टेरज़ी आ गये है. तुम दोनो कपड़े पहन लो. निशा- मेरी प्यास तो भुजा दे मेरे राज्जा. बबलू- अरे कोई आ जाएगा. जल्दी करो. निशा- मैं आ तो गयी हू. अब बंद दरवाजे से कोई और नही आएगा. बबलू- पागला गयी हो क्या. मस्टेरज़ी दरवाजा तोड़ कर यहा आ जाएँगे. उनको पता है कि मैं और रश्मि यहा अकेले है. निशा- मुझे कुछ नही पता. इस रश्मि को तो बड़ा मज़ा दे रहे थे तुम. अब मेरी बारी मे चीटिंग मत करो. बबलू- मेरी जान. मैं कही भागा थोड़े ही जा रहा हू. कल तुम्हारा नंबर लगा दूँगा. निशा- प्रॉमिस? बबलू- बाइ गॉड की कसम. अब तो कपड़े पहन लो प्लीज़. रश्मि- और मैं. मेरी प्यास भी ढंग से नही भुजी है. मुझे कब प्यार करोगे. बबलू- तेरी सेवा भी कर दूँगा. अब तुम भी कपड़े पहन लो प्लीज़. दोनो अनमने ढंग से कपड़े पहनने लगी और बबलू आने वाली आफ़त के बारे मे सोचने लगा. उसने अपने कपड़े ठीक किए और टाय्लेट मे लगे मिरर के सामने अपना हुलिया चेक किया. फिर वापस आकर उन दोनो को टाय्लेट मे भेज दिया. और नीचे की ओर भागा. बबलू की जान सुखी हुई थी. पता नही आज क्या होने वाला था. 3 जवान जिस्म कमरा बंद करके क्या कर रहे थे. क्या जवाब देता वो……….? मन ही मन आज वो भगवान से प्रार्थना कर रहा था की आज बचा ले फिर कभी किसी लड़की की ओर आँख उठा कर भी नही देखेगा. नॉक..नॉक अबकी बार बबलू ने तुरंत ही दरवाजा खोल दिया. सामने मस्टेरज़ी नही संजना खड़ी थी. उसे देख कर बबलू की जान मे जान आई. पहले जब बबलू बुटीक मे आया था तब उसे नही देख पाया था. ये संजना तो हुस्न परी थी. एक दम गोरा चिटा रंग. और साइज़ भी एकदम सेक्सी. उपर से उसकी टाइट जीन्स-टॉप….अफ…कोई पत्थर भी पिघल जाए. पर हमारे बबलू जी तो अभी अभी अपना सारा रस निचोड़-निचोड़ कर उपर 2 सुंदरियो को दान कर आए थे. बेचारी संजना की ज्वानी पर बबलू का ध्यान ही नही गया. वो बेरूख़ी से बोला- क्यो शोर मचा रही हो. कौन हो तुम. संजना- मैं संजना हू. यहा सेल्स गर्ल का काम करती हू. निशा दीदी कहा है. बबलू- वो वॉश….उपर मस्टेरज़ी के कमरे मे है…बोलो क्या काम है. संजना- नीचे मल्लिका मेडम है. बहुत गुस्से मे है. निशा दीदी को बुला रही है….कहा है वो उको बुलाओ ना. बबलू- अब ये कौन सी नयी बला है. संजना- वो हमारी पुरानी कस्टमर है और शमा मेडम की खास फ्रेंड भी है. बहुत गुस्से मे है. बबलू- क्यो क्या कर दिया तुमने उनके साथ. सनजाना- मैने कुछ नही किया. वो तुमसे पहले एक लड़का था रोहन. उसने उनकी सारी का ब्लाउस सिला था. उसकी फिटिंग सही नही आ रही. बहुत महँगी साडी है. संजना की बोली एकदम मिशरी जैसी थी. जब बोलती तो जैसे फूल झाड़ रहे हो. बबलू उसकी आवाज़ के जादू मे खो सा गया. संजना- निशा दीदी कहा है. बबलू- निशा मॅम को तो अभी टाइम लगेगा. संजना- चलो तो तुम ही देख लो. बबलू- मैं क्या देखूँगा. संजना- अरे तुम टेलर हो. कस्टमर को अटेंड करना. उसकी प्राब्लम सॉल्व करना. बबलू- तू आज पहले ही दिन मरवाएगी. संजना- तुम चलो तो सही. बबलू- ठीक है चलो. जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. बबलू नीचे पहुचा तो वाकई भूचाल आया हुआ था. एक 30-32 साल की हाईफ़ाई मेडम बेहद गुस्से से बेचारी रोज़ी पर चिल्ला रही थी. बबलू- एस मेडम. वॉट कॅन आइ डू फॉर यू. मल्लिका- सी…वॉट ईज़ दिस बबलू- दिस लुक्स लाइक आ ब्लाउस. मल्लिका- ओफफफूओ….ये तो मुझे भी पता है कि ये ब्लाउस है. ये ब्लाउस मैने 1 महीना पहले यहा से सिलवाया था. खास आज शाम होने वाली करण की पार्टी के लिए 34000 की सारी इस बुटीक से खरीदी थी. जब आज सुबह मैने इसको ट्राइ किया तो आया ही नही. बुरी तरह से फँस रहा है. अब मैं आज शाम की पार्टी मे क्या पहनुँगी. ये निशा कहा है ? बबलू- मेडम मुझे बताइए मैं आपकी प्राब्लम सॉल्व करूँगा. मल्लिका- देखो ये ब्लाउस कितना टाइट है. एक बार पहन लो तो सांस नही ले सकते. बबलू- मेडम आप उपर चलिए. मैं हाथ के हाथ आपका ब्लाउस आल्टर कर दूँगा. यह सुनकर मल्लिका मेडम का तमतमाया हुआ चेहरा खिल उठा. मल्लिका- तुम कर लोगे ? बबलू- आप मुझ पर छोड़ दीजिए. ये बताइए की आप क्या लेना पसंद करेंगी. कॉफी या जूस. मल्लिका- बटरस्कॉच शेक मंगा लो. बबलू- रोज़ी एक शेक उपर भेज देना. आइए मेडम. मल्लिका मेडम को शांत करने के चक्कर मे बबलू उनकी मस्त देह का दीदार करना तो भूल ही गया था. जीने मे उपर चढ़ते समय मेडम को देखने का मौका मिला. मेडम ने ब्लॅक कलर की घुटनो तक की स्कर्ट पहन रखी थी और उपर ब्लॅक कोट था. मेडम की कमर तो पतली ही थी पर कुल्हो पर चढ़े हुए माँस से उभार सॉफ दिखाई दे रहा था. मेडम के जिस्म की आँखो से पैईमाश करते-करते दोनो उपर मस्टेरज़ी के रूम मे पहुच गये. वाहा निशा और रश्मि अब तक सब कुछ सेट कर चुकी थी. मल्लिका- निशा देखो ये क्या करवा दिया तुमने. निशा- क्या हुआ मॅम. बबलू- अरे कुछ नही. मेडम आप चिंता मत करे. मैं सब ठीक कर दूँगा. आप ऐसा करे की इस ब्लाउस को चेंज रूम मे जाकर पहन लीजिए. फिर मैं चेक कर लूँगा कि कहा प्राब्लम है. और मल्लिका ब्लाउस उठा कर चेंज रूम मे चली गयी. निशा- हाए राम. ये मल्लिका मेडम की चुचिया देखी तूने. 2 महीने मे ही कैसी फूल गयी है. ब्लाउस क्या खाक आएगा. रश्मि- हा यार पहले तो इतने बड़े नही थे मेडम के. बबलू- इन का पहले वाला साइज़ तो लिखा होगा. निशा- हा यही मस्टेरज़ी के पास होगा. मैं देखती हू….ये रही ऑर्डर बुक…ये रहा उनका 2 महीने पहले वाला साइज़….देखो मैने कहा था ना उनकी बस्ट का साइज़ 32 इंच लिखा है. अब देखो क्या साइज़ हो गया है. रश्मि- कुछ भी कहो...मेडम कितनी सेक्सी लग रही थी ना. ये बस्ट का साइज़ बढ़ने से औरत एकदम सेक्स-बॉम्ब बन जाती है. निशा- हा तभी तू इतना इतराती फिरती है. तेरा साइज़ भी तो मस्त है ना. रश्मि- मेरा साइज़ बड़ा है तो मेरा क्या कसूर है. निशा- हा यार. काश मेरा भी साइज़ इतना हो जाए तो मज़ा ही आ जाए. अच्छा चल तू नीचे जा. मैं यहा देखती हू. रश्मि- एक दिन मे ज़्यादा देखना-देखना सही नही है दीदी. अब तो बेचारे पर रहम करो. निशा- चल बेशरम कही की. रश्मि- आप कितनी शर्मीली हो. वो तो मैने देख ही लिया है. निशा- तू जाती है या नही. रश्मि- अच्छा बाबा जाती हू. *** मल्लिका मेडम जैसे ही चेंज करके बाहर आई तो लगा जैसे कमरे मे ज़लज़ला सा आ गया हो. मल्लिका मेडम के जलवे देख कर बबलू के निस्तेज लंड मे भी जैसे नवजीवन का संचार हो गया था. जैसे उसके लंड की नसो मे नया खून दौड़ने लगा था. 2-3 सेकेंड मे ही बबलू का सैनिक मल्लिका मेडम को सलामी देने लगा था. मल्लिका मेडम ब्लाउस और स्कर्ट पहन रखा था. मेडम वाकई मे सेक्स-बॉम्ब थी. रेड कलर के ब्लाउस मे मेडम बेहद शोख लग रही थी. मल्लिका- देखो कितना टाइट है. सांस भी नही आ रही. हुक भी साँस रोक कर लगाए है. बबलू ने इंक्फिटेप उठाया और मेडम के पास जाकर ब्लाउस को देखने लगा. वाकई मे मेडम सही कह रही थी. मेडम के बूब्स ब्लाउस मे इस तरह क़ैद थे कि अभी फाड़ कर बाहर आ जाएँगे. ब्लाउस के हुक भी जवाब देने वाले थे. बबलू- मेडम आप चिंता मत कीजिए मैं आप का साइज़ ले लेता हू फिर आपके ब्लाउज को ठीक कर दूँगा. आप यहा खड़ी हो जाइए और ब्लाउस उतार दीजिए. मल्लिका- व्हाट ???? बबलू- मेडम सही नाप लेने के लिए तो ब्लाउस उतारना ही पड़ेगा. मल्लिका- वो तो ठीक है पर मैने बड़ी मिश्किल से हुक लगाए है. अब ये मुझसे नही खुलेंगे. बबलू- ठीक है ये निशा आपकी मदद कर देगी. आप इनको दबाइए और निशा हुक खोल देगी. निशा तो पहले ही मेडम के साइज़ को देख कर सकते मे थी. वो बिना कुछ कहे आगे आई और मेडम के बूब्स को दोनो साइड से दबाने लगी. मेडम ने भी सांस निकाल कर हुक खोल ने की काफ़ी कोशिश की पर कोई फायेदा नही हुआ. निशा की कोमल कलाइया इस कम के लिए कमजोर साबित हुई. बबलू- मेडम ऐसा करिए आप खुद दबाइए और निशा हुक खोल देगी. मल्लिका- मुझसे सांस नही ली जा रही है. और तुम मज़ाक कर रहे हो. मुझसे नही दबेंगे ये. बबलू- तो फिर क्या करे अब. निशा- अरे तुम ही क्यो नही दबा देते. (निशा ने बबलू के मन की बात बोल दी थी) बबलू- मेडम. म....मैं कैसे आपके बूब्स को दबाउन्गा. (दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा कहना चाहता हूँ आप लोग भी सोच रहे होंगे की काश....... हम भी वहाँ होते अब देखिए इसकमिने बबलू का मन तो बहुत हो रहा था पर उपर से नौटंकी दिखा रहा था) मल्लिका- मुझे कोई प्राब्लम नही है. पर बबलू आगे नही बढ़ा तो निशा ने बबलू के हाथ पकड़े और मेडम के बूब्स की दोनो साइड पर रख दिए. अँधा क्या चाहे ????????????????????????? 2 आँखे क्रमशः..........

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