मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानीcompleet

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raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 14 Dec 2014 15:17

25

गतान्क से आगे.....................

अंदर नेहा बेड के पास खड़ी थी. अभी के बदन पर सिर्फ़ एक चादर थी. जो उसकी कमर तक धकि हुई थी. बाकी अभी का ऊपेर का बदन सॉफ दिख रहा था. नेहा ने अभी की तरफ देखा. और कांपती हुई आवाज़ मे अभी को आवाज़ लगाई.

नेहा: बाबू जी चाइ.

अभी अपनी आँखों को मालता हुआ तकिये का सहारा लेकर बेड पर बैठ गया. जैसे ही अभी बेड पर बैठा. अभी की एक जाँघ चादर से बाहर आ गयी. नेहा ने अपने नज़रें झुका ली. और अपनी तिरछी निगाहो से अभी की मांसल जाँघ को देखने लगी.

अभी: एक मिनट यहाँ बैठों मे ज़रा मूत कर आता हूँ.

नेहा: कांपती हुई आवाज़ मे) बाबू जी चाइ यहाँ पर रख दूं.

अभी: क्यों कोई काम है.

नेहा: जी नही वो मा बाहर है.

अभी: तो क्या हुआ. बस एक मिनिट बैठ. मे अभी मूत कर आता हूँ.

जैसे ही अभी उठने को हुआ. तो शायद उसे अहसास हो गया. कि उसने नीचे कुछ पहना नही है.

अभी: एक मिनिट अपनी आँखों को बंद करो.

नेहा: (घबराते हुए) क्या बाबू जी.

अभी: अर्रे कुछ नही. मेने नीचे कुछ नही पहना है. मे नंगा हूँ. तो ज़रा आँखें बंद कर ले. मे बाथरूम मे जाता हूँ.

नेहा: मे बाहर जा रही हूँ बाबू जी.

अभी: मेने कहा ना यहीं बैठ मुझे तुम से कुछ बात करनी है.

नेहा बेड पर बैठ गयी.और अपनी आँखों को बंद कर लिया.

अभी: आँखें बंद कर ली.

नेहा: जी.

अभी ने चादर को अपने ऊपेर से उठाया. और बेड से नीचे उतर कर नीचे गिरा हुआ अंडरवेर पहन लिया. मुझे यकीन है नेहा ने ज़रूर अभी के झूल रहे लंड को देखा होगा.

अभी: अच्छा अपनी आँखें खोल लो. मेने अंडरवेर पहन लिया है.

नेहा ने अपनी आँखें खोली और एक झलक अभी की तरफ देखा. और फिर से नज़रें झुका ली. नेहा के गाल एक दम लाल सुर्ख हो चुके थे. नेहा मुझसे भी कहीं ज़्यादा गोरी थी. अभी बाथरूम मे चला गया. जब वो बाथरूम से बाहर आया तो. वो फिर से नेहा के पास आकर बैठ गया. और नेहा के हाथ से चाइ का कप ले लिया.

नेहा: जी बाबू जी मे अब जाऊ. (नेहा के आवाज़ लड़खड़ा रही थी)

अभी: मेने कहा था ना तुमसे कुछ बात करनी है.

नेहा: जी.

अभी: क्या तुम आज मेरी मालिश कर दोगी. सच मे तुम्हारे मुलायम हाथों मे कमाल का जादू है. सारी थकान मिट जाती है.

नेहा: (कांपती हुई आवाज़ मे) वो मा दाँटेगी.

अभी: क्यों कल क्या तुम्हारी मा ने डांटा था.

नेहा: जी नही

अभी: तो फिर.

नेहा: पर मा

अभी: (नेहा को बीच मे टोकते हुए) मे उसे बोल दूँगा. और आज छत पर चल कर मालिश करना. आज धूप बहुत अच्छी खिली है. अछा अब तुम जाओ और मा के साथ नाश्ता बनाओ.

मे जल्दी से किचन मे वापिस आ गयी. और छाई पीने के बाद मे नहाने चली गयी. जब मे नहा कर बाहर आई तो मुझे किचन से कुछ आवाज़ आई. अंदर अभी नेहा के साथ कुछ बात कर रहा था. और नेहा शरमाते हुए ना मे सर हिला रही थी.

अभी: अच्छा ठीक है मे रचना को बोल देता हूँ कुछ नही कहेगी वो.

और अभी बाहर आ गया और अपने रूम मे जाते हुए मुझे आवाज़ दी.

मे अभी के रूम मे चली गयी.

मे: क्या हुआ बाबू जी.

अभी: वो मेने आज का प्रोग्राम सेट कर लिया है. नेहा और मे आज ऊपेर छत पर जाएँगे. नाश्ते के बाद उसे जो मे ड्रेस उसके लिए लाया था. उसे दे देना. और उसे पहनने के लिए बोल देना.

मे: जी ठीक है बाबू जी.

और मे बाहर आ गयी और नाश्ता बनाने लगी. मेने किचन मे से देखा. नेहा नहाने जा रही थी. मेने नेहा को आवाज़ लगाई. नेहा मेरी आवाज़ सुन कर किचन मे आ गयी.

मे: नेहा जो ड्रेस तुझे बाबू जी ने दी थी ना. आज तूँ वो पहन कर मुझे दिखा. बाबू जी तेरे लिए कितने प्यार से लाए हैं.

नेहा ने अपने सर को झुका लिया. वो कुछ नही बोल रही थी. मेने प्यार से नेहा के गालो पर हाथ फेरा. और उसके फेस को ऊपेर उठा कर उसके माथे को चूमते हुए बोली.

मे: तुम उन कपड़ो मे बहुत सुंदर लगो गी. मे भी तो देखू मेरे राजकुमारी शहरी लिबास मे कैसी लगती है.

मे नेहा का हाथ पकड़ रूम मे ले गयी. और उसे वो ड्रेस पकड़ा दी. और फिर उस बॅग को खोला जिसमे अभी मेरे और नेहा के लिए ब्रा और पॅंटी के सेट लेकर आया था. उसमें से मेने नेहा को एक ब्लू कलर की ब्रा और पॅंटी निकाल कर दे दी. ब्रा और पनटी दोनो नय्लोन की थी. पॅंटी और ब्रा पर नेट के ट्रणस्परेंट का नेट लगा हुआ था.

मे: ये ले ये भी बाबू जी तुम्हारे लिए लाएँ थे.

नेहा ने मेरे हाथ से ब्रा और पॅंटी ले ली. और बाथरूम मे चली गयी. मेरे होंटो पर मुस्कान फेल गयी. आख़िर मे भी यही चाहती थी. कि नेहा भी हमारे खेल मे शामिल हो जाए. और हम तीनो चुदाई का आनंद खुल कर ले सकें. मे नाश्ता तैयार किया और अभी को नाश्ता दे आई. नेहा नहा कर रूम मे आ गयी. ब्लॅक कलर का स्कर्ट उसके घुटनो तक मुस्किल से पहुच रहा था. जब वो चलती तो उसकी गोरी चिकनी जांघे सॉफ-2 दिखाई देती. पिंक कलर के टॉप मे उसकी चुचियो एक दम कसी हुई लग रही थी. पिंक कलर का टॉप नेहा के गोरे रंग पर और खिल रहा था.

नाश्ते करने के बाद अभी अपने रूम मे जाकर सो गया. अभी के ऐसे सो जाने पर मे थोड़ा हैरान ज़रूर थी. मे भी अपने रूम मे आकर लेट गयी. नेहा पहले से पलंग पर लेटी हुई थी. मुझे कब नींद आ गयी. मुझे पता नही चला.

दोपहर के करीब 1 बजे मुझे अभी ने उठाया. मे अभी को अपने रूम मे देख कर थोड़ा सा सकपका गयी. मेने पलंग के दूसरी तरफ नज़र डाली. नेहा वहाँ नही थी.

अभी: (मुस्कराते हुए) वो ऊपेर गयी है. मेने उसे ऊपेर जाने के लिए कहा है. अब मे भी ऊपेर जा रहा हूँ. तुम्हें बताने आया था, कि तुम कही मुझे और नेहा को ढूँढते हुए ऊपेर ना आ जाओ. और सारा काम बिगाड़ दो.

अभी ये बोल कर ऊपेर चला गया. पर मुझे देखना था, कि अभी और नेहा ऊपेर जाकर क्या करेंगे. मे थोड़ी देर बाद ऊपेर जाने लगी. और छत पर पहुचने के बाद मे सीडयों पर ही रुक कर देखने लगी. अभी का घर दो मंज़िला था. नयी कॉलोनी मे होने के कारण आस पास कोई घर नही था. चारो तरफ 5-5 फुट उँची दीवारें थी. इस लिए कोई देख नही सकता था.

अभी एक पुराने से गद्दे पर लेटा हुआ था. ऊपेर आने के बाद उसने अपनी टीशर्ट और शॉर्ट्स उतार दिया था. और सिर्फ़ अंडरवेर मे लेटा हुआ था. नेहा उसकी जाँघो के पास एक तरफ बैठी हुई थी.

अभी: चल अब क्या सोच रही है. जल्दी से मालिश कर दे. मुझे नहाना भी है. सुबह से नहाया नही हूँ.

नेहा: वो मा जाग गयी तो,

अभी: मे उसे बोल कर आया हूँ. वो ऊपेर नही आएगी. चल अब जल्दी से मालिश शुरू कर. ज़्यादा टाइम लगाएगी तो फिर ज़रूर ऊपेर आ जाएगी.

नेहा ने सर को झुकाए हुए बॉटल मे से थोडा सा तेल अपने हथेली मे लिया. और कांपती आवाज़ मे बोली

नेहा: बाबू जी पहले कहाँ (वो घबराई हुई लग रही थी. शायद मेरी वजह से या फिर अभी की हरकतों से)

अभी: पहले मेरे सीने से शुरू करो.

नेहा अभी के ऊपेर थोड़ा सा झुक गयी. और अपने काँपते हाथों से अभी के चेस्ट की मालिश करने लगी. वो शर्मा कर अपनी नज़रें झुकाए हुए थी. अभी ने अपना एक हाथ थोड़ी देर बाद उसकी कमर मे रख दिया. जैसे ही अभी का हाथ नेहा की कमर पर पड़ा. नेहा एक पल के लिए रुक गयी.

उसका बदन थोड़ा सा काँप रहा था. नेहा ने एक बार अभी की तरफ देखा. अभी ने मुस्कुराते हुए. उसे मालिश करने को कहा. नेहा अभी की जाँघो से सॅट कर बैठी थी. उसका मुँह अभी की तरफ था. और अभी का हाथ उसकी कमर को धीरे-2 सहलाता ऊपेर नीचे हो रहा था.

अभी का हाथ नेहा की कमर को सहलाता हुआ. धीरे-2 नेहा की स्कर्ट के ऊपेर से उसके चुतड़ों की तरफ बढ़ रहा था. जैसे-2 अभी का हाथ नेहा के चुतड़ों की तरफ बढ़ रहा था. नेहा कसमासाए जा रही थी. और बार- 2 अपनी कमर की तरफ देख कर अभी के हाथ को देख रही थी.

थोड़ी देर मे ही अभी के हाथ नेहा के टॉप और स्कर्ट के बीच मे था. अभी ने नेहा के टॉप को थोड़ा सा ऊपेर उठा दिया. और अपने हाथों को उसकी नंगी कमर पर रख दिया. नेहा एक दम से काँप गयी.

नेहा: लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे) बाबू जी मा वो माआ तो ऊपर नही आएगी ना.

अभी: (नेहा के घबराहट को समझते हुए) नही आएगी. मेने पहली मंज़िल की सीडयों का डोर लॉक कर दिया है. वो ऊपेर नही आ सकती. तुम बस अपने फूल जैसे मुलायम हाथों से मेरी मालिश करके मुझे खुस कर दो.

और अभी ने अपने पूरे हाथ को नेहा के टॉप के अंदर करके उसकी पीठ को सहलाना चालू कर दिया. ये सब देख कर मेरी चूत मे कुलबुलाहट होने लगी. नेहा सर झुकाए अभी के चेस्ट की मालिश कर रही थी.

अभी: (नेहा के टॉप के अंदर से उसकी कमर और पीठ को सहलाते हुए) एक बात कहूँ तुमसे.

नेहा: (कांपती हुई आवाज़ मे उसकी आवाज़ मे मस्ती से भरी हुई मदहोशी सॉफ पता चल रही थी) जी बाबू जी

अभी: उस दिन तुम्हारे होंटो के शहद जैसे रस को चूस कर बहुत मज़ा आया. तुम्हारे होंटो के रस की मिठास अभी भी मेरे मुँह मे हैं. प्लीज़ एक बार और अपने होंटो का रस पीला दो. (और अभी ने नेहा की कमर को अपने हाथों से मसल दिया.)

नेहा: ( थोड़ा सा घबराते हुए) आह बाबू जी. नही मुझे शरम आती है. अगर मा मा को पता चल गया तो.

अभी: ( नेहा की कमर को दूसरी तरफ से अपने हाथ मे थामते हुए उसको अपने ऊपेर झुका लिया) तुम रचना से क्यों डरती हो. कुछ नही कहेगी. मेरे होते हुए. बस एक बार अपने होंटो का रस पिला दो.

नेहा अभी के ऊपेर झुक गयी थी. और अभी के होंट नेहा के होंटो की तरफ बढ़ रहे थे. नेहा ने शरम के मारे अपने फेस को दूसरी तरफ घुमा लिया. जैसे ही नेहा ने साइड को फेस घुमाया. मुझे उसके होंटो पर अल्हड़ पन वाली स्माइल दिखाई दी. वो शर्मा कर मुस्करा रही थी.

अभी: (अपने एक हाथ को नेहा की कमर से हटा कर उसके फेस पर रख कर फेस को अपनी तरफ घूमाते हुए) प्लीज़ एक बार अपने होंटो को और चूसने दो ना.

अभी उठ कर बैठ गया. और उसकी कमर को अपनी बाहों मे कस लिया. अभी थोड़ा घूम गया.जिससे मुझे अभी की साइड वाला हिसा नज़र आ रहा था. अभी ने नेहा को अपनी बाहों मे कसे हुए. उसे अपनी गोद मे खींच लिया. अभी अपनी टाँगों को सीधा करके बैठा था. जैसे ही नेहा अभी की गोद मे आई. नेहा के पैर अभी की जाँघो के दोनो तरफ हो गये.

नेहा: (कसमसाते हुए) उईइ माआ क्या कर रहे हो बाबू जी कोई देख लेगा छत पर.

अभी: (मुस्कराते हुए) किसी की नज़र नही पड़ेगी.

और अभी ने नेहा की कमर से हाथों को हटा कर उसके स्कर्ट के ऊपेर से उसके चुतड़ों पर रख कर दबोच लिया. नेहा आह करती हुई उसके बाहों मे छटपटा गयी. नेहा को गोद मे लेने से नेहा के होन्ट अभी के होंटो की बिकुल सीध मे आ गये थे. नेहा के होन्ट कांप रहे थे. नेहा के हाथ अभी के कंधों पर थे.

अभी: अब तो दे दो. कितना तडपाओगी अपने दीवाने को.

नेहा: (घबराते हुए)बाबू जी मुझे छोड़ दो. कोई देख लेगा अह्ह्ह्ह

अभी: (नेहा के चुतड़ों को मसलता हुआ) फिर जल्दी से किस दे दो ना. नही तो ऐसे ही बैठी रहो. और अगर सच मे किसी ने देख लिया तो मुझे बाद मे ना कहना.

नेहा: (लड़खड़ाती आवाज़ मे) बाबू जी आप किसी को आप बताओ गे तो नही.

अभी: नही ये भी कोई बताने वाली बात है.

क्रमशः.................


raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 14 Dec 2014 15:18

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gataank se aage.....................

Andar neha bed ke pass khadi thee. Abhi ke badan par sirf ek chadar thee. Jo uski kamar tak dhaki hui thee. Baki abhi ke ooper ka badan saaf dikh raha tha. neha ne abhi ke taraf dekha. Aur kanpati hui awaz me abhi ko awaz lagai.

Neha: babu jee chai.

Abhi apni ankhon ko malta hua takye ka sahara lekar bed par baith gaya. Jaise hee abhi bed par baitha. Abhi ke ek jhang chadar se bahar aa gye. Neha ne apne nazren jhuka lee. Aur apni tirchi nighon se abhi ke mansal jhang ko dekhane lagee.

Abhi: ek mintu yahan baithon me jara moot kar atta hun.

Neha: kanpati hui awaz me) babu jee chai yahan par rakh dun.

Abhi: kyon koi kaam hai.

Neha: jee nahi wo maa bahar hai.

Abhi: to kiya hua. Bus ek minute baith. Me abhee moot kar aata hun.

Jaise hee abhi uthane ko hua. To shayad use ahsaas ho gaya. Ki usne neeche kuch pehana nahi hai.

Abhi: ek minute apni ankhon ko band karo.

Neha: (ghabrate hue) kiya babu jee.

Abhi: arre kuch nahi. Mene neeche kuch nahi pehana hai. me nanga hun. To jara ankhen band kar lee. Me bathroom me jata hun.

Neha: me bahar ja rahi hun babu jee.

Abhi: mene kahan na yahin baith mujhe tum se kuch baat karni hai.

Neha bed par baith gaye.aur apni ankhon ko band kar liya.

Abhi: ankhen band kar lee.

Neha: jee.

Abhi ne chadar ko apne ooper se uthaya. Aur bed se neeche utar kar neeche gira hua underwear pehan liya. Mujhe yakeen hai neha ne jaroor abhi ke jhul rahe lund ko dekha hoga.

Abhi: achcha apni ankhen khol lo. Mene underwear pehan liya hai.

Neha ne apni ankhen kholi aur ek jhalak abhi ke taraf dekha. Aur phir se nazren jhuka lee. Neha ke gaal ek dum lal surkh ho chuke the. Neha mujhese bhee kahin jyaada gori thee. Abhi bathroom me chala gaya. Jab wo bathroom se bahar aya to. Wo phir se neha ke pass aakar baith gaya. Aur neha ke hath se chai ka cup le liya.

Neha: jee babu jee me ab jaon. (neha ke awaz ladkhada rahi thee)

Abhi: mene kaha tha na tumse kuch baat karni hai.

Neha: jee.

Abhi: kiya tum aaj mere malish kar dogee. Sach me tumhare mulaayam hathon me kamal ka jadoo hai. sari thakan mit jati hai.

Neha: (kanpati hui awaz me) wo maa dantegee.

Abhi: kyon kal kiya tumhari maa ne danta tha.

Neha: jee nahi

Abhi: to phir.

Neha: par maa

Abhi: (neha ko beech me tokate hue) me use bol dunga. Aur aaj chhat par chal kar malsih karna. Aaj dhoop bahut acchi khili hai. acha ab tum jao aur maa ke sath nasta bano.

Me jaldi se kitchen me wapis aa gaye. Aur chai peen ke baad me nahane chali gaye. Jab me naha kar bahar aye to mujhe kitchen se kuch awaz aye. Andher abhi neha ke sath kuch baat kar raha tha. aur neha sharmate hue naa me sar hila rahi thee.

Abhi: achcha theek hai me Rachna ko bol deta hun kuch nahi kahegee wo.

Aur abhi bahar aa gaya aur apne room me jate hue mujhe awaz dee.

Me abhi ke room me chali gaye.

Me: kiya hua babu jee.

Abhi: wo mene aaj ka program set kar liya hai. neha aur me aaj ooper chhat par jayenge. Naste ke baad use jo me dress uske liye liya tha. use de dena. Aur use pehane ke liye bol dena.

Me: jee theek hai babu jee.

Aur me bahar aa gaye aur nasta baane lagee. Mene kitchen me se dekha. Neha nahane ja rahi thee. Mene neha ko awaz lagee. Neha mere awaz sun kar kitchen me aa gaye.

Me: neha jo dress tujhe babu jee ne dee the na. aaj tun wo pehan kar mujhe dikha. Babu jee tere liye kitne pyar se laye hain.

Neha ne apne sar ko jhuka liya. Wo kuch nahi bol rahi thee. Mene pyar se neha ke gallon par hath phera. Aur uske face ko ooper utha kar uske mathe ko choomate hue boli.

Me: tum un kapdho me bahut sunder lago gee. Me bhee to dekhon mere rajkumari shahari libass me kaise lagti hai.

Me neha ke hath pakad room me le gaye. Aur use wo dress pakad dee. Aur phir us bag ko khola jisem abhi mere aur neha ke liye bra aur panty ke set lekar aya tha. usmen se mene neka ko ek blue colour ke bra aur panty nikal kar de dee. Bra aur panty dono naylon ke thee. Panty aur bra par net ke tranasparent ka net laga hua tha.

Me: ye lee ye bhee babu jee tumhari leye layen the.

Neha ne mere hath se bra aur panty le lee. Aur bathroom me chali gaye. Mere honto par muskan phel gaye. Akhir me bhee yahi chathi thee. Ki Rachna bhee hamare khel me shamil ho jaye. Aur hum teeno chudai ka anand khul kar le saken. Me nasta taiyaar kiya aur abhi ko nasta de aye. Neha naha kar room me aa gaye. Black colour ke skirt uske ghutno tak muskil se phunch rahi thee. Jab wo chalti to uski gori chikani jhangen saaf-2 dikhai deti. Pink colour ke top me uski chuchiyo ek dum kasi hui lag rahi thee. Pink colour ka top neha ke gore rang par aur khil raha tha.

Naste karne ke baad abhi apne room me jakar so gaya. Abhi ke aise so jane par me thoda harian jaroor thee. Me bhee apen room me aakar let gaye. Neha pehale se palang par leti hui thee. Mujhe kab neend aa gaye. Mujhe pata nahi chala.

Dophar ke kareeb 1 baje mujhe abhi ne uthaya. Me abhi ko apne room me dekh kar thoda sa sakpaka gaye. Mene palnag ke doosri taraf nazar dali. Neha wahan nahi thee.

Abhi: (muskarte hue) wo ooper gaye hai. mene use ooper jane ke liye kaha hai. ab me bhee ooper ja raha hun. Tumhen batane aya tha, ki tum khanai mujhe aur neha ko doondate hue ooper na aa jao. Aur sara kaam bigad do.

Abhi ye bol kar ooper chala gaya. Par mujhe dekhana tha, ki abhi aur neha ooper jakar kiya karnegee. Me thodi der baad ooper jane lagee. Aur chaat par phucnhaen ke baad me seedyon par hee ruk kar dekhane lagee. Abhi ka ghar do manjila tha. naye colony me hone ke karan ass pass koi ghar nahi tha. charo taraf 5-5 foot unchi diwaren thee. Iss liye koi dekh nahi sakta tha.

Abhi ek purane se gadde par leta hua tha. ooper aane ke baad usne apni tshirt aur shorts utar diya tha. aur sirf underwear me leta hua tha. neha uski jaangho ke pass ek taraf baithi hui thee.

Abhi: chal ab kiya soch rahi hai. jaldi se malish kar de. Mujhe nahana bhee hai. subah se nahaya nahi hun.

Neha: wo maa jaag gaye to,

Abhi: me use bol kar aya hun. Wo ooper nahi ayegee. Chal ab jaldi se malish shuru kar. Jyaada time lagegee to phir jaroor ooper aa jaygee.

Neha ne sar ko jhukiye hue bottle me se thoda sa tel apne hatheli me liya. Aur kanpati awaz me boli

Neha: babu jee pehale kahann (wo ghabari hui lag rahi thee. Shayad mere wajhe se yan phir abhi ke harkton se)

Abhi: pehle mere seene se shuru karo.

Neha abhi ke ooper thoda sa jhuk gaye. Aur apne kanapate hathon se abhi ke chest ke malish karne lagee. Wo sharma kar apni nazren jhukye hue the. Abhi ne apna ek hath thodi der baad uski kamar me rakh diya. Jaise hee abhi ka hath neha ke kamar par padha. Neha ek pal ke liye ruk gaye.

Uska badan thuds sa kaanap raha tha. neha ne ek baar abhi ke taraf dekha. Abhi ne muskarte hue. Use malish karne ko kaha. Neha abhi ke jaangho se sat kar baithi thee. Uska munh abhi ke taraf tha. aur abhi ka hath uski kamar ko dheere-2 sahlata ooper neeche ho raha tha.

Abhi ka hath neha ke kamar ko sahlata hua. Dheere-2 neha ke skirt ke ooper se uske chutdon ke taraf badh raha tha. jaise-2 abhi ka hath neha ke chutdon ke taraf badh raha tha. neha kasmase ja rahi the. Aur baar- 2 apni kamar ke taraf dekh kar abhi ke hath ko dekh rahi thee.

Thodi der me hee abhi ke hath neha ke top aur skirt ke beech me tha. abhi ne neha ke top ko thoda sa ooper utha diya. Aur apne hathon ko uski nangi kamar par rakh diya. Neha ek dum se kaanap gaye.

Neha: ladkhadati hui awaz me) babu jeee maa wo maaa to oper nahi ayege naa.

Abhi: (neha ke ghabrahat ko samjate hue) nahi ayegee. Mene pehali manjil ke seedyon ka door lock kar diya hai. wo ooper nahi aa sakti. Tum bus apne phool jaise mulaayam hathon se mere malish karke mujhe khus kar do.

Aur abhi ne apne poori hath ko neha ke top ke andar karke unki peeth ko sahlana chalu kar diya. Ye sab dekh kar mere choot me kulbulhat hone lagee. Neha sar jhukiye abhi ke chest ke malish kar rahi thee.

Abhi: (neha ke top ke andar se uski kamar aur peeth ko sahlate hue) ek baat kahun tumse.

Neha: (kanpati hui awaz me uski awaz me masti se bhari hui madhoshi saaf pata chal rahi thee) jee babu jeee

Abhi: us din tumhare honto ke shahad jaise ras ko chus kar bahut maja aya. Tumhare honto ke ras ke mithas abhee bhee mere munh me hain. Pls ek baar aur apne honto ka ras pila do. (aur abhi ne neha ke kamar ko apne hathon se masal diya.)

Neha: ( thoda sa ghabrate hue) ahhh babu jee. Nahi mujhe sharam ati hai. agar maa maa ko pata chal gaya to.

Abhi: ( neha ke kamar ko doosri taraf se apne hath me thamate hue uske apne ooper jhuka liya) tum Rachna se kyon darti ho. Kuch nahi kahegee. Mere hote hue. Bus ek baar apne honto ka ras pila do.

Neha abhi ke ooper jhuk gaye thee. Aur abhi ke honto neha ke honto ke taraf badh rahe the. Neha ne sharam ke maare apne face ko doosri taraf ghuma liya. Jaise hee neha ne side ko face ghumaya. Mujhe uske honto par alhad pan wali smile dikhai dee. Wo sharma kar muskara rahi thee.

Abhi: (apne ek hath ko neha ke kamar se hata kar uske face par rakh kar face ko apni taraf ghumate hue) pls ek baar apne honto ko aur chusne do na.

Abhi uth kar baith gaya. Aur uski kamar ko apni bahon me kas liya. Abhi thoda ghoom gaya.jise mujhe abhi ke side wala hisaa nazar aa raha tha. abhi ne neha ko apen bahon me kase hue. Use apni godh me kheench liya. Abhi apni tangon ko seedha karke baitha tha. jaise hee neha abhi ke godh me aye. Neha ke pair abhi ke jaangho ke dono taraf ho gaye.

Neha: (kasmaste hue) uiii maaa kiya kar rahe ho babu jee koi dekh legaa chhat parr.

Abhi: (muskarte hue) kisi ke nazar nahi padhegee.

Aur abhi ne neha ke kamar hathon ko hata kar uske skirt ke ooper se uske chutdon par rakh kar daobach liye. Neha ahhh karti hui uske bahon me chatpata gaye. Neha ko godh me lene se neha ke honto abhi ke honto ke bikul seedh me aa gaye the. Neha ke hont kanap rahe the. Neha ke hath abhi ke kandhon par thee.

Abhi: ab to dee do. Kitna tadhphao gee apne diwane ko.

Neha: (ghabrate hue)babu jee mujhe chod do. Koi dekh lega ahhhh

Abhi: (neha ke chutdon ko maslta hua) phir jaldi se kiss de do na. nahi to aise hee baithi raho. Aur agar sach me kisi ne dekh liya to mujhe baad me na kehana.

Neha: (ladkhadati awaz me) babu jee aap kisi ko aap baton ge to nahi.

Abhi: nahi ye bhee koi baten wali baat hai.

kramashah.................


raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 14 Dec 2014 15:18

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गतान्क से आगे.....................

और अभी नेहा के होंटो की तरफ अपने होंटो को बढ़ाने लगा. नेहा का फेस और गाल एक दम लाल सुर्ख हो कर दहक रहे थे. नेहा ने अपनी आँखें बंद कर ली. अभी ने एक बार मुस्करा कर नेहा के भोले मासूम फेस को देखा और फिर अपने होंटो को नेहा के होंटो पर रख दिया. नेहा अभी की बाहों मे छटपटा उठी. और अभी के कंधों पर रखे हुए उसके हाथ खिसक कर अभी की पीठ पर आ चुके थे.

थोड़ी देर बाद अभी ने अपने होंटो को नेहा के होंटो से हटाया. और नेहा को देखने लगा. नेहा ने अपनी भारी हो चुकी आँखों को बड़ी मुस्किल से खोला और अभी की तरफ शर्मा कर देखते हुए बोली.

नेहा: (मदहोशी से भरी कांपती आवाज़ मे) अब तो छोड़ दो बाबू जी,

अभी: क्या छोड़ दो. किस तो ढंग से करने दिया नही. होंटो को थोड़ा खोलना तो था. तभी तुम्हारे होंटो को चूस पाता. अब चल अपने होंटो को खोल मुझे ठीक से तेरे होंटो का रस चूसना है.

नेहा: (अभी की बात सुन का शर्मा गयी. और अपने आँखें झुका ली) मुझे वो शरम आती है बाबू जी.

अभी: अच्छा शरम आती है. जब छुप-2 कर मेरे रूम मे झाँकने के कॉसिश करती है तब कहाँ चली जाती है शरम. देख मे तुम्हारी मा को बता दूँगा. कि उस रात मेने तुझे मेरे रूम मे तन्क झाँक करते हुए पकड़ लिया था.

नेहा: (घबराती हुई) नही बाबू जी मा को मत बताना. वो तो मे मा की आवाज़ सुन कर आई थी. मेने अंदर कुछ नही देखा.

अभी: (नेहा के भोले पन पर मुस्कुराते हुए) अच्छा नही देखा. तो ये बता दो तुमने क्या सुना. नही तो मे सच मे रचना को बता दूँगा.

नेहा: (घबराते हुए) वो मा शायद दर्द के कारण चीख रही थी.

अभी: तो क्या मे तुम्हारी मा को मार रहा था. जो वो चीख रही थी.

नेहा: (नेहा बुरी तरहा घबरा चुकी थी. उसके चेरे का रंग उड चुका था) नही बाबू जी मेने ऐसे नही कहा.

अभी: तो चल मे जैसे कहता हूँ वैसे कर मे रचना को नही बताउन्गा.

नेहा ने हां मे सर हिला दिया.

अभी: अब मेरी बातों को सच-2 जवाब देना. अच्छा ये बता जब मे तुम्हारे होंटो को चूमता हूँ कैसा लगता है.

नेहा: (शरमाते हुए) मुझे शरम आती है कहने मे.

अभी: देख अब अगर तूने सही से जवाब नही दिया. तो मे सच मे अभी रचना को बता दूँगा.

नेहा: (शरमाते हुए काँपते होंटो से) जी अच्छा लगता है.

अभी: फिर तुम इतने नखरें क्यों करती हो.

नेहा: (अपने गले मे थूक गतकते हुए) वो मुझे शरम आती है. और मा को पता ना चल जाए. इस लिए.

अभी: अच्छा अब तू मेरे होंटो को चूस के बता. देख अपने होंटो को थोड़ा सा खोल कर मेरे दोनो होंटो को एक-2 करके अपने होंटो मे लेकर चूस.

नेहा अभी की बात सुन कर थोड़ा झेंप गयी. और फिर अपने गले मे अटके थूक को गटकते हुए एक गहरी साँस ली. और फिर अपनी आँखों को बंद करके अपने होंटो को थोड़ा सा खोल कर अपने थरथरा रहे होंटो को अभी के होंटो की तरफ बढ़ाने लगी. अभी ने नेहा की स्कर्ट को धीरे -2 ऊपेर कमर तक कर दिया. और नेहा के चुतड़ों को पॅंटी के ऊपेर से पकड़ लिया. नेहा के बदन ने एक दम से झटका खाया, और नेहा के मुँह से आह निकल गयी.

नेहा ने अपने वासना मे थरथरा रहे होंटो को अभी के होंटो पर रख दिया. और धीरे -2 अभी के नीचे वाले होंट को रुक-2 कर किस करने लगी. नीचे अभी नेहा के चुतड़ों को पॅंटी के ऊपेर से अपने दोनो हाथों मे थामें धीरे-2 मसल रहा था. शायद इस लिए नेहा रुक-2 कर अभी के नीचले होंटो को चूस रही थी. टंकी वो ठीक से साँस ले पाए.

मे नेहा की किस्मत देख कर एक दम जल भुन गयी. काश मेरा पति भी मुझे इतने प्यार से पहली बार चोदता. मेरे कुंवारे पन को प्यार से भंग करता. नेहा ने अब अभी के नीचले होंट को अपने होन्ट मे लिया. और धीरे-2 चूसने लगी. फिर थोड़ी देर बाद नेहा ने अपने होंटो को अभी के होंटो से हटा लिया. और अपनी आँखों को खोल कर अभी की तरफ देखते हुए बोली.

नेहा: बाबू जी अब तो मुझे छोड़ दो.

अभी: अभी तो मेने तुम्हारे होंटो को चूसा ही नही.तुम ने तो मेरे होंटो को चूस कर मज़ा ले लिया. अब मेरी बारी आई तो छोड़ दो.

नेहा अभी की बात सुन कर हस पड़ी. और फिर अपने हस्ने पर शर्मा कर उसने अपने सर को झुका लिया. अभी ने नेहा के होंटो की तरफ अपने होंटो को बढ़ा दिया. और नेहा का सर ऊपेर करके होंटो को खोलने के लिए कहा. नेहा ने बिना कोई इतराज किए अपने सर को उठ लिया और आँखों को बंद करके अपने कांप रहे होंटो को थोड़ा सा खोल लिया.अभी के होंटो पर कमीनी मुस्कान आ गयी.

और अभी ने नेहा के होंटो को अपने होंटो मे ले लिया. और नीचे अपने दोनो हाथों से धीरे-2 नेहा के चुतड़ों को पॅंटी के ऊपेर से मसलने लगा. नेहा अभी की बाहों मे कस्मसाये जा रही थी. अभी नेहा के होंटो को खूब तबीयत से चूस रहा था. और नेहा भी अपने होंटो को ढीले छोड़ कर अभी के कंधों के ऊपेर से अपनी बाहों को अभी की पीठ पर कसे हुए चुस्वा रही थी. ये सब देख कर मेरी चूत पनिया गयी थी.

अभी ने जी भर के नेहा के होंटो को चूसा. और फिर अपने होंटो को नेहा के होंटो से हटा लिया. नेहा तेज़ी से साँसे ले रही थी. नेहा अपनी आँखों को शरम के मारे खोल नही पा रही थी.

अभी: क्या हुआ नेहा.

नेहा: (आँखों को धीरे-2 खोलते हुए) कुछ नही.

अभी: मज़ा आया.

नेहा ने शर्मा कर हां मे सर हिला दिया

अभी ने नेहा के चुतड़ों को मसलते हुए अपने हाथ की एक उंगली को उस छोटी सी वशेप पॅंटी के एक साइड से अंदर डाल दिया. नेहा एक दम मचल उठी.

नेहा: अह्ह्ह्ह बाबू जी.

अभी: बोल दे गी मुझे.

नेहा अपने नंगे चुतड़ों पर अभी के हाथ को महसूस करके कस्मसाने लगी. उसकी साँसें फूलने लगी थी. और उसका फेस एक दम लाल हो चुका था.

नेहा: क्या बाबू जी.

अभी: एक मिनिट अभी बता हूँ.

और अभी ने नेहा के चुतड़ों को पकड़ कर नेहा को थोड़ा सा ऊपेर उठा दिया. और अपने एक हाथ की उंगली को वशेप पॅंटी की साइड से घुसा कर कुछ टटोलने लगा. शायद वो नेहा की चूत का छेद ढूँढ रहा था. तभी नेहा के मुँह से अहह निकल गयी.

नेहा: अहह माईईए रीए ओह बाबू जीईए मुझे कुछ हो रहा हाईईईईई. वहाँ से हथ्ह्ह्ह हटा लूओ.

अभी नेहा की पॅंटी के अंदर से उसकी चूत को उंगलियो से सहलाने लगा. नेहा आह सीईइ ओह्ह्ह्ह कर रही थी.

अभी: बोल देगी ना ये मुझे.

नेहा: अह्ह्ह्ह बाबू जीई नहियीईई मत करूओ.

अभी: तो जल्दी बोल

नेहा: नही बाबू जीए नहिी ह उईमाआ ओह

अभी: क्यों मज़ा नही आ रहा .

नेहा: नहियीई बाबू जीईए माआ को पता.

अभी: (नेहा को बीच मे टोकते हुए) तो क्या हो जाएगा. साली बात-2 पर मा को बीच मे क्यों ले आती हो. वो साली तो खुद उछल-2 कर मेरे लंड को अपनी चूत मे लेकर चुदति है.

नेहा हैरानी से अभी को देखने लगी. उसके फेस का रंग उड़ गया था.

नेहा: क्या बाबू जी.

अभी: उस रात जब तूने अपनी मा के मस्ती भरी सिसकारिया सुनी थी. तब वो मेरे ऊपेर उछल-2 कर मेरे लंड से अपनी भोसड़ी को चुदवा रही थी. बोल तू मुझ से चुदवाये गी.

नेहा: नही बाबू जी. आप बहुत गंदे हो. मेरी मा के बारे मे ऐसे बोल रहे हो..

अभी: सच कह रहा हूँ. और अब तुझको रात दिन चोदुन्गा.

नेहा: तो क्या मा ऐसी है.

अभी: नही हर औरत का मन करता है चुदवाने का. और तेरे मा भी तो अभी जवान है. अब वो बाहर जाकर किससे अपनी प्यास बुझाए. एक बात याद रखना “औरत धन के बिना रह सकती है. पर लंड के बिना नही” बोल चुदवाये गी मुझसे. मे तुझे अपने दिल की रानी बना कर रखूँगा.

नेहा: अहह नही बाबू जीए वहाँ से हथ्ह्ह्ह्ह हटा लो मुझे कुछ हो रहा है.

अभी: पहले बोल चुदेगी कि नही मुझसे..

नेहा: नही बाबू जी. अगर कुछ हो गया तो.

अभी नेहा की पॅंटी के अंदर से नेहा की चूत को ज़ोर -2 मसलने लगा. नेहा अभी की बाहों मे एक दम से तड़प उठी.

नेहा: ओह बाबू जीए मत करूओ ओह बुसस्स बाबू जीईई मुझे कुछ होता हाईईइ ह उईमाआ माआआआ ओह उंह बाबू जीए.

अभी: क्या हो जाएगा.

नेहा: बच्चा बाबू जी.

अभी: तुम क्यों फिकर कर रही हो. मे कुछ ग़लत नही होने दूँगा.

अभी ने नेहा के चुतड़ों से हाथों को हटा लिया. और नेहा के तरफ देखते हुए बोला.

अभी: अच्छा अब तुम नीचे चलो मे अभी आता हूँ. और चुप कर मेरे रूम मे देखना जब तुम्हारी मा मुझसे चुदति है. तो कैसे मस्त रंडी की तरहा मेरे लौदे को अपनी चूत मे लेकर मेरे लंड पर कैसे उछलती है. और देखना कैसे चुद-2 कर मज़ा लेती है. और अगर दिल करे तो मुझे बता देना. आज रात को तुम्हारी चूत को भी अपने लंड का स्वाद चखा दूँगा. फिर देखना तुम भी मुझ से रोज चुदवाने की भीख माँगों गी

जैसे ही नेहा अभी के ऊपेर से उठी. तो उसके चूतड़ मुझे साइड दिखाई दे गये. उसकी पॅंटी उसके काम रस से पूरी तरहा से भीगी हुई थी. नेहा की स्कर्ट उसकी कमर मे अटक गयी थी. नेहा ने अपनी स्कर्ट को ठीक किया. और तेल की बॉटल उठाने लगी.

मे जल्दी से नीचे आ गयी. थोड़ी देर बाद जब नेहा नीचे आई. तो उसके फेस पर अभी भी वासना सॉफ झलक रही थी. मे किचन मे थी. ताकि वो समझे मे दोपहर का खाना बना रही थी. मेने नेहा को आवाज़ दी.

मे: नेहा इधर आना.

नेहा किचन मे आ गयी.

मे: क्या हुआ नेहा. कुछ परेशान सी लग रही है.

नेहा: ( हड़बदाते हुए) वो वो कुछ नही कुछ नही वो मा मे थक गयी. मुझे रात को ठीक से नींद नही आई थी.

मे: (अपने हँसी को दबाते हुए) कोई बात नही तू जाकर लेट कर आराम कर ले मे खाना बना लेती हूँ.

नेहा रूम मे चली गयी. मेने दोपहर का खाना बनाया. और अभी के रूम मे गयी.अभी अपने कंप्यूटर मे कुछ कर रहा था.अभी मेरी तरफ देखने लगा.

मे: बाबू जी खाना लगाऊ.

अभी: (कुछ देर सोचने के बाद) नेहा कहाँ हैं.

मे: अपने रूम मे सो रही है.

अभी: (फिर से कुछ देर सोचने के बाद) जा उसे उठा कर खाना दे कर मेरे रूम मे आ जा.

मे: आप का खाना भी लगा दूं.

अभी: नही जैसे मेने कहा है वैसे ही कर.

मे : ठीक है बाबू जी.

और मे किचन मे आ गयी. और सोचने लगी, आख़िर बाबू जी के दिमाग़ मे क्या चल रहा है, मेने एक प्लेट मे खाना डाला. और अपने रूम मे आ गयी. नेहा पलंग पर लेटी सो रही थी. उसकी स्कर्ट उसकी जाँघो तक तक चढ़ि हुई थी. उसकी गोरी चिकनी जांघे सच मे किसी को भी पागल बना सकती थी. मेने पास पड़े छोटे से टेबल पर खाने की प्लेट को रखा. और प्लन्ग पर बैठ गयी.

मेने नेहा के माथे पर बिखरे हुए बालों को ठीक किया. और उसे आवाज़ दी. नेहा थोड़ा सा घबरा कर उठ गयी. और मुझे अपने पास यूँ बैठा देख कर बोली.

नेहा: क्या हुआ मा.

मे: कुछ नही. उठ कर खाना खा ले. मुझे बाबू जी ने बुलाया है. मे अभी उनसे पूछ कर आती हूँ.

मे उठ कर अभी के रूम मे आ गयी. अभी मेरा ही इंतजार कर रहा था. मुझे देखते ही. उसने आगे बढ़ कर मुझे अपने पास खींच लिया. और मेरे चुतड़ों को ज़ोर -2 से मसलने लगा. मे एक दम आह कर उठी.

मे: अहह बाबू जीए क्या कर रहे हैं. डोर खुला है और नेहा नीचे है.

अभी: तो क्या हुआ उसी साली ने सुबह से लंड खड़ा कर रखा है. चल नीचे बैठ कर मेरा लौदा चूस.

मे: बाबू जी पहले डोर तो बंद कर दो.

अभी: साली उसी को तो आज चुदाई का खेल दिखाना है. और तू नखरे कर रही है. चल जल्दी कर अब ये शरम छोड़ दे. आज तेरी बेटी की सुहागरात है मेरे साथ. फिर कल से जब चाहे खुले आम मेरा लौदा अपनी भोसड़ी मे लेकर चुदवा लेना.

क्रमशः.................


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