जिस्म की प्यास compleet

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raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 08:08

उधर दूसरी ओर भोपाल में दोस्ती की शुरुआत हो गयी थी. डॉली और राज रात भर एक दूसरे को स्मस

करते रहते थे. डॉली ने राज को अपने बारे में सब कुच्छ बता दिया था और जब डॉली ने राज से उसके

बारे में पूछा तो उसने बताया कि मैं इकलौता बच्चा हूँ और अपना घर के बारे में बताया

जोकि डॉली के घर से 10 मिनट ही दूर था. उसने बताया कि उसकी पहले 3 ही गर्ल फ्रेंड रह चुकी है जिनमें

से 1 को वो बहुत चाहता था. फिलहाल वो किसी अच्छी लड़की की तलाश में है जो उसको समझ पाए.

दोनो का घर पास होने की वजह से वो कुच्छ बार एक दूसरे से मिल भी पाए है हालाकी मिलना कभी भी

15 मिनट से ज़्यादा नहीं हुआ.

दोपहर के 1:40 बज रहे थे डॉली का मोबाइल बजा. "हाई डॉली कैसी हो" राज ने उत्साहिक होके पूछा.

डॉली ने कहा "मैं ठीक हूँ तुम कहाँ हो"

राज ने कहा "मैं बस तुम्हारे घर के बाहर खड़ा हुआ. "कियेययाया" डॉली ये कहके दरवाज़ा खोलने गयी.

दरवाज़ा जब खुला तो राज उसके सामने अपने स्कूल के कपड़ो में बस्ता टाँगें हुए खड़ा था.

वहीं डॉली एक नीले रंग के ट्राउज़र और सफेद रंग की टीशर्ट में थी. दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए और

फिर डॉली ने राज को अंदर बुलाया और दोनो डॉली के कमरे में चले गये. राज घर की ख़ासतौर

से डॉली के कमरे की काफ़ी तारीफ कर रहा था. डॉली ने उसे पूछा "क्या पीओगे तुम" राज ने जूस बोला.

जब डॉली जूस लेके आई तो राज अपने जूते उतारकर आराम से बिस्तर पे बैठा था.

डॉली ने उसको देख कर कहा "अर्रे वाह बिना पूच्छे बिस्तर पे बैठ गये" राज ने जल्दी से कहा

"मेरे प्रिन्सिपल का घर है आराम से ही तो बैठूँगा"

यह जवाब सुनके डॉली हँसने लग गयी और बोली "अगर उनको पता चल गया कि उनका होशियार पढ़ाकू बच्चा

अभी उनके घर पे है तो तुम्हारी खैर नहीं" राज घबराते हुए बोला "क्यूँ डरा रही हो यार."

कुच्छ देर बात करने के बाद राज बोला "यार काफ़ी प्यास लग रही है." डॉली बोली "मैं तो मग्गी खाने वाली थी..

तुम खाओगे?

राज ने हां बोला और दोनो किचन में मग्गी बनाने गये. दोनो ने काफ़ी देर इधर उधर की बात की और

वापस अपने कमरे में आके बैठ गये. जैसे ही बैठे वैसे घर की घंटी बजी और डॉली घबराने लग गयी.

"अब क्या करें पापा को पता चल जाएगा.... कुच्छ करो यार" डॉली घबराने लग गयी.

राज ने जल्दी से कमरे की खिड़की खोली और वहाँ से बाहर चला गया. डॉली बिल्कुल शांत होकर अपना

पसीना पौंचती हुई दरवाज़ा खोलने गयी. नारायण वही खड़ा था और डॉली के इतना समय लगाने की

वजह से काफ़ी खफा था.... डॉली उससे माफी माँगकर वापस अपने कमरे पहुचि उसने अपने

फोन पे राज का मैसेज देखा और उसमें लिखा था कि आज रात वो डॉली से मिलने आएगा.

डॉली ने उसको फिर मैसेज लिखा मगर राज ने कोई जवाब नहीं दिया. पूरे समय सोचने लग गयी कि राज

कैसे आएगा और क्या उसका आना ठीक होगा. हर अगले सेकेंड उसके दिमाग़ में वोई ख़याल आ रहा था....

रात के वक़्त वो राज का इंतजार करती रही.... घबराहट के साथ साथ उसको बेचैनी सी हो रही थी....

मगर इंतजार करते करते कब उसकी आँख लग गयी उसको पता ही नही चला. जब वो सुबह उठी तो वो हद से

ज़्यादा नाराज़ हो गई थी राज से मगर फिर भी वो राज के मैसेज का इंतजार करती रही मगर राज का

कुच्छ पता नहीं था. कमरे की लाइट्स बंद थी और डॉली बिस्तर पे मायूस होके लेटी थी....

रात के करीबन 12 बज रहे थे और अचानक डॉली को किसी के खटखटाने की आवाज़ आई.

उसे वो आवाज़ खिड़की की तरफ से आ रही थी तो वो जल्दी से उसकी तरफ भागी और परदा हटा के देखा

कि वहाँ राज खड़ा हुआ है.... उसको देख कर डॉली मन ही मन खुश हो गयी. डॉली ने खिड़की

खोली और राज खिड़की से अंदर आ गया डॉली के कमरे में. डॉली ने हल्के से राज को चाँटा मारते

हुए पूछा "क्यूँ मोबाइल कहीं फेक दिया है... एक मैसेज भी न्ही किया" "क्यूँ कोई मेरे मैसेज का वेट कर रहा था"

राज ने तुरंत उसको जवाब दिया.

"नहीं कोई भी नहीं.. मैं तो ऐसी ही पुछ रही थी.. मगर क्या पता आपके प्रिन्सिपल आपका इंतजार कर रहे होते...

. बोलो यहाँ क्यूँ आए हो?" डॉली ने इरिटेट होके पूछा. राज जाके बिस्तर पे बैठा और बोला

"बस मन करा मेरा तो आ गया." डॉली भी बिस्तर के दूसरी तरफ जाके बैठ गयी.

"बताओ ना क्या तुम मेरा इंतजार कर रही थी" राज ने की आँखों में आँखें डालके फिर से पूछा......

डॉली के पास कुच्छ जवाब नही था तो उसने टीवी ऑन कर दिया... फिर दोनो टीवी देखने लगे.

टीवी की रोशनी से दोनो एक दूसरे की शाक़ल और बदन को देख पा रहे थे... राज डॉली के चेहरे से नज़र

हटा ही नही रहा था और डॉली को ये बात पे बहुत शरम आ रही थी.... डॉली को तंग करने लिए टीवी

पे जो भी चीज़ उसको देखनी थी राज उसको हटा देता.

डॉली ने राज को घूरते हुए कहा "ये मेरे नाख़ून देख रहे हो.... अगर रिमोट नहीं दिया तो नोच

दूँगी तुम्हारे चेहरे को" राज भी बोला "बस की है तो लेले रिमोट."

ये सुनके डॉली ने राज के दोनो हाथ को कस्के पकड़ लिया और रिमोट छीनने की कोशिश करी. राज भी

उससे मज़े ले रहा था. डॉली ने नाख़ून से राज की कलाई को नौच दिया और राज को रिमोट छोड़ना पड़ा.

जैसी ही डॉली ने हाथ बढ़ा कर रिमोट को दबोचा राज ने उसके अपने पंजो से डॉली के पंजो को

जकड़ा और ताक़त लगाकर उनको बिस्तर से चुपका दिया.... डॉली पूरी तरह बिस्तर पे लेटी थी और राज उसके

2 फुट दूर बैठा मगर उसका हाथ डॉली के स्तन को साइड से च्छू रहा था और जब डॉली अपने आपको छुड़ाने की

कोशिश करती तो उसकी और स्तन की तकरार होती रहती.... "अब बोल रिमोट देगी कि मैं भी नौचु तुझे."

राज ने गुस्से में बोला.

क्रमशः……………………….


raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 08:09

जिस्म की प्यास--12

गतान्क से आगे……………………………………

डॉली ने रोने वाली शक़ल बनाते हुए कहा"मेरे लग रही है राज हटो प्लीज़." राज ने झट से डॉली

को छोड़ दिया और माफी माँगने लगा. डॉली अपने कपड़े ठीक कर बिस्तर से उठी और राज को

चिडाने लगी रिमोट दिखा कर के. राज को इस हार से कोई दिक्कत नहीं हुई.

कुच्छ देर बाद राज ने डॉली से पूछा "तूने कभी भोपाल घूमा है रात में" डॉली ने कहा "नहीं..क्यूँ."

राज बोला"अर्रे भोपाल रात में नहीं देखा तो फिर क्या देखा.. चल अभी चल मैं गाड़ी लेके आया हूँ."

डॉली हैरान होके बोली "पागल हो गये हो मैं कैसे जा सकती हूँ पापा आ गये तो" " अभी तक तो आए नहीं

है तो कोई भी नहीं आएगा.. घबरा मत" राज डॉली को तसल्ली देते हुए बोला.

फिर राज ने कहा"सुन तकिया लगा बिस्तर पर और रज़ाई डाल दे और बत्ती बंद रहने दे... कोई भी आके देखने

नहीं वाला कि तू लेटी हुई है कि नही.." डॉली ने फिरसे राज को मना करा..

राज फिर बोला "मैं 1 साल से ये करता आ रहा हूँ किसिको नहीं पता चलता.. करके तो देख.."

डॉली ने मना कर दिया.. "मेरे लिए प्लीज़" राज ने हाथ जोड़ के कहा..

डॉली ने उसकी बात मानलि और कपड़े बदलने गयी. राज बोला "पागल हो गयी इतनी अच्छी लग रही है ट्राउज़र

और टीशर्ट में.. कोई नहीं देखने वाला हम गाड़ी से उतरेंगे थोड़े ना".

फिर राज खिड़की से बाहर निकला और उसने डॉली की मदद करी बाहर निकलने में.... दोनो गाड़ी में बैठके

भोपाल देखने चले गया. डॉली को नहीं पता था कि भोपाल रात में इतना खूबसूरत लगता होगा.

15 मिनट बाद राज ने डॉली को वापस छोड़दिया. फिर ये सिलसिला चलता रहा. राज और डॉली रोज़ रात को

निकल जाते थे घूमने के लिए. फिर एक दिन जब डॉली गाड़ी से उतरने लगी घर जाने के लिए राज

ने भारी आवाज़ में बोला "डॉली आइ लाइक यू" डॉली ये सुनके चौंक गयी और कुच्छ सेकेंड के लिए वहीं घुरती रही .. फिर उसने एक बारी भी पिछे नहीं देखा और अपने घर में चली गयी. बिस्तर पे लेटके उसने राज को कॉल करा.

डॉली: राज मेरे में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं तुम्हे देख कर तुम्हे जवाब दे पाती.

राज (थोड़ा घबराया हुआ): मैं कोई ज़बरदस्ती नही चाहता यार... बस मैं इतना जानता हूँ कि इन्न कुच्छ दिनो

में मैं तुम्हारे काफ़ी करीब आ गया हूँ और पता नही क्यूँ मुझे लगता है कि तुम भी मेरे करीब आ गयी हो.

डॉली (धीमी आवाज़ में): मैं पहले भी किसी से प्यार करती थी और उसने मुझे धोका दिया और अब मैं

फिरसे धोका बर्दाश्त नहीं कर पाउन्गि.

राज ये सुनके चुप हो गया..

डॉली कुच्छ दे बाद बोली: ये कुच्छ दिन जो हमने साथ में बिताए है ये बहुत खूबसूरत थे....

और मैं इन्हे खोना नहीं चाहती..

और हां आइ लाइक यू टू

राज ये सुनके हद से ज़्यादा खुश हो गया और खुशी से चिल्लाने लगा... राज की खुशी देख कर डॉली भी काफ़ी

खुश हो गयी..

राज:तो मैं मिलने आ सकता हूँ??

डॉली: पागल रात के 2:30 बज गये अब तो रहने दो... हम कल मिलते है ओके??

राज: ठीक है डॉली जैसे तुम कहो...

फोन काटने के बाद राज और डॉली रात भर एक दूसरे के बारे में सोचते रहे.. राज हद से ज़्यादा

खुश था और डॉली खुशी के साथ साथ घबराई भी थी क्यूंकी राज उससे 4 साल छोटा था और वो नहीं

चाहती थी कि इसकी वजह उनके रिलेशन्षिप में कोई दिक्कत आए.. [दोस्तो आप सोच रहे होंगे कि भोपाल मे

राज कहाँ से आ गया तो दोस्तो मैं आपको बता दूं कि ये दूसरा राज था]

raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 08:09

सुबह के 7 बजे डॉली का फोन बजा और उसने आधी नींद में उठाया... "डॉली मैं कल रात से तुम्हारे

बारे में सोच रहा हूँ और मैं फिर से कहना चाहता हूँ कि लाइक यू अलॉट और मैं पूरी कोशिश करूँगा कि

मेरी तरफ से हमारे रिलेशन्षिप में कोई दिक्कत ना आए...मैं बस तुमसे मिलने को बेताब हूँ"...

डॉली बोली "पहले स्कूल जाके आओ फिर रात में मिलते है क्यूंकी आज पापा घर पे ही होंगे...

डॉली ने जान के राज से झूठ बोला क्यूंकी वो राज से मिलने में थोड़ा कतरा रही थी. बस वो ये दुआ

कर रही थी कि राज को उसके पापा आज स्कूल में दिखाई ना दे और ऐसा ही हुआ. जैसी ही स्कूल ख़तम हुआ राज

ने डॉली को फोन करा और उससे जी भर के बात करी. डॉली ने राज से वादा करा कि आज रात को वो

ज़रूर मिलेंगे और राज ने उसके लिए एक सरप्राइज भी रखा था.

स्कूल में नारायण के कहने पर सुधीर को सेक्रेटरी/टीचर से हटाकर सीधे पर्सनल आड्वाइज़र टू प्रिन्सिपल

बना दिया था... स्कूल में कोई वाइस प्रिनिसिपल ना होने के कारण वो काम भी सुधीर के उपर डाल दिया था....

नारायण सुधीर के काम और दोस्ती से काफ़ी खुश था इसलिए उसने सुधीर को इतनी बड़ी पोस्ट देदि.... उधर सुधीर

भी सातवे आसमान पर था अपनी इस कामयाबी को देखकर... फिर नारायण के लिए एक नये सेक्रेटरी की

तलाश शुरू हो गयी थी और ये ज़िम्मा सुधीर के उपर ही था क्यूंकी उसे उस पोस्ट और नारायण सर के बारे

में सब कुच्छ पता था.... सुधीर ने इंटरव्यू की प्रतिक्रिया शुरू करी जिसमे से उसने 3-4 लोगो को शॉर्टलिस्ट

कर दिया और अगले दो दिन में ही उसने एक को सेलेक्ट भी कर लिया.....

दिल्ली में शन्नो के लिए माहौल बड़ा रूखा सूखा बीत रहा था... उसके दोनो बच्चे स्कूल में थे और

वो अपने घर की चार दीवारी में बैठी हुई थी... कभी झाड़ू मारकर तो कभी कपड़े धोकर अपना

वक्त काटने की कोशिश कर रही थी... फिर फोन की घंटी बजनी शुरू हो गयी... जब शन्नो ने फोन उठाया तो

फिर से किसी ने कुच्छ जवाब नही दिया और शन्नो को लग गया कि ये फोन उसकी बेटी के लिए ही हो रहा है....

शन्नो ने ठान ली थी कि अगर अब इसने फोन करा तो अब उस लड़के को इतना सुनाएगी कि फोन उठाना तक

भूल जाएगा.... कुच्छ देर बाद फिरसे फोन बजा और शन्नो ने गुस्से में फोन उठाकर

चिल्लाना शुरू कर दिया... इतनी चिल्ला पुकारी सुनके नारायण घबरा गया और शन्नो से चुप होने के लिए बोलने लगा.... नारायण से बात करने के बाद शन्नो को इतना गुस्सा आया कि उस लड़के की वजह से उसने अपने पति

को भरा भुला कह दिया.....

उधर दिल्ली की शाम को ललिता के मोबाइल पर एक मेसेज आया. वो किसी अंजान नंबर. से आया था और जैसे ही

उसने मैसेज पड़ा तो वो खुश हो गई. मेसेज पे लिखा था "हाई ललिता बड़ी हिम्मत जुटा के मैं तुम्हे

मैसेज कर रहा हूँ... अगर तुम मुझसे बात करना चाहती हो तो मुझे आज रात तक इस नो. 9902192क्षकशकश पे मैसेज करना." ललिता चाहती तो उसी वक़्त मैसेज कर देती मगर सबसे पहला काम उसने अपने भाई के मोबाइल पर चंदर का नंबर. देखा और दोनो नंबर. एक ही थे. ललिता ने उसको तुरंत ही मैसेज कर दिया. दोनो ने कुच्छ देर बात करी मगर

फिर ललिता ने उसको बोला कि वो रात में उसे बात करेगी.

रात के कुच्छ 12:30 बज रहे थे और राज ने डॉली को मिस्ड कॉल मारी. डॉली जल्दी से खिड़की के बाहर गयी

और राज की गाड़ी की तरफ बढ़ने लगी. खुशी के साथ साथ उसको घबराहट भी थी. डॉली एक हरे रंग

के सलवार कुर्ते में थी. गाड़ी में बैठने के बाद दोनो गाड़ी में इधर उधर घूमते रहे.

राज ने माहौल पूरी तरह हस्सी मज़ाक का कर रखा था और इसी वजह से डॉली भी खुश थी.

जब राज ने डॉली के घर के पास गाड़ी रोकी तो उसने पीछे की सीट में से चॉक्लेट्स का डब्बा निकाला और

डॉली को दिया. डॉली को चॉक्लेट्स बहुत पसंद थी और राज ने उसके ये देके और खुश कर दिया.

डॉली जब बाहर निकली तो राज के दरवाज़े के पास गयी और अचानक से उसके गाल को चूम के थॅंक्स बोल दिया

और राज खुशी के मारे पागल हो गया था....

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