दो चुदासी औरतों के साथ मस्ती
लेखक: अन्जान (Unknown)
करीब नौ साल पहले की बात है। उस समय मेरी उम्र बाईस साल थी और मैं पी-ड्ब्ल्यू-डी डिपार्टमेंट में नया-नया भर्ती हुआ था। चुनाव आयोग की ओर से फोटो वाले कार्ड बाँटने थे। ये काम हमारे डिपार्टमेंट के पास भी था ओर ये कार्ड बाँटने का काम मेरे साथ दो और साथियों को दिया गया। मेरे पास जो कार्ड थे वो उस इल्लाके के थे जो रईस पैसे वालों का था। मैं दो दिन तक घरों में जा-जा कर कार्ड बाँटता रहा। गर्मी के दिनों में ये काम आसान नहीं था।
तीसरे दिन भी मैं कार्ड बाँट रहा था। एक घर में गया तो गेट पे खटखटाने पर कोई नहीं आया। मुझे लगा कि घर में कोई तो मौजूद होना ही चाहिये क्योंकि गेट के अंदर होंडा सिटी कार खड़ी थी और गेट के बाहर भी एक स्कोडा कार मौजूद थी। हिम्मत करके अंदर घुसा और चारों ओर नज़र मारी कि कहीं से कोई कुत्ता ना आ जाये क्योंकि अमीरों के घरों में अक्सर कुत्तों से सावधान रहना पड़ता है। जैसे तैसे घर के मुख्य-दरवाजे पे जाकर घंटी बजायी लेकिन कोई आवाज नहीं सुनी। शायद घंटी खराब थी। दरवाज़ा ठोंका तो कोई नहीं आया। कुछ देर मैं वहाँ खड़ा रहा। फिर वापस आने लगा कि तभी मैंने ध्यान दिया कि अंदर से अंग्रेज़ी गाना बजने की आवाज़ आ रही है। मैंने हिम्मत की और बगल में जा कर खिड़की से अंदर देखने गया। खिड़की ऊँची थी तो मैंने वहीं पड़ी एक बाल्टी को उल्टा करके उस पर चढ़ गया।
अंदर देखा तो देखता ही रह गया। मेरे हाथ पैर सुन्न हो गये थे। अंदर दो औरतें पूरी तरह से नंगी थीं और सोफे पर एक-दूसरे से चिपक कर बैठी सिगरेट और शराब पी रही थीं। वहीं मेज पर आधी भरी शराब की बोतल और एक विदेशी सिगरेट का पैकेट और ऐश-ट्रे भी रखी थी। सिगरेट की हल्की सी बू तो मुझे खिड़की के बाहर तक आ रही थी। ये औरतें लगभग पैंतीस साल की रही होंगी। दिखने में दोनों ही बिकुल पटाखा थीं। दोनों के लंबे घने काले बाल, कजरारी आँखें, लिपस्टिक लगे लाल-लाल होंठ। दोनों का नंगा जिस्म बहुत ही सैक्सी और सुडौल था। ज़ाहिर था कि दोनों काफी अमीर थीं क्योंकि उनमें से एक के गले में कीमती मोतियों का हार था और दूसरी के गले में हीरों का नेकलेस था। दोनों की कलाइयों में कीमती कंगन और फैंसी घड़ियाँ भी थीं। एक के पैरों में सफेद रंग के ऊँची पेंसिल हील के सैण्डल थे और दूसरी ने अपने पैरों में लाल रंग के वैसे ही पेंसिल हील के सैण्डल पहने हुए थे। दोनों के मम्मे भी काफी बड़े-बड़े थे और दोनों की चूतें भी बिल्कुल साफ सुथरी और चिकनी थीं। झाँटों का नामोनिशान नहीं था।
वो औरतें शराब पीते हुए बार-बार एक दूसरे को चूम रही थीं और चिपक कर एक दूसरे के मम्मे भी सहला रही थीं। उन औरतों के शराब के ग्लास जब खाली हुए तो दोनों एक बार फिर होंठों से होंठ चिपका कर एक दूसरे को चूमने लगीं। कुछ देर ऐसे ही चूमने के बाद सफेद सैंडल वाली औरत खड़ी हुई और झूमती हुई कमरे से बाहर निकल गयी। उसके लड़खड़ाते कदमों से साफ ज़ाहिर था कि वो नशे में थी। दूसरी औरत सोफे पर पीछे टिक कर बैठ के टाँगें फैलाये अपनी चूत सहलाने लगी। इतने में ही पहले वाली औरत अपने साथ डोबरमैन नस्ल का एक बड़ा सा कुत्ता अपने साथ लेकर वापिस आ गयी।
दूसरी औरत भी नशे में झूमती हुई सोफे से उठी और फिर दोनों औरतें उस कुत्ते को पकड़ कर उसे पुचकारने और दुलारने लगीं और वो कुत्ता उनसे बचने की कोशिश कर रहा था। सफेद सैंडल वाली औरत ने कुत्ते को पकड़ा ओर दूसरी अपनी टाँग फैला कर बैठ गयी। मेरा लण्ड हरकत कर रहा था। फिर दोनों औरतों ने कुत्ते के सिर को पकड़ कर टाँगें फैला कर बैठी हुई औरत की चूत में कुत्ते का मुँह लगाया। लेकिन कुत्ता अब भी ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहा था। सफेद सैंडल वाली औरत ने एक हाथ से कुत्ते का लण्ड सहलाना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड अपने पूरे तेवर पर आ गया था। पैंट फाड़ कर बाहर आने को मचलने लगा। कुछ देर में ही कुत्ता शाँत हो गया और टाँगें फैलाये बैठी हुई लाल सैंडल वाली औरत की चूत को चाटने लगा। वो औरत बहुत मस्त हो रही थी और अपनी चूत को रुक-रुक कर ऊपर उठा रही थी। कुत्ता उसकी चूत ज़ोर-ज़ोर से चाट रहा था। दूसरी औरत उसके लण्ड पर हाथ फेर रही थी। कुत्ते का लण्ड थोड़ा-थोड़ा करके बाहर आ रहा था और वो औरत उसके लण्ड को सहला रही थी। फिर जब कुत्ते से अपनी चूत चटवा रही लाल सैण्डल वाली औरत उठने लगी तो कुत्ता उस पर उछलने लगा। वो औरत घूम कर कुत्तिया कि तरह हो गयी। उसकी गाँड कुत्ते के मुँह पर थी और कुत्ता उसको चाटने लगा। कहानी का शीर्षक: दो चुदासी औरतों के साथ मस्ती!
दूसरी औरत ने कुत्ते के आगे के दोनों पैर उठाये और लाल सैंडल वाली औरत के ऊपर चढ़ा दिया। कुत्ते को भी समझ में आ गया कि उसे क्या करना है। शायद वो कुत्ता उन औरतों के साथ पहले भी चुदाई में शामिल हो चुका था। वो जोर-जोर से झटके मारने लगा पर उसका लण्ड बाहर ही था। दूसरी औरत ने कुत्ते का लण्ड पकड़ा और नीचे कुत्तिया बनी लाल सैण्डल वाली औरत की चूत के पास ले गयी। कुत्ता झटके मार रहा था और कईं झटकों के बाद उसका निशाना लग गया ओर कुत्ते का लण्ड लाल सैण्डल वाली औरत की चूत में घुस गया।
वो औरत मस्त हो गयी। कुत्ता झटके मार रहा था। वो औरत कुत्ते के झटकों से पूरी हिल रही थी। दूसरी औरत लड़खड़ाती हुई उठी और कुत्तिया बनी औरत के आगे खड़ी हो गयी और अपनी टाँगें फैला कर झुक गयी। कुत्तिया बनी औरत के मुँह के सामने अब उसकी चूत थी। कुत्ते से चुद रही औरत ने अब सफेद सैंडल वाली औरत की चूत चाटना शुरू किया। खड़ी हुई औरत भी मस्त हो रही थी। वो अब अपने बड़े-बड़े मम्मे अपने ही हाथों से दबाने लगी। कुत्तिया बनी औरत उसकी चूत में कभी अपनी जीभ डालने की कोशिश करती तो कभी उसको चाटने लगती। उधर कुत्ता भी धक्के मार-मार कर चोद रहा था। खड़ी हुई औरत भी नशे में ज्यादा खड़ी नहीं रह सकी और बैठ गयी ओर कुत्ते से चुद रही औरत के खरबूजे जैसे मम्मे दबाने लगी। दोनों शराब और चुदाई की मदहोशी में थीं और उनकी चूत से निकला पानी फ़र्श पर बिखर रहा था।
कुत्ता अब ढीला पड़ गया था पर वो उस औरत की कमर से नीचे नहीं उतरा था। कुछ देर बाद कुत्ता उतरा ओर एक तरफ़ हट कर अपने लण्ड को चाटने लगा। कुत्तिया बनी औरत भी बैठ कर अपनी कमर सीधी करने लगी। वो पीछे की ओर झुकी तो उसकी चूत आगे की ओर निकल गयी। उसकी चूत में से कुत्ते के लण्ड का सफेद माल निकल रहा था। सफेद सैंडल वाली औरत झुक कर उसकी चूत को चाटते हुए कुत्ते का वीर्य पीने लगी। फिर उसके पूरे बदन को चाटते हुए वो ऊपर पहुँच गयी और अब उसके मुँह में लाल सैंडल वाली औरत के खरबूजे जैसे मम्मे थे जिन्हें वो जोर-जोर से चूस रही थी। लाल सैंडल वाली ने भी सामने वाली के बड़े-बड़े मम्मे दबाने शुरू किये ओर फिर दोनों एक दूसरे के बदन को सहलाते हुए खड़ी हो गयीं। खड़े-खड़े एक दूसरे का बदन सहलाते-सहलाते दोनों ने एक दूसरे की चूतों में उंगली डाल दी। दोनों का एक हाथ एक दूसरे के मम्मों पर था ओर दूसरा हाथ एक दूसरे की चूत पर था। वो अपनी उंगलियाँ एक दूसरे की चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगी। दोनों की चूत लाल हो गयी थीं। उंगलियों के अंदर बाहर होने से दोनों की चूतों से पानी निकल रहा था जो उनकी उंगलियों के झटके के कारण छिटक-छिटक कर नीचे गिर रहा था।
दोनों ने अब अपनी उंगलियाँ चूतों से निकाल लीं। दोनों अब एक दूसरे को अपनी बाँहों में भर कर चिपक गयी और दोनों के मम्मे आपस में एक दूसरे से ऐसे दब गये जैसे कि दोनों के मम्मे अपनी-अपनी ताकत दिखा रहे हों। दोनों औरतें अब एक दूसरे के नंगे जिस्मों को सहला रही थीं। उनके हाथ कुछ देर एक दूसरे के बालों को सहलाते तो कभी पीठ को तो कभी गाँड को। कुत्ता भी बीच-बीच में उन दोनों को आ कर चाट जाता ओर फिर दूर जा कर अपने लण्ड को चाटने लगता। दोनों औरतें एक दूसरे से चिपकी हुई थीं ओर बीच-बीच में एक दूसरे के मम्मे दबा लेती तो कभी चूत ओर गाँड तो कभी पीठ सहला रही थीं। मेरे लण्ड का पानी इस एक घंटे में निकल चुका था ओर वो फिर टनटनाने लगा था। करीब दस मिनट बाद दोनों नंगी ही उस कमरे से बाहर चली गयीं और उनके पीछे कुत्ता भी निकल गया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। हाथ-पैर में जैसे जान ही नहीं थी। मैं चार-पाँच मिनट वहँ रुका कि शायद वो औरतें कमरे में वापस आयें पर जब वो नहीं आयीं तो मैं वहाँ से निकल गया। वो पूरा दिन और रात मेरी आँखों के सामने दोनों औरतों की नंगी तस्वीर दिखायी देती रही। मेरा मन उन औरतों में ही अटक गया था। कम उम्र के बावजूद चुदाई के खेल में मैं काफी अनुभवी था लेकिन उन औरतों को आपस में लेस्बियन चुदाई और खासकर के कुत्ते के साथ चुदाई करते हुए देखना मेरे लिये नयी बात थी।
दूसरे दिन मैं फिर कार्ड बाँटने गया ओर पहले दिन के ही समय पर उसी घर में गया। मुझे लगा कि शायद आज भी मुझे वो दोनों औरतें दिखें। मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे उन्हें कुत्ते से चुदते देखने के लिये। कहानी का शीर्षक: दो चुदासी औरतों के साथ मस्ती!
मैं उस घर मैं गया ओर गेट खोल कर पहले खिड़की पर गया पर अंदर कुछ नहीं दिखा। मैं निराश हो गया कि आज कुछ नहीं दिखेगा। मैं मन मार कर कार्ड देने की सोच कर दरवाजे पर लगी घंटी बजायी। अंदर से कुत्ते के भोंकने की आवाज़ से मैं डर गया पर तभी एक औरत की आवाज़ आयी जो कुत्ते को चुप करा रही थी। दरवाज़ा खुला तो एक औरत मेरे सामने खड़ी थी। ये उनमें से एक थी जिसने पिछले दिन लाल सैंडल पहने हुए थे। मैं उसको देखता ही रह गया। मेरे मुँह से आवाज नहीं निकली। तभी उसने मुझसे पूछा कहो, “क्या काम है... कौन हो तुम?”
मैं सकपका कर बोला, “जी वो, कार्ड देना था!” वो बोली, “कौन सा कार्ड?” मैंने उसको बताया और तभी दूसरी औरत पीछे से आयी और पहली औरत से बोली, “क्या हुआ रेशमा?” अब मुझे पता चला कि जिसने दरवाज़ा खोला था उसका नाम रेशमा है।
रेशमा बोली, “कुछ नहीं नसरीन! ये कार्ड देने आया है!” फिर रेशमा मुझसे बोली, “आओ अंदर आ जाओ!” मैं अंदर गया और दोनों मेरे सामने सोफ़े पेर बैठ गयीं। कुत्ता भी एक तरफ बैठा था। दोनों ने सलवार-सूट पहना हुआ था। रेशमा ने आज भी वही लाल रंग के ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने रखे थे लेकिन नसरीन ने आज काले रंग के ऊँची हील वाले सैंडल पहने हुए थे। वो दोनों मेरे सामने सोफे पर बैठी थीं फिर भी मुझे उनके मुँह से शराब की बू आ गयी। मैं सोच रहा था कि कैसी औरतें हैं जो दिन में ही शराब पीना शुरू कर देती हैं।
मैं उन्हें कार्ड के बारे में बताने लगा। मैंने कार्ड निकाले तो वो रेशमा और उसके शौहर के कार्ड थे। मैं समझ गया कि ये घर रेशमा का है। मैंने पुष्टिकरण के लिये उसके शौहर के बारे में पूछा तो रेशमा बोली कि वो दुबई में काम करते हैं। मैंने उसके शौहर का कोई पहचान पत्र दिखाने को कहा तो दोनों औरतें अंदर की ओर जाने लगीं। नसरीन मुझसे बोली “तुम रुको हम अभी आते हैं!” वो अंदर चली गयीं। मैं अपने आप पर गुस्सा कर रहा था कि थोड़ा देर से आता तो आज फिर कुछ देखने को मिलता। हो सकता है ये दोनों अंदर कुछ कर रही हों पर मैं देखूँ कैसे।
तभी दोनों औरतें बाहर आयीं ओर रेशमा दरवाजे की तरफ़ गयी ओर उसने दरवाजा बंद कर दिया। मैंने पूछा कि “आपने दरवाज़ा क्यों बंद कर दिया?” तो वो बोली, “ये टॉमी (कुत्ता) बाहर भाग जायेगा इसलिये इसे बंद रखते हैं!” मैं नसरीन की ओर देख कर बोला, “आप कहाँ रहती हैं? आप के कार्ड भी दे दूँ!” वो बोली, “अभी जल्दी क्या है?” मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा कि ये हो क्या रहा है! एक दरवाज़ा बंद कर रही है ओर एक कह रही है कि ‘जल्दी क्या है’। दोनों फिर अंदर के कमरे में मुस्कुराते हुए चली गयीं। कुछ देर बाद रेशमा ने मुझे आवाज दी कि “अंदर आ जाओ... मैं अपने हसबैंड का आई-डी दिखा देती हूँ!” मैं सोचने लगा कि ये औरत अपने शौहर का पहचान-पत्र बाहर ला कर क्यों नहीं दिखा सकती जो मुझे अंदर बुला रही है।
मैं अंदर दूसरे कमरे में गया। पर्दा हटाया तो लगा कि मेरा दिल सीने से बाहर आ गया। मेरे दिल की धड़कन काफी तेज़ हो गयी और मुँह सूख गया। मैं सन्न रह गया था क्योंकि मेरे सामने दोनों औरतें नंगी थीं। सिर्फ़ ब्रा ओर पैंटी और ऊँची हील के सैंडल उनके बदन पर बचे थे। मैं अपनी जगह पर जम गया। वो क्या बोल रही थीं मेरा ध्यान नहीं था। मैं उनके नंगे बदन को आँखें फाड़े देख रहा था। कहानी का शीर्षक: दो चुदासी औरतों के साथ मस्ती!
वो दोनों इठलाती हुई मेरे पास आयीं ओर मुझे पकड़ कर बिस्तर पर ले गयीं। मैं उन्हें बस देखता रहा। मैं कुछ कर नहीं पा रहा था। पिर उन्होंने मेरे हाथ ओर पैर बाँध दिये। फिर रेशमा ने मेरी शर्ट खोलनी शुरू की। वो एक-एक बटन धीरे-धीरे खोल रही थी जबकि नसरीन मेरी पैंट खोल रही थी। अब मेरे बदन पर सिर्फ़ अंडरवीयर थी। रेशमा ने मुझे छोड़ा और कुछ दूर जाकर अपनी ब्रा मेरी ओर देखते हुए उतारनी शुरू की। वो साथ में धीर-धीरे हिल रही थी जैसे नाच रही हो। मेरे देखते ही देखते उसने पैंटी भी उतार दी। मेरे सामने उसकी फूली हुई गुलाबी चूत थी जिस पर एक भी बाल नहीं था। क्या खूबसूरत नज़ारा था। फिर वो मेरे पास आयी और मेरे बदन को चाटने लगी जैसे कल कुत्ता चाट रहा था उनकी चूत को। नसरीन भी अब अपनी ब्रा ओर पैंटी उतार रही थी। मैं तो ये नज़ारा देख कर अपना आपा खो चुका था। नसरीन मेरे पास आयी ओर उसने मेरी कमर के नीचे के हिस्से को चूमना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड अब तक खड़ा हो चुका था और अंडरवीयर में उसका दम घुट रहा था। उसे बाहर आने की पड़ी थी। तभी नसरीन ने मेरी अंडरवीयर पकड़ी और धीरे-धीरे उतारने लगी।
रेशमा मेरे होंठों पर किस करने लगी। फिर वो मेरे होंठ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। नसरीन ने मेरी अंडरवीयर उतारी और मेरी गोलियों को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। एक हाथ से उसने मेरा लण्ड पकड़ रखा था जिसे वो धीरे-धीरे सहला रही थी। रेशमा ने मेरे होंठ चूसना बंद किया और फिर वो अपने बड़े-बड़े गोल मम्मे मेरे चेहरे पर घूमाने लगी। कुछ देर बाद वो अपने मम्मे की चूची मेरे होंठ के पास रख कर बोली, “चूस ना!” मैंने अपना मुँह खोला ओर उसकी चूची चूसने लगा। रेशमा “आआहहहहहहह ऊऊऊऊऊऊईईईईई अल्लाहहऽऽऽ” करने लगी। नसरीन मेरी गोलियों को मुँह से निकाल कर मेरे लण्ड को आईसक्रीम की तरह चाट रही थी। फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में रख लिया और उसे मुँह में अंदर-बाहर करने लगी। तभी दोनों ने एक दूसरे को देखा और कुछ इशारा किया और दोनों खड़ी हो गयीं और अपनी जगह बदल ली। अब रेशमा नीचे मेरे लण्ड को पकड़े हुए थी ओर नसरीन मेरे सीने पर दोनों ओर पैर डाल कर बैठ गयी। उसके बैठते ही मुझे लगा कि कुछ गीला-गीला है। मैने देखा उसकी चूत से पानी गिर रहा था। वो मेरे मुँह पर झुकी और एक मम्मे की चूची मेरे मुँह में दे दी। मैं उसे चूसने लगा। वो भी “आआआहहहह ऊऊईईईई बहुत मजा आ रहा है रेशमाआऽऽऽ!” इसी तरह बड़बड़ाने लगी।
रेशमा मेरा लण्ड अपने मुँह में ले कर उसे चूस रही थी। मेरा लण्ड अब पानी छोडने वाला था। मैंने सोचा कि उसे बता दूँ। मैंने नसरीन का मम्मा मुँह से निकाला तो नसरीन ने फिर उसे मेरे मुँह में ठूँस दिया। मैं बोल नहीं पाया और मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया। पर रेशमा को तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा। वो अब भी मेरा लण्ड चूस रही थी। अब उसकी मुँह से ‘पच-पच’ की आवाज आ रही थी।
मेरा लण्ड धीरे-धीरे मुर्झाने लगा था जिसे रेशमा ने छोड़ा तो नसरीन ने झुक कर अपने मुँह में ले लिया। रेशमा अब मेरे सीने ओर पेट पर किस कर रही थी और साथ में चाट भी रही थी। मेरे लण्ड के झड़ने के कुछ देर बाद मैं सामान्य होने लगा। वो दोनों मेरे लण्ड ओर पूरे बदन को चाट रही थीं। मैंने रेशमा से कहा, “आपने मुझे बाँधा क्यों?” वो बोली, “हमने एक ब्लू-फिल्म में देखा था! और हमें डर था कि तुम भाग ना जाओ!”
मैंने उसे फिर कहा, “अब तो खोल दो... मैं कहीं नहीं भागुँगा!” दोनों ने मेरे हाथ और पैर खोल दिये ओर बगल में बैठ गयीं। मैं उठकर बैठा तो दोनों औरतें मेरे दोनों तरफ़ बैठी सिगरेट पी रही थीं ओर मेरे बदन को सहला रही थीं। मैंने देखा कि कुत्ता भी कोने में बहुत ही सुस्त सा बैठा देख रहा था। मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा था ओर मेरी हिम्मत भी बढ़ गयी थी। मेरा मन भी उनको चोदने का हो रहा था। मैंने रेशमा की दोनों टाँगें फैलायी ओर अपना लण्ड उसकी चूत में डालने लगा तो वो बोली, “नहीं बिना कंडोम के ऐसे नहीं! कुछ हो गया तो?” उसकी बात सुनकर मैं रुक गया। मेरा लण्ड ओर मन उन दोनों को चोदने को हो रहा था और क्या करूँ ये सोच रहा था। फिर मैंने दोनों से कहा, “कंडोम तो इस वक्त मेरे पास है नहीं! तुम दोनों को चुदवाने की इच्छा नहीं हो रही है क्या?”
वो बोली, “इच्छा तो बहुत हो रही है... दो बार पानी भी गिर गया लेकिन क्या करें... जोखिम नहीं ले सकते!” नसरीन बोली कि “तू कल कंडोम ले कर आना... फिर चुदाई करेंगे! और हाँ इसी वक्त आना!” मैं बहुत मायूस हो गया और सोचने लगा कि ये दोनों तो मेरे जाने के बाद आपस में या फिर इस कुत्ते से अपनी इच्छा पूरी कर लेंगी और मुझे मुठ मार कर काम चलाना पड़ेगा।
मुझे निराश देख कर और मेरा खड़ा लण्ड देखकर उन दोनों ने एक दूसरे को आँखों ही आँखों में कुछ इशारा किया। रेशमा बेड पर कुत्तिया कि तरह झुक गयी और नसरीन ने मेरा लण्ड पकड़ कर रेशमा की गाँड के छेद पर रख दिया। मैं समझ गया और बोला कि “दर्द होगा तो?” रेशमा बोली, “थोड़ा सा तो होगा पर गाँड मरवाने का भी अपना ही मज़ा है! फिर भी तू धीरे से करना... तेरा लण्ड कुछ ज्यादा ही लंबा-मोटा है! और हाँ... मैं कितनी भी चींखूँ या छटपटाऊँ... तू रुकना मत!”
तब तक मैं उसकी गाँड में लण्ड घुसाने की शुरुआत कर चुका था और मेरे लण्ड का ऊपरी हिस्सा उसकी गाँड में था। वो जोर से चिल्लायी, “अल्लाऽऽऽह!” मैंने उसके दोनों मम्मे पकड़ लिये ओर उसके ऊपर झुक गया और उसे उठने नहीं दिया। फिर मैंने उसके मम्म्मे जोर से दबाने शुरू किये और वो “आआआआहह ऊऊऊईईईई अम्मीईईईऽऽऽ” करने लगी। मैंने तभी जोर से लण्ड को झटका मारा और लण्ड आधा अंदर घुस गया। वो चींखी “आँआँईईईईई फट गयी रेऽऽऽ अम्मीईईई फाड़ डाला!” उसकी हिदायत के मुताबिक मैं रुका नहीं और मैंने झटके मारने शुरू किये तो वो भी शाँत हो गयी और मेरा साथ देने लगी। नसरीन सिगरेट के कश लगाती हुई हमें देख रही थी और अपनी चूत सहला रही थी।
हिन्दी में मस्त कहानियाँ
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Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ
कुछ देर बाद मैंने रेशमा की गाँड से लण्ड निकाला तो रेशमा फिर “आआआहहह ऊऊहहह” करने लगी। मैं नसरीन की तरफ़ गया तो नसरीन नखरा करते हुए बोली, “नहीं मुझे डर लग रहा है... मैं इतना बड़ा लण्ड अपनी गाँड में नहीं लुँगी!” उसकी आवाज़ में किसी डर या चिंता की जगह शोखी ज्यादा थी और आँखों में भी वासना ही भरी थी।
रेशमा बोली, “नूरजहाँ की तरह नखरे मत कर... मैंने भी तो करवाया और देख कितना मज़ा आया!”
“पर तू तो गाँड मरवाने में माहिर है.... आज तक कितने ही लण्ड ले चुकी है तू अपनी गाँड में!” नसरीन सिगरेट का धुँआ उड़ाती हुई बोली।
“तेरी गाँड भी कुँवारी नहीं है... पहले मरवायी है तूने भी!” रेशमा बोली, “और फिर इसका दर्द भी बहुत मीठा होता है!”
“ठीक है लेकिन ज़रा एहतियात से करना.... मेरी गाँड रेशमा बेगम की खेली-खायी गाँड की तरह नहीं है!” नसरीन शोखी से मुस्कुराती हुई तैयार हो गयी। अपनी सिगरेट ऐश-ट्रे में बुझा कर वो भी कुत्तिया बन गयी। अब उसकी गाँड मेरे सामने थी। मैंने पहले उसकी गाँड को अपने हाथों से सहलाया जिससे वो गरम होने लगी। फिर मैंने उसकी गाँड के मुँह पर अपना लण्ड रख कर धक्का दिया। उसकी गाँड का छेद थोड़ा छोटा था और लण्ड को जाने के लिये आसानी से रास्ता नहीं मिल रहा था। मैं अपने लण्ड को उसकी गाँड के छेद पर रख कर धीरे-धीरे जोर लगाने लगा और जैसे-जैसे मैं जोर लगाता, नसरीन मचल जाती। वो अपना सिर इधर-उधर हिलाने लगी थी। अपने होंठ उसने दाँतों में दबा लिये जिससे चींख ना निकले। रेशमा उठी ओर उसके सामने बैठ गयी और पैर फैला कर अपनी चूत नसरीन के मुँह के सामने पेश कर दी। रेशमा ने अपनी सहेली का सिर पकड़ा ओर उसका मुँह अपनी चूत पर ले गयी। नसरीन अब उसकी चूत चाटने लगी ओर रेशमा नसरीन के मम्मे दबा रही थी। रेशमा ने मुझे आँख मारी और मैं समझ गया कि ये लण्ड अंदर डालने को कह रही है।
मैंने लण्ड पर अपना थूक लगाया ओर नसरीन की गाँड पर रख कर जोर से झटका दिया। अब मेरे लण्ड का टोपा उसकी गाँड में था। नसरीन चींखने को हुई तो रेशमा ने उसका सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया जिससे नसरीन की चींख अंदर ही रह गयी। नसरीन भी मचल रही थी और रेशमा भी मजे ले रही थी। मैंने मौका देखा और पूरे जोर से लण्ड को धक्का दिया। नसरीन इतने जोर से धक्के के लिये तयार नहीं थी। वो आगे की ओर नीचे गिरी जिससे रेशमा भी पीछे की ओर गिर गयी। नसरीन के ऊपर मेरे नीचे गिरते ही मेरा लण्ड नसरीन की गाँड में पूरा घुस गया। नसरीन जोर से चिल्लायी, “आआआऊऊऊईईईईई..... अम्मीईईईईई, छोड़ो फट गयीऽऽऽ निकालो फट गयीऽऽऽऽ।” मैं कुछ देर शाँत रहा और थोड़ी देर रुककर मैं अपने लण्ड को उसकी गाँड में अंदर-बाहर करने लगा। अब नसरीन को मजा आने लगा। वो बोली, “आआआहहहह, मजा आ रहा है.... थोड़ा जोर से अंदर करो! जोर-जोर से! मजा आ रहा है!” उधर रेशमा नसरीन के मम्मे जोर-जोर से दबा रही थी। कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और मैं नसरीन के ऊपर लेट गया। रेशमा उठी और वो पीछे से मेरे ऊपर आ कर लेट गयी। नसरीन बोली, “रेशमा क्या कर रही है? मुझे मारेगी क्या? गाँड में लण्ड है.... ऊपर से ये ओर उसके ऊपर तू!” नसरिन और रेश्मा इस कहानी की नायिकायें हैं!
कुछ देर बाद हम अलग हुए। मैंने कपड़े पहनने शुरू किये तो कपड़े पहनते-पहनते भी उन दोनों ने मेरे लण्ड को एक-एक बार चूसा। फिर मैं दूसरे दिन का आने का वादा करके अपने कार्ड ले कर वापस आ गया। वो दोनों नंगी ही सिर्फ सैंडल पहने-पहने ही दरवाजे तक मुझे छोड़ने आयीं। उनके चेहरे पर अब भी वासना की झलक थी।
दूसरे दिन मैं दोपहर में तीन बजे मैं रेशमा के घर तय वक्त पर पहुँच गया। उसके पहले मैंने काफी घरों में कार्ड बाँट लिये थे। रेशमा ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर मुस्करायी और मुझे खींच कर अंदर ले गयी। अंदर वो अकेली ही थी। मैंने उससे नसरीन के बारे में पूछा तो वो बोली कि वो तो एक घंटा पहले आने वाली थी पर कुछ काम की वजह से नहीं आयी लेकिन थोड़ी देर में आ जायेगी। दिखने में वो कयामत लग रही थी। उसने काले रंग की सिल्क की झीनी कमीज़ और घूटनों तक का सफेद स्कर्ट पहना हुआ था जिस पर काले फूलों का डिज़ाइन था। उसने कमीज़ नीचे ब्रा भी नहीं पहनी थी जिसके कारण उसके मम्मे झीनी कमीज़ के बाहर से साफ दिख रहे थे।
उसने मुझे सोफे पर बिठाया और बोली, “क्या पियोगे तुम... व्हिस्की... बियर..?” मैंने कहा, “जी बस एक छोटा सा पैग व्हिस्की का ले लुँगा!” ऊँची पतली हील के सैंडल खटखटाती हुई रेशमा किचन में चली गयी। रेशमा की लड़खड़ाती चाल और हाव-भाव से मुझे अंदाज़ा हो गया कि उसने आज पहले से ही कुछ ज्यादा शराब पी रखी थी। उसके कदमों के साथ-साथ ज़ुबान भी थोड़ी सी बहक रही थी। वो व्हिस्की और सोडे की बोतलें, बर्फ की बाल्टी और दो ग्लास ले आयी और दोनों के लिये पैग बनाये। फिर वो मुझसे सट कर बैठ गयी और हम ड्रिंक पीने लगे। उसने मुझे सिगरेट पेश की तो मैंने मना कर दिया कि मैं स्मोक नहीं करता। वो अपनी सिगरेट जलाती हुई बोली, “अच्छी बात है... पहले मैं भी स्मोक नहीं करती थी और ड्रिंक भी कभी-कभार ही लेती थी लेकिन जब से मेरे हसबैंड दुबई गये हैं, तो कुछ अकेलेपन की वजह से और कुछ नसरीन जैसी सहेलियों की सोहबत में ये सब आदतें पड़ गयीं।“
हमारे ग्लास खाली हुए तो रेशमा मुझसे और चिपक गयी और मेरी जाँघ सहलाने लगी और उसका हाथ मेरी पैंट की जेब में रखे कंडोम के पैकेट पर पड़ा। “ये क्या है?” उसने पूछा। “जी वो आपने कहा था ना... इसलिये आज मैं कंडोम लेकर लाया हूँ!” मैंने कहा तो उसने मेरी जेब में हाथ डाल कर कंडोम का पैकेट बाहर निकाला और फिर बे-परवाही मेज पर पटक दिया और मुझसे चिपकते हुए बोली, “इसकी कोई ज़रूरत नहीं थी!” मैंने चौंक कर हैरान नज़रों से उसे देखते हुए पूछा, “आपने ही तो कल...” मेरी बात बीच में ही काट कर रेशमा चहकते हुए बोली, “वो क्या है कि कल हम दोनों पहले ही अपनी चूत टॉमी... उम्म्म मेरा मतलब है कल हमारा मन गाँड मरवाने का था इसलिये कंडोम का बहाना बनाया था!” अपनी समझ में तो उसने बात संभाल ली पर मैं समझ गया कि पिछले दिन मेरे आने के पहले ही दोनों कुत्ते से चुद चुकी थीं। तो इसी लिये कल वो कुत्ता इतना थका हुआ और सुस्त सा लग रहा था।
इतने में उसने पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड दबोच लिया और वो बोली, “अरे ये तो हरकत कर रहा है!” मैंने कहा, “आपकी चूत भी तो हरकत कर रही है!” वो बोली, “तुझे कैसे मालुम...? और ये आप-आप क्या लगा रखा है तूने?” तो मैं बोला, “तुम्हारे निप्पल जो खड़े हो रहे हैं! वो तुम्हारी पोल खोल रहे हैं!” वो अपने निप्पल दबाते हुए बोली, “तू तो छुपा रुस्तम है... औरतों के बारे में काफी जानकारी रखता है तू!” फिर वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी। एक-एक करके उसने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल दिये ओर मेरी शर्ट निकाल दी। अब उसका हाथ मेरी पैंट पर था। वो घुटनों के बल नीचे बैठ गयी। उसने मेरी पैंट का हुक खोला और अपना मुँह आगे करके ज़िप को अपने मुँह से खोलने लगी। ज़िप खोलते ही पैंट नीचे गिर गयी। मेरा लण्ड और भी हरकत में आ गया जो अंडरवीयर को फाड़ने की कोशिश कर रहा था। उसने अंडरवीयर के ऊपर से ही लण्ड को किस किया ओर मुँह से अंडरवीयर उतारने लगी। मुँह में दाँतों से पकड़ कर उसने मेरे अंडरवीयर खींच कर उतार दी।
मेरा लण्ड टन्ना गया था। वो खड़ी हुई और अपने साथ मुझे भी खड़ा करके मेरा सिर पीछे से पकड़ कर मेरे होंठ अपने मुँह में ले लिये और चूसने लगी। मैंने भी उसकी गर्दन के पीछे उसके बालों को पकड़ लिया। हम दोनों की साँसें जोर-जोर से चल रही थी। मैंने उसकी कमीज़ के हुक खोल कर कमीज़ उतार दी। अब वो ऊपर से पूरी नंगी थी उसके मम्मे मेरे सीने से टकरा रहे थे। उसको मैंने और नज़दीक किया ओर उसकी स्कर्ट की पीछे की ज़िप खोल दी। स्कर्ट के नीचे कुछ नहीं था। अब वो ओर मैं दोनों बिल्कुल नंगे थे। उसने बस ऊँची पेंसिल हील वाले काले सैंडल पहन रखे थे। मेरा लण्ड उसकी चूत के आसपास टकरा रहा था। उसके गुलाबी होंठ मेरे मुँह में थे। दोनों की साँसें एक दूसरे से टकरा-टकरा कर आवाज़ कर रही थीं। मैं एक हाथ उसकी गाँड पर रख कर फेरने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चूची दबा रहा था। उसकी नशीली साँसें और भी तेज हो गयी। उसकी आँखें बंद हो गयीं और उसकी चूत भी गीली हो गयी जिसका एहसास मेरे लण्ड को हो रहा था।
उसने मुझे सोफे पर बिठाया और खुद नीचे बैठ कर मेरे लण्ड को चूसने लगी। बीच में रुककर उसने एक ग्लास में व्हिस्की भरी और फिर मेरा लण्ड उसमें डुबो-डुबो कर चूसने लगी। उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था और मेरा पानी छूटने ही वाला था कि तभी दरवाजे की घंटी बज गयी। मेरे तो होश गुम हो गये। वो भी डर गयी। मैंने इशारे से पूछा कि कौन है तो वो बोली, “पता नहीं इस वक्त कौन मादरचोद मर गया... नसरीन होती तो आवाज़ देती... यूँ घंटी ना बजाती!” उसके मुँह से गाली सुनकर मुझे थोड़ा अजीब लगा। नसरिन और रेश्मा इस कहानी की नायिकायें हैं!
दरवाजे की घंटी लगातार बज रही थी। रेशमा अपने कपड़े पहनने के लिये उठाये और मुझे भी अपने कपड़े लेकर दूसरे कमरे मे जाने को कहा। वो अपने कपड़े पहन ही रही थी कि तभी बाहर से आवाज़ आयी, “रेशमा डार्लिंग! मैं नसरीन... दरवाजा खोल!” हम दोनों की जान में जान आ गयी। रेशमा सैंडलों में लड़खड़ाती दरवाजे तक नंगी ही गयी और दरवाजे की आड़ लेकर दरवाज़ा खोला ओर नसरीन अंदर आ गयी। उसने बुर्का पहन रखा था लेकिन चेहरे पर से नकाब उठा रखा था। सिर्फ उसके पैर दिख रहे थे जिनमें उसने सुनहरी रंग के काफी ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने हुए थे।
हम दोनों को नंगा देख कर वो बोली, “मैं ज्यादा लेट हो गयी क्या?” रेशमा बोली, “नहीं अभी नहीं! पर तूने तो जान ही निकाल दी थी! पहले आवाज़ नहीं दे सकती थी क्या? तेरी कार की भी आवाज़ नहीं सुनायी दी!” नसरीन मुस्कुरा दी और रेशमा को बाँहों में लेकर उसके होंठ चूम लिये। नसरीन बोली, “कार की आवाज़ कैसे सुनायी देती... तुम दोनों अपने काम में जो मसरूफ थे!” नसरीन ने अपना बुर्का उतार कर एक तरफ फेंक दिया। अब वो बहुत ही हॉट लग रही थी। उसने गहरे गले वाला हल्के नीले रंग का कमीज़ पहना था जो स्लीवलेस था और सफेद रंग की चूड़ीदार सलवार पहनी हुई थी।
फिर नसरीन मेरे पास आयी और मेरे लण्ड को चूसने लगी। रेशमा भी मेरे पास आ गयी और नसरीन से बोली, “कपड़े उतार ओर पहले तू ही मरवा ले।” नसरीन मुस्कुराते हुए बोली, “हाय अल्लाह... आज तो कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो रही है... क्या बात है? वैसे फिलहाल तो तुम दोनों ही जो कर रहे थे वो ज़ारी रखो.. मैं ज़रा बाथरूम में फ्रेश होकर आती हूँ!” रेशमा बोली, “ठीक है तेरी मरज़ी...!” मुझे देख कर नसरीन आँख मारते हुए बोली, “बस अभी आयी!” और अंदर चली गयी।
रेशमा मेरी गोद में बैठ कर फिर मेरे होंठ चूसने लगी और मैं उसके मम्मे दबाने लगा। नसरीन के सैंडलों की खटखटाहट सुनकर उस तरफ मेरा ध्यान गया तो देखा कि नसरीन ने अपनी कमीज़ और ब्रा दोनों उतार दी थी। हमारे पास आकर उसने मेज पर रखी व्हिस्की की बोतल उठायी और सीधे उसमें से पीने लगी। उसे देख कर रेशमा बोली, “अरे ये क्या! सीधे बोतल से ही पीने लगी! इरादा क्या है?”
नसरीन ने जवाब दिया, “बस जल्दी से तेरी ही तरह मदहोश होके हवा में उड़ने का इरादा है मेरी जान!” और हंसते हुए फिर बोतल से पीने लगी। दो-तीन मिनट में ही उसने काफी शराब पी ली। फिर वो सोफे के पीछे आ कर मेरे ऊपर झुक गयी और अपने मम्मे मेरे मुँह पर रख दिये। मैं उसके मम्मे चूसने लगा। शराब की बोतल अभी भी उसके हाथ में थी और वो बीच-बीच में चुसकियाँ ले रही थी। बीच-बीच में वो थोड़ी शराब अपने मम्मों पर भी डाल देती थी जिसे मैं उसके मम्मों से चाटने लगा। कभी-कभी मेरे दाँत उसके मम्मों में गढ़ जाते तो उसके मुँह से “आआआआहहहह ऊऊऊईईईई” जैसी चुदासी आवाजें निकल जाती।
रेशमा मेरी दोनों टाँगों के आरपार अपनी टाँग फैला कर खड़ी हो गयी। उसने अब मेरे लण्ड को पकड़ कर सीधा किया ओर अपनी चूत के निशाने पर रख कर बैठ गयी। पहले वो हल्का वजन डाल कर बैठी थी और मेरे लण्ड का टोपा ही उसकी चूत में घुसा था। उसकी आँखें बंद थीं और मुँह खुला था। धीरे-धीरे उसने और वजन डालना शुरू किया और मेरा लण्ड उसकी चूत में जाने लगा। जैसे-जैसे लण्ड उसकी चूत में जाने लगा तो उसके मुँह से निकलने वाली मस्ती भरी आवाजें तेज होने लगीं, उसकी आँखें और जोर से बंद हो गयीं। नसरीन ने अब रेशमा के बड़े बड़े मम्मे पकड़ लिये ओर उन्हें दबाने लगी। रेशमा की साँसें तेज चलने लगीं और उसकी मस्ती भरी आवाजें भी और बड़ गयी थी।
रेशमा ने अपना पूरा भार छोड़ दिया और मेरा लण्ड उसकी चूत मैं पूरा घुस गया। रेशमा जोर से चींखी, “आआआआहहह अल्लाऽऽहहह , ऊऊऊऊईईईईई, मेरी चूऽऽऽत.... हायऽऽऽ अम्मीईईई आँईईईईई ऊँहहह!” नसरीन उसके मम्मे और जोर से दबाने लगी। रेशमा की आँखें पूरी तरह से बंद थीं। उसका चेहरा लाल हो गया और उसके मम्मे नसरीन ने दबा- दबा कर लाल कर दिये। रेशमा के मुँह से निकलने वाली चींखें और तेज़ हो गयीं और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया जो मेरे लण्ड के आसपास जमा हो गया, जिसकी गर्मी मुझे महसूस हो रही थी। मैंने रेशमा की नंगी गाँड को पकड़ा ओर उसे इशारे से ऊपर-नीचे करने को कहा क्योंकि मेरे मुँह में नसरीन ने अपने मम्मे ठूँस रखे थे। रेशमा पहले धीरे-धीरे झटके मारने लगी। फिर धीरे-धीरे उसने झटकों को तेज किया ओर फिर जोर-जोर से ऊपर-नीचे उछलने लगी। मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया लेकिन रेशमा जोर-जोर से झटके मारती रही। कुछ देर बाद वो फिर एक और बार चींखते हुए झड़ गयी और मेरी गोद में से फिसल कर नीचे बैठ गयी और हाँफने लगी।
नसरीन भी अब सामने आ गयी थी। नसरीन के मम्मे भी लाल-लाल हो गये थे और उन पर मेरे दाँतों के निशान भी थे। रेशमा का बुरा हाल था। वो जोर-जोर से हाँफ रही थी और माथे पर पसीना था। उसकी चूत गीली थी पर गुलाबी थी। रेशमा घूम कर मेरे पैरों के पास आयी ओर मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चाटते हुए हम दोनों के पानी का स्वाद लेने लगी। फिर धीरे-धीरे रेशमा मेरे पूरे शरीर पर किस करने लगी। ये देख नसरीन ने भी मेरे शरीर से खेलना शुरू कर दिया। उसका एक हाथ सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहला रहा था। फिर वो मेरे लण्ड को जो कि निढाल हो गया था, अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। धीरे-धीरे मेरा लण्ड फिर टनटनाने लगा था। नसरीन भी अब नशे में चूर थी जिस वजह से वो अपनी सलवार का नाड़ा नहीं खोल पा रही थी। रेशमा भी उसकी मदद करने लगी और आखिर में जैसे ही नाड़ा खुला, दरवाजे पर घंटी बज गयी।
हम तीनों डर गये। रेशमा ने उठ कर वहाँ पड़ा नसरीन का बुर्का नंगे जिस्म पर पहन लिया। इतने में नसरीन ने फटाफट शराब की बोतल और ग्लास उठायी और मैंने सब कपड़े समेटे और हम दोनों अंदर कमरे में आ गये। नसरीन बहुत गुस्से में नज़र आ रही थी। नसरिन और रेश्मा इस कहानी की नायिकायें हैं!
दो मिनट बाद ही आने वाले को सोफे पर बिठा कर रेशमा भी अंदर कमरे में आयी और फुसफुसाते हुए हमें बताया कि उसकी कोई बुजुर्ग रिश्तेदार आयी है जो एक घंटे के पहले जाने का नाम नहीं लेगी। उसने नसरीन से कहा कि मुझे पीछे के दरवाज़े से बाहर कर दे। फिर रेशमा ने बुर्का उतार कर जल्दी से कपड़े पहने और खुद को ठीकठाक करके बाहर चली गयी। लेकिन उसके कदम अभी भी लड़खड़ा रहे थे। मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये थे लेकिन नसरीन अभी भी उसी हालत में बैठी थी और बुदबुदाती हुई अपनी किस्मत को कोस रही थी।
मैंने इशारे से नसरीन को कहा कि मुझे बाहर निकलने में मदद कर दे तो वो लड़खड़ाती हुई खड़ी हुई। उसका नशा इतनी देर में पहले से काफी बढ़ गया था। उसी कमरे से घर के पीछे की तरफ दरवाजा था जिससे हम दोनों बाहर निकले। घर के पीछे ऊँची बाउन्ड्री-वाल थी और पेड़-पौधे थे और कुछ पुराना सामान मौजूद था। उसी बाउन्ड्री-वाल में छोटा सा लोहे का दरवाज़ा था जिसके ज़रिये मैं घर के पीछे मैदान में निकल सकता था। मैं जैसे ही वो दरवाज़ा खोलने के लिये आगे बढ़ा, नसरीन ने अचानक मुझे धक्का दे कर दीवार के सहारे सटा दिया और मुझसे चिपट गयी। वो बोली, “साली रेशमा ने तो मज़े ले लिये... मेरी बारी आयी तो... खैर मैं भी तुझे ऐसे जाने नहीं दूँगी...!” और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी। कुछ देर इसी तरह हम दोनों एक दूसरे को चूमते और सहलाते रहे। फिर उसने अपनी सलवार घूटनों के नीचे सरका दी और दीवार की तरफ मुँह करके टाँगें चौड़ी करके दीवार के सहारे आगे झुककर खड़ी हो गयी
मैंने भी अपनी पैंट और अंडर्वीयर नीचे खिसकाये और पीछे से उसकी कमर में हाथ डाल कर अपना लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया और धक्के मारने लगा। वो बेशरम औरत ज़ोर-ज़ोर से मस्ती भरी आवाज़ें निकालने लगी। नशे में उसे इस बात की भी फिक्र नहीं थी कि कहीं उसकी ये चीखें और सितकारें कोई सुन ना ले। मेरे पानी छोड़ने से पहले उसकी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा । जब मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो वो बुरी तरह हाँफ रही थी और घूम कर मुझसे चिपक गयी।
थोड़ा संभलने के बाद मैंने अपने कपड़े ठीक किये और वहाँ से रवाना हो गया।
!!!! समाप्त !!!!
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Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ
कम्प्यूटर लैब में तीन लौड़ों से चुदी
लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
मैं एक तेतीस साल की ज़िन्दगी को जी लेने वाली सोच की मालिक हूँ। मुझे ज़िंदगी अपने ढंग से मस्ती के साथ जीना अच्छा लगता है। मैं एक पढ़ी-लिखी, सैक्सी फिगर वाली बेहद खूबसुरत मॉडर्न महिला हूँ। तेतीस साल की ज़िंदगी में अब तक मैं बहुत से लौड़े ले चुकी हूँ।
सोलह साल की थी जब मैंने अपनी सील तुड़वाई थी और फिर उसके बाद कई लड़के कॉलेज लाइफ तक आये और मेरे साथ मजे करके गए। मैं खुद भी कभी किसी लड़के के साथ सीरियस नहीं रही थी क्योंकि मुझे तो हमेशा सिर्फ चुदाई से मतलब था।
अब मैं एक सरकारी स्कूल में कंप्यूटर की वोकेशनल स्कीम के तहत कंप्यूटर लेक्चरर हूँ, वो भी सिर्फ लड़कों के स्कूल में! वैसे तो वहाँ मेरे अपने कुछ ख़ास सहयोगियों के साथ स्कूल से बाहर अवैध संबंध हैं। मैं अपने पति से अलग रहती हूँ, मेरी दो बेटियाँ हैं जो अपने पापा के साथ दादा-दादी के घर में ही रहती हैं। मेरे पति मर्चेंट नेवी में इंजिनीयर हैं और साल में कुछ ही हफ्तों की छुट्टी पर घर आ पाते थे। मेरा कैरेक्टर तो पहले से ही ढीला था और अकेलेपन ने मुझे और बिगाड़ दिया था। मेरे पति देव ने मुझे समझाने के बजाये छोड़ ही दिया वैसे भी उनके समझाने से मैं सुधरने वाली तो थी नहीं। लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
पति से अलग होने के बाद तो मुझे पूरी छूट मिल गयी जिससे मैं और अय्याश हो गयी। अब मैं आत्मनिर्भर हूँ, अकेली रहती हूँ, चालीस हज़ार प्रति माह मेरी तनख्वाह है, हर सुख-सुविधा घर में मौजूद है। पति से अलग होने के बाद मैं हद से ज्यादा बिगड़ चुकी हूँ और अपने नये-नये आशिकों को रात-रात भर अपने घर रखती हूँ। सिगरेट-शराब तो रोज़ाना खुल कर पीती ही हूँ और कुछ खास मौकों पर कोकेन, एलेस्डी, एक्स्टसी जैसी रेक्रीऐशनल नशीली ड्रग्स का सेवन भी कर लेती हूँ। अपने बिगड़े चाल-चलन की वजह से स्कूल और मेरे आस-पड़ोस में काफी बदनाम हूँ लेकिन मैंने कभी अपनी बदनाम रेप्यूटेशन की परवाह नहीं की। मेरा मानना है कि बेवफ़ा ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं है... इसलिये मैं जवानी के सारे मज़े लूट लेना चाहती हुँ।
आज मैं आपके सामने अपनी एक सबसे अच्छी चुदाई के बारे लिखने लगी हूँ ज़रा गौर फरमाना !
सजने संवरने का भी मुझे बहुत शौक है। मुझे ऐसे कपड़े पहनना पसंद हैं जिनमें मेरे जिस्म की नुमाईश हो सके। जैसे कि चोलीनुमा छोटे-छोटे बैकलेस ब्लाउज़ के साथ नाभि-कटि-दर्शना झीनी साड़ी या गहरे-खुले गले के सूट और वो भी छातियों से कसे हुए, पीठ पर जिप, कमर से कसे, पटियाला या फिर चूड़ीदार सलवार, ऊँची ऊँची हील की सैंडल इत्यादि! दरअसल मुझे अपने जिस्म की नुमाईश करके मर्दों को तड़पाने में बहुत मज़ा आता है।लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
जून-जुलाई की बात है, सब जानते हैं पंजाब में कितनी गर्मी पड़ती है इन दिनों! स्कूल बंद थे लेकिन आजकल हमारे महकमे में एजुसेट एजूकेशन ऑनलाइन क्लास लगती है, उसके तहत पांच दिन का सेमीनार लगा। बाकी सारा स्कूल बंद था। साइंस ग्रुप में सिर्फ पांच लड़के हैं। गर्मी बहुत थी पहले ही जालीदार मुलायम सा सूट डाला था बाकी पसीने से मेरा सूट बदन से चिपक जाता!
पांच में से तीन लड़के सिरे के हरामी थे, उनकी नज़रें तो मेरी चूचियों पर टिकी रहती, बस मेरे जिस्म को देख-देख अन्दर ही आहें भरते होंगे!
पहला दिन ऐसे ही निकला, दूसरे दिन मैंने और पतला नेट का सूट पहना और खुल कर अपनी सुडौल चूचियों की नुमाईश लगाई। मुझे शुरु से ही इस तरीके से लड़कों को अपना जिस्म दिखाना अच्छा लगता था। इससे मुझे बहुत गर्मी मिलती थी। वो आज मुझे आँखें फाड़े देखते ही रह गए। गर्मी की वजह से मैं आज कंप्यूटर लैब में बैठ गई, ए.सी लैब थी। मैंने उनको छुट्टी कर दी और खुद लैब में चली गई और ए.सी फुल स्पीड पे चला दिया। दरवाज़ा थोड़ा बंद करा और सिगरेट सुलगा कर मैंने पॉर्न कहानियों की साईट खोल ली और साथ में ही एक और अडल्ट वेबसाइट! मुझे शुरू से ही अश्लील किताबें और गंदी ब्लू फिल्में देकने का शौक था।
पर्स में से लाइम फ्लेवर जिन का पव्वा निकाल कर उसकी चुसकियाँ लेते हुए मैं वहाँ कहानियाँ पड़ने लगी। पढ़ते-पढ़ते मेरी चूत गीली हो गई और मम्मे तन गए। देखते और पढ़ते हए मेरा हाथ मेरी सलवार में घुस गया। मैंने अपना नाड़ा थोड़ा ढीला कर लिया और पैंटी नीचे खिसका कर अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। जिन की नीट चुस्कियों से जल्दी ही मुझ पर सुरूर छाने लगा था। दरवाज़े को कोई कुण्डी नहीं लगाई थी क्यूंकि स्कूल में सिर्फ मैं ही थी। चौंकीदार शाम को छः बजे आता था इसलिये स्कूल में आज अपना ही राज़ था।
पर्स में से पॉर्न सी.डी निकाल कर लगाई और देखने लगी। अब मैं आराम से मेज पर आधी लेट गई और सिगरेट के कश और जिन की चुसकियों का मज़ा लेते हुए अपना कमीज़ उठाकर मम्मे दबाने लगी। मुझे क्या मालूम था कि मैं तो सिर्फ कंप्यूटर पर मूवी देख रही हूँ, तो कोई और मेरी लाइव मूवी देख रहा है। तभी किसी का हाथ मेरे कंधे पर आन टिका। मैं घबरा गई, मेरा रंग उड़ने लगा।
वो तीनों हरामी लड़के मेरे पीछे खड़े थे।
“तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”
“मैडम! आप इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो?”
“शट- अप एंड गेट लोस्ट फ्रॉम माय लैब!”
वो बोले- “मैडम, लैब सरकारी है आपकी नहीं ! हमें तो कुछ प्रिंट्स निकालने थे। क्या पता था कि कुछ और दिख जाएगा!”
उनसे बातें करते हुए अपनी सलवार और कुर्ती वैसे ही रहने दी। तभी विवेक नाम का लड़का घूम कर मेरे सामने आया और मेरी जांघों पर हाथ फेरता हुआ बोला- “क्या जांघें हैं यार!”
उसका स्पर्श पाते ही मैं बहकने लगी, नकली डांट लगाने लगी।लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
राहुल ने अपना हाथ मेरी कुर्ती में डालते हुए मेरे चूचूक मसल दिए और पंकज ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी जिप खोल कर अपनी पैंट में अन्दर घुसा दिया। मैं तो लंड लेने के लिये हमेशा ही तैयार रहती हूँ और इस वक्त तो वैसे भी मैं चुदाई के मूड में थी और जिन का अच्छा खासा नशा मुझ पे सवार था। उसका लिंग हाथ में पकड़ कर ही मैंने अब बेशर्म होने का फैसला कर लिया। एक दम से मेरे में बदलाव देख वो थोड़ा चौंके।
“मादरचोद कमीनों, हरामियो! कुण्डी तो लगा लो!”
“भोंसड़ी वालो! एक जना जाकर स्कूल के मेन-गेट को लॉक करके आओ!” मैंने उन्हें ऑर्डर दिया और जिन की बोतल मुँह से लगा कर गटागट पूरा पव्वा पी गयी।
तीनों ने मुझे छोड़ा और मेरे बताये सारे काम करने निकल गए। मैंने अब मूवी की आवाज़ भी तेज़ कर दी और सलवार उतार कर पास में पड़ी कुर्सी पर फेंक दी, फिर कमीज़ भी उतार कर फेंक दी। पर्स में से कोल्ड क्रीम निकाली, उसको चूत और गांड में लगाया।
जब वो आये तो मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी और हाई पेंसिल हील के सैंडल पहने मेज़ पर लेटी सिगरेट के कश लगा रही थी। तीनों ने मेरे इशारे पर अपनी अपनी पैंट उतार डाली और शर्ट भी। तीनों को ऊँगली के इशारे से पास बुलाया और ब्रा खोलते हुए बारी-बारी तीनों के कच्छे उतार दिए।
हरामियों के क्या लौड़े थे- सोचा नहीं था कि बारहवीं क्लास के लड़कों के इतने बड़े लौड़े होंगे। मैं एक एक कर तीनों के लौड़े चूसने लगी। राहुल और पंकज के लौड़े एक साथ मुँह में डलवाए और विवेक मेरी पैंटी उतार कर मेरी शेव्ड चूत चाटने लगा। उसके चाटने से मेरा दाना और फड़कने लगा, चूचूक तन गये! मैं अब सिर्फ हाई पेंसिल हील के सैंडल पहने बिल्कुल मादरजात नंगी थी।
पंकज ने झट से मुँह में चूचूक लेकर चूसना शुरु किया। राहुल ने भी दूसरा चूचूक मुँह में लेकर काट सा दिया- “हरामी ! ज़रा प्यार से चूस! बहुत कोमल हैं!”
वो बोला- “साली कुतिया कहीं की! मैडम, साली बहन की लौड़ी! रांड कहीं की! नखरा करती है बेवड़ी साली!”
उसने लौड़ा मेरे हलक में उतार दिया, मैं खांसने लगी। वो बोले- “चल कुत्तिया! तेरा रेप करते हैं!”
विवेक ने मेरी गांड पर थप्पड़ जड़ दिए, मेरे बाल नौच कर मेरे हलक में लौड़ा उतार दिया।
“पागल हो गए हो कुत्तों?”
“हाँ!”
बुरी तरह से मेरी छाती पर दांतों के निशान गाड़ डाले। विवेक ने मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया, पंकज और राहुल मेरा मुँह चोदने लगे, साथ में मेरे चूचूक रगड़ने लगे।लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
“आहऽऽऽ उहऽऽ!”
उसका मोटा लौड़ा मेरी चूत चीर रहा था- “ले साली कुतिया! बहुत सुना था तेरे बारे में तेरे मोहल्ले से! वाकई में तू बहुत प्यासी और चुदासी औरत है!”
“हाँ कमीनो! हूँ मैं रांड! क्या करूँ? मेरी चुत और गाँड में दहकती आग बुझने का नाम ही नहीं लेती! हाय और मार बेहनचोद मेरी चूत! विवेक जोर लगा दे सारा!”
उसने साथ में अपनी दो उंगलियों को मेरी गांड में घुसा दिया और कोल्ड क्रीम लगाते लगाते चार उंगलियों को घुसा दिया। फिर चूत से लौड़ा निकाला और एक पल में गांड में घुसेड़ दिया- चीरता हुआ लौड़ा घुसने लगा- मेरी गाँड फटने लगी!
उसने वैसे ही मुझे उठाया और नीचे कारपेट पर मुझे ले गया। खुद सीधा लेट गया, मैं उसकी तरफ पिछवाड़ा करके उसके लौड़े पर बैठती गई और लौड़ा गाँड में अंदर जाता रहा। वो वॉलीबाल की तरह उछल रहा था कि पंकज ने मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिए। राहुल ने मुँह में डाल रखा था।लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
“हाय कमीनी अब बोल के दिखा- बहुत बकती है साली क्लास में!”
सही में मैं कुत्तिया बन चुकी थी, मैं खांसने लगती तब वो मेरे मुँह से लंड निकालता। लेकिन पंकज के होंठों की मेरी चूत पर हो रही करामात मेरी सारी तकलीफ ख़तम कर देती। विवेक गांड मारता जा रहा था कि पंकज खड़ा हुआ और आगे से आकर विवेक की जांघों पर बैठ गया और अपना आठ इंच का लौड़ा चूत पे रगड़ने लगा।
“हाय हाय डाल दे तू भी साले!” मस्ती और नशे में मेरी अवाज़ बहक रही थी।
उसने अपना मोटा लौड़ा चूत में घुसाना शुरु किया तब विवेक रुक गया। लेकिन जैसे ही उसका पूरा घुस गया, दोनों हवाई जहाज की स्पीड पर मेरी ठुकाई करने लगे। मुँह से सिसकियाँ फ़ूट रही थी- “हाय! चोदो मुझे!”
राहुल ने फिर से मुँह में डाल दिया और हो गया शुरु!
पंकज तेज़ होता गया, विवेक उससे भी ज्यादा तेज़ हो गया तो पंकज रुक गया। विवेक ने पंकज को हटा दिया और एकदम से मुझे पलट कर नीचे किया और तेजी से मेरी छिनाल गाँड चोदने लगा।
“आह उह” करता करता उसने अपना सारा माल मेरी गांड में छोड़ना शुरु किया- सारी खुजली ख़त्म!
अब पंकज सीधा लेट गया और मैंने उसके लौड़े पर बैठ कर उसे अपनी गांड में गचक लिया, राहुल ने पंकज की तरह अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया। विवेक का लौड़ा मेरी गीली गांड से भर कर निकला था। मेरी गाँड के गंदे माल और उसके खुद के रस से लथपथ लौड़ा मैंने मुँह में ले कर सारा चाट लिया, एक बून्द भी बेकार नहीं जाने दी मैंने!लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
विवेक पास में लेट हांफने लगा। पंकज ने भी वैसे ही रफ़्तार खींची, राहुल को उतार दिया और घोड़ी बना के गांड में लौड़ा डाला और फिर चूत में डालते हुए रफ़्तार पकड़ी। राहुल ने लौड़ा मेरे मुँह में ठूंस दिया। पंकज ने दोनों हाथों से नीचे से भैंस के थनों की तरह लटक रहे कसे हुए मम्मों को पकड़ कर झटके दिए। एक भैंस की तरह मानो मेरा दूध चो रहा हो! ज़बरदस्त तरीके से पकड़ रखे थे उसने और पीछे दन दना दन झटके मारते हुए उसने एक दम से मेरे घुटनों को खिसकाते मुझे कारपेट पर गिरा दिया लेकिन लौड़ा बाहर नहीं आने दिया। मेरे मम्मे कारपेट से रगड़ खाने लगे। थोड़ी चुभन होने लगी। लौड़ा भी कस गया लेकिन वो नहीं रुका।
दोनों एक साथ झड़े। उसने सारा माल मेरी बच्चेदानी के मुँह के पास निकाल दिया। न जाने कितने वक्त के बाद मैंने किसी को बिना कंडोम चूत में छूटने का मौका दिया। एक साथ दोनों का कम जब मिला- मैंने आंखें मूँद ली और उसके साथ चिपक गई! फिर अलग हुए तो उसने मुँह में डाल कर लौड़ा साफ़ करवाया। राहुल उठा और मुझे फिर से पटक कर मेरे ऊपर सवार हो गया। सबमें से राहुल का लौड़ा सबसे लम्बा मोटा और फाड़ू था। उसने बेहतरीन तरीके से मेरी चूत मारी। झड़ने का नाम नहीं ले रहा था। इतने में विवेक का फिर खड़ा हो चुका था।
लेकिन राहुल क्या चोदू था- उसने मुझे फिर से झाड़ दिया और गांड में ठेल कर सारा लावा वहीं छोड़ दिया।
विवेक का तन चुका था, पंकज तैयार था।
पूरा दिन स्कूल की लैब में ए.सी के सामने तीनों ने न जाने कितनी बार मुझे रौंदा!
घड़ी देखी तो शाम के साढ़े पांच बज चुके थे और छः बजे चौकीदार स्कूल में आता था। उसको तो सब मालूम था मेरे बारे में, क्योंकि कईं बार मेरे साथी टीचरों ने उसके कमरे में मुझे चोदा था। मैं अपनी सिगरेट शराब भी कईं बार उससे ही मंगवाती थी। लेकिन वो तीनों लौंडे ये नहीं जानते थे और नहीं चाहते थे कि चौकीदार उन्हें देखे!लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
जब हम निकले तो मैं काफी नशे में थी और मेरे कदम हाई हील सैंडलों में थोड़े लड़खड़ा रहे थे। मेरी जाँघें उन तिनों के वीर्य से चिपचिपा रही थी। वो तीनों लौंडे फटाफट निकल कर भाग गये लेकिन चौंकीदार ने उन्हें निकलते हुए पीछे से देख लिया था पर मुझे कोई परवाह नहीं थी। मैंने अपनी स्कूटी स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन वो स्टार्ट नहीं हुई, सेल्फ ख़राब था। मैंने नशे में डगमगाते हुए किक लगाने की कोशिश की तो ऊँची हील की सैंडल में मेरा पैर किक से फिसल गया और स्कूटी मेरे हाथ से छूट कर गिर पड़ी। चौंकीदार भागता हुआ आया तो मैंने उससे से कहा- “स्टार्ट कर दे किक से!”
चौकीदार स्कूटी खड़ी करते हुए बोला- “मैडम मेरे लौड़े को कब मौका दोगी आप? आज फिर से लड़कों से ठुकवा बैठी हो! मैं कौन सा कम हूँ? माना पोस्ट चौकीदार की है लेकिन कौन सा काला कलूटा हूँ? पूरा मजा दूंगा!” किक मारते मारते यह सब बोल रहा था। पहले भी उसने एक दो बार इस तरह की गुहार की थी पर मैंने प्यार से झिड़क कर टाल दिया था। आखिर था तो मामुली सा चौंकीदार ही। हालांकि मुझे तो सिर्फ चुदाई से मतलब था ना कि उसकी औकाद या जात-पात से लेकिन मैं अपने दूसरे आशिकों को नाराज़ नहीं करना चाहती थी।
उसने एक दम से अपना लौड़ा निकाला और दिखाते हुए बोला- “देखो इसको! अभी सोया हुआ है फिर भी कितना मोटा है! जब आपका हाथ लगेगा तो दहाड़ेगा यह!”
सही में उस जैसा लौड़ा आज तक नहीं देखा था। वो खुद भी छः फुट तीन इंच लम्बा-चौड़ा मर्द था, सुडौल मजबूत शरीर का मालिक था। छब्बीस -सत्ताईस साल उम्र होगी उसकी।लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
स्कूटी स्टार्ट हुई तो वो बोला- “मैडम, जवाब तो देती जाओ?”
मैंने गौगल्ज़ लगाते हुए कहा- “यहाँ स्कूल में नहीं.... रात ग्यारह बजे मेरे घर आ जाना लेकिन खबरदार किसी को पता न चले! इंतज़ार करुँगी!”
वो खुश हो गया और बोला, “जरूर मैडम... आप जहाँ बुलायेंगी... पहुँच जाऊँगा आपकी खिदमत में! आप भी ध्यान से घर जाना... काफी नशे में लग रही हो... ज्यादा पी ली लगती है.... ऐक्सिडन्ट ना कर बैठना!”
“चिंता मत कर.... मैं जितने नशे में होती हूँ उतनी ज्यादा नॉर्मल होती हूँ....,” मैं स्कूटी पर बैठ कर हंसते हुए बोली और जोर से एक्सीलेटर घुमाते हुए झटके से स्कूटी आगे बढ़ा दी।
रात को घर में क्या-क्या हुआ? पढ़ें अगले भाग में: “कम्प्यूटर लैब से चौकीदार तक”
!!!! समाप्त !!!!
लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
मैं एक तेतीस साल की ज़िन्दगी को जी लेने वाली सोच की मालिक हूँ। मुझे ज़िंदगी अपने ढंग से मस्ती के साथ जीना अच्छा लगता है। मैं एक पढ़ी-लिखी, सैक्सी फिगर वाली बेहद खूबसुरत मॉडर्न महिला हूँ। तेतीस साल की ज़िंदगी में अब तक मैं बहुत से लौड़े ले चुकी हूँ।
सोलह साल की थी जब मैंने अपनी सील तुड़वाई थी और फिर उसके बाद कई लड़के कॉलेज लाइफ तक आये और मेरे साथ मजे करके गए। मैं खुद भी कभी किसी लड़के के साथ सीरियस नहीं रही थी क्योंकि मुझे तो हमेशा सिर्फ चुदाई से मतलब था।
अब मैं एक सरकारी स्कूल में कंप्यूटर की वोकेशनल स्कीम के तहत कंप्यूटर लेक्चरर हूँ, वो भी सिर्फ लड़कों के स्कूल में! वैसे तो वहाँ मेरे अपने कुछ ख़ास सहयोगियों के साथ स्कूल से बाहर अवैध संबंध हैं। मैं अपने पति से अलग रहती हूँ, मेरी दो बेटियाँ हैं जो अपने पापा के साथ दादा-दादी के घर में ही रहती हैं। मेरे पति मर्चेंट नेवी में इंजिनीयर हैं और साल में कुछ ही हफ्तों की छुट्टी पर घर आ पाते थे। मेरा कैरेक्टर तो पहले से ही ढीला था और अकेलेपन ने मुझे और बिगाड़ दिया था। मेरे पति देव ने मुझे समझाने के बजाये छोड़ ही दिया वैसे भी उनके समझाने से मैं सुधरने वाली तो थी नहीं। लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
पति से अलग होने के बाद तो मुझे पूरी छूट मिल गयी जिससे मैं और अय्याश हो गयी। अब मैं आत्मनिर्भर हूँ, अकेली रहती हूँ, चालीस हज़ार प्रति माह मेरी तनख्वाह है, हर सुख-सुविधा घर में मौजूद है। पति से अलग होने के बाद मैं हद से ज्यादा बिगड़ चुकी हूँ और अपने नये-नये आशिकों को रात-रात भर अपने घर रखती हूँ। सिगरेट-शराब तो रोज़ाना खुल कर पीती ही हूँ और कुछ खास मौकों पर कोकेन, एलेस्डी, एक्स्टसी जैसी रेक्रीऐशनल नशीली ड्रग्स का सेवन भी कर लेती हूँ। अपने बिगड़े चाल-चलन की वजह से स्कूल और मेरे आस-पड़ोस में काफी बदनाम हूँ लेकिन मैंने कभी अपनी बदनाम रेप्यूटेशन की परवाह नहीं की। मेरा मानना है कि बेवफ़ा ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं है... इसलिये मैं जवानी के सारे मज़े लूट लेना चाहती हुँ।
आज मैं आपके सामने अपनी एक सबसे अच्छी चुदाई के बारे लिखने लगी हूँ ज़रा गौर फरमाना !
सजने संवरने का भी मुझे बहुत शौक है। मुझे ऐसे कपड़े पहनना पसंद हैं जिनमें मेरे जिस्म की नुमाईश हो सके। जैसे कि चोलीनुमा छोटे-छोटे बैकलेस ब्लाउज़ के साथ नाभि-कटि-दर्शना झीनी साड़ी या गहरे-खुले गले के सूट और वो भी छातियों से कसे हुए, पीठ पर जिप, कमर से कसे, पटियाला या फिर चूड़ीदार सलवार, ऊँची ऊँची हील की सैंडल इत्यादि! दरअसल मुझे अपने जिस्म की नुमाईश करके मर्दों को तड़पाने में बहुत मज़ा आता है।लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
जून-जुलाई की बात है, सब जानते हैं पंजाब में कितनी गर्मी पड़ती है इन दिनों! स्कूल बंद थे लेकिन आजकल हमारे महकमे में एजुसेट एजूकेशन ऑनलाइन क्लास लगती है, उसके तहत पांच दिन का सेमीनार लगा। बाकी सारा स्कूल बंद था। साइंस ग्रुप में सिर्फ पांच लड़के हैं। गर्मी बहुत थी पहले ही जालीदार मुलायम सा सूट डाला था बाकी पसीने से मेरा सूट बदन से चिपक जाता!
पांच में से तीन लड़के सिरे के हरामी थे, उनकी नज़रें तो मेरी चूचियों पर टिकी रहती, बस मेरे जिस्म को देख-देख अन्दर ही आहें भरते होंगे!
पहला दिन ऐसे ही निकला, दूसरे दिन मैंने और पतला नेट का सूट पहना और खुल कर अपनी सुडौल चूचियों की नुमाईश लगाई। मुझे शुरु से ही इस तरीके से लड़कों को अपना जिस्म दिखाना अच्छा लगता था। इससे मुझे बहुत गर्मी मिलती थी। वो आज मुझे आँखें फाड़े देखते ही रह गए। गर्मी की वजह से मैं आज कंप्यूटर लैब में बैठ गई, ए.सी लैब थी। मैंने उनको छुट्टी कर दी और खुद लैब में चली गई और ए.सी फुल स्पीड पे चला दिया। दरवाज़ा थोड़ा बंद करा और सिगरेट सुलगा कर मैंने पॉर्न कहानियों की साईट खोल ली और साथ में ही एक और अडल्ट वेबसाइट! मुझे शुरू से ही अश्लील किताबें और गंदी ब्लू फिल्में देकने का शौक था।
पर्स में से लाइम फ्लेवर जिन का पव्वा निकाल कर उसकी चुसकियाँ लेते हुए मैं वहाँ कहानियाँ पड़ने लगी। पढ़ते-पढ़ते मेरी चूत गीली हो गई और मम्मे तन गए। देखते और पढ़ते हए मेरा हाथ मेरी सलवार में घुस गया। मैंने अपना नाड़ा थोड़ा ढीला कर लिया और पैंटी नीचे खिसका कर अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। जिन की नीट चुस्कियों से जल्दी ही मुझ पर सुरूर छाने लगा था। दरवाज़े को कोई कुण्डी नहीं लगाई थी क्यूंकि स्कूल में सिर्फ मैं ही थी। चौंकीदार शाम को छः बजे आता था इसलिये स्कूल में आज अपना ही राज़ था।
पर्स में से पॉर्न सी.डी निकाल कर लगाई और देखने लगी। अब मैं आराम से मेज पर आधी लेट गई और सिगरेट के कश और जिन की चुसकियों का मज़ा लेते हुए अपना कमीज़ उठाकर मम्मे दबाने लगी। मुझे क्या मालूम था कि मैं तो सिर्फ कंप्यूटर पर मूवी देख रही हूँ, तो कोई और मेरी लाइव मूवी देख रहा है। तभी किसी का हाथ मेरे कंधे पर आन टिका। मैं घबरा गई, मेरा रंग उड़ने लगा।
वो तीनों हरामी लड़के मेरे पीछे खड़े थे।
“तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”
“मैडम! आप इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो?”
“शट- अप एंड गेट लोस्ट फ्रॉम माय लैब!”
वो बोले- “मैडम, लैब सरकारी है आपकी नहीं ! हमें तो कुछ प्रिंट्स निकालने थे। क्या पता था कि कुछ और दिख जाएगा!”
उनसे बातें करते हुए अपनी सलवार और कुर्ती वैसे ही रहने दी। तभी विवेक नाम का लड़का घूम कर मेरे सामने आया और मेरी जांघों पर हाथ फेरता हुआ बोला- “क्या जांघें हैं यार!”
उसका स्पर्श पाते ही मैं बहकने लगी, नकली डांट लगाने लगी।लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
राहुल ने अपना हाथ मेरी कुर्ती में डालते हुए मेरे चूचूक मसल दिए और पंकज ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी जिप खोल कर अपनी पैंट में अन्दर घुसा दिया। मैं तो लंड लेने के लिये हमेशा ही तैयार रहती हूँ और इस वक्त तो वैसे भी मैं चुदाई के मूड में थी और जिन का अच्छा खासा नशा मुझ पे सवार था। उसका लिंग हाथ में पकड़ कर ही मैंने अब बेशर्म होने का फैसला कर लिया। एक दम से मेरे में बदलाव देख वो थोड़ा चौंके।
“मादरचोद कमीनों, हरामियो! कुण्डी तो लगा लो!”
“भोंसड़ी वालो! एक जना जाकर स्कूल के मेन-गेट को लॉक करके आओ!” मैंने उन्हें ऑर्डर दिया और जिन की बोतल मुँह से लगा कर गटागट पूरा पव्वा पी गयी।
तीनों ने मुझे छोड़ा और मेरे बताये सारे काम करने निकल गए। मैंने अब मूवी की आवाज़ भी तेज़ कर दी और सलवार उतार कर पास में पड़ी कुर्सी पर फेंक दी, फिर कमीज़ भी उतार कर फेंक दी। पर्स में से कोल्ड क्रीम निकाली, उसको चूत और गांड में लगाया।
जब वो आये तो मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी और हाई पेंसिल हील के सैंडल पहने मेज़ पर लेटी सिगरेट के कश लगा रही थी। तीनों ने मेरे इशारे पर अपनी अपनी पैंट उतार डाली और शर्ट भी। तीनों को ऊँगली के इशारे से पास बुलाया और ब्रा खोलते हुए बारी-बारी तीनों के कच्छे उतार दिए।
हरामियों के क्या लौड़े थे- सोचा नहीं था कि बारहवीं क्लास के लड़कों के इतने बड़े लौड़े होंगे। मैं एक एक कर तीनों के लौड़े चूसने लगी। राहुल और पंकज के लौड़े एक साथ मुँह में डलवाए और विवेक मेरी पैंटी उतार कर मेरी शेव्ड चूत चाटने लगा। उसके चाटने से मेरा दाना और फड़कने लगा, चूचूक तन गये! मैं अब सिर्फ हाई पेंसिल हील के सैंडल पहने बिल्कुल मादरजात नंगी थी।
पंकज ने झट से मुँह में चूचूक लेकर चूसना शुरु किया। राहुल ने भी दूसरा चूचूक मुँह में लेकर काट सा दिया- “हरामी ! ज़रा प्यार से चूस! बहुत कोमल हैं!”
वो बोला- “साली कुतिया कहीं की! मैडम, साली बहन की लौड़ी! रांड कहीं की! नखरा करती है बेवड़ी साली!”
उसने लौड़ा मेरे हलक में उतार दिया, मैं खांसने लगी। वो बोले- “चल कुत्तिया! तेरा रेप करते हैं!”
विवेक ने मेरी गांड पर थप्पड़ जड़ दिए, मेरे बाल नौच कर मेरे हलक में लौड़ा उतार दिया।
“पागल हो गए हो कुत्तों?”
“हाँ!”
बुरी तरह से मेरी छाती पर दांतों के निशान गाड़ डाले। विवेक ने मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया, पंकज और राहुल मेरा मुँह चोदने लगे, साथ में मेरे चूचूक रगड़ने लगे।लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
“आहऽऽऽ उहऽऽ!”
उसका मोटा लौड़ा मेरी चूत चीर रहा था- “ले साली कुतिया! बहुत सुना था तेरे बारे में तेरे मोहल्ले से! वाकई में तू बहुत प्यासी और चुदासी औरत है!”
“हाँ कमीनो! हूँ मैं रांड! क्या करूँ? मेरी चुत और गाँड में दहकती आग बुझने का नाम ही नहीं लेती! हाय और मार बेहनचोद मेरी चूत! विवेक जोर लगा दे सारा!”
उसने साथ में अपनी दो उंगलियों को मेरी गांड में घुसा दिया और कोल्ड क्रीम लगाते लगाते चार उंगलियों को घुसा दिया। फिर चूत से लौड़ा निकाला और एक पल में गांड में घुसेड़ दिया- चीरता हुआ लौड़ा घुसने लगा- मेरी गाँड फटने लगी!
उसने वैसे ही मुझे उठाया और नीचे कारपेट पर मुझे ले गया। खुद सीधा लेट गया, मैं उसकी तरफ पिछवाड़ा करके उसके लौड़े पर बैठती गई और लौड़ा गाँड में अंदर जाता रहा। वो वॉलीबाल की तरह उछल रहा था कि पंकज ने मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिए। राहुल ने मुँह में डाल रखा था।लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
“हाय कमीनी अब बोल के दिखा- बहुत बकती है साली क्लास में!”
सही में मैं कुत्तिया बन चुकी थी, मैं खांसने लगती तब वो मेरे मुँह से लंड निकालता। लेकिन पंकज के होंठों की मेरी चूत पर हो रही करामात मेरी सारी तकलीफ ख़तम कर देती। विवेक गांड मारता जा रहा था कि पंकज खड़ा हुआ और आगे से आकर विवेक की जांघों पर बैठ गया और अपना आठ इंच का लौड़ा चूत पे रगड़ने लगा।
“हाय हाय डाल दे तू भी साले!” मस्ती और नशे में मेरी अवाज़ बहक रही थी।
उसने अपना मोटा लौड़ा चूत में घुसाना शुरु किया तब विवेक रुक गया। लेकिन जैसे ही उसका पूरा घुस गया, दोनों हवाई जहाज की स्पीड पर मेरी ठुकाई करने लगे। मुँह से सिसकियाँ फ़ूट रही थी- “हाय! चोदो मुझे!”
राहुल ने फिर से मुँह में डाल दिया और हो गया शुरु!
पंकज तेज़ होता गया, विवेक उससे भी ज्यादा तेज़ हो गया तो पंकज रुक गया। विवेक ने पंकज को हटा दिया और एकदम से मुझे पलट कर नीचे किया और तेजी से मेरी छिनाल गाँड चोदने लगा।
“आह उह” करता करता उसने अपना सारा माल मेरी गांड में छोड़ना शुरु किया- सारी खुजली ख़त्म!
अब पंकज सीधा लेट गया और मैंने उसके लौड़े पर बैठ कर उसे अपनी गांड में गचक लिया, राहुल ने पंकज की तरह अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया। विवेक का लौड़ा मेरी गीली गांड से भर कर निकला था। मेरी गाँड के गंदे माल और उसके खुद के रस से लथपथ लौड़ा मैंने मुँह में ले कर सारा चाट लिया, एक बून्द भी बेकार नहीं जाने दी मैंने!लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
विवेक पास में लेट हांफने लगा। पंकज ने भी वैसे ही रफ़्तार खींची, राहुल को उतार दिया और घोड़ी बना के गांड में लौड़ा डाला और फिर चूत में डालते हुए रफ़्तार पकड़ी। राहुल ने लौड़ा मेरे मुँह में ठूंस दिया। पंकज ने दोनों हाथों से नीचे से भैंस के थनों की तरह लटक रहे कसे हुए मम्मों को पकड़ कर झटके दिए। एक भैंस की तरह मानो मेरा दूध चो रहा हो! ज़बरदस्त तरीके से पकड़ रखे थे उसने और पीछे दन दना दन झटके मारते हुए उसने एक दम से मेरे घुटनों को खिसकाते मुझे कारपेट पर गिरा दिया लेकिन लौड़ा बाहर नहीं आने दिया। मेरे मम्मे कारपेट से रगड़ खाने लगे। थोड़ी चुभन होने लगी। लौड़ा भी कस गया लेकिन वो नहीं रुका।
दोनों एक साथ झड़े। उसने सारा माल मेरी बच्चेदानी के मुँह के पास निकाल दिया। न जाने कितने वक्त के बाद मैंने किसी को बिना कंडोम चूत में छूटने का मौका दिया। एक साथ दोनों का कम जब मिला- मैंने आंखें मूँद ली और उसके साथ चिपक गई! फिर अलग हुए तो उसने मुँह में डाल कर लौड़ा साफ़ करवाया। राहुल उठा और मुझे फिर से पटक कर मेरे ऊपर सवार हो गया। सबमें से राहुल का लौड़ा सबसे लम्बा मोटा और फाड़ू था। उसने बेहतरीन तरीके से मेरी चूत मारी। झड़ने का नाम नहीं ले रहा था। इतने में विवेक का फिर खड़ा हो चुका था।
लेकिन राहुल क्या चोदू था- उसने मुझे फिर से झाड़ दिया और गांड में ठेल कर सारा लावा वहीं छोड़ दिया।
विवेक का तन चुका था, पंकज तैयार था।
पूरा दिन स्कूल की लैब में ए.सी के सामने तीनों ने न जाने कितनी बार मुझे रौंदा!
घड़ी देखी तो शाम के साढ़े पांच बज चुके थे और छः बजे चौकीदार स्कूल में आता था। उसको तो सब मालूम था मेरे बारे में, क्योंकि कईं बार मेरे साथी टीचरों ने उसके कमरे में मुझे चोदा था। मैं अपनी सिगरेट शराब भी कईं बार उससे ही मंगवाती थी। लेकिन वो तीनों लौंडे ये नहीं जानते थे और नहीं चाहते थे कि चौकीदार उन्हें देखे!लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
जब हम निकले तो मैं काफी नशे में थी और मेरे कदम हाई हील सैंडलों में थोड़े लड़खड़ा रहे थे। मेरी जाँघें उन तिनों के वीर्य से चिपचिपा रही थी। वो तीनों लौंडे फटाफट निकल कर भाग गये लेकिन चौंकीदार ने उन्हें निकलते हुए पीछे से देख लिया था पर मुझे कोई परवाह नहीं थी। मैंने अपनी स्कूटी स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन वो स्टार्ट नहीं हुई, सेल्फ ख़राब था। मैंने नशे में डगमगाते हुए किक लगाने की कोशिश की तो ऊँची हील की सैंडल में मेरा पैर किक से फिसल गया और स्कूटी मेरे हाथ से छूट कर गिर पड़ी। चौंकीदार भागता हुआ आया तो मैंने उससे से कहा- “स्टार्ट कर दे किक से!”
चौकीदार स्कूटी खड़ी करते हुए बोला- “मैडम मेरे लौड़े को कब मौका दोगी आप? आज फिर से लड़कों से ठुकवा बैठी हो! मैं कौन सा कम हूँ? माना पोस्ट चौकीदार की है लेकिन कौन सा काला कलूटा हूँ? पूरा मजा दूंगा!” किक मारते मारते यह सब बोल रहा था। पहले भी उसने एक दो बार इस तरह की गुहार की थी पर मैंने प्यार से झिड़क कर टाल दिया था। आखिर था तो मामुली सा चौंकीदार ही। हालांकि मुझे तो सिर्फ चुदाई से मतलब था ना कि उसकी औकाद या जात-पात से लेकिन मैं अपने दूसरे आशिकों को नाराज़ नहीं करना चाहती थी।
उसने एक दम से अपना लौड़ा निकाला और दिखाते हुए बोला- “देखो इसको! अभी सोया हुआ है फिर भी कितना मोटा है! जब आपका हाथ लगेगा तो दहाड़ेगा यह!”
सही में उस जैसा लौड़ा आज तक नहीं देखा था। वो खुद भी छः फुट तीन इंच लम्बा-चौड़ा मर्द था, सुडौल मजबूत शरीर का मालिक था। छब्बीस -सत्ताईस साल उम्र होगी उसकी।लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
स्कूटी स्टार्ट हुई तो वो बोला- “मैडम, जवाब तो देती जाओ?”
मैंने गौगल्ज़ लगाते हुए कहा- “यहाँ स्कूल में नहीं.... रात ग्यारह बजे मेरे घर आ जाना लेकिन खबरदार किसी को पता न चले! इंतज़ार करुँगी!”
वो खुश हो गया और बोला, “जरूर मैडम... आप जहाँ बुलायेंगी... पहुँच जाऊँगा आपकी खिदमत में! आप भी ध्यान से घर जाना... काफी नशे में लग रही हो... ज्यादा पी ली लगती है.... ऐक्सिडन्ट ना कर बैठना!”
“चिंता मत कर.... मैं जितने नशे में होती हूँ उतनी ज्यादा नॉर्मल होती हूँ....,” मैं स्कूटी पर बैठ कर हंसते हुए बोली और जोर से एक्सीलेटर घुमाते हुए झटके से स्कूटी आगे बढ़ा दी।
रात को घर में क्या-क्या हुआ? पढ़ें अगले भाग में: “कम्प्यूटर लैब से चौकीदार तक”
!!!! समाप्त !!!!