जिस्म की प्यास compleet

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raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 08:11

डॉली की बहन ललिता भी काफ़ी खुश थी चंदर से बात करके.. अभी तक किसी ने भी जो भी हो चुका उसके बारे

में जिकर नहीं किया था. फिर ललिता को मेसेज मिला उसमें लिखा था "ललिता मैने कभी भी किसी

लड़की के साथ वो सब नहीं करा था जो तुम्हारे साथ करा था और सच बोलू मुझे इतना अच्छा कभी नहीं

लगा था. ललिता को ये पढ़ के और भी खुशी हुई मगर काफ़ी दिन उसने इंतजार में लगा दिया था और अब वो

नहीं लड़ सकती थी तो उसने चंदर से पूछा "मेरे साथ तुमने क्या करा था : "

चंदर ने लिखा "सेक्स" फिर ललिता लिखती हिन्दी में बोलो मुझे मज़ा आता है"

फिर चंदर ने जवाब दिया "मैने जब तुम्हे देखा था मेरा लंड तभी मचल गया था और जब तुम्हे चोदा

तो मानो मैने जन्नत पाली हो.' ये पढ़ के ललिता भी पूरी तरह मचल गयी और उसने पूछा

"फिर कब करने का इरादा है " उसने लिखा "जब आपकी इच्च्छा हो.. मैं तो हमेशा तैय्यार हूँ "

अगले दिन जब नारायण स्कूल में पहुचा तो उसके कमरे में एक बहुत ही ज़्यादा सुंदर लड़की खड़ी थी....

हलकी नारायण ने उसका चेहरा नही देखा क्यूंकी वो पीठ करके खड़ी हुई थी मगर पीछे से ही देखने में

वो काफ़ी हसीन लग रही थी.... जब नारायण ने अपने गले से हल्की सी आवाज़ निकाली तो वो लड़की एक दम से

घूमी और उसको देखकर गुड मॉर्निंग सर बोलने लगी..... उस लड़की को आगे से देखकर नारायण की कुच्छ सेकेंड

के लिए बोलती बंद हो गयी.... वो फिलहाल तो एक सफेद पर्पल सलवार कुर्ते में थी दुपट्टे के साथ मगर वो बहुत खूबसूरत लग रही थी.... नारायण ने उसे बड़े प्यार से पूछा "जी आप कौन"

उस लड़की के जवाब देने से पहले ही पीछे से सुधीर आ गया और बोला " नारायण सर ये आपकी नयी सेक्रेटरी है...

इनका नाम मिस. रश्मि मिश्रा है... मैने कल ही इन्हे अपायंट करा है" ये सुनके नारायण खुश हो गया था

कि पहली बारी उसके पास कोई लेडी सेक्रेटरी होगी और वो भी दिखने में अच्छी थी... हाइट में लंबी

तकरीबन 5 फुट 5 इंच बदन से बिल्कुल पतली... बाल काले कंधे तक थे और अच्छे से बँधे हुए...

चेहरा मासूम गोरा बदन और आँखों पे काला मास्कारा लगा हुआ था और उनपे एक चश्मा..

उसकी गान्ड काफ़ी एक दम टाइट थी और मम्मे भी छोटे थे तकरीबन 34 बी... ये मानलो दिखने में वो

शरीफ रिया सेन लग रही थी....तीनो फिर साथ में असेंब्ली के लिए नीचे उतरे... नारायण की नज़र

काफ़ी बच्चो पर पड़ रही थी जो रश्मि को आगे पीछे से घूर जा रहे थे....

फिर जब ललिता और चेतन स्कूल गये हुए थे फोन की घंटी फिर से बजी और ललिता ने फोन उठाया के हेलो बोला...

एक अजीब सी आवाज़ में एक शक़्स ने बोला "हेलो मॅम... कैसी है आप?? "

शन्नो ने वो आवाज़ अभी तक सुनी नही थी उसने पूछा "सॉरी आपको पहचाना नहीं...आप कौन बोल रहे है??"

उस आदमी ने कहा "हॉ...आप ने मुझे पहचाना नहीं??? वैसे तू पहचान भी नहीं सकती क्यूंकी मैं हॉलो मॅन हूँ" ये बोलके वो हँसने लग गया

"क्या बकवास का रहे हो" शन्नो गुस्सा होके बोली

हॉलो मॅन (ह्म) बोला "बकवास नही करवाना चाहती तो और क्या करवाना चाहती है??"

शन्नो ने फोन रख दिया और अपने आपको शांत करने लगी मगर फिरसे फोन की घंटी बजी... शन्नो ने फोन

उठाया वो ही इंसान फिरसे बोला

"हेलो मॅम.... मेरे फोन का इंतजार कर रही थी?? मैं वो मूतने गया हुआ था इसलिए 2 मिनट लेट हो गया"

शन्नो ने कुच्छ नहीं कहा मगर उसकी सांसो से उस बंदे को पता चल रहा था कि फोन अभी शन्नो के कान पे लगा हुआ है....

बोला " क्या पहेना हुआ है आज??"

शन्नो बोली "तुमसे मतलब??"

हसके बोला "खैर जो भी पहना हो तू तो हमेशा नंगी ही अच्छी लगती है"

शन्नो ने "ष्ह्ह्हुउउउत्त्त्त्त उप्प्प्प्प्प" चिल्ला के फोन रख दिया..

फिर वो दूसरे काम में लग गयी मगर कहीं ना कहीं से उसका ध्यान फोन पे जा रहा था

नारायण की ख्वाहिश थी कि रश्मि को कोई मॉडर्न ड्रेस में देखे जैसी कि आम तौर पे

सेक्रेटरी पहना करती है... जब देखो तो वो सलवार कुर्ते में ही आती थी....

रश्मि के पास एक छोटा सा कॅबिन था जो कि नारायण के कमरे से लगा हुआ था...

वो कॅबिन नीचे से लकड़ी का था और उपर से शीशे का तो जब भी नारायण कमरे में इर्द गिर्द घूमता तो

उसे रश्मि सामने बैठी हुई काम में व्यस्त दिखाई देती.... उसको देख कर ऐसा लगता था कि वो उस

स्कूल की लड़की की तरह है जो पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहती है मगर लड़को से काफ़ी दूर रहती है....

ऐसा नही था कि नारायण रश्मि का दीवाना हो गया था मगर जब एक लड़की आपके आमने सामने इधर उधर

दिखाई देती रहती है तो मन में गंदे ख़याल आने लगते है और वोई हाल नारायण का भी हो रहा था....

फिर एक बारी स्कूल में मीटिंग होने वाली थी जिस में रश्मि एक हल्की ग्रे रंग की सारी में आई थी....

उसके बाल क्लिप में बँधे हुए थे और माथे पर एक छ्होटी सी सिल्वर बिंदी लगी हुई थी....

उस दिन पहली बारी नारायण ने रश्मि के नंगे पेट को देखा जोकि हद से ज़्यादा चिकना और गोरा था...

उसकी छोटी सी नाभि में उसका उंगली डालने का भी मन था मगर अपनी पोज़िशन के वजह से वो रिस्क नही ले सकता था....

दोनो बहनो की ज़िंदगी खुशी से चलती रही मगर फरक इतना था कि डॉली को प्यार था और ललिता को हवस

से प्यार था. राज और डॉली काफ़ी करीब आने लगे थे अब डॉली को राज के गालो को चूमना आम बात थी.

राज का भी अब आगे बढ़ने का ख्वाब था और उसने वो पूरा करने की ठान रखी थी.

जहा डॉली और ललिता अपनी मर्ज़ी से अपनी ज़िंदगी चला रही थी उधर शन्नो की ज़िंदगी में एक तूफान आहिस्ते आहिस्ते

बढ़ रहा था..... हॉलो मॅन शन्नो को कयि बारी कॉल कर चुका था और गौर की बात ये थी कि वो उसको

दोपेहर के दौरान फोन किया करता था....

एक दोपहर जब शन्नो ने फोन उठाया तो वो इतना परेशान हो गई थी उसकी गंदी बातो से कि उसने कहा

"देखो मेरा पति है तुम एक शादी शुदा औरत से ऐसे बात नही कर सकते"

उस ने कहा " तो हफ्ते में कितनी बारी चोद्ता है तेरेको तेरा मर्द??" इससे पहले शन्नो उसको कुच्छ बोलती उसने बोला

"वैसे भी वो काफ़ी बुड्ढ़ा हो गया है और तेरे इस जिस्म की प्यास को वो नहीं मिटा सकता"

शन्नो बोली "तुम मेरे पति को जानते नही हो"

होलो मॅन बोला "वैसे वो एक महीने से घर पर तो है नही तो उसके बगैर तेरी चूत का कैसे गुज़ारा होता होगा??"

शन्नो ये जानके चौक गयी कि इसको कैसे पता कि नारायण घर पर नही है.... मगर फिर उसने आखरी बारी उसे

बिन्ति करी ये कहके "कि मेरे बच्चे भी है प्लीज़ यहा कॉल ना करा करो"

होलो मॅन बोला "डॉली, ललिता और चेतन यही नाम है तेरे बच्चो का.. और तेरी बेटियाँ भी जवान और खूबसूरत है

मगर तेरी तरह बड़े बड़े तरबूज़ का रस उनके पास कहाँ"

शन्नो ने उसे धमकी दी कि वो पोलीस में बता देगी जिसपे हॉलो मॅन ज़ोर ज़ोर से हँसने लग गया और शन्नो

ने फोन रख दिया...

पूरे आधे घंटे तक हॉलो मॅन शन्नो को कॉल करता रहा और शन्नो फोन की घंटी से परेशान होकर

अपने कान पर हाथ रख कर अपने बिस्तर पे बैठी रही...

उस रात डॉली ने राज को कॉल करा और दोनो ढेर सारी बात करती रही... राज ने डॉली से मिलने की

इच्छा ज़ाहिर करी और वो तो अभी रात के 1 बजे आने के लिए कह रहा था मगर डॉली ने उसको मना कर दिया..

राज फिर भी नही माना तो डॉली ने बताया कि कल वो स्कूल आएगी पापा का टिफिन लेके तब वो उसे कुच्छ

मिनट के लिए मिल ले.... ये सुनकर राज शांत हो गया और दोनो ने बात करनी बंद करी.....

पूरी रात राज सोचने लगा कि वो कैसे अपने दोस्तो को साबित करें कि उसने स्कूल के प्रिन्सिपल की बेटी को पटा

रखा है. उसने अपने कुच्छ ख़ास दोस्तो को जब ये बताया था तो सब उसपे हँसने लगे थे...

कोई मान नहीं सकता था कि राज उससे 4 साल बड़ी लड़की जोकि प्रिनिसिपल की बेटी भी है उसको पटा सकता है....

राज के पास इससे अच्छा मौका नही था सबकी बोलती बंद करने का....

क्रमशः……………………….


raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 08:12

जिस्म की प्यास--13

गतान्क से आगे……………………………………

अगली दोपहर जब डॉली स्कूल आई नारायण को टिफिन देने के बहाने से तब उसने एक घुटनो से बड़ी सफेद

स्कर्ट पहेन रखी थी और उसके उपर बैंगनी रंग का टॉप. उसके अंदर उसने लाल रंग की ब्रा और पैंटी पहेन

रखी थी. नारायण ने रश्मि को डॉली से मिलवाया और दोनो की कुच्छ ही समय काफ़ी अच्छी जान पहचान हो गयी....

फिर डॉली ने राज को चिडाने के लिए मैसेज किया कि वो स्कूल आई हुई है.... वो जानती थी कि वो उस वक़्त राज मिनक्लॅस होगा और वो उससे मिले बगैर घर जा सकती थी.... लेकिन जब राज ने डॉली को कॉल किया तो उसने

घबराके कॉल उठाया.

राज ने बोला "तुम्हे क्या लगता मैं तुम्हे इतनी आसानी से जाने दूँगा.. मुझसे मिलना तो पड़ेगा ही" डॉली बोली

"ये नहीं हो सकता राज कोई भी मुझे पहचान लेगा यार समझा करो"

राज फिर बोला "मैं कुच्छ नहीं जानता मिलना तो पड़ेगा चाहे कुच्छ भी हो जाए. " डॉली बोली कोई ऐसी जगह

है जहाँ मुझे कोई देख ना पाए"

राज ने फॅट से कहा कि जगह तो है क्यूंकी अभी सबके पीरियड्स चल रहे है तो जब मैं तुम्हे मिस्ड कॉल

मारु तो तुम अपने पापा के कमरे से बाहर आ जाना." डॉली ने पापा को बोल दिया कि वो अब घर जा रही

है और जैसी ही राज का कॉल आया तो वो कमरे के बाहर आगयि. राज डॉली को देख कर मचल गया और

डॉली भी काफ़ी खुश थी मगर वो ये जानना चाह रही थी कि राज इतना मचला हुआ क्यूँ है.

राज उसके पास आया और अंजान बनकर उसके कानो में हल्के से कहा "अब बस मेरे पीछे चलती रहो."

राज उसको थोड़ी दूर तक चलके लेके गया और एक दरवाज़े के बाहर रुक गया. डॉली ने अपनी मुन्डि

उपर की तो लिखा हुआ था 'बॉय'स टाय्लेट'.... वो जगह छोटी क्लास 6-7 क्लास के लड़को का टाय्लेट था. राज ने

दरवाज़ा खोलके देखा और जब उसे लगा कि अंदर कोई नही है तो उसने डॉली की कलाई को पकड़ा और उसको

अंदर खीच लिया........ राज ने अंदर से मैं दरवाज़े पर कुण्डी लगा दी. दोनो की फिर 2 मिनट तक बहस

चलती रही और डॉली ने फिर उसे आहिस्ते से पूछा "अगर कोई आ गया तो??" राज ने कहा

"बच्चो को यही लगेगा कि दरवाज़ा अंदर से जाम हो गया है और वैसे भी हमारी सेट्टिंग है."

डॉली ने राज पे भरोसा कर लिया क्यूंकी उसके पास और कोई चारा नहीं था.... राज ने एक दम से अपनी

बाहें फेलाई और डॉली को अपने से चिप्टा लिया.... डॉली ने भी राज को बाँहों में ले लिया.... जब दोनो ने एक

दूसरे की बाहें छोड़ी तो राज मस्ती करने के लिए डॉली को कुच्छ दरवाज़ो के पीछे लिखी

बातें डॉली को पढ़ाने लगा. डॉली पढ़ के दंग रह गयी कि जो गंदी बातें उसको कॉलेज में आके पता

चली थी वो इन बच्चो को इतनी छोटी उमर में पता है. फिर राज ने डॉली को कहा "अच्छी बात है

कि तुम आ गयी मैं बोर हो रहा था' डॉली ने कहा "हां और मैं जा भी रही हूँ मुझे डर लग रहा है."

राज ने कहा "ऐसे कैसे अभी तो स्कूल ख़तम होने में भी बहुत समय है प्लीज़ रुक जाओ ना. ये कहता

कहता राज नाराज़ हो गया. डॉली उसको मनाने की कोशिश करती रही मगर वो नहीं माना. फिर डॉली

ने कहा देखो जाना तो है ही तो मैं तुम्हारे लिए क्या करके जा सकती हूँ."

राज ने डॉली की आँखों में देखा और एक प्यारी सी मुस्कान दी जिसको देखा डॉली शरमाने लगी.....

डॉली बोली "अब बताओ भी या फिर सिर्फ़ स्माइल करते रहोगे"... राज ने फिर कहा"ओके मुझे तुम्हारी पैंटी दिखाओ"

डॉली ये सुनके चौक गयी और बोली "तुम पागल हो गये हो क्या?"

राज बोला "सिर्फ़ दिखाने को बोल रहा हूँ डॉली... इतनी कोई बड़ी बात नहीं है... सिर्फ़ 2 सेकेंड के लिए ना जान"

आज पहली बारी राज ने डॉली को जान कहा जो डॉली को सुनके काफ़ी अच्च्छा लगा और वो बोली

"ठीक है राज जी मगर सिर्फ़ 2 सेकेंड लिए.. ओके जान"

राज फिर डॉली को देखना लगा जोकि धीरे धीरे अपनी लंबी सफेद रंग की स्कर्ट को उठाने लगी....

पहले डॉली की टाँगें फिर जांघें दिखने लगी और फिर एक लाल रंग की पैंटी दिखाई दी राज को जिससे उसका गला

सूख गया... फिर झट से डॉली ने अपनी स्कर्ट नीचे कर दी और राज बोला "क्या इतनी जल्दी... ये कोई बात नहीं हुई"

डॉली बोली "अब मैं जा रही हूँ.. बस बहुत टाइम हो गया" राज बोला नहीं मुझे देखना है...

या तो तुम मुझे अपनी पैंटी उतारके देदो"

फिर से डॉली और राज की बहस हो गई मगर अपनी बात पे अड़ा रहा. डॉली अब और इंतजार नहीं कर

सकती थी और उसने अपनी स्कर्ट के अंदर हाथ डाला और अपनी लाल पैंटी उतारके राज को पकड़ा दी. राज ने बोला

"अब आज ये मेरे पास ही रहेगी." डॉली राज के इस बर्ताव से काफ़ी नाराज़ हो गई थी. उसने इस बारी कोई

बहस नहीं करी और गुस्से में उस टाय्लेट से चली गयी.... राज बड़ा बिंदास होके टाय्लेट से निकला क्यूंकी उसने

अपना काम निकाल लिया था और अपने कुच्छ दोस्तो को सामने ऊचा बनने के लिए उसने डॉली की उतरी पैंटी भी दिखा दी.

ये देख कर सब राज की पूजा करने लगे और राज अपने आपको भगवान समझने लगा. डॉली जितना

परेशान राज के बर्ताव से थी अब उतनी खुश भी हो गई थी. ये सब करने में उसको एक अजीब सा मज़ा

आया वैसा ही मज़ा जैसे जब उसने अपने छोटे भाई के साथ चुदाई करी थी...

raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 08:13

उस रात नारायण और डॉली जब खाना खा रहे थे तब नारायण ने उसे पूछा "बेटा एग्ज़ॅम्स कब हो रहे तुम्हारे?? टिकेट भी तो करवाना होगा तुम्हारा...' ये सुनके डॉली के चेहरे पे उदासी छा गयी.. उसकी ज़िंदगी इतने

समय के बाद अच्छी चल रही थी मगर अब बीच में एग्ज़ॅम्स आने थे.. उसने नारायण से कहा

"पापा मैं भूल ही गयी थी आपको बताना कि अगले हफ्ते है एग्ज़ॅम्स... आप टिकेट करवा दीजिए"

डॉली पूरे समय यही सोचती रही की मेरेको पढ़ाई करनी चाहिए तभी मेरे अच्छे नंबर आएँगे नहीं तो

पापा मम्मी नाराज़ हो जाएँगे.. ये सोचके उसी वक़्त उसने राज को मैसेज करके कह दिया कि उसको

वापस दिल्ली जाना है एग्ज़ॅम देने और उसके लिए पढ़ना पड़ेगा और उसी वजह से वो अब उसे मिल नहीं पाएगी"

राज ने काफ़ी ज़िद करी डॉली से मिलने के लिए मगर डॉली अपनी बात पे आडी रही. उधर शन्नो ने भी ललिता

और चेतन को अब घूमने फिरने के लिए मना किया और पढ़ाई पे ध्यान देने को कहा..

चेतन ने अपनी मम्मी की फिर भी सुन ली मगर ललिता अभी भी अपनी दुनिया में खोई वी थी. ललिता कयि बारी

चंदर से फोन पे बात करने को कहा मगर वो हर बारी कोई ना कोई बहाने मारता रहा..

ये बात ललिता को थोड़ी अजीब लगी मगर उसको ये भी लगा कि वो शायद थोड़ा सा शर्मा रहा हो.

फिर भी वो मैसेज से काफ़ी बातें करते थे. चंदर ललिता से कुच्छ चटपटी बातें भी पुछ्ता था

जैसे कि उसका साइज़ क्या है और वो अपने को संतुष्ट कैसे करती है और किन चीज़ो से करती है?

क्या उसने और किसी को भी नंगा देख रखा है? वगेरा वगेरा. ललिता ने भी उसको सच सच जवाब दिए.

दोनो का सबसे पसंदीदा सवाल था कि आज उन्होने क्या पहेन रखा है?? फिर एक उन्होने मिलने

का प्लान बनाया. चंदर ने बताया कि सुबह से दोपहर तक उसका घर पर खाली रहता है मगर उसके बाद

बाई आती है उसके लिए खाना वगेरा बनाने के लिए और वो उसको मना भी नहीं कर सकता क्यूंकी

फिर उसके मा बाप सवाल करने लगेंगे. ललिता किसी भी तरह उससे मिलना चाहती थी क्यूंकी वो ये अकेलापन

बर्दाश्त नहीं कर सकती थी और वो फिरसे चंदर के लंड को अपनी टाइट चूत में महसूस करना चाहती थी.

ललिता ने बोला कि अगर तुम चाहो तो तुम छुट्टी लेलो स्कूल से और मैं वहाँ बंक करके आ सकती हूँ.

चंदर को इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी और दोनो ने फिर परसो का प्लान बनाया.

अगले शाम ललिता ने पार्लर जाके अपने चेहरे पे ब्लीच वागरह लगवाया बाल ठीक करवाया और

वॅक्सिंग भी करवाई. वो चाहती थी कि चंदर उसको देखता ही रह जाए. उसको चंदर से कोई प्यार व्यार

नहीं था मगर फिर भी वो ये सब कर रही थी ताकि कल का दिन हसीन बन जाए. उसी दोपहर राज भी

डॉली के घर आया और घंटी बजाने लगा.. डॉली ने दरवाज़ा नहीं खोला और जब राज ने उसको

कॉल करके पूछा तो उसने बहाना बना दिया क़ि वो अभी घर पे नहीं है. राज को लगा था कि जब डॉली की

पैंटी हाथ में आगयि थी तो उसको भी आने में समय नहीं लगागे मगर इस एग्ज़ॅम ने सब

कुच्छ बिगाड़ दिया. राज डॉली की पैंटी से ही काम चला रहा था.. जब भी उसे मौका मिलता तो उसको सूँगके

या डॉली को उसमें सोचके अपने लंड को सहलाने लगता.

मगर उधर................ उससे पहले दोपहर के कुच्छ 12 बजे फ़ोन की घंटी फिरसे बजी और काफ़ी देर के बाद फोन ना

चाहते हुए भी उठाया... फिरसे शन्नो को वोई गंदी आवाज़ सुनाई दी

हेलो मॅम?? कैसी है आप?? इतनी देर क्यूँ लगा दी?? क्या आपनी चूत से खेल रही थी आप??

शन्नो बोली "तुम क्यूँ मुझे परेशान कर रहे हो??"

हॉलो मॅन ने उस बात का कोई जवाब नही दिया और बोला "वैसे आपके लिए मैने एक गिफ्ट रखा है??

ख़ासतौर से आपके लिए खरीदा है"

शन्नो गुस्से में बोली "मुझे तुमसे और तुम्हारा गिफ्ट से कुच्छ लेना देना नही है"

हॉलो मॅन बोला "लेना और देना हम दोनो में खूब लगा रहेगा फिलहाल अगर आपने वो तौफा नहीं उठाया

तो आपका बेटा या फिर बेटी उसे ज़रूर देख लेगी क्यूंकी वो आपके घर के बाहर ही रखा है"

शन्नो जल्दी से फोन अपने साथ लेके गयी (कॉर्डलेस था) और दरवाज़ा खोलते ही उसे ज़मीन पर एक लाल रंग

के चकोर डिब्बा दिखाई दिया... शन्नो ने उस डिब्बे को उठाया और घबरा गयी कि इस आदमी को मेरे घर का पता भी मालूम है.. शन्नो फिर वापिस सोफे पे बैठी और बोली "क्या है इसमे??"

हॉलो मॅन बोला "एक ऐसी चीज़ है जो आपके बहुत ईस्तमाल की है... ज़रा खोलके को देखिए"

शन्नो ने उस गुलाबी काग़ज़ की रॅपिंग को गुस्से में छितरे छितरे कर दिया और जब उसने उस डिब्बे को

खोलके देखा तो उसने गुस्से में हॉलो मॅन को कहा " तुम समझते क्या हो आपने आपको?? तुम्हारी हिम्मत

कैसे हुई मुझे ये देने की??

होलो मॅन बोला " मैं जानता था की ये आपको ज़रूर पसंद आएगा... अब ये आपके जिस्म की प्यास मिटाने में थोड़ी

सी मदद करेगा"

शन्नो ये सुनके उस डिब्बे को फेंकने ही वाली थी जिसमे एक गुलाबी रंग का बड़ा मोटा लंड (डिल्डो सेक्स टॉय) था....

हॉल मॅन ने बोला "अगर उस डिब्बे को फेकने की या फिर आपने हाथ से दूर करने की कोशिश करी तो आपके इस मस्त

बदन के और उस घर के छितरे छितरे हो जाएँगे क्यूंकी इसमे बॉम्ब है"

बॉम्ब सुनते ही शन्नो के माथे पर पसीना आने लगा... शन्नो बोली "देखो मैने तुम्हारा कुच्छ नहीं

बिगाड़ा है तो प्लीज़ इससे बॉम्ब को फटने से रोको"

होलो मॅन बोला " वो काफ़ी मुश्किल काम है मगर हां अगर मेरी शर्त मंज़ूर करो तो मैं तुम्हारी तकलीफ़

कम कर दूँगा"

शन्नो परेशान होकर बोली "प्लीज़ जल्दी करो मुझे बहुत डर लग रहा है"

एचएम बोला " मेरी शर्त बहुत छ्होटी सी है... मगर है बड़ी मज़ेदार... मुझे तुम्हे एक गाना गाके

सुनाना पड़ेगा... "

शन्नो उसको बीच में रोकके बोली " कौनसा गाना..."

एचएम बोला " मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त... और इसको गाने के बाद ही मैं बॉम्ब बंद करने में तुम्हारी

मदद करूँगा"

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