11
गतान्क से आगे.......
जय ने जब देखा की अलाव मे लकड़ियाँ कम हो रही थी और उसने और
लकड़ियाँ डाल आग को थोड़ा तेज कर दिया. आग के भड़कने से अंधेरा
थोड़ा छांट सा गया और वो दोनो लड़कियों की दिशा मे देखने लगा.
रोमा का अक्ष उसे सॉफ दिखाई दे रहा था. उसने देखा कि उसकी बेहन
रोमा की चुचियो को चूसने के बाद उसकी जांघों के अन्द्रुनि हिस्सों
को चूम रही है, फिर उसने अपना चेहरा रोमा की चूत पर लगा
दिया. उसने रोमा के शरीर को अकड़ते देखा, गहरी सांसो की वजह से
उसकी चुचियों उठ बैठ रही थी.
रोमा की सिसकियाँ इतनी तेज थी कि राज और जय को सॉफ सॉफ सुनाई दे
रही थी. रोमा की सिसीकियाँ उसके लंड को और उत्तेजित कर रही थी,
उसका दिल कर रहा था कि रिया की जगह उसका लंड रोमा की चूत पर
हो. उसके ख़याल से रोमा अभी तक कुँवारी थी और वो चाहता था कि वो
पहला शॅक्स हो जो उसकी चूत की झिल्ली को फाड़ उसका उधागटन करे.
उसने देखा कि रोमा ने अपनी दोनो टाँगे रिया के चेहरे के इर्द गिर्द
रख दी थी और अपने हाथो से उसके चेहरे को अपनी चूत पर और
जोरों से दबा रही थी.
जय ने नज़रे घूमा कर अपने गहरे दोस्त राज की ओर देखा जो घास
पर लेटा हुआ आसमान मे तारों को निहार रहा था. उसे इस बात की
बिल्कुल भी परवाह नही थी कि उसकी सग़ी बेहन किसी दूसरी लकड़ी के
साथ शरीक सुख का आनंद उठा रही है थी. जब उसने देख की राज अपने
ही ख्यालों मे खोया हुआ है वो अपने लंड को पॅंट के उपर से मसल्ने
लगा, जब लंड पूरी तरह उत्तेजना मे भर गया तो उसने अपना पानी
छोड़ने का उपाय खोजने लगा.
जैसे जैसे रिया और रोमा की सिसकियों की आवाज़ उसके कानो मे पड़ती
उसके लंड की हालत और खराब होती जा रही थी. आज पहली बार उसे
रिया से ज़्यादा रोमा को चोदने की इच्छा मन मे हो रही थी.
इन सभी बातों से अंजान रिया अपनी नयी दोस्त रोमा की चूत मे अपनी
जीभ घूमा उसे चूस रही थी. उसने अपनी दो उंगलियाँ भी रोमा की
चूत मे डाल थी और अपनी अन्हुभवी जीब के साथ अपनी उँघलीया भी
उसकी चूत के अंदर बाहर कर रही थी.
आख़िर जब सहन नही हुआ तो जय ने अपनी ज़िप खोली और अपने लंड को
आज़ाद कर लिया, रस की कुछ बूँदें ज़मीन पर टपक पड़ी, तभी उसने
देखा कि रोमा ने करवट बदली और उसका चेहरा उसकी तरफ हो गया
था. एक अंजानी कल्पना ने उसे घेर लिया.
उसने देखा की वो उसपर झुका हुआ है और रोमा अपना मुँह खोल उसके
लंड को अपने मुँह मे ले रही है, फिर उसके लंड को उपर से नीचे
चाटते हुए वो पूरा लंड मुँह मे ले चूसने लगती है. वो उसके सिर को
पकड़ अपने लंड को उसके गले तक डाल देता है. अब वो उसके मुँह को
चोद रहा है और रोमा है कि उसके लंड को जोरों से चूस रही है.
इन्ही ख़यालों मे खोया वो अपने लंड को और जोरों से मसल्ने लगता
है, तभी उसके लंड से वीर्य की एक जोरदार पिचकारी छूट गिरने
लगती है. वो अपनी आँख खोलता है तो देखता है कि वहाँ कोई नही
है, ये सिर्फ़ एक सपना था जो उसने अभी अभी देखा था.
एक बार लंड से पानी छूटने के बाद उसे लड़कियों को देखने मे कोई
दिलचस्पी नही रह गयी थी. वो राज के पास आकर बैठ जाता है और
एक सिग्रेट सुलगा लेता है. थोड़ी ही देर बाद दोनो लड़कियाँ भी
आकर उनके साथ शामिल हो जाती है.
जय ने देखा की दोनो एक दूसरे का हाथ थामे हँसी मज़ाक कर रही
थी. रोमा ने देखा कि रिया उसके भाई राज के काफ़ी नज़दीक जाकर
बैठ गयी थी, वो भी जय के पास बैठ गयी. रोमा देख रही थी की
किस तरह रिया उसके भाई के साथ फ्लर्ट कर रही थी, पर वो कुछ कर
नही सकती थी.शुरू से ही उसे इस बात का डर था, जलन और गुस्से
को वो पी रही थी.
आख़िर रिया ने राज का हाथ पकड़ा और उसे उठाने लगी, "आओ ना राज
क्यों नखरे दीखा रहे हो?"
राज असहाय नज़रों से रोमा को देखने लगा, उसका बिल्कुल भी मन नही
था कि वो रिया का साथ दे लेकिन रिया इतनी जीद कर रही थी कि उसे
उठना पड़ा और वो दोनो भागते हुए अंधेरे मे खो गये.
"शायद ये तुम्हारी मदद करे." जय ने रोमा को एक सिग्रेट पकड़ाते
हुए कहा.
रोमा ने चुपचाप जय के हाथों से सिग्रेट ले ली. वैसे तो उसे राज
पर और अपने प्यार पर विश्वास था. पर रिया के व्यवहार और ये सोच
कि अंधेरे मे दोनो क्या कर रहे होंगे उसके दिल मे दर्द और जलन की
एक लहर पैदा कर देती है. सिग्रेट के कश ने उसे हल्का सा नशा
कर दिया था, वो जय की ओर देखने लगी.
"तुम कितनी सुंदर हो रोमा?" जय उसके और नज़दीक खिसकते हुए बोला.
"सच मे? क्या तुम्हे में सुंदर लगती हूँ." रोमा थोड़ा अस्चर्य मे
बोली.
"हां... रोमा बहोत सुन्दर लगती हो...." कहकर जय ने अपने होंठ
रोमा के होठों पर रख दिए.थोड़ी देर उसके होठों को चूसने के
बाद जय ने उसके होठों को खोल अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी.
किसी
भावेश मे रोमा ने भी अपने होंठ खोल किए और उसकी जीब को अपने
मुँह मे ले लिया. दोनो की जीब एक दूसरे से मिल खेलने लगी. कई देर
तक दोनो एक दूसरी के जीब को चूस्ते रहे.
"zओह.... ठंड तो बढ़ती जा रही है...." रोमा बोल पड़ी.
वैसे तो रोमा ने एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया कही थी लेकिन जय ने उसे
एक निमंत्रण सा समझ लिया. उसने रोमा को अपने और नज़दीक खींच
लिया और उसके टॉप के उपर से उसकी चुचियों को सहल्लाने लगा. जय के
छूते ही रोमा का शरीर सिहर उठा और उसके निपल तनने लगे. जय
ने अब अपना हाथ उसके टॉप के नीचे से अंदर डाल उसकी चुचि को
पकड़ लिया और मसल्ने लगा.
रोमा को काफ़ी गुस्सा आ रहा था ख़ास तौर पर रिया पर, वो जानती
थी कि रिया जैसी लड़कियाँ जो चाहती है वो पा कर रहती है, शायद
राज भी बहक जाए उसके साथ. ऐसा नही था कि उसे जय का छूना अछा
नही लग रहा था पर जिस जल्दी से वो सब कुछ कर रह था उसे वो
थोड़ा विचलित सी हो गयी थी.
"परेशान क्यों हो रही हो रोमा, आराम से माज़्ज़े लो....." जय उसकी
चुचियों को और ज़ोर से मसल्ते हुए बोला.
रोमा की समझ मे नही आ रहा था की वो क्या करे.
जय ने उसे ज़मीन पर लिटा दिया और उस पर झुकते हुए उसके होठों को
जोरों से चूस रहा था साथ ही उसकी चुचियों को भी मसल रहा
था. जब उसने अपना हाथ उसकी शॉर्ट्स पर से उसकी चूत पर रखा था
डर के मारे रोमा सिहर उठी.
जब ने उसकी शॉर्ट्स की ज़िप खोलनी चाही तो वो लगभग चिल्ला
पड़ि, "रुक जाओ जे प्लीज़ में कहती हूँ रुक जाओ........"
तभी उसने देखा कि जय जोरों से उससे दूर लुढ़क रहा था, उसने
नज़र उठाई तो राज को अपने पास खड़ा पाया. इसके पहले की जय आगे
बढ़ता रिया ने अपने आपको राज और जय के बीच खड़ा कर दिया. जय
के लिए उसकी आँखों मे नफ़रत सी थी.
"जय इस विषय मे हम बाद मे बात करेंगे, अभी फिलहाल हम घर
जा रहे हैं."रिया ने कहा.
जय तो राज से लड़ने के लिए तैयार खड़ा था लेकिन रिया को बीच मे
आते देख वो समझ गया कि वो अपनी बेहन से नही जीत सकता और
इसके पहले की राज की ओर बढ़ता रिया उसे धकेलते हुए गाड़ी की ओर ले
आई.
राज और रोमा घर पहुँचे. राज ने जब देख कि उनकी मम्मी अपने कमरे
मे जा कर सो गयी है तो वो धीरे से रोमा के कमरे मे आ गया राज
ने देखा कि अपने आप को कंबल मे छिपा रोमा धीरे धीरे सूबक
सूबक कर रो रही है, वो धीरे से कंबल हटा उसके बगल मे लेट
गया.
दो भाई दो बहन compleet
Re: दो भाई दो बहन
राज ने उसे अपनी बाहों मे भर लिया और प्यार से उसके बदन को
सहलाने लगा.
"मुझे अब डर लग रहा है, राज" रोमा ने काप्ति आवाज़ मे कहा.
"ये मेरी ग़लती थी मुझे तुम्हे अकेले छोड़ कर नही जाना चाहिए
था." राज ने कहा.
"पर तुम पर तो रिया के रूप का जादू चढ़ा हुआ था," रोमा ने कहा.
"पागल हो तुम,,, क्या तुम्हे भी ये दिखाई नही देता कि में तुमसे
प्यार करता हूँ." राज ने उसे ज़ोर से अपने शरीर से चिपकाते हुए कहा.
राज की बात सुनकर रोमा को थोड़ा सकुन महसूस हुआ और वो राज को कस
कर अपने से चिपकाते हुए सो गयी.
गुस्से के मारे जय का खून खौल रहा था. उसने तीर्चि निगाह से
अपनी बेहन रिया की ओर देखा जिसके कारण उसे गुस्सा आ रहा था. किस
तरह उसे अकेला छोड़ कर वो राज के साथ चली गयी थी जैसे की
उसकी कोई अहमियत ही नही थी. और एक तरफ रोमा थी जिसे देख कर
वो अपने आप पर काबू नही रख पाता था और उत्तेजित हो जाता था,
साली चीज़ भी तो कामयत है किसी का भी का ईमान डोल जाए.
उधर रिया अपने भाई के गुस्से को देख मन ही मन घबरा रही थी.
कभी कभी उसे देख कर उसे नफ़रत सी होने लगती थी, ठीक अपने
बाप के उपर के गया था, वही गुस्सा वही आदतें.
दोनो के मन मे एक तूफान सा उठा हुआ था, बहोत सी बातें थी जो वो
एक दूसरे से कहना चाहते थे किंतु चलती गाड़ी मे शायद महॉल नही
था. रिया ने तय कर लिया था कि भविश्य मे वो अपने भाई से कोई
जिस्मानी संबंध नही रखेगी. समय के साथ कितना ख़ुदग़र्ज़ हो गया
था वो, उसे किसी के जज्बातों की पड़ी ही नही थी. उसे समझ मे नही
आ रहा था कि वो ये बात अपने भाई से कैसे कहे. शायद वो खुद बा
खुद समझ जाए.
रिया ने गाड़ी को घर के पार्किंग स्लॉट मे साइड मे खड़ी की और एंजिन
और लाइट बंद कर दी. दोनो जाने गाड़ी से उतरे और चुप चाप घर
मे दाखिल हो गये. दरवाज़ा बंद करके रिया किचन की ओर बढ़
गयी, जय भी उसके पीछे पीछे किथ्चेन मे पहुँच गया.
"ये सब क्या है रिया?" सुने गुस्से मे अपनी बेहन को पूछा.
"यही बात मे तुमसे पूछना चाहती हूँ, तुम अपने आपको समझते क्या
हो जय." रिया ने अपने भाई से पूछा.
"वो मुझ पर डोरे डाल रही थी, तुम तो थी नही कि वो सब कुछ देख
सकती.... अगर राज बीच मे नही आता तो सब ठीक हो जाता." जय ने
कहा.
"राज......." रिया ने एक गहरी साँस ली.
"गोली मारो राज को.... तुम भी तो राज के साथ अंधेरे मे वही कर
रही थी जो में रोमा के साथ करने जा रहा था जय ने अपनी बेहन
से कहा.
"सच कहूँ राज मुझे अच्छा लगता है.... और जो कुछ भी हमने किया
वो मेरी मर्ज़ी से था...किंतु तुम रोमा के साथ ज़बरदस्ती कर रहे
थे, पता नही क्यों राज मे वो बात है जो आज तक मुझे किसी और
लड़के मे दिखाई नही दी." रिया ने जवाब दिया. "पता है जय वो तो
मुझसे कह रहा था कि मुझे ज़्यादा समय तुम्हे देना चाहिए... उसे
तुम्हारी इतनी फिकर है और तुम थे कि उसी वक्त उसकी बेहन के
साथ........"
जय की नज़रें शरम से झुक गयी.. वो अपनी आँखे अपनी बेहन से
मिला नही पा रहा था.... उसकी आँखों मे आँसू आ गये वो अपनी
हरकत पर काफ़ी शर्मिंदा था.
रिया ने देखा कि उसका भाई रो रहा है, आज वह पहली बार अपने
छोटे भाई जय को रोता देख रही थी.
जिस तरह का गुस्सा और व्यवहार जय ने अपने बाप का अपनाया था रिया
उससे नफ़रत सी करने लगी थी फिर भी उसे अपने भाई से प्यार था
जिसके साथ वो पली बड़ी थी.
रिया आगे बढ़ी और उसने अपने भाई को अपनी बाहों मे ले लिया फिर
उसके सिर को अपने कंधों पर रख उसे रोने दिया. वो हमेशा से ही
मजबूत इरादों की लड़की थी, और जब भी उसकी मा जय पर गुस्सा
करती या उसे मारने आती तो वो हमेशा उसे इसी तरह अपने सीने से
लगा बचा लेती थी.
"मुझे माफ़ कर दो...रिया," जय ने धीरे से कहा.
"माफी तुम्हे मुझसे नही रोमा से माँगनी चाहिए." रिया ने उसके सिर
को ठप थपाते हुए कहा.
"में क्या मुँह लेकर जाउन्गा उसके पास माफी माँगने के लिए," जय
उसके कंधे पर सिसकते हुए बोला.
"इसके पहले कि तुम रोमा से माफी माँगो जय, हमे आपस में कुछ
समझना होगा. हमारे इस रिश्ते का अंत करना होगा, जो हम आज तक
करते आए हैं वो अब नही कर सकते. तुम्हे अपने लिए कोई लड़की
ढूँढनी होगी जिसे तुम प्यार कर सको वो... तुम्हे प्यार करे.... "
रिया ने उसकी पीठ को सहलाते हुए कहा.
"पर में तुमसे प्यार करता हूँ! जय ने उसे अपनी बाहों मे भींचते
हुए कहा.
"जय एक बात अछी तरह समझ लो... जिस्मानी रिश्तों को प्यार नही
कहते.... प्यार करने के लिए किसी के साथ सोना ज़रूरी नही है. "
रिया की बात सुनकर उसकी निगाह अपनी पॅंट पर गयी जहाँ उसका लंड तन
कर पॅंट के अंदर खड़ा था.
"चलो में मानती हूँ कि प्यार मे जिस्मानी इच्छाए होती है, लेकिन
तुम्हे मुझसे वादा करना होगा कि जल्दी ही तुम अपने लिए कोई प्यारी सी
लड़की ढूंड लोगे जिसे तुम प्यार कर सको."
ठीक है कोशिश करूँगा." जय ने मुस्कुराते हुए कहा.
"अब जबकि तुम्हारा लंड पूरी तरह से खड़ा है में तुम्हे ऐसे ही
नही जाने दूँगी," कहकर रिया जय के लंड को पॅंट के उपर से
मसल्ने लगी.
आज राज ने उसकी उत्तेजना की परवाह ना करते हुए उसे ऐसे ही छोड़ दिया
था, राज की चाहत मे उसकी चूत अभी भी सुलग रही थी, चूत से
रस अभी भी बह रहा था. जय के लंड के स्पर्श ने उसके जज्बातों को
और भड़का दिया था. वो जानती थी कि अगर आज की रात उसने जय के
साथ कुछ किया तो शायद भविश्य मे वो जय को ना रोक पाए लेकिन वो
खुद चुदाई की आग मे सुलग रही थी.
"जय आज की रात हामरी साथ मे ये आखरी रात होगी." रिया ने उसे
बताया.
"हाँ में समझ रहा हूँ," जे ने धीरे से कहा.
ना जाने क्यों रिया को अपने भाई पर आज कुछ ज़्यादा ही प्यार उमड़
आया. उसने जय को धक्का दे किचन के काउंटर पर लिटा दिया और
उसकी टाँगो के बीच आ गयी. उसने उसकी पॅंट की ज़िपखोली और उसकी
शॉर्ट्स मे से उसके लंड को आज़ाद कर दिया. उत्तेजना मे बहते लंड से
वीर्य की बूँदों ने उसके मुँह मे पानी भर दिया. उसने अपने लंबे
बालों को अपने सिर के पीछे किया और झुक कर उन रस की बूँदों को
चाटने लगी. रिया को उसके लंड से बहते पानी का स्वाद अच्छा लग रहा
था, आज क्या दिन था, पहले तो रोमा की चूत का पनाई फिर अपने भाई
का वीर्य. दो अलग रिश्ते और दो अलग स्वाद.
"आज तो तुम्हारा लंड ज़्यादा ही लंबा और मोटा लग रहा है." रिया ने
उसके लंड को अपने मुँह मे लेते हुए कहा.
"रिया में तुमसे बहोत प्यार करता हूँ..." जे अपने जज्बातों का
इज़हार करते हुए नबोला, "तुमने मेरे लिए हमेशा इतना कुछ किया और
एक में हूँ कि मेने आज तक तुम्हे थॅंक यू भी नही कहा. अगर तुम
ना होती तो पता नही मेरा क्या होता."
रिया जानती थी कि उसका भाई दिल का बुरा इंसान नही है, वो हमेशा
से अपने ज़ज्बात छुपाते आया है, आज उसके शब्दों ने उसकी आँखों
मे आँसू ला दिए.
रिया अपने भाई के प्यार को समझ रही थी, वो मन ही मन सोचने
लगी कि आज तक ना जाने उसने कितने लोगों से जिस्मानी संबंध बनाए
थे लेकिन एक भी ही रिश्ता प्यार का रिश्ता नही था. क्या वो राज से
प्यार करती है या फिर सिर्फ़ जिस्मानी आकर्षण उसे उसकी ओर खींचे
ले जाता था. वो अपने भाई के प्यार और राज की तुलना करने लगी, पर
उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था.
"जय मुझे भी माफ़ कर दो... मुझे इस तरह राज के साथ नही जाना
चाहये था." रिया उसके लंड को जोरों से चूस्ति हुई बोली.
"पर उसे भी तो नही जाना चाहिए था, आख़िर मेरा दोस्त था वो.."
जय ने उसके सिर को अपने लंड पर दबाते हुए कहा, "लेकिन जो हुआ सो
हो गया....."
"जय मुझसे वादा करो कि आज के बाद हमारे बीच ये सब नही होगा."
रिया ने कहा.
"हां में वादा करता हूँ...." जय ने अपने लंड को उसके मुँह मे और
घुसाते हुए कहा.
इसके पहले कि वो कुछ और कहती जय ने उसके सिर को पकड़ा और अपने
लंड को उसके मुँह के अंदर बाहर करने लगा.
उस वो शाम याद आ रही थी जब पहली बार.........
गर्मी के दिन थे और शाम के वक्त वो और रिया घर के आँगन मे बने
स्वइँमिंघ पूल मे साथ साथ तेर रहे थे. जय 18 का हुआ ही था और
राज एक साल पहले अपना ग्रॅजुयेशन कर चुका था. रिया ने भी आगे की
पढ़ाई के लिए दूसरे कॉलेज मे दाखिला ले लिया था और थोड़े ही
दिनो की बात थी जिसके बाद वो चली जाएगी.
क्रमशः..................
सहलाने लगा.
"मुझे अब डर लग रहा है, राज" रोमा ने काप्ति आवाज़ मे कहा.
"ये मेरी ग़लती थी मुझे तुम्हे अकेले छोड़ कर नही जाना चाहिए
था." राज ने कहा.
"पर तुम पर तो रिया के रूप का जादू चढ़ा हुआ था," रोमा ने कहा.
"पागल हो तुम,,, क्या तुम्हे भी ये दिखाई नही देता कि में तुमसे
प्यार करता हूँ." राज ने उसे ज़ोर से अपने शरीर से चिपकाते हुए कहा.
राज की बात सुनकर रोमा को थोड़ा सकुन महसूस हुआ और वो राज को कस
कर अपने से चिपकाते हुए सो गयी.
गुस्से के मारे जय का खून खौल रहा था. उसने तीर्चि निगाह से
अपनी बेहन रिया की ओर देखा जिसके कारण उसे गुस्सा आ रहा था. किस
तरह उसे अकेला छोड़ कर वो राज के साथ चली गयी थी जैसे की
उसकी कोई अहमियत ही नही थी. और एक तरफ रोमा थी जिसे देख कर
वो अपने आप पर काबू नही रख पाता था और उत्तेजित हो जाता था,
साली चीज़ भी तो कामयत है किसी का भी का ईमान डोल जाए.
उधर रिया अपने भाई के गुस्से को देख मन ही मन घबरा रही थी.
कभी कभी उसे देख कर उसे नफ़रत सी होने लगती थी, ठीक अपने
बाप के उपर के गया था, वही गुस्सा वही आदतें.
दोनो के मन मे एक तूफान सा उठा हुआ था, बहोत सी बातें थी जो वो
एक दूसरे से कहना चाहते थे किंतु चलती गाड़ी मे शायद महॉल नही
था. रिया ने तय कर लिया था कि भविश्य मे वो अपने भाई से कोई
जिस्मानी संबंध नही रखेगी. समय के साथ कितना ख़ुदग़र्ज़ हो गया
था वो, उसे किसी के जज्बातों की पड़ी ही नही थी. उसे समझ मे नही
आ रहा था कि वो ये बात अपने भाई से कैसे कहे. शायद वो खुद बा
खुद समझ जाए.
रिया ने गाड़ी को घर के पार्किंग स्लॉट मे साइड मे खड़ी की और एंजिन
और लाइट बंद कर दी. दोनो जाने गाड़ी से उतरे और चुप चाप घर
मे दाखिल हो गये. दरवाज़ा बंद करके रिया किचन की ओर बढ़
गयी, जय भी उसके पीछे पीछे किथ्चेन मे पहुँच गया.
"ये सब क्या है रिया?" सुने गुस्से मे अपनी बेहन को पूछा.
"यही बात मे तुमसे पूछना चाहती हूँ, तुम अपने आपको समझते क्या
हो जय." रिया ने अपने भाई से पूछा.
"वो मुझ पर डोरे डाल रही थी, तुम तो थी नही कि वो सब कुछ देख
सकती.... अगर राज बीच मे नही आता तो सब ठीक हो जाता." जय ने
कहा.
"राज......." रिया ने एक गहरी साँस ली.
"गोली मारो राज को.... तुम भी तो राज के साथ अंधेरे मे वही कर
रही थी जो में रोमा के साथ करने जा रहा था जय ने अपनी बेहन
से कहा.
"सच कहूँ राज मुझे अच्छा लगता है.... और जो कुछ भी हमने किया
वो मेरी मर्ज़ी से था...किंतु तुम रोमा के साथ ज़बरदस्ती कर रहे
थे, पता नही क्यों राज मे वो बात है जो आज तक मुझे किसी और
लड़के मे दिखाई नही दी." रिया ने जवाब दिया. "पता है जय वो तो
मुझसे कह रहा था कि मुझे ज़्यादा समय तुम्हे देना चाहिए... उसे
तुम्हारी इतनी फिकर है और तुम थे कि उसी वक्त उसकी बेहन के
साथ........"
जय की नज़रें शरम से झुक गयी.. वो अपनी आँखे अपनी बेहन से
मिला नही पा रहा था.... उसकी आँखों मे आँसू आ गये वो अपनी
हरकत पर काफ़ी शर्मिंदा था.
रिया ने देखा कि उसका भाई रो रहा है, आज वह पहली बार अपने
छोटे भाई जय को रोता देख रही थी.
जिस तरह का गुस्सा और व्यवहार जय ने अपने बाप का अपनाया था रिया
उससे नफ़रत सी करने लगी थी फिर भी उसे अपने भाई से प्यार था
जिसके साथ वो पली बड़ी थी.
रिया आगे बढ़ी और उसने अपने भाई को अपनी बाहों मे ले लिया फिर
उसके सिर को अपने कंधों पर रख उसे रोने दिया. वो हमेशा से ही
मजबूत इरादों की लड़की थी, और जब भी उसकी मा जय पर गुस्सा
करती या उसे मारने आती तो वो हमेशा उसे इसी तरह अपने सीने से
लगा बचा लेती थी.
"मुझे माफ़ कर दो...रिया," जय ने धीरे से कहा.
"माफी तुम्हे मुझसे नही रोमा से माँगनी चाहिए." रिया ने उसके सिर
को ठप थपाते हुए कहा.
"में क्या मुँह लेकर जाउन्गा उसके पास माफी माँगने के लिए," जय
उसके कंधे पर सिसकते हुए बोला.
"इसके पहले कि तुम रोमा से माफी माँगो जय, हमे आपस में कुछ
समझना होगा. हमारे इस रिश्ते का अंत करना होगा, जो हम आज तक
करते आए हैं वो अब नही कर सकते. तुम्हे अपने लिए कोई लड़की
ढूँढनी होगी जिसे तुम प्यार कर सको वो... तुम्हे प्यार करे.... "
रिया ने उसकी पीठ को सहलाते हुए कहा.
"पर में तुमसे प्यार करता हूँ! जय ने उसे अपनी बाहों मे भींचते
हुए कहा.
"जय एक बात अछी तरह समझ लो... जिस्मानी रिश्तों को प्यार नही
कहते.... प्यार करने के लिए किसी के साथ सोना ज़रूरी नही है. "
रिया की बात सुनकर उसकी निगाह अपनी पॅंट पर गयी जहाँ उसका लंड तन
कर पॅंट के अंदर खड़ा था.
"चलो में मानती हूँ कि प्यार मे जिस्मानी इच्छाए होती है, लेकिन
तुम्हे मुझसे वादा करना होगा कि जल्दी ही तुम अपने लिए कोई प्यारी सी
लड़की ढूंड लोगे जिसे तुम प्यार कर सको."
ठीक है कोशिश करूँगा." जय ने मुस्कुराते हुए कहा.
"अब जबकि तुम्हारा लंड पूरी तरह से खड़ा है में तुम्हे ऐसे ही
नही जाने दूँगी," कहकर रिया जय के लंड को पॅंट के उपर से
मसल्ने लगी.
आज राज ने उसकी उत्तेजना की परवाह ना करते हुए उसे ऐसे ही छोड़ दिया
था, राज की चाहत मे उसकी चूत अभी भी सुलग रही थी, चूत से
रस अभी भी बह रहा था. जय के लंड के स्पर्श ने उसके जज्बातों को
और भड़का दिया था. वो जानती थी कि अगर आज की रात उसने जय के
साथ कुछ किया तो शायद भविश्य मे वो जय को ना रोक पाए लेकिन वो
खुद चुदाई की आग मे सुलग रही थी.
"जय आज की रात हामरी साथ मे ये आखरी रात होगी." रिया ने उसे
बताया.
"हाँ में समझ रहा हूँ," जे ने धीरे से कहा.
ना जाने क्यों रिया को अपने भाई पर आज कुछ ज़्यादा ही प्यार उमड़
आया. उसने जय को धक्का दे किचन के काउंटर पर लिटा दिया और
उसकी टाँगो के बीच आ गयी. उसने उसकी पॅंट की ज़िपखोली और उसकी
शॉर्ट्स मे से उसके लंड को आज़ाद कर दिया. उत्तेजना मे बहते लंड से
वीर्य की बूँदों ने उसके मुँह मे पानी भर दिया. उसने अपने लंबे
बालों को अपने सिर के पीछे किया और झुक कर उन रस की बूँदों को
चाटने लगी. रिया को उसके लंड से बहते पानी का स्वाद अच्छा लग रहा
था, आज क्या दिन था, पहले तो रोमा की चूत का पनाई फिर अपने भाई
का वीर्य. दो अलग रिश्ते और दो अलग स्वाद.
"आज तो तुम्हारा लंड ज़्यादा ही लंबा और मोटा लग रहा है." रिया ने
उसके लंड को अपने मुँह मे लेते हुए कहा.
"रिया में तुमसे बहोत प्यार करता हूँ..." जे अपने जज्बातों का
इज़हार करते हुए नबोला, "तुमने मेरे लिए हमेशा इतना कुछ किया और
एक में हूँ कि मेने आज तक तुम्हे थॅंक यू भी नही कहा. अगर तुम
ना होती तो पता नही मेरा क्या होता."
रिया जानती थी कि उसका भाई दिल का बुरा इंसान नही है, वो हमेशा
से अपने ज़ज्बात छुपाते आया है, आज उसके शब्दों ने उसकी आँखों
मे आँसू ला दिए.
रिया अपने भाई के प्यार को समझ रही थी, वो मन ही मन सोचने
लगी कि आज तक ना जाने उसने कितने लोगों से जिस्मानी संबंध बनाए
थे लेकिन एक भी ही रिश्ता प्यार का रिश्ता नही था. क्या वो राज से
प्यार करती है या फिर सिर्फ़ जिस्मानी आकर्षण उसे उसकी ओर खींचे
ले जाता था. वो अपने भाई के प्यार और राज की तुलना करने लगी, पर
उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था.
"जय मुझे भी माफ़ कर दो... मुझे इस तरह राज के साथ नही जाना
चाहये था." रिया उसके लंड को जोरों से चूस्ति हुई बोली.
"पर उसे भी तो नही जाना चाहिए था, आख़िर मेरा दोस्त था वो.."
जय ने उसके सिर को अपने लंड पर दबाते हुए कहा, "लेकिन जो हुआ सो
हो गया....."
"जय मुझसे वादा करो कि आज के बाद हमारे बीच ये सब नही होगा."
रिया ने कहा.
"हां में वादा करता हूँ...." जय ने अपने लंड को उसके मुँह मे और
घुसाते हुए कहा.
इसके पहले कि वो कुछ और कहती जय ने उसके सिर को पकड़ा और अपने
लंड को उसके मुँह के अंदर बाहर करने लगा.
उस वो शाम याद आ रही थी जब पहली बार.........
गर्मी के दिन थे और शाम के वक्त वो और रिया घर के आँगन मे बने
स्वइँमिंघ पूल मे साथ साथ तेर रहे थे. जय 18 का हुआ ही था और
राज एक साल पहले अपना ग्रॅजुयेशन कर चुका था. रिया ने भी आगे की
पढ़ाई के लिए दूसरे कॉलेज मे दाखिला ले लिया था और थोड़े ही
दिनो की बात थी जिसके बाद वो चली जाएगी.
क्रमशः..................
Re: दो भाई दो बहन
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गतान्क से आगे.......
जय को याद आ रहा था कि उस दिन वो एक पेइसे बिकिनी मे कितनी सुंदर
लग रही थी. आज जो उसने बिकनी पहनी थी उससे उसके बदन का हर अंग
दिखाई पड़ रहा था, जय था कि उसकी नज़रें अपनी बेहन की
चुचियों और कटी प्रदेश से हटे नही हट रही थी. आज रिया ने
अपने बदन पर तेल की मालिश की थी जिससे उसका बदन काफ़ी चिकना
दीख रहा था उसका बदन साथ ही धूप की रोशनी मे चमक भी
रहा था. दोनो पूल मे बॉल से खेल रहे थे. जब भी वो रिया से
बॉल छीनने जाता तो उसका बदन रिया के बदन से टकरा जाता कई बार
तो ऐसा होता कि वो उसे पकड़ने की कोशिश करता तो उसका बदन तेल
लगे होने की वजह से उसके हाथों से फिसल जाता और उसके हाथ कभी
उसकी चुचियों पर या फिर उसकी कमर पर आ कर अटक जाते.
जब भी उसका हाथ रिया की किसी अंग से टकराता तो उसके बदन मे एक
झुरझारी सी दौड़ जाती.
रिया ने देखा कि जय उसे अजीब सी नज़रों से देख रहा था, "क्या
तुमने कभी किसी लड़की को आज तक छुआ है?" रिया ने जय से पूछा.
"इतनी देर से तो तुम्हे छू रहा हू." जे ने उसे याद दिलाते हुए
कहा.
"किसी लड़की की चुचियों या कमर को हाथ लगाने को छूना नही
कहते, मेरा मतलब है कि कभी किसी लकड़ी के बदन को प्यार से छुआ
या सहलाया है?" रिया ने पूछा.
"नही पहले कभी नही." जय ने जवाब दिया.
"क्या तुम मेरे नंगे बदन का अहसास करना चाहोगे?" रिया ने कहा.
"लेकिन तुम मेरी बेहन है." जे ने कहा.
"लेकिन खेलते वक़्त जब तुम मेरी चुचियों को मसल देते होतब तो नही
सोचा तुमने ऐसे..." रिया ने कहा. "तुम्हे डर लग रहा है ना?"
सच मे जय को डर लग रहा था, लेकिन अब भी उसकी निगाह बेहन की
चुचियों पर गढ़ी हुई थी, उसका लंड जो शॉर्ट्स के अंदर तन कर
खड़ा था.... उसने डरते डरते अपने हाथ रिया की चुचियों की ओर
बढ़ाए.."
"अरे आगे बढ़ो इतना डर क्यों रहे हो?" रिया ने उसे उकसाते हुए कहा.
आख़िर हिक्किचाते हुए जय ने रिया की बिकनी को नीचे से पकड़ा और
उसके सिर के उपर उठा उसे उतार दिया. उसकी नज़रें रिया की उभरी
हुई चुचियों पर जा टिकी. गुलाबी गुलाबी उर्रोज और उसपर भूरे रंग
का निपल. पानी मे खड़ी रिया बहोत ही सुन्दर दिखाई दे रही थी.
उसका आधा शरीर पूल के अंदर था और उसकी चुचियों जो ठीक पानी
के सतेह पर थी ऐसा लग रहा था की जैसे उनपर तेर रही हो.
थोड़ी देर चुचियों को निहारने के बाद उसने अपनी हथेली उसकी
चुचियों के नीचे से रख उन्हे अपने हाथों मे ले लिया और अपनी
उंगली और अनूठे से उसके निपल को सहलाने लगा. फिर धीरे से अपनी
हथेली का दबाव बढ़ाते हुए वो उन्हे मसल्ने लगा. चुचि मसल्ने के
साथ वो निपल को भी भींच देता.
रिया उसके हाथो के स्पर्श का मज़ा लेते हुए सिसक रही थी. रिया को
सिसकते देख जय की हिम्मत और बढ़ गयी, वो और जोरोंसे उसकी
चुचियों को मसल्ने लगा. फिर अपने चेहरे को झुकते हुए पहले तो
उसने उसकी चुचियों को धीमे से चूमा फिर अपन जीब उसकी चुचियों
के निपल के चारों और घूमाने लगा. जीब घूमाते घूमाते उसने
अपने होंठ और खोले और निपल को मुँह मे ले चूसने लगा.
फिर अपने चेहरे को उपर उठाते हुए उसने अपने होंठ रिया के होठों
पर रख दिए और अपनी जीब से उसके होठों को खोलते हुए उसने अपनी
जीब उसके मुँह मे डाल दी. रिया भी काम विभोर हो अपने मुँह को खोल
उसकी जीब से अपनी जीब मिला उसे चूमने लगी
जय को चूमते चूमते रिया ने अपना हाथ जय की कमर पर रखा और
उसे सहलाते हुए अपने हाहत को और नीचे की और बढ़ने लगी. फिर
रिया ने अपना हाथ उसकी अंडरवेर मे फँसा अपना हाथ अंदर डाला और
उसके खड़े लंड को अपनी मुट्ठी मे पकड़ लिया. होठों की गर्मी के
साथ साथ रिया के हाथो की गर्मी ने जय को तो जैसे पागल कर दिया.
आज पहली बार किसी लड़की ने उसे इस तरह छुआ था.
"जय तुम्हे नही पता कि आज तक तुम किस चीज़ से वंचित थे..."
रिया ने उसके लंड को जोरों से मसल्ते हुए कहा.
रिया जानती थी कि उसके भाई को इसके पहले इन सब बातों का अनुभव
नही था, इसलिए वो खिलखिलते हुए उसके लंड को और मसल्ने लगी.
रिया जय को धकेलते हुए पूल के किनारे तक ले आई और जब जय की
कमर पानी के सतेह से उपर हो गयी तो उसने उसकी अंडरवेर को नीचे
खिसका दिया और अब उसके लंड को और अछी तरह अपने हाथो मे ले
मसल्ने लगी. उत्तेजना मे जय ने पूल के किनारे को पकड़ लिया और
जोरों से हुंकार भरने लगा.
रिया ने तिर्छि नज़रों से अपने भाई के चेहरे की तरफ देख, जो
उत्तेजना मे सिसक रहा था, एक प्यारी सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ
गयी. रिया ने भी इसके पहले एक दो बार ही अपने बॉयफ्रेंड के लंड को
चूसा था, इसलिए इस क्रिया मे वो भी नयी थी.
जय को खुश होते देख वो और जोरों से उसके लंड को चूसने लगी.
अपने चेहरे को नीचे कर वो उसके लंड को अपने गले तक लेती और उपर
होते हुए उसके लंड को अपनी जीब से जोरोसे भींचती. जब उसने जय के
बदन को अकड़ता महसूस किया तो वो समझ गयी कि उसका लंड पानी
छोड़ने वाला है. जय के शरीर की सारी नसें तनने लगी और उसके
लंड एक ज़ोर की पिचकारी के साथ रिया के मुँह मे पानी छोड़ दिया. रिया
उसके लंड को चूस्ति गयी और जय पानी पर पानी उसके मुँह मे छोड़ता
गया.
"रिया में तुमसे बहोत प्यार करता हूँ," जय ने प्यार से अपनी बेहन
से कहा.
रिया तिर्छि नज़रों से अपने भाई को देखते हुए उसके लंड को जब तक
चूस्ति रही जबतक कि उसके वीर्य की आखरी बूँद भी नही बची.
रिया की चूत मे आग लगी हुई थी. वो अपने भाई के लंड को अपनी
चूत मे महसूस करना चाहती थी.
तभी रिया की आवाज़ ने जय को ख़यालों से वापस लौटा दिया.
"चलो जय कमरे मे चलते है.' रिया ने उसके लंड को मुँह से
निकलते हुए कहा.
जय रिया के पीछे पीछे उसके कमरे मे आ गया. रिया ने कमरे का
दरवाज़ा बंद किया और दोनो अंधेरे मे कपड़े उतारने लगे. फिर रिया
ने जय का हाथ पकड़ा और उसे बिस्तर पर ले आई. दोनो चादर के
नीचे एक दूसरे के साथ घुस गये.
"जय मुझे तुम्हारी और राज की दोस्ती से कभी कभी जलन होने लगती
है. में तुम दोनो को इतने सालों से देख रही हूँ. कितनी गहरी
दोस्ती है तुम दोनो के बीच. दोनो एक दूसरे की मदद करते हो, कोई
दुखी होता है तो तुम दोनो उसे हँसते हो हर काम मे सहयोग देते
हो." रिया ने अपना हाथ अपने भाई की छाती पर फिराते हुए कहा.
"तुम्हारी भी तो कई सहेलियाँ है" जय ने कहा.
"हाँ है पर ऐसी कोई नही जिसे में साची सहेली कह सकूँ, जिससे
में अपनी खुशी अपना दर्द बाँट सकूँ. तुम्हारे और राज के बीच
कुछ वैसा ही अप्नत्व है. और शायद आज की रात में ही फ़साद की
जड़ थी, मेने तुम्हारी प्राब्लम सॉल्व करना की बजाय उसे और बढ़ा
दिया." रिया ने जवाब दिया.
जय कुछ देर सोचता रहा फिर धीरे से बोला, "पर शायद आज के
बाद राज मुझसे नफ़रत करने लगेगा, हम शायद हमारे बीच पहले
जैसे दोस्ती ना हो."
"नही जय एक छोटी सी ग़लती से दोस्ती नही टूटती," रिया ने
कहा, "सुबह हम सब मिलकर सब ठीक कर लेंगे. लेकिन सबसे पहले
इसकी समस्या तो ठीक करें" रिया उसके खड़े लंड को हाथों मे लेते
हुए बोली.
थोड़ी देर उसके लंड को मसल्ने के बाद रिया बोली, "तुम्हारी कोई
ख़ास पसंद है इसे ठीक करने की?"
"शायद में जो कहूँ वो तुम्हे पसंद ना आए." जय ने जवाब दिया.
"पहले तो तुम इसे मेरी चूत मे घुसा कर मेरी चूत की आग को
ठंडा करो, बाद मे तुम्हे जो पसंद हो वो कर लेना." रिया ने उसके
लंड को जोरों से भींचते हुए कहा.
"सच मे?" जय ने पूछा.
गतान्क से आगे.......
जय को याद आ रहा था कि उस दिन वो एक पेइसे बिकिनी मे कितनी सुंदर
लग रही थी. आज जो उसने बिकनी पहनी थी उससे उसके बदन का हर अंग
दिखाई पड़ रहा था, जय था कि उसकी नज़रें अपनी बेहन की
चुचियों और कटी प्रदेश से हटे नही हट रही थी. आज रिया ने
अपने बदन पर तेल की मालिश की थी जिससे उसका बदन काफ़ी चिकना
दीख रहा था उसका बदन साथ ही धूप की रोशनी मे चमक भी
रहा था. दोनो पूल मे बॉल से खेल रहे थे. जब भी वो रिया से
बॉल छीनने जाता तो उसका बदन रिया के बदन से टकरा जाता कई बार
तो ऐसा होता कि वो उसे पकड़ने की कोशिश करता तो उसका बदन तेल
लगे होने की वजह से उसके हाथों से फिसल जाता और उसके हाथ कभी
उसकी चुचियों पर या फिर उसकी कमर पर आ कर अटक जाते.
जब भी उसका हाथ रिया की किसी अंग से टकराता तो उसके बदन मे एक
झुरझारी सी दौड़ जाती.
रिया ने देखा कि जय उसे अजीब सी नज़रों से देख रहा था, "क्या
तुमने कभी किसी लड़की को आज तक छुआ है?" रिया ने जय से पूछा.
"इतनी देर से तो तुम्हे छू रहा हू." जे ने उसे याद दिलाते हुए
कहा.
"किसी लड़की की चुचियों या कमर को हाथ लगाने को छूना नही
कहते, मेरा मतलब है कि कभी किसी लकड़ी के बदन को प्यार से छुआ
या सहलाया है?" रिया ने पूछा.
"नही पहले कभी नही." जय ने जवाब दिया.
"क्या तुम मेरे नंगे बदन का अहसास करना चाहोगे?" रिया ने कहा.
"लेकिन तुम मेरी बेहन है." जे ने कहा.
"लेकिन खेलते वक़्त जब तुम मेरी चुचियों को मसल देते होतब तो नही
सोचा तुमने ऐसे..." रिया ने कहा. "तुम्हे डर लग रहा है ना?"
सच मे जय को डर लग रहा था, लेकिन अब भी उसकी निगाह बेहन की
चुचियों पर गढ़ी हुई थी, उसका लंड जो शॉर्ट्स के अंदर तन कर
खड़ा था.... उसने डरते डरते अपने हाथ रिया की चुचियों की ओर
बढ़ाए.."
"अरे आगे बढ़ो इतना डर क्यों रहे हो?" रिया ने उसे उकसाते हुए कहा.
आख़िर हिक्किचाते हुए जय ने रिया की बिकनी को नीचे से पकड़ा और
उसके सिर के उपर उठा उसे उतार दिया. उसकी नज़रें रिया की उभरी
हुई चुचियों पर जा टिकी. गुलाबी गुलाबी उर्रोज और उसपर भूरे रंग
का निपल. पानी मे खड़ी रिया बहोत ही सुन्दर दिखाई दे रही थी.
उसका आधा शरीर पूल के अंदर था और उसकी चुचियों जो ठीक पानी
के सतेह पर थी ऐसा लग रहा था की जैसे उनपर तेर रही हो.
थोड़ी देर चुचियों को निहारने के बाद उसने अपनी हथेली उसकी
चुचियों के नीचे से रख उन्हे अपने हाथों मे ले लिया और अपनी
उंगली और अनूठे से उसके निपल को सहलाने लगा. फिर धीरे से अपनी
हथेली का दबाव बढ़ाते हुए वो उन्हे मसल्ने लगा. चुचि मसल्ने के
साथ वो निपल को भी भींच देता.
रिया उसके हाथो के स्पर्श का मज़ा लेते हुए सिसक रही थी. रिया को
सिसकते देख जय की हिम्मत और बढ़ गयी, वो और जोरोंसे उसकी
चुचियों को मसल्ने लगा. फिर अपने चेहरे को झुकते हुए पहले तो
उसने उसकी चुचियों को धीमे से चूमा फिर अपन जीब उसकी चुचियों
के निपल के चारों और घूमाने लगा. जीब घूमाते घूमाते उसने
अपने होंठ और खोले और निपल को मुँह मे ले चूसने लगा.
फिर अपने चेहरे को उपर उठाते हुए उसने अपने होंठ रिया के होठों
पर रख दिए और अपनी जीब से उसके होठों को खोलते हुए उसने अपनी
जीब उसके मुँह मे डाल दी. रिया भी काम विभोर हो अपने मुँह को खोल
उसकी जीब से अपनी जीब मिला उसे चूमने लगी
जय को चूमते चूमते रिया ने अपना हाथ जय की कमर पर रखा और
उसे सहलाते हुए अपने हाहत को और नीचे की और बढ़ने लगी. फिर
रिया ने अपना हाथ उसकी अंडरवेर मे फँसा अपना हाथ अंदर डाला और
उसके खड़े लंड को अपनी मुट्ठी मे पकड़ लिया. होठों की गर्मी के
साथ साथ रिया के हाथो की गर्मी ने जय को तो जैसे पागल कर दिया.
आज पहली बार किसी लड़की ने उसे इस तरह छुआ था.
"जय तुम्हे नही पता कि आज तक तुम किस चीज़ से वंचित थे..."
रिया ने उसके लंड को जोरों से मसल्ते हुए कहा.
रिया जानती थी कि उसके भाई को इसके पहले इन सब बातों का अनुभव
नही था, इसलिए वो खिलखिलते हुए उसके लंड को और मसल्ने लगी.
रिया जय को धकेलते हुए पूल के किनारे तक ले आई और जब जय की
कमर पानी के सतेह से उपर हो गयी तो उसने उसकी अंडरवेर को नीचे
खिसका दिया और अब उसके लंड को और अछी तरह अपने हाथो मे ले
मसल्ने लगी. उत्तेजना मे जय ने पूल के किनारे को पकड़ लिया और
जोरों से हुंकार भरने लगा.
रिया ने तिर्छि नज़रों से अपने भाई के चेहरे की तरफ देख, जो
उत्तेजना मे सिसक रहा था, एक प्यारी सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ
गयी. रिया ने भी इसके पहले एक दो बार ही अपने बॉयफ्रेंड के लंड को
चूसा था, इसलिए इस क्रिया मे वो भी नयी थी.
जय को खुश होते देख वो और जोरों से उसके लंड को चूसने लगी.
अपने चेहरे को नीचे कर वो उसके लंड को अपने गले तक लेती और उपर
होते हुए उसके लंड को अपनी जीब से जोरोसे भींचती. जब उसने जय के
बदन को अकड़ता महसूस किया तो वो समझ गयी कि उसका लंड पानी
छोड़ने वाला है. जय के शरीर की सारी नसें तनने लगी और उसके
लंड एक ज़ोर की पिचकारी के साथ रिया के मुँह मे पानी छोड़ दिया. रिया
उसके लंड को चूस्ति गयी और जय पानी पर पानी उसके मुँह मे छोड़ता
गया.
"रिया में तुमसे बहोत प्यार करता हूँ," जय ने प्यार से अपनी बेहन
से कहा.
रिया तिर्छि नज़रों से अपने भाई को देखते हुए उसके लंड को जब तक
चूस्ति रही जबतक कि उसके वीर्य की आखरी बूँद भी नही बची.
रिया की चूत मे आग लगी हुई थी. वो अपने भाई के लंड को अपनी
चूत मे महसूस करना चाहती थी.
तभी रिया की आवाज़ ने जय को ख़यालों से वापस लौटा दिया.
"चलो जय कमरे मे चलते है.' रिया ने उसके लंड को मुँह से
निकलते हुए कहा.
जय रिया के पीछे पीछे उसके कमरे मे आ गया. रिया ने कमरे का
दरवाज़ा बंद किया और दोनो अंधेरे मे कपड़े उतारने लगे. फिर रिया
ने जय का हाथ पकड़ा और उसे बिस्तर पर ले आई. दोनो चादर के
नीचे एक दूसरे के साथ घुस गये.
"जय मुझे तुम्हारी और राज की दोस्ती से कभी कभी जलन होने लगती
है. में तुम दोनो को इतने सालों से देख रही हूँ. कितनी गहरी
दोस्ती है तुम दोनो के बीच. दोनो एक दूसरे की मदद करते हो, कोई
दुखी होता है तो तुम दोनो उसे हँसते हो हर काम मे सहयोग देते
हो." रिया ने अपना हाथ अपने भाई की छाती पर फिराते हुए कहा.
"तुम्हारी भी तो कई सहेलियाँ है" जय ने कहा.
"हाँ है पर ऐसी कोई नही जिसे में साची सहेली कह सकूँ, जिससे
में अपनी खुशी अपना दर्द बाँट सकूँ. तुम्हारे और राज के बीच
कुछ वैसा ही अप्नत्व है. और शायद आज की रात में ही फ़साद की
जड़ थी, मेने तुम्हारी प्राब्लम सॉल्व करना की बजाय उसे और बढ़ा
दिया." रिया ने जवाब दिया.
जय कुछ देर सोचता रहा फिर धीरे से बोला, "पर शायद आज के
बाद राज मुझसे नफ़रत करने लगेगा, हम शायद हमारे बीच पहले
जैसे दोस्ती ना हो."
"नही जय एक छोटी सी ग़लती से दोस्ती नही टूटती," रिया ने
कहा, "सुबह हम सब मिलकर सब ठीक कर लेंगे. लेकिन सबसे पहले
इसकी समस्या तो ठीक करें" रिया उसके खड़े लंड को हाथों मे लेते
हुए बोली.
थोड़ी देर उसके लंड को मसल्ने के बाद रिया बोली, "तुम्हारी कोई
ख़ास पसंद है इसे ठीक करने की?"
"शायद में जो कहूँ वो तुम्हे पसंद ना आए." जय ने जवाब दिया.
"पहले तो तुम इसे मेरी चूत मे घुसा कर मेरी चूत की आग को
ठंडा करो, बाद मे तुम्हे जो पसंद हो वो कर लेना." रिया ने उसके
लंड को जोरों से भींचते हुए कहा.
"सच मे?" जय ने पूछा.