पंडित & शीला compleet

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The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:48

पंडित & शीला पार्ट--40

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गतांक से आगे ......................

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शिप्रा के साथ -२ पंडित जी भी आँखे सेंक रहे थे , शिप्रा ने एक मादक सी अंगडाई लेते हुए अपनी बाथ रॉब अपने जिस्म से निकाल कर नीचे फेंक दी ..



पंडित जी की तो जैसे दिल की धड़कन ही रुक गयी ..एक साथ दो नंगी लड़कियां उनके सामने थी , जिन्हें आज तक उन्होंने नहीं चोदा था ..


शिप्रा थोड़ी सांवली जरुर थी, पर उसका भरा हुआ जिस्म , बिलकुल विद्या बालन जैसा था , भरी हुई गांड , मोटे चुचे , मोटे और रसीले होंठ , गोल चेहरा , वो एक तरह से सेक्स बम जैसी लग रही थी, और नंगी होने के बाद तो उसकी खूबसूरती में चार चाँद लग गए थे.
(वैसे दोस्तों औरत चाहे जैसी भी हो, नंगी होने के बाद वो और भी खुबसूरत हो जाती है ..)


और दूसरी तरफ, प्रियंका भी कम नहीं थी, अपने पतले बदन और घुंघराले बालों की वजह से वो भी सिने अभिनेत्री कंगना रानावत जैसी लगती थी ..बस कद थोडा कम था उसका ..


पंडित जी ने उसे पार्क में लगभग नंगा देखा तो था, पर वहां अँधेरा भी था और वो थोडा दूर भी थी, पर आज अपनी आँखों के इतने करीब उसके नंगे शरीर को देखकर उसकी सही मायने में तारीफ करने का मन कर रहा था उनका ..


पंडित जी खड़े हुए थे और उनका लंड भी ..और दोनों खड़े होकर उन दोनों लड़कियों का तमाशा देख रहे थे ..


प्रियंका ने शिप्रा के सर को धक्का देते हुए नीचे जाने का मूक निर्देश दिया ..जिसे वो समझ गयी और अपनी जीभ से लार की लकीर छोडती हुई वो नीचे की तरफ जाने लगी ..और अंत में जैसे ही उसकी उबलती हुई चूत के ऊपर उसके होंठ पहुंचे , प्रियंका ने अपने दोनों पैरों का दबाव उसकी पीठ पर डालते हुए उसे अपनी चूत के अन्दर खींच लिया ..और शिप्रा जो अभी तक उसकी चूत की महक सूंघने में लगी हुई थी, अपने होंठों के बल उसके नीचे वाले होंठों पर जा गिरी ..


''आय्य्यीईई ............ .....ईईईइ ....... अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..... अह्ह्ह्ह्ह्ह ...म्म्म्म्म्म्म्म ....येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स. .....सक ......बेबी ...सक ....अह्ह्ह्ह्ह ''


प्रियंका के हाथ अपनी सहेली को उत्साहित करने के लिए उसके बालों में उँगलियाँ फेर रहे थे और उसके कानों की भी मसाज कर रहे थे ..




अगले पांच मिनट तक अपनी चूत की मसाज शिप्रा के होंठों से कराने के बाद प्रियंका के मुंह से निकलते हुए शब्दों में तेजी आ गयी ..


''अह्ह्ह्ह्ह .......शिप्पी .....अह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म ...डार्लिंग ......आई एम् कमिंग .......अह्ह्ह्ह्ह .... सक ...मी .....हार्र्ड ..............''


और उसने एक जोरदार झटके के साथ अपनी चूत से निकले गाड़े पानी का प्रेशर शिप्रा के होंठों के अन्दर निकाल दिया ...जिसे वो किसी एनेर्जी ड्रिंक की तरह पी गयी ..


अब बारी थी शिप्रा की, वो बेड पर बड़ी तेजी से चडी और सीधा जाकर उसके मुंह पर ऐसे बैठ गयी जैसे वो कोई कुर्सी हो ..और अपनी चूत को सही जगह फिट करने के बाद उसने सियार की तरह ऊपर गर्दन करके -हलकी २ सिस्कारियां मारनी शुरू कर दी ..


''उम्म्म्म्म्म्म्म्म .........येस्स ........अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....''


पंडित जी ने इतना उत्तेजक दृश्य आज तक न तो देखा था, वो तो उस घडी को कोस रहे थे जब उन्होंने प्रियंका को मना कर दिया था, और अब उन दोनों को आपस में मस्ती करते देखकर लग ही नहीं रहा था की उन्हें किसी लंड की भी जरुरत है, वो तो एक दुसरे की चूतें अपनी जीभ से चोदकर ही संतुष्ट होने में लगी हुई थी ..पर पंडित जी भी मंझे हुए खिलाडी थे, उन्हें मालुम था की ये सब तो केवल चूत को थोड़ी देर तक शांत करने के उपाय है, जो मजा लंड में है, उसका कोई मुकाबला ही नहीं है ..इसलिए उन्होंने भी अपनी चाल चलते हुए धीरे से अपनी धोती को खोलकर नीचे गिरा दिया ..अपने कुर्ते को उतार दिया, और अपने अंडरवीयर को भी निकाल फेंका ..और जैसे ही उनका लंड उन दोनों लड़कियों की आँखों के सामने आया वो तो अपने आपे से बाहर हो गयी ..


प्रियंका हालाँकि पहले भी पंडित जी का हथियार देख चुकी थी, पर आज इतने करीब से और साफ़ तरीके से अपने सामने उसे लहराते देखकर वो सम्मोहित सी होकर शिप्रा की चूत को अपनी जीभ से चोदना भूलकर सिर्फ वहीँ देखती रह गयी ..और शिप्रा भी मुंह पर उछलना भूलकर सिर्फ बैठी ही रह गयी, और धीरे -२ आगे पीछे होकर अपनी चूत के तितली जैसे होंठों को उसकी बाहर निकली जीभ पर रगड़ने लगी ..

उसने आजतक सिर्फ 3 - 4 बार ही लंड लिया था अपनी चूत में ..पर कोई भी इतना लम्बा और मोटा नहीं था ..इतना शानदार लंड देखकर उसके मुंह से पानी निकल कर प्रियंका के मुंह पर जा गिरा ..और अगले ही पल उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुंचकर उसकी चूत का पानी भी उसके मुंह के अन्दर जा गिरा ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........प्रियंका ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....मैं तो गयी ..... अह्ह्ह्ह्ह्ह ... उम्म्म्म्म्म्म ..... ''


और वो वहीँ निढाल सी होकर साइड में लुडक गयी ..उसकी चूत से अभी भी रस की धार निकल कर नीचे बेड पर गिर रही थी ..


प्रियंका तो पहले झड चुकी थी, और अब पंडित जी के लंड के दर्शन पाकर उसकी चूत के अन्दर से फिर से आवाजें आने लगी थी, पर वो शिप्रा की वजह से खुलकर पंडित जी की तरफ नहीं जा पा रही थी, उन्होंने पहले ही डिसाईड कर लिया था की अगर पंडित जी नहीं माने तो उनके सामने उत्तेजना का नंगा नाच करके उन्हें विवश कर देंगे , पर पंडित जी भी अपनी जगह अडीग थे, वो तैयार तो हो गए थे चुदाई के लिए, पर अपनी तरफ से पहल करना नहीं चाहते थे वो भी ..जिस तरह से उन दोनों ने अपने नंगे जिस्म दिखाकर उन्हें ललचाया था, तडपाया था , उसी तरह से वो अपने लम्बे और मोटे लंड का नंगा नाच उन दोनों को दिखाकर उन्हें तडपाना चाहते थे, और तब तक तडपाना चाहते थे, जब तक दोनों किसी पालतू कुतिया की तरह उनके सामने आकर उनके लंड की भीख ना मांगे ..


पंडित जी ने अपने हाथ में अपने लम्बे लंड को पकड़ा और उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया ..उनके गठीले शरीर और उतने ही गठीले लंड को अपने सामने इस तरह से देखकर उन दोनों की चूतें बुरी तरह से कुलबुला रही थी ..पंडित जी का निशान सही बैठा था ..वो दोनों लालसा और लालच भरी निगाहों से पंडित जी के लंड को देखे जा रही थी ..


आखिर प्रियंका से सहन नहीं हुआ, और अपनी चूत के हाथों मजबूर होकर उसने निर्णय लिया की पंडित जी के लंड को वो लेकर ही रहेगी ..इसके लिए चाहे झुकना ही क्यों न पड़े .


दोस्तों, सेक्स एक ऐसी क्रिया है जिसमे अपनी इगो को ताक पर रखकर मजा लेना चाहिए , दुसरे के बुलावे का इन्तजार करने से अच्छा खुद इनिसिएटिव लो और मजे लो ..


और यही किया प्रियंका ने, और सीधा जाकर वो पंडित जी के लंड के सामने बैठ गयी और ऊपर मुंह करके बड़े प्यार से उन्हें देखने लगी, जैसे अपनी गलती मान रही हो वो ..


पंडित जी ने भी उसे माफ़ करते हुए अपनी दरियादिली दिखाई और अपने लंड का कंट्रोल
उसके हवाले कर दिया ..


प्रियंका ने पंडित जी वहीँ बेड ऊपर धक्का देकर लिटा दिया और अगले ही पल उनके मोटे और लम्बे लिंग को अपने मुंह के अन्दर डालकर जोर -२ से चूसने लगी ..





साथ में लेटी हुई शिप्रा को भी अपनी गलती का एहसास हो चुका था ..


वो थोड़ी देर तक तो पंडित जी की तरफ देखती रही और फिर धीरे से खिसक कर उनकी तरफ आ गयी ..और जाकर सीधा उनके गले में अपनी बाहें डाल दी और उनके कान में फुसफुसाई ..


''आप जीत गए पंडित जी ...सच में ..आपका लंड काफी बड़ा और आकर्षक है ..ऐसा तो मैंने आज तक कभी नहीं लिया ..क्या आप मुझे भी इसकी सेवा का अवसर देंगे ..''


आप तो जानते ही है, पंडित जी अपनी शरण में आई हुई किसी भी चूत को मना नहीं करते ..उन्होंने आँखे बंद करके उसे इशारा किया और वो झट से उनके पट के ऊपर सवार होकर उनके होंठों को चूसने लगी ..


उसकी गीली चूत से निकल रहा पानी पंडित जी की नाभि के अन्दर इकठ्ठा होने लगा ..


और उसके थोड़ी ही नीचे , प्रियंका पूरी लगन से पंडित जी के लंड को अपने मुंह में डालकर उसका स्वाद ले रही थी ..


शिप्रा ने अपनी चूत को पंडित जी के पेट से रगड़ते हुए उनके होंठों को अपने गीले होंठो से चूसना शुरू कर दिया ..

पंडित जी ने सोच लिया था की अपनी पूरी ताकत आज इनकी चुदाई में लगा देंगे ..आखिर इन्हें भी तो पता चले की उनका लंड सिर्फ देखने में ही नहीं लेने में भी जानदार है .


शिप्रा की चूत से तो पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ..आखिर इतने दिनों के बाद उसकी चूत में लंड जो जाने वाला था और वो भी इतना बड़ा ..


पंडित जी ने शिप्रा को अपने पेट के ऊपर बिठा लिया और अपने हाथ ऊपर करके उसके मोटे और रसीले आमों को निचोड़कर उसके अन्दर भरा हुआ गुदाजपन अपने हाथों से महसूस कर रहे थे ..उनका मन कर रहा था की इन मोटे मुम्मों को ऐसे ही अपनी उँगलियों से सहलाते रहे ..






शिप्रा से पंडित जी के हाथ अपनी ब्रेस्ट पर सहन नहीं हुए ..उसने उत्तेनाजवश उनकी उँगलियों को पकड़कर अपने मुंह में ठूस लिया और उन्हें किसी लंड की तरह से चूसने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी ...........उम्म्म्म्म्म्म्म .....पुच्च्च्छ्ह्ह्ह .......अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''


और दूसरी तरफ प्रियंका भी पीछे नहीं थी ..उसने पंडित जी के लम्बे लंड के लिए अपने मुंह में काफी जगह बना ली थी और उसे अन्दर लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे पंडित जी के लंड का असली घर वही है ..


उसे तो पंडित का लंड किसी लोलीपोप की तरह से लग रहा था ..जिसे अपने मुंह के पूरा अन्दर लाकर वो चूसती और उसके रस को पी जाती और फिर बाहर निकालते हुए एक अजीब से 'पॉप' की आवाज निकालती ..और उनका लंड चूसते हुए उसकी नजरें पूरी तरह से पंडित जी और शिप्रा पर थी , और उसकी खुद की उँगलियाँ अपनी चूत पर ..






अब पंडित जी से रहा नहीं जा रहा था , वो जल्द से जल्द अपने लंड से उन दोनों की चूत की सेवा करना चाहते थे ..वो खड़े हो गए और उन दोनों ने पंडित जी जिस्म को चूमना और चूसना जारी रखा ..

पंडित जी बेड के साईड में खड़े हो गए और उन्होंने शिप्रा को अपनी तरफ खींचकर उसके रसीले होंठों को फिर से चूसना शुरू कर दिया .


प्रियंका अभी तक उनके लंड का पानी ही पीने में लगी हुई थी ..






पंडित जी ने उसके बालों को पकड़कर अपने लंड का ठुमका उसके मुंह में ऐसा लगाया की प्रियंका को लगा की पंडित जी आज उसके गले के आर पार पहुंचा देंगे अपने लंड को ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ...पंडित जी ... धीरे .....अह्ह्ह ....इतनी तेज नहीं .....उम्म्म्म्म ....एक तो आपका लंड पहले ही इतना बड़ा है ...अह्ह्ह्ह्ह ...मेरा मुंह दुख रहा है ..उम्म्म्म्म ....और ऊपर से आपके ये धक्के ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......मत करो न .....ऐसे मत सताओ ....''


पर सताने के लिए सिर्फ वोही नहीं थी ..पंडित जी शिप्रा के साथ भी इसी तरह के जंगलीपन से पेश आ रहे थे ..उन्होंने बेड पर अपने घुटनों के बल खड़ी हुई शिप्रा की चूत पर अपना पंजा जोर से दे मारा ..और दो चार चांटे लगाने के बाद उसके लटक रहे चूत के होंठों को अपनी उँगलियों में फंसा कर नीचे तक खींचा और फिर एक झटके से छोड़ दिया ..




वो बेचारी दर्द से बिलबिला उठी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ........धीरे .....पंडित जी ....धीरे .....ये हमारा सबसे कोमल अंग होता है ...थोडा प्यार से पेश आइये न ...स्स्स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......''


उसकी गीली चूत से बरस रहा जलजीरा पंडित जी के हाथों में लग गया , जिसे उन्होंने अपने लंड के ऊपर मल दिया ..और फिर उस रस से भीगे क्रीम रोल को उन्होंने फिर से प्रियंका के मुंह में अन्दर तक ठूस दिया ..


आज पंडित जी कुछ ज्यादा ही जंगली तरीके से पेश आ रहे थे इन दोनों हिरनियों के साथ ..आखिर उन्होंने पंडित जी को तरसाने की गुस्ताखी जो की थी ..इसका दंड तो उन्हें देना ही था पंडित जी ने ..


शिप्रा : "अब डाल भी दो पंडित जी ...और कितना तरसाओगे ....देखिये न ...कैसे आग निकल रही है मेरे अन्दर से ...''


उसने पंडित जी का हाथ पकड़ कर फिर से अपनी चूत पर लगा दिया .. जहाँ से चूत की गर्मी के थपेड़े निकल रहे थे ..


पंडित जी जान गए की अब सही समय है ..चुदाई का .


उन्होंने शिप्रा को बेड पर लिटाया और उसकी दोनों टांगो को फेला कर उसके चेहरे की तरफ देखा ...जो बड़े ही उत्तेजक तरीके से उनकी आँखों में देख रही थी .


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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:49

पंडित & शीला पार्ट--41

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गतांक से आगे ......................

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वो बोली : "अब डालो भीssssssssssssssssssssss ........''


उसकी आवाज में आग्रह से ज्यादा आदेश था ..जो ऐसी अवस्था में अपने आप आ जाता है ..


पंडित जी ने अपने लंड को उसकी गुलाबी चूत के होंठों के अन्दर फंसाया और एक तेज झटका देकर उसके अन्दर दाखिल हो गए .






''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ़्फ़्फ़ॊओ पंडित ........जी ........अय्य्यीईई ........धीरे करो .....एक ही बार .....में नहीं .....आअह्ह्ह्ह्ह्ह ......''


पर पंडित जी कहाँ मानने वाले थे ...उन्होंने तो अपना पूरा लंड एक ही बार में उसकी चूत के अन्दर उतार कर सांस ली ...और फिर हर सांस के साथ उन्होंने अपने लंड को खींचा और डाला ..खींचा और डाला ...धपधप ...खचाखच ....की आवाजों से पूरा कमरा गूंजने लगा ..


''अह्ह्ह्ह्ह .....पंडित ....जी ....अह्ह्ह ....,एह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म ......क्या .....लंड .....है आपका ...अह्ह्ह्ह .....ऐसी ....फकिंग ....तो आज तक किसी ने नहीं की ...अह्ह्ह्ह ...''


उसकी बातों और चेहरे से उसके अन्दर की ख़ुशी साफ़ झलक रही थी ..

प्रियंका साईड में होकर बैठ गयी थी और अपनी 'बारी' की प्रतीक्षा करते हुए अपनी चूत को मसलने लगी ..


पंडित जी खड़े होकर बेड पर नंगी बिछी हुई शिप्रा को पूरी ताकत से चोदने में लगे हुए थे ..उनके हर झटके से शिप्रा का पूरा जिस्म ऊपर तक उछल जाता और लंड के बाहर आते समय फिर से नीचे आ गिरता ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित ...जी ......उम्म्म्म…...प्रियंका ने सही कहा था .....आप सच में जोरदार तरीके से चुदाई करते हो ...उम्म्म्म्म्म ......और जोर से चोदो मुझे ......ओये ....पंडित जोर से कर ....ना ......साले ....चोद मुझे ....अह्ह्ह्ह ..''


आवेश के मारे उसके मुंह से पंडित जी के खिलाफ निरादर भरे शब्द निकलने लगे ..


पंडित जी भी आवेश में भर कर उसके हिलते हुए मुम्मों पर चांटे मारने लगे ..उनके हाथ की उँगलियाँ उसके गोरे मुम्मों पर छप सी गयी थी ..और जिसके दर्द के मारे वो चीख भी रही थी ..




पंडित : "ले साली .....भेन की चूत तेरी ....बड़ी अकड़ है ना तेरे में ...अब तेरी अकड़ निकालूँगा ...ले साली ....रंडी ....भेन चोद ....आज से तू मेरी रंडी है ...समझी ...रंडी है तू ...''


शिप्रा : "अह्ह्ह्ह्ह ......येस्स्स्स ......मैं हु .....तुम्हारी रंडी .....पंडित जी ....अह्ह्ह्ह ......ओह्ह्ह्ह्ह्ह पंडित जी .........मैं तो आई .....अह्ह्ह्ह्ह ........आई एम् कमिंगssssssssssssssssssssssss ''


और एक जोरदार विस्फोट के साथ उसकी चूत के अन्दर एक परमाणु बम फट गया और ढेर सार रस बाहर निकलने लगा ....

पंडित जी ने अपना लंड बहार खींच लिया ...और वो गहरी साँसे लेती हुई, निढाल सी होकर बेड से उतर गयी और सोफे पर जाकर लेट गयी ..और पंडित जी के आगे के कार्यकर्म को देखने लगी .


अब बारी थी प्रियंका की ..


उन्होंने उसे बेड पर लिटाया और उसके ऊपर आकर उसके मोटे स्तनों को मलने लगे ..उसके मोटे निप्पल के ऊपर अपनी उँगलियाँ फेराकर उसे और उत्तेजित करने लगे ...






वो तो पहले से ही तैयार थी ..पंडित जी की इस हरकत से वो और भी ज्यादा गर्म हो गयी और उसने पंडित जी को अपने ऊपर खींच लिया ..


पंडित जी ने अपना मुंह सीधा लेजाकर उसकी मदर डायरी पर लगा दिया और उसके इरेक्ट हो चुके निप्पल को अपने दांतों के बीच भींचकर कर जोर से काट लिया ...






''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....आप तो उसे काट कर अलग ही कर दोगे .....उम्म्म्म्म ....धीरे करो .......इसे ....चुसो ........चाटो .....निचोड़ो ......बस काटो नहीं ...''


और इतना कहकर उसने पंडित जी के चेहरे को ऊपर खींच लिया और वो भी अपने होंठों के निशाँ उसकी गर्दन और गालों पर छोड़ते हुए आये और सीधा आकर उसके सन्तरे की फांकों जैसे होंठ अपने मुंह में दबा लिए और जोर -२ से चूसकर उनमे से रस निकालने लगे ..


''उम्म्म्म्म्म्म्म ......उम्म्म्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......अब डाल भी दो न ....तरसाओ मत ....''


पंडित जी के सामने अब प्रियंका ने भी गिडगिडाकर उनके लंड की भीख मांग ली थी ..जैसा पंडित जी चाहते थे ..


उन्होंने उसे घोड़ी बनने को कहा और उसकी चोडी गांड पकड़ कर अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और एक जोरदार शॉट मारकर अपने लंड का सुपाडा अन्दर धकेल दिया ...


प्रियंका का मुंह खुला का खुला रह गया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........उम्म्म्म्म्म्म्म्म .......क्या चीज ....कटपीस ...उम्म्म्म्म्म ....''





अब तो पंडित जी रुके ही नहीं ..उन्होंने उसकी चूत का बेंड ही बजा दिया ...हर झटके के साथ उसके अन्दर तक घुस जाते और बच्चेदानी से अपने लंड को टच करवाकर फिर से बाहर आ जाते ..


उन्होंने उसके पेट के नीचे एक तकीया लगा दिया और उसकी गांड को और ऊपर उठा कर हवा में लहरा दिया ..और पीछे से पूरी ताकत से उसकी चूत का हलवा पीटने लगे अपने लंड से ..







और जल्द ही उसके ओर्गास्म की किलकारियां गूंजने लगी पुरे कमरे में ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी .......उम्म्म्म्म्म .....मजा आस्स्स्स गया .....उम्म्म्म्म्म .....मैं तो गयी ....रे ....अह्ह्ह्ह ....मैं तो गयी ......''


वो झड चुकी थी ...और पंडित जी भी इतनी देर से अपने लंड के अन्दर एक ज्वालामुखी लिए बैठे थे ..जो अब कभी भी फट सकता था ..


उन्होंने शिप्रा की तरफ देखा जो बड़ी उत्सुकतता के साथ उनकी तरफ देख रही थी ..पंडित जी ने उसे इशारे से अपनी तरफ आने को कहा ..वो किसी पालतू कुतिया की तरह एक ही छलांग में पंडित जी के सामने आकर जमीन पर बैठ गयी ..


पंडित जी ने भी अपना लंड प्रियंका की चूत से बाहर खींच लिया और नीचे उतर आये ..उनका इशारा समझ कर वो भी शिप्रा के साथ ही जमीन पर उसके साथ आकर बैठ गयी और पंडित जी ने अपने लंड को उन दोनों के सामने लहरा दिया ..जिसे वो दोनों भूखी पिशाचिनियों की तरह से चूसने लगी ..


और कुछ ही देर में पंडित जी के लंड का प्रसाद बाहर निकलकर उनके चेहरों पर गिरने लगा ..


पंडित : "अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म ...उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......''


और प्रियंका ने थोडा प्रसाद शिप्रा के चेहरे पर गिरा दिया और बाकी का अपने ऊपर ...


दोनों के चेहरे सफ़ेद चादर से ढक गए, जैसे वहां बर्फ गिरी हो ..

उनको अच्छी तरह से संतुष्ट करने के बाद पंडित जी ने अपने कपडे पहनने शुरू किये .



शिप्रा : "पंडित जी ...सच कहु ..आप जैसा मर्द मैंने अपनी लाइफ में पहली बार देखा है ..जो जानता है की औरत को क्या चाहिए और उसे कैसे सेटिस्फाई करना है ..मुझे ऐसे मजे आज तक नहीं मिले थे ..में तो आपकी फेन हो गयी ..और आपके इस छोटे सिपाही की भी ..जिसने मेरे किले के अन्दर जाकर आज ऐसी तबाही मचाई है की अभी तक फील हो रहा है सब ..''


अपनी चूत के ऊपर उँगलियाँ फेरती हुई वो बोले जा रही थी ..और प्रियंका भी उसकी हाँ में हाँ मिला कर उसका साथ दे रही थी .


पंडित जी मंद -२ मुस्कुराते रहे और अपने कपडे पहन कर तैयार हो गए ..अब उन्होंने 4 दिनों के बाद दोबारा मिलना था क्योंकि बद्री के वकील ने 4 दिनों के बाद पैसे भिजवाने थे ..और पंडित जी को उनका हिस्सा देने के लिए शिप्रा ने दोबारा बुलाया था और साथ ही कुछ और भी मजे लेने के लिए ..


पंडित जी घर की तरफ वापिस चल दिए ..


अपने कमरे में पहुँचते -२ उन्हें शाम हो गयी ..नहा - धोकर मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद वो अपने कमरे में गए और सो गए ..वो काफी थक चुके थे .


पर आराम करना पंडित जी की किस्मत में कहाँ ...एक घंटे में ही बाहर से किसी ने उन्हें पुकारा ..दरवाजा थपथपाया ..वो उठे और दरवाजा खोल दिया , और एक साया तेजी से अन्दर आ गया और दरवाजा बंद कर लिया .. पंडित जी हेरान थे की इतनी रात को ये कौन है जो इस तरह से छुप कर उनके कमरे में आ रहा है ..और जैसे ही उन्होंने लाइट जलाई तो उसके चेहरे को देखकर वो हेरान रह गए


"नूरी ....तुम ...और यहाँ ...''


उन्हें उम्मीद भी नहीं थी की नूरी उनके मंदिर में बने हुए कमरे तक आ सकती है ..


नूरी : "अब बात ही कुछ ऐसी थी ..मैं सुबह से आपको फ़ोन कर रही थी ..पर वो बंद था ..दरअसल मैंने वो प्रेग्नेंट वाली बात अपने शोहर को बता दी ..जिसे सुनकर वो इतना खुश हुआ की मुझे कल सुबह ही लेने के लिए आ रहे हैं ..और मैं बिना आपसे मिले कैसे जा सकती थी ..एक आखिरी चुदाई तो बनती ही है न ..''


उसने धीरे से मुस्कुराते हुए पंडित जी के गले में अपनी बाहें डाल दी ..


वैसे तो पंडित जी में इतनी हिम्मत नहीं बची थी की वो नूरी के साथ कुछ कर पाए , उनके शरीर से आज का कोटा तो शिप्रा और प्रियंका पहले ही चूस चुकी थी ..और दूसरी तरफ उन्हें डर था की कही किसी ने नूरी को उनके मंदिर या घर से निकलते हुए देख लिया तो कोई गड़बड़ न हो जाएँ ..तभी उन्हें गिरधर का ध्यान आया ..और उसको दिए हुए वादे का भी ..जिसमे उन्होंने नूरी की चूत उसे दिलवाने की बात कही थी ..


पंडित : "देखो ..तुम्हारा यहाँ आना खतरे से खाली नहीं है ..हमें कहीं और चलना होगा ..''


नूरी : "कहीं भी ले चलो पंडित जी ..बस आज की रात मुझे जी भर कर चोदो ...किसी और के लंड में वो बात नहीं है जो आपमे हैं ..''


पंडित : "चलो , आज मैं तुम्हारी डबल ठुकाई करवाता हु ..मैं और मेरा दोस्त तुम्हारी अच्छे से खातिरदारी करेंगे ..''


नूरी : "आपका दोस्त ...मतलब आप मुझे किसी और से भी चुदवाना चाहते हैं ..वाव पंडित जी ....आप मेरे बारे में कितना सोचते हैं ..''


उसके दिमाग में तो एक साथ 2 -2 लंड आने भी शुरू हो गए थे ..जैसे केडबरी शॉट्स की ऐड में होता है ..मन में लड्डू फूटा , अब दूसरा लड्डू फूटा ...


पंडित जी को आशा भी नहीं थी की वो इतनी जल्दी मान जायेगी ..उन्होंने जल्दी से गिरधर को फ़ोन मिलाया और उसे सारी बात सुनाई ..जिसे सुनकर वो ख़ुशी से पागल ही हो गया ..वो इस वक़्त मार्किट में था, पर पंडित जी ने उसे अपनी मज़बूरी बताई की वो उसकी चुदाई अपने कमरे में नहीं कर सकते ,इसलिए उन्होंने उसके घर पर आने को पुछा, जिसे वो झट से मान गया, क्योंकि अब माधवी और रितु भी जानती थी की सभी के बीच क्या चल रहा है ..और वैसे भी गिरधर रितु से आधे मजे तो ले ही चुका था , उसकी चूत को खिड़की में चूसकर ...हो सकता है इसी बहाने आज रितु की चूत भी मिल जाए .. , माधवी भी ये सब जानती थी ..इसलिए उसे पूरा विशवास था की माधवी के सामने वो नूरी की चुदाई करेगा तो भी वो कुछ नहीं कहेगी ..


पंडित जी नूरी को लेकर गिरधर के घर की तरफ चल दिए ..दरवाजा रितु ने खोला


रितु : "ओहो ...पंडित जी ..क्या बात है ..आज हमारी याद कैसे आ गयी ..''


वो तो ख़ुशी के मारे उनसे लिपटने जा रही थी, तभी उसने नूरी को देखा ..और एकदम से पीछे हट गयी ..


पंडित जी नूरी को लेकर अन्दर आ गए ..


पंडित : "तुम्हारी मम्मी कहाँ है ..दिखाई नहीं दे रही ..''


रितु : "जी ..वो दरजी के पास गयी है ..दस मिनट तक आ जाएँगी ..पर ..ये कौन है ..पंडित जी ..''


पंडित जी कुछ बोल पाते इससे पहले ही नूरी बोल पड़ी : "मेरा नाम नूरी है ..और तुम मुझे अपनी सहेली समझो ..सुभानअल्लाह ..कितनी खूबसूरत हो तुम ..कायनात की सारी सुन्दरता तुम्हारे अन्दर समां गयी है जैसे ...''


अपनी तारीफ सुनकर रितु शरमा गयी ..पिंक कलर की टी शर्ट पहनी हुई थी और खुले बालों में वो क़यामत लग रही थी ..


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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:50

पंडित & शीला पार्ट--42

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गतांक से आगे ......................

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सभी लोग अन्दर आ गए और फिर तो नूरी ने रितु की तारीफों के पुल बांध दिए ..अचानक पंडित जी को लगा की नूरी, रितु में कुछ ज्यादा ही रूचि ले रही है ..वो कुछ -२ समझ तो रहे थे पर पूरा कन्फर्म नहीं थे, उन्होंने मन ही मन कुछ सोचा और अचानक उन्होंने रितु से कहा : "रितु ...तुम ये अपनी टी शर्ट उतारो जरा ..और मेरे पास आओ ...''


रितु को अपने कानों पर विशवास ही नहीं हुआ, पंडित जी किसी और लड़की के सामने उसे कपडे उतारने को कह रहे हैं ..वैसे तो पंडित जी को देखते ही उसकी चूत में रसीला रसायन निकलना शुरू हो गया था, पर पंडित जी के साथ आई नूरी की वजह से वो अब तक चुप थी ..पर पंडित जी के आदेश को वो मना भी नहीं कर सकती थी ..इसलिए उसने अपना सर नीचे झुका लिया और शर्माते हुए अपनी टी शर्ट को उतार कर नीचे फेंक दिया ..


नूरी तो ये देखकर अपनी आँखे फाड़े पंडित जी को देखती रह गयी ..वो अब तक समझ चुकी थी की पंडित जी ने कहाँ -२ रायता फैला रखा है ..पर रितु की तरफ देखते ही उसके अन्दर की शैतान जाग उठी ..दरअसल जब से उसने रितु को देखा था उसे अपनी कजिन यास्मिन की याद आ रही थी, जिसके साथ उसने शादी से पहले काफी मजे लिए थे , वो दोनों अक्सर एक दुसरे के साथ 69 की पोजीशन में मजे लेते थे ..उसका रंग रूप , मुम्मों का साईज बिलकुल रितु जैसा ही था ..और अब तो रितु के अपनी टी शर्ट भी उतार दी थी, उसके ब्रा में कैद मुम्में और तने हुए निप्पलस को देखकर उसका भी बुरा हाल था ..


पंडित जी जानते थे की वो क्या कर रहे हैं ..गिरधर को अभी आने में टाईम था और माधवी भी थोड़ी देर से ही आएगी , और वैसे भी गिरधर के आने के बाद चुदाई तो होनी ही थी, इसलिए वो पहले सभी को तैयार करना चाहते थे ..


रितु की टी शर्ट उतारते ही नूरी ने भी बिना बोले अपनी टी शर्ट और फिर ब्रा भी एक ही झटके में उतार फेंकी ..उसकी भरवाँ छातियाँ देखकर रितु की चूत का रसायन बाहर निकलकर टपकने जैसी हालत में हो गया ..


पंडित : "शरमाओ नहीं रितु ...आगे आओ ..और मजे लो ...''


रितु जानती थी की पंडित जी के रहते हुए उसे अपने मम्मी पापा से डरने की जरुरत नहीं है ..वो सकुचाते हुए आगे आई और नूरी के सामने आकर खड़ी हो गयी ..नूरी ने अपने हाथ ऊपर किये और रितु की ब्रा के स्ट्रेप को नीचे गिरा दिया ..उसके संतरे अपनी लालिमा बिखेरते हुए उसके सामने निकल आये ..


''ओहो .......कितने सुन्दर है ये ...सिंदूरी आम ..''


और रितु कुछ कह पाती , इससे पहले ही नूरी ने नीचे झुककर उसकी दांयी चूची को मुंह में भरा और उसे केवेंडर के स्ट्रोबेरी दूध की तरह पीने लगी ..


रितु ने उसके सर को पकड़ा और अपनी छाती से जोर से दबा लिया ..और अपने आपको उसके हवाले कर दिया ..


पंडित जी के सामने 4 गेंदे थी और वो भी भरी हुई और नंगी ..उनका तो एक मिनट के अन्दर ही खड़ा हो गया ..

अपनी धोती को खोलकर उन्होंने नीचे गिरा दिया और अपनी सिपाही को आजाद कर दिया ..और उसके ऊपर अपनी उँगलियाँ लपेट कर उसे आने वाली जंग के लिए खड़ा तैयार करने लगे ....


नूरी ने पलक झपकते ही अपनी जींस भी उतार कर नीचे खिसका दी और अपने हाथों से रितु की जींस खोलकर उसे भी मज्झू नंगा कर दिया ..


अपने हाथ की उँगलियों को उसके ग्लोबस पर फेराते हुए नूरी बड़े ही चाव से उसके दानो को चबा रही थी ..अब तक रितु भी गर्म हो चुकी थी ..नूरी ने एक ही झटके से रितु को पकड़ा और उसके होंठों को चूसने लगी ..और स्मूच करते - २ वो उसे अपने बेड तक ले आई और उसे वहां लिटा कर उसके ऊपर सवार हो गयी ..


दो नंगे जिस्म एक दुसरे से गुत्थम गुत्था कर रहे थे ...


नूरी ने रितु की टांग उठाकर ऊपर की और अपनी दो उँगलियाँ एक साथ उसकी लबाबदार चूत के अन्दर घुसा डाली ..और तेजी से अन्दर बाहर करने लगी ...


रितु का तो मुंह खुला का खुला रह गया ..



कहने को तो ये दोनों आज पहली बार मिली थी ..पर अब इन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे ये दोनों एक दुसरे को बरसों से जानती हो ..सेक्स का रिश्ता है ही ऐसा ..अनजान इंसान को भी एक दुसरे में डुबो सा देता है ..

रितु को आज तक उसे ऐसी फील नहीं मिली थी ..संगीता ने भी पहले ये सब किया था उसके साथ ..पर नूरी के हाथों में तो जैसे जादू था ..वो उसकी चूत पर उँगलियाँ फेराकर उसके अन्दर का तूफ़ान बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी ..


और तूफ़ान को जल्दी निकालने के लिए उसे मालुम था क्या करना है ..


नूरी ने अपना सर नीचे किया और झुककर रितु के नन्हे मुन्ने निप्पल को अपने मुंह में डाल लिया और उसे चूसने लगी ..



''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ......अह्ह्ह्ह्ह्ह ......नूरी .......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ो ऒ। ........जोर से चुसो .....इसे .....अह्ह्ह्ह ... ''


रितु का हाथ अपने आप अपनी चूत के ऊपर चला गया और उसे मसलने लगी ..चूत के अन्दर तो पहले से ही नूरी की उँगलियाँ अपना कमाल दिखा रही थी ..


अब तो रितु से सहन करना मुश्किल सा हो गया ...उसका मुंह सूखने सा लगा ..उसे अजीब से प्यार लगने लगी थी ..चूत के रस की प्यास ..उसने अपने हाथ की वो ऊँगली जिन्हें वो चूत पर मसल रही थी, ऊपर की और उन्हें चाट लिया ...


''सड़प ......सड़प . ......उम्म्म्म्म्म्म .....''


उसने एक मिनट भी नहीं लगाया अपनी गीली उँगलियों को सुखाने में ..


पर उसके नथुनों में नूरी की चूत के रस की मादकता भी टकरा रही थी ..एक नशा सा तैर रहा था वहां के माहोल में ..उसकी चूत से निकल रहा रूह अफजा और नूरी की चूत की फ्रूटी मिलकर एक अजीब ही गंध पैदा कर रहे थे ..


वो बदहवास सी हो गयी ..और उसने एक ही पल में नूरी को धोपी छाप पटकनी दी और उसके ऊपर सवार होकर 69 की पोजीशन में आ गयी और अगले ही पल अपने थरथराते हुए होंठ उसने नूरी की दहकती हुई चूत पर रख दिए और गरमा गरम व्यंजन खाने लगी ...



नूरी का अब बुरा हाल होने लगा था उसकी चूत को आज तक इतनी बेदर्दी से किसी ने नहीं चूसा था ..ऐसा लग रहा था जैसे रितु बरसों की प्यासी है और उसके अन्दर का सार जूस पी जायेगी वो ..


उसने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू पाया और अपने खुले हुए मुंह को ऊपर लटकी हुई चूत से लगा कर वहां से निकल रहा कामरस पीने लगी ..


''उम्म्म्म्म्म .......येस्सस्सस्स .......पी ओ .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म ....उह्ह्ह्ह ......माय .....गॉड .....येस्स्स्स ....''


दोनों ने एक दुसरे की चूतों को चूसकर ओर्गास्म के निकट पहुंचा दिया ..और अगले ही पल दोनों की चूतों के अन्दर से ऐसा बाँध टूटा की सामने की तरफ लगा हुआ मुंह पूरा भर गया ..दोनों के मुंह पुरे गीले हो गए ..मीठे पानी को जितना पी सकते थे , पी गए और बाकी नीचे बह गया ..


तभी बाहर से डोर बेल बजी ...पंडित जी ने उन्हें इशारे से ऐसे ही लेटे रहने को कहा और खुद दरवाजा खोलने चल दिए ..

पंडित ने दरवाजा खोला , बाहर माधुरी खड़ी थी ..पंडित जी को अपने घर का दरवाजा खोलते देख वो हैरान रह गयी ...


माधवी : " अरे ...पंडित जी ..आप ...और हमारे घर पर ..''


उसके मन में डर बैठ गया की कहीं पंडित जी उसकी बेटी रितु को तो नहीं चोद रहे थे उसकी अनुपस्थिति में ..माँ कुछ भी सहन कर सकती है पर अपनी बेटी की चुदाई की बात सहन नहीं कर सकती ..और यही कारण था की आज तक इतना कुछ हो जाने के बाद भी उसने अपने पति की इच्छा (रितु को चोदने की) कभी पूरी नहीं होने दी ....पर वो शायद आज नहीं जानती थी की पंडित जी ने क्या प्रोग्राम बनाया है ..


पंडित : "हाँ ..मैं ...आओ अन्दर आओ ..सब बताता हु .."


माधवी अन्दर आ गयी और पंडित जी ने फिर से दरवाजा बंद कर दिया ..


अन्दर आकर पंडित जी ने माधवी को पीछे से पकड़ लिया और उसके मुम्मों को दबाने लगे ..


माधवी के पुरे शरीर में तरंगे सी उठने लगी ..


माधवी : "ओह्ह ..पंडित जी ...ये क्या कर रहे हो ..रितु घर पर ही है ...उम्म्म्म्म "


पंडित उसके कान में फुसफुसाया : "पता है ..पर अभी वो बिजी है ..''


और इतना कहकर पंडित जी उसे खिड़की के पास ले गए , जहाँ से बेडरूम का नजारा साफ़ दिख रहा था ..और वहां उसने देखा की उसकी बेटी रितु नंगी पड़ी हुई है ..और नूरी उसकी चूत से निकल रहा हलवा अपनी उँगलियों से खा रही है ..और उसे चूम भी रही थी ..


माधवी के पुरे शरीर में करंट सा दौड़ गया ..अपनी बेटी के नंगे शरीर को देखकर उसके मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था ..उसे थोडा -२ शक सा तो था की उसकी बेटी के साथ भी पंडित जी वो सब कर चुके हैं, पर अपनी हवस को शांत करने की चाहत में उसने कभी इस बात के लिए सीधे शब्दों में पंडित जी से कुछ नहीं पूछा था ..और अभी भी अन्दर आते हुए उसने यही सोचा था की पंडित जी और रितु कुछ कर रहे होंगे ..पर यहाँ तो उसकी बेटी किसी और लड़की के साथ नंगी पड़ी हुई मजे ले रही है ..


पंडित जी उसके शरीर से पूरी तरह से लिपट गए और उसके कानों में उसके प्रश्नों का निवारण करना शुरू किया


"तुम यही सोच रही हो न की ये लड़की कौन है ..और मैं और ये यहाँ क्या कर रहे हैं ..तो सुनो ..इसका नाम नूरी है ..और ये उसी मुल्लाजी की लड़की है, जिन्होंने तुम्हे बीच सड़क पर चोदा था ..वैसे तो मैं इस लड़की को यहाँ लाया था गिरधर के लिए, क्योंकि उसकी वजह से इस लड़की की एक इच्छा पूरी हुई थी इसलिए उसके इनाम स्वरुप आज गिरधर इसकी चुदाई करेगा ..''


पंडित जी ने इरफ़ान और गिरधर की मिलीभगत से उसकी चुदाई का किस्सा भी साफ़ कर दिया ..


माधवी पंडित जी की बात सुनकर हैरानी से उन्हें देखने लगी ..


पंडित जी आगे बोले : "और वैसे भी, मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी ..दो दिनों से तुम्हारी चूत के लिए तड़प रहा हु मैं ..''


पंडित जी ने माधवी को खुश करने के लिए चारा फेंका ..और माधवी उनकी ये बात सुनकर अन्दर ही अन्दर तड़प सी गयी ..


पंडित : "और मैं इसे आज यहाँ इसलिए लाया था की जब गिरधर इसकी चुदाई करेगा तो उसके सामने ही मैं तुम्हे भी चोदुंगा ..ताकि आगे के लिए भी हमें कोई परेशानी न हो ..''


माधवी : "पर ...पर ..ये रितु भी तो है यहाँ ...अभी बच्ची है वो ..''


पंडित : "ये तुम्हे बच्ची लग रही है ..बच्चे पैदा करने की उम्र हो गयी है इसकी ..और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दू की ये अब कुंवारी नहीं रही ..तुम्हारी तरह ये भी मेरे लंड के मजे ले चुकी है ..''


माधवी ने कुछ नहीं कहा ..जैसे वो जानती थी की उसकी बेटी चुद चुकी है ..पंडित जी से ..


माधवी : "पर पंडित जी ..समझने की कोशिश करिए ..रितु के सामने जब गिरधर और नूरी , मैं और आप चुदाई करेंगे तो वो क्या सोचेगी ..अपने माँ बाप के बारे में ..और अगर गिरधर ने अपनी बेटी के साथ कुछ करना चाहा तो मैं कैसे रोक सकुंगी उसको ..''


पंडित : "देखो ..माधवी ..जो होना है,उसको होने दो ..और तुम भी जानती हो की एक न एक दिन वो होकर ही है ..और वैसे भी ..वो दोनों आधा काम तो कर ही चुके हैं ..''

इतना कहकर पंडित जी ने रितु और गिरधर का खिड़की वाला उसे सुना दिया ..जिसे सुनकर माधवी को भी लगा की पंडित जी शायद सही कह रहे हैं ..वो भी तो खुल कर मजे ले रही है अब अपनी जिन्दगी के ..पहले पंडित जी से लिए और फिर उस रात रंडी की तरह सड़क पर चुदकर मुल्लाजी (इरफ़ान) से भी .. अब तो सिर्फ थोड़े बहुत परदे ही रह गए हैं ..जो जितनी जल्दी हो सके, गिर जाएँ तो ही अच्छा है ..


पंडित जी अपनी बात कहते भी जा रहे थे और माधवी की चूत की मालिश भी कर रहे थे ..उसकी सलवार का कपडा गिला हो चूका था ..


पंडित : "चलो ..अन्दर चलो ..पहले अपनी बेटी के सामने तो अपनी शरम उतार लो ..''


वो चुपचाप उनके साथ अन्दर की तरफ चल दी ..


अपनी माँ को पंडित जी के साथ अन्दर आते देखकर रितु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा ..वो आराम से वैसे ही पड़ी रही और नूरी से अपनी चूत चुसवाती रही ..


रितु (नूरी से) : "नूरी ...ये मेरी माँ है ..''


नूरी ने अपना गिला चेहरा बाहर निकाला और माधवी की तरफ देखकर बोली :"हाय आंटी ..मेरा नाम नूरी है ..''
माधवी ने मुस्कुरा कर उसकी हाय का जवाब दिया ..और उसके बाद नूरी फिर से रितु की चूत का खजाना ढूंढने उसके अन्दर घुस गयी ..


माधवी को पंडित जी ने अपने सामने बिठाया और अपनी धोती खोल कर उसके सामने अपना लंड पेश कर दिया ..माधवी ने एक नजर रितु की तरफ डाली ..जिसने इशारे से पंडित जी का लंड चूसने के लिए कहा ..उसने बिना आवाज निकाले अपने होंठ हिला कर कहा : "कम ओन माँ ..सक इट ...''


और फिर हुए माधवी ने पंडित जी के नागराज को अपनी गिरफ्त में लिया और अपने मुंह की बाबी में डाल कर उसे चूसने लगी ..




''उम्म्म्म्म्म्म्म ...........माधवी ......अह्ह्ह्ह्ह ..... ..तुमसे अच्छा मेरा लंड कोई नहीं
चूसता .....अह्ह्ह्ह ....''


पंडित जी का इतना बोलना था की नूरी और रितु ने एक साथ बोला : "अच्छा जी ..''


रितु : "हम भी तो देखे की ऐसा क्या ख़ास तरीका है मम्मी का ..''


और वो उछल कर बेड से नीचे आ गयी और अपनी माँ की बगल में आकर बैठ गयी ..उसके पीछे-२ नूरी भी आ गयी और माधवी के दूसरी तरफ आकर बैठ गयी ..


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