54
भौजी: आप यहीं अंदर साओगे?
मैं: हाँ ... और आप भी जाके आराम कर लो| जब से आये हो मेरी ही तीमारदारी में लगे हो|
भौजी: आपका ध्यान रख रही हूँ जो मेरा फर्ज है और आप इसे तीमारदारी कहते हो? और जब आपने दिन रात मेरा ध्यान रखा था तब? जाइए मैं आपसे बात नहीं करती!
मैं: SORRY यार!
भौजी: ठीक है माफ़ किया....!!! ही ही ही ही
मैं: अच्छा अब आप जाके सो जाओ, कल सुबह उठना भी तो है| कल तो शायद माँ और पिताजी भी आ जाएं|
भौजी: नहीं मैं यहीं बैठूंगी| भूल गए डॉक्टर साहब ने क्या कहा था? रात को बुखार चढ़ गया तो| और मैं आपको जानती हूँ की अगर बुखार चढ़ गया तो आप मुझे उठाओगे भी नहीं| इसीलिए मैं यहीं बैठूंगी|
मैं: देखो मेरे साथ रहोगे तो आप भी बीमार हो जाओगे| और रसिका भाभी क्या कहेंगी? और कहीं अम्मा ने हमें एक साथ लेटे हुए देख लिया तो?
भौजी: वो सब मैं नहीं जानती... मैं तो यहीं सोऊँगी... वो भी आपके बगल में| ही..ही..ही..ही
मैं: यार प्लीज जिद्द मत करो... आप बीमार पड़ जाओगे?
भौजी: कुछ नहीं होता... डॉक्टर साहब ने कहा था की ये छोटी सी बिमारी है जो एक-दो दिन में ठीक हो जाती है|
मैं: अपना नहीं तो उस नन्ही सी जान के बारे में सोचो जो अभी इस दुनिया में आने वाली है| मैं चाहता हूँ की वो स्वस्थ पैदा हो|
भौजी: वो स्वस्थ ही होगी... और आप बेकार की चिंता करते हो! ऐसे बीमारियां एक दूसरे में नहीं फैलतीं...कभी देखा की बच्चे की वजह से माँ बीमार पड़ीं हो... कितनी पत्नियां होती हैं जो अपने पति के बीमार होने पे उनकी सेवा करती हैं| वो तो बीमार नहीं होती| तो मैं कैसे बीमार हूँगी| अब आप बहस मत करो और सो जाओ|
मैं जानता था की मुझसे ज्यादा भौजी को फ़िक्र है की हमारे रिश्ते के बारे में किसी को पता ना चले| पर मुझे तकलीफ इस बात से हो रही थी की मेरी वजह से वो ठीक से सो नहीं पाएंगी|
मैं: अच्छा आप एक काम करो, इस कमरे में एक चारपाई और बिछा दो| और आप उसी पे सो जाना|
भौजी: इस कमरे में इक और चारपाई नहीं घुसेगी| आप मेरी चिंता मत करो.... अगर मुझे नींद आई तो मैं अपनी चारपाई पे जाके सो जाऊँगी|
मैं: यार आप जिद्द बहुत करते हो...कभी मेरी बात नहीं मानते|
भौजी: एक बार मानी थी तो आपकी ये हालत हो गई| अब नहीं मानूँगी!!!
मैं लेट गया और ऐसे दिखाया जैसे मैं घोड़े बेच के सो गया हूँ| तब जाके भौजी बहार अपनी चारपाई से सोने गईं|
पर मुझे नींद नहीं आ रही थी| उनके जाने के बाद मैंने अनेकों बार करवटें बदली पर नींद नहीं आई| आखिर में बाईं करवट लेट गया की शायद ननद आ जाए| पर मैं ये नहीं जानता था की बभुजी खिड़की से मुझे करवटें बदलते हुए देख रही हैं| मेरे करवट लेने के करीब दो मिनट बाद वो आईं और मेरे पीछे लेट गईं और अपना हाथ मेरी बगल में डाल दिया| उनके हाथ के स्पर्श को मैं भलीं-भाँती जानता था|
भौजी मेरे कान में धीरे से खुसफुसाइन; "नींद नहीं आ रही है ना?" मैंने ना में सर हिला दिया| "तो फिर मुझे क्यों दूर भेजा, वो भी ड्रामा कर के की आपको बहुत जबरदस्त नींद आ रही है?" उन्होंने प्रश्न किया|
मैं: क्योंकि मैं नहीं चाहता की आप बीमार पड़ो|
भौजी: कुछ नहीं होगा मुझे....आपको कोई छूत की बिमारी नहीं है, और अगर होती भी तो भी मैं आपके पास यूँ ही रहती!
मैं: आप नहीं सुधरोगे!!!
मैंने उनका हाथ पकड़ के चूम लिया पर मैं अब भी करवट लिए हुए था ताकि मेरी सांसें उनकी साँसों से ना मिली वरना इन्फेक्शन उन्हें भी हो जाता|
भौजी: मेरी तरफ करवट करो?
मैं: नहीं...
भौजी: आपको मेरी कसम|
अब फिर से मैं उनकी कसम से बंध गया था| मैंने उकी तरफ करवट ली और हमारी आँखें एक दूसरे से मिलीं| मैंने अपनी सांस रोक रखी थी.... ताकि उन्हें इन्फेक्शन ना हो| भौजी ने अपना हाथ मेरे दिल पे रखा जो अब तेजी से धड़कने लगा था|
भौजी: कब तक सांस रोकोगे?... मैंने कहा न कुछ नहीं होगा....
तब जाके मैंने सांस धीरे-धीरे छोड़ी|
भौजी: अगर मैं बीमार होती तो आप मुझसे दूर रहते?
मैं: कभी नहीं ....पर आप माँ बनने वाले हो...और अगर बच्चा....
भौजी: कुछ नहीं होगा उसे.... आप बस मुझसे दूर मत रहा करो, मैं अधूरी हो जाती हूँ| और इन दिनों में आपने जो कुछ किया...आपका मेरे प्रति ये समर्पण .... मैं आपकी कायल हो गई| You’re a One Woman Man! And I LOVE YOU !!!
मैं: I LOVE YOU TOO !!!
इसके बाद उन्होंने मेरे होंटों को चूम लिया और मैं भी खुद को नहीं रोक पाया| मैं उनके रसीले होठों को चूसने लगा और जब मैं थक जाता तो वो मेरे होठों को चूसने लगतीं| हम ये भी भूल गए की घर में हमारे आलावा एक औरत और भी है...जो शायद ये सब देख रही हो| मैंने अपने दोनों हाथों से बहूजी का चेहरे को थामा हुआ था और भौजी ने मेरा चेहरा अपने हाथ में थामा हुआ था| कुछ ही देर में जीभ से रस का आदान-प्रदान भी शुरू हो गया| जब हम अलग हुए तो मेरे और भौजी के होठों के बीच हमारे रस की एक पतली सी तार थी| उसे देख ना तो भौजी खुद को रोक पाई और ना ही मैं| हुमदोनो के होंठ एक बार और मिल गए| इस बार हम एक दूसरे को इस बेतहाशा तरीके से चूम और चूस रहे थे जैसे आज पहली बार मिलें हों| ये प्यार भरा सिलसिला करीब पंद्रह मिनट चला और अब हालत ये थी की लंड महाशय अपना प्रगाढ़ रूप धारण कर चुके थे| भौजी ने अपना हाथ उसपे रखा तो मेरे अंदर एक करंट दौड़ गया| पर मैं अभी उस हालत में नहीं था की उन्हें संतुष्टि प्रदान कर पाऊँ, कारन आप सब पढ़ ही चुके हैं| आधे घंटे बाद मैंने दूसरी तरफ करवट ली... भौजी का हाथ अब भी मेरी कमर पे था... और मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला|
एक अनोखा बंधन
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Re: एक अनोखा बंधन
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अगला दिन .....
सुबह नाजाने क्यों नींद नहीं खुली| मन कर रहा था बस सोते रहो| मैं बाईं करवट लेटा था, और तभी अचानक मेरे गालों पे नरम-नरम होंठ स्पर्श हुए| उन होठों की नरमी और गीलेपन के कारन मेरी नींद खुली और मैंने आँखें खोल के देखा तो सामने भौजी खड़ीं थी|
भौजी: Good Morning जी!
मैं: Good Morning .... आपके इस Kiss ने वाकई morning good कर दी|
भौजी: (प्यार से मुस्कुराईं) अब आप की तबियत कैसी है?
मैं: जी कल रात के बाद तो अच्छी है...और आगे भी यही प्यार और देखभाल मिली तो और अच्छी हो जाएगी|
भौजी: प्यार तो आपको इतना मिलेगा की आप उसे माप नहीं पाओगे!
मैं: हाय!!!!
खेर मैं उठा...और अब मुझे पहले से बहुत अच्छा लग रहा था| कमजोरी नहीं थी..बुखार नहीं था...जुखाम और खांसी लघभग ठीक हो चुके थे| पर फिर भी भौजी मेरा इतना ध्यान लग रहीं थी जैसे किसी बहुत बीमार इंसान का ख्याल रखा जाता है| दोपार का समय हुआ तो भौजी फिर से जिद्द करके मुझे खाना अपने हाथ से खिलाने लगी| खाना खाने के बाद बाकी सब तो खेत चले गए अब घर पे केवल मैं, नेहा और भौजी ही बचे थे| मैं तखत पे लेटा हुआ था जबकि मैं लेटना नहीं चाहता था, परन्तु भौजी के जोर देने पे मान गया था| भौजी को लगा की मैं सो गया हूँ तो वो अपने धुले-हुए कपडे लेके अपने घर चलीं गईं और मैं भी उनके पीछे-पीछे घर में घुस गया| भौजी ने कपडे चारपाई पे रखे और अपनी साडी को तहाने लगीं उन्होंने साडी को दोनों हाथों से हवा में लटका रखा था जिससे मुझे पूरा मौका मिल गया था| मैं भौजी के पीछे चुप-चाप खड़ा हुआ और अपने हाथ उनकी बगल से ले जाते हुए उनके पेट पे रख के खुद से चिपका लिया| आज बहुत दिनों बाद उनके शरीर की मादक खुशभु ने दिल में हल-चल पैदा कर दी| दिल की धड़कनें तेज हो गईं...धक-धक....धक-धक...धक-धक...धक-धक...धक-धक...धक-धक...धक-धक…
भौजी भी मेरे आगोश में कसमसाने लगीं और मेरे सर पे अपने हाथ पीछे रख के उँगलियाँ चलाने लगीं| मेरे हाथ उनके नंगे पेट पे तेजी से चलने लगे थे...और मैं किसी भी समय सीमा लांघने को तैयार था| मैंने भौजी को अपनी ओर घुमाया और उनके माथे को चूमा| भौजी मेरे शरीर से एक दम बेल की तरह लिपट गईं| मन ही नहीं कर रहा था की उन्हें छोड़ूँ| नीचे लंड ने पेंट में तगड़ा सा उभार बना दिया था और जिस तरह भौजी मुझसे चिपटी हुई थीं मेरा लंड उनकी योनि में गड़ा जा रहा था| भौजी को उभार साफ़ महसूस हो रहा था और उनके मुंह से :सी....सी...." की आवाजें निकलने लगीं थी| दोनों ही बहुत प्यासे थे...पर कुछ तो कारन था की भौजी ने अब तक पहल नहीं की और न ही मुझे पहल करने का कोई अवसर दिया| ऐसा लग रहा था मानो जैसे वो खुद को रोक रहीं हो! पर क्यों? ऐसा क्या था जिसने हमें एक दूसरे से दूर कर दिया था? ये सभी सवाल दिमाग में दौड़ने लगे पर मन अब भी कह रहा था की कुछ कर...कुछ कर ...जिससे वो तेरे करीब आएं...और ये सारी दूरियां मिट जाएँ| भौजी के स्तन मेरे सीने में गड़े जा रहे थे और वासना मुझपे बुरी तरह हावी हो चुकी थी| पर एक मर्यादा थी जो मुझे रोक रही थी... मैं कुछ भी जबरदस्ती से नहीं करना चाहता था...मैं उन्हें दुःख या ग्लानि का आभास तक नहीं करना चाहता था| मैं चाहता था जैसे अब तक होता आया है....जिसमें उनकी पूरी रजामंदी होती थी...वैसे ही सब कुछ हो| मैं अपनी दिमागी ओर जिस्मानी उधेड़-बुन में लगा था की तभी अचानक भौजी बोलीं;
भौजी: मेरे पास आपके लिए एक सरप्राइज है! आप जरा आँखें बंद करिये....
मैं: ठीक है!
तभी मुझे प्लास्टिक की कचर-पचर आवाज सुनाई दी.. और उसके कुछ क्षण बाद भौजी की आवाज सुनाई दी;
भौजी: अब आँखें खोलिए|
जब मैंने आँखें खोली तो देखा भौजी के हाथों में एक सफ़ेद गोल गले की टी-शर्ट है.... जिसपे लिखा था “LOVER”.
मैं: वाओ !!! ये आप ...कैसे?
भौजी: मैं भाई के साथ शहर गई थी विदाई का सामान लेने तब वहाँ एक के बाद एक दूकान छान मारी और आखिर ये टी-शर्ट पसंद आई| इसे पहन के दिखाओ ना!
मैं: लो अभी लो...
मैंने तुरंत एक झटके में अपनी टी-शर्ट उतार फेंकी और भौजी की टी-शर्ट पहनने लगा| ये टी-शर्ट स्किन फिट थी| जब मैंने पहनी तो ये मेरे शरीर से बिलकुल चिपक गई| Biceps पे तो बिलकुल टाइट थी और टी-शर्ट पे लिखा LOVE ठीक मेरे दोनों nipples के बीच आता था| अगर मेरी बॉडी-बिल्डर टाइप बॉडी आती तो Biceps फुलाते ही टी-शर्ट फट जाती! पीछे से टी-शर्ट ने मेरी पीठ और कमर को एक दम परफेक्ट V का अकार दिया था|
मैं: वाओ... Awesome यार! आपको मेरा साइज कैसे पता? और कितने पासी फूके आपने?
भौजी: कुछ ज्यादा नहीं आठ सौ|
मैं: क्या? वापस कर दो ये .... इतनी महंगी टी-शर्ट लेने से पहले पूछ तो लेते?
भौजी: मैं मजाक कर रही थी... और आप पैसों की बात करते हो... मैंने आपको अपना दिल दे दिया...अपनी आत्मा समर्पित कर दी| खबरदार जो इसे उतार तो.... बड़े सोणे लग रहे हो! SEXY !!!
मैं: तो बताओ न कितने में ली?
भौजी: कहा ना ज्यादा महँगी नहीं है|
मैं: अच्छा अब एक return गिफ्ट तो बनता है|
भौजी: return गिफ्ट कैसा?
मैं: अच्छा आओ..पहले गले तो लगो|
भौजी मेरी ओर बढ़ीं ओर मुझे कस के गले लगा लिया|
मैं: पिछले दिन मैं इतना नहाया हूँ की आपकी खुशबु अब मेरे शरीर में नहीं बसती!
भौजी: ह्म्म्म्म्म....
फिर अचानक पांच सेकंड बाद भौजी मुझसे एक दम अलग हो गईं और सामने वाली दिवार पे पीठ लगाके खड़ी हो गईं|
भौजी: नहीं..... हम सम्भोग नहीं कर सकते! आप अभी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो...आज जाके आपका ब्ंउखार उतरा है...कमजोरी कुछ कम हुई है... ऐसे में आप सम्भोग करने से और थक जाओगे और आपको फिर से बुखार चढ़ जाएगा|
मैं: ओह! तो आप मेरी कही पुरानी बात का बदला ले रहे हो? (जब वो बेल्ट वाला कांड हुआ था तब भौजी की पीठ जख्मी थी तब मैंने उन्हें यही बात बोली थी|)
भौजी: नहीं...नहीं... ऐसा नहीं है|
मैं कुछ नहीं बोला और भौजी के घर से निकल बड़े घर आ गया, और आँगन में खड़ा हो के सोचने लगा! नजाने क्यों मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा KLPD हो गया हो!!! अब KLPD क्या होता है ये तो आप सभी जानते हैं| (खड़े लंड पे धोका)
फिर अगले ही पल मुझे एक एहसास हुआ, की भौजी ने जो कहा वो गलत तो नहीं था| अगर मैं उनकी जगह होता तो मैं भी यही करता| मैं सर झुका के खड़ा था ओर सोच रहा था की तभी मुझे किसी के आने के क़दमों की आहट सुनाई दी| मैं पीछे नहीं मुदा क्योंकि मैं जानता था की ये भौजी ही होंगी| उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के मुझे घुमाया ओर मेरे गले लग गईं;
भौजी: प्लीज मुझे माफ़ कर दो! मैं आपका दिल नहीं दुखाना चाहती थी...पर मेरे लिए आपकी सेहत सबसे पहले है| प्लीज....प्लीज....
इतना कहके वो रोने लगीं;
मैं: अरे बाबा मैं आपसे नाराज नहीं हूँ... हाँ एक पल के लिए थोड़ा बुरा लगा था पर यकीन मानो मैं समझ सकता हं आप क्या कह रहे हो ओर आपकी बात की इज्जत करता हूँ| जबतक आप नहीं कहोगे मैं कुछ नहीं करूँगा| अब ठीक है?
भौजी: नहीं.....
मैं: तो?
भौजी कुछ नहीं बोलीं बस मुझसे लिपटी खड़ी रहीं| वो कुछ नहीं बोल रहीं थी बस चुप-चाप मुझे जकड़े खड़ीं थी| मुझे ये डर था की कहीं कोई आ गया तो हमें ऐसे खड़ा देख शक करेगा|
मैं: देखो नेहा आ गई... अब तो छोड़ दो| (मैंने जानबूझ के जूठ बोला|)
भौजी: नहीं
मैं करीब पांच मिनट तक खड़ा रहा फिर मुझे भी जोश आगया;
मैं: तो आप ऐसे नहीं मानोगे?
भौजी ने ना में गर्दन हिलाई| मैंने उन्हें गर्दन पर कूल्हों पर से अपनी गॉड में उठा लिया और अपने कमरे में ले जाकर चारपाई पर लेटा दिया| पर अब भौजी ने अपने दोनों हाथों से मेरी गर्दन को लॉक कर दिया और उसे छोड़े ही नहीं रही थी| मैंने उनके मुख की ओर देखा तो वो गंभीर लग रहीं थीं|
मैं: क्या हुआ?
भौजी ने ना में सर हिला के ये बताना चाहा की कोई बात नहीं है...पर मेरा दिल कह रहा था की उन्होंने मुझे सम्भोग करने के लिए रोक था उसको लेके उन्हें ग्लानि हो रही है| इधर भौजी ने अब तक अपने हाथों का लॉक नहीं खोला था तो मैंने बिना कुछ सोचे उनके ऊपर लेट गया और उनके वक्ष में अपना सर रख दिया| उनकी धड़कनें खूब तेज थीं.... मैं उनकी धड़कनें महसूस करने लगा था| उनका भी वही हाल था जो कुछ क्षण पहले मेरा था| मैंने भौजी की आँखों में झाँका तो कुछ समझ नहीं आया...
पर पता नहीं क्यों मन ने कहा की "Kiss Her" ... इसलिए मैं उनके ऊपर झुकने लगा और फिर उनके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया| जो वासना कुछ देर पहले शांत हो चुकी थी वो एक दम से भड़क उठी और मन बेकाबू हो गया| मैं भौजी को बेतहाशा चूमने लगा... और भुाजी भी मेरी हर Kiss का जवाब दे रहीं थीं| जल्दी-जल्दी में मैंने उनकी साडी ऊपर खींची...अपनी जीन्स की ज़िप खोली लंड बहार निकला और भौजी की टांगों के बीह में आ गया| फिर मैंने नीचे से एक जोर दार धक्का मारा और लंड उनकी योनि में प्रवेश हो गया| मैं हैरान था की भौजी की योनि अंदर से गीली थी और मुझे डर था की कहीं घर्षण के कारन उन्हें तकलीफ ना हो| जैसे ही लंड अंदर दाखिल हुआ भौजी ने अपनी गर्दन को ऊपर की ओर झटका दिया और उनके मुंह से "आह!" निकला| मैंने बिना रुके जल्दी-जल्दी झटके देना शुरू कर दिया और इधर भौजी भी बड़े मजे से मेरा साथ दे रहीं थीं| हम सम्भोग में इतने मशगूल हो गए की ये भी भूल गए की प्रमुख द्वार खुला हुआ है|
बीस मिनट के बाद मैं झाड़ा और मेरे साथ ही भौजी भी झड़ीं ...हम दोनों की आँखें बंद थी और मैं भौजी के ऊपर ऐसे ही पड़ा हुआ था| भौजी की साडी जाँघों तक ऊपर थी और पैर घुटनों से मुड़े हुए थे| तभी अचानक वहाँ नेहा आ गई! उसे देख हम दोनों हड़बड़ा गए पर अगर हम हिलते तो उसे हमारे यौन अंगों की झलक अवश्य मिल जाती और ये अच्छा नहीं होता| इसीलिए हम ऐसे ही पड़े रहे ताकि उसे सब सामान्य लगे... उसने हमें इस स्थिति में देखा और कुछ समझ ना पाई; नासमझी में उसने मुझसे सवाल किया;
नेहा: पापा ....आप ये मम्मी केसाथ क्या कर रहे हो|
उसके इस सवाल से हम दोनों बुरी तरह झेंप गए .... पर जवाब देना अनिवार्य था तो मैंने जवाब कुछ इस प्रकार दिया;
मैं: बेटा मैं आपकी मम्मी को प्यार कर रहा हूँ| (अब इससे उपयुक्त जवाब क्या होता|)
इतना कहते हुए मैंने भौजी की नंगी जाँघ को साडी से ढकने की पूरी कोशिश की और किसी तरह उन्हें थोड़ा बहुत ढक भी दिया|
नेहा: पर वो (चन्दर भैया) तो कभी मम्मी को ऐसे प्यार नहीं करते?
भौजी: बेटा क्योंकि मैं उनसे प्यार नहीं करती....और आप भी तो इन्हें (मुझे) ही पापा कहते हो? उन्हीने थोड़े ही कहते हो!
अब मुझे डर था की अगर कोई और आगया तो सब खत्म हो जाएगा, इसलिए मैंने नेहा से कहा;
मैं: बेटा आप प्रमुख दरवाजा बंद करके आओ फिर बैठ के बातें करते हैं|
नेहा तुरंत दरवाजा बंद करने गई और उसी मौके का फायदा उठा के मैं और भौजी अलग हुए और अपने-अपने कपडे ठीक करके पुनः लेट गए| मुझे भौजी की आँखों में मेरे प्रति चिंता साफ़ दिख रही थी| इतने में नेहा भी आ गई;
मैं: आपको चिंता करने की कोई जर्रूरत नहीं और न ही खुद को दोष देने की कोई जर्रूरत है...मैं बिलकुल ठीक हूँ....
भौजी अब भी थोड़ी परेशान थीं और मैं मन ही मन ये दुआ कर रहा था की मैं बीमार न पड़ जाऊं नहीं तो भौजी का दिल टूट जायेगा और वो इसी तरह खुद को दोष देंगी| अब चूँकि नेहा हमारे पास थी तो तो मैंने माहोल को हल्का करने के लिए नेहा को हमारे बीच में सोने को कहा|
नेहा मुझसे कुछ ज्यादा ही दुलार करती थी, इसलिए बजाय हमारे बीच में लेटने के वो सीधा मेरे पेट पे बैठ गई और मेरे सीने पे सर रख के लेट गई|
भौजी: नेहा बेटा...यहाँ सो जाओ...पापा को आराम करने दो!
पर नेहा नहीं मानी और आखिर कर मुझे ही उसका पक्ष लेना पड़ा|
मैं: कोई बात नहीं सोने दो, वैसे भी बहुत दिन हुए मुझे इसको लाड किये|
भौजी: सर पे चढ़ा रखा है आपने इसे!
मैं: तो चढाउँ नहीं... एक ही तो बेटी है मेरी!
भौजी: बहुत जल्द कोई और भी आने वाला है!
मैं: हाँ!!!
भौजी: मैं आपके लिए दूध लेके आती हूँ|
मैं: नहीं रहने दो...आप यहीं लेटे रहो|
भौजी: आपको जर्रूरत है....
मैं: (बीच में बात काटते हुए) नहीं बाबा...अगर होगी तो मैं आपको बता दूँगा| खेर अब आप (नेहा) ये बताओ की क्या किया इतने दिन नानू के घर? (मैंने बात बदल दी)
भौजी: क्या किया ...पहले दिन तो बस रोती रही की पापा के पास जाना है.... फिर अगले दिन इसे कुछ दोस्त मिल गए और उनके साथ खेलती रही| हाँ दिन में एक बार पूछती थी की हम वापस कब जायेंगे?
मैं: aww !!! बेटा आपने मुझे miss किया?
नेहा ने हाँ में सर हिलाया|
मैं: और आप (भौजी) ....आपका क्या हाल था?
नेहा: मम्मी छुप-छुप के बहुत रोती थी|
मैं: (एकदम से भौजी की ओर देखते हुए) मैंने आपको शादी अटेंड करने भेजा था...रोने नहीं! क्या सोचते होंगे पिताजी (ससुर जी) और माँ (सासु जी)?
भौजी: वो तो ये कह रहे थे की आपने कैसा जादू कर दिया उनकी लड़की पे जो अपने आगे कभी किसी की नहीं सुनती थी वो आपकी बात मान के शादी अटेंड करने आ गई|
मैं: तो साले साहब ने सब कुछ बोल दिया?
भौजी: हाँ... माँ और पिताजी तो आपसे मिलना चाहते थे पर आप हैं की.....
मैं: कोई बात नहीं...मिल लेंगे!
नेहा: पापा .....मैं एक बात पूछूं?
मैं: हाँ बेटा पूछो?
नेहा: पापा आप मुझसे ज्यादा प्यार करते हो या मम्मी से?
मैं: आपसे
नेहा भौजी को अपने जीभ दिखा के चिढ़ाने लगी और बदले में भौजी भी उसे जीभ दिखा के चिढ़ाने लगी| और इधर भौजी मेरी और देख के अपना प्यार भरा गुस्सा दिखाने लगीं;
भौजी: अच्छा जी...तो आप इससे बहुत प्यार करते हो? और हम...हम गए तेल लेने!
मैं: अब क्या करें...हमारी बिटिया है ही इतनी प्यारी!!!
भौजी: और मैं?
मैं: भई आखिर वो है तो आपकी ही बेटी...तो अगर शोरूम शानदार होगा तो जाहिर है की कंपनी भी मशल्ला खूबसूरत होगी|
अगला दिन .....
सुबह नाजाने क्यों नींद नहीं खुली| मन कर रहा था बस सोते रहो| मैं बाईं करवट लेटा था, और तभी अचानक मेरे गालों पे नरम-नरम होंठ स्पर्श हुए| उन होठों की नरमी और गीलेपन के कारन मेरी नींद खुली और मैंने आँखें खोल के देखा तो सामने भौजी खड़ीं थी|
भौजी: Good Morning जी!
मैं: Good Morning .... आपके इस Kiss ने वाकई morning good कर दी|
भौजी: (प्यार से मुस्कुराईं) अब आप की तबियत कैसी है?
मैं: जी कल रात के बाद तो अच्छी है...और आगे भी यही प्यार और देखभाल मिली तो और अच्छी हो जाएगी|
भौजी: प्यार तो आपको इतना मिलेगा की आप उसे माप नहीं पाओगे!
मैं: हाय!!!!
खेर मैं उठा...और अब मुझे पहले से बहुत अच्छा लग रहा था| कमजोरी नहीं थी..बुखार नहीं था...जुखाम और खांसी लघभग ठीक हो चुके थे| पर फिर भी भौजी मेरा इतना ध्यान लग रहीं थी जैसे किसी बहुत बीमार इंसान का ख्याल रखा जाता है| दोपार का समय हुआ तो भौजी फिर से जिद्द करके मुझे खाना अपने हाथ से खिलाने लगी| खाना खाने के बाद बाकी सब तो खेत चले गए अब घर पे केवल मैं, नेहा और भौजी ही बचे थे| मैं तखत पे लेटा हुआ था जबकि मैं लेटना नहीं चाहता था, परन्तु भौजी के जोर देने पे मान गया था| भौजी को लगा की मैं सो गया हूँ तो वो अपने धुले-हुए कपडे लेके अपने घर चलीं गईं और मैं भी उनके पीछे-पीछे घर में घुस गया| भौजी ने कपडे चारपाई पे रखे और अपनी साडी को तहाने लगीं उन्होंने साडी को दोनों हाथों से हवा में लटका रखा था जिससे मुझे पूरा मौका मिल गया था| मैं भौजी के पीछे चुप-चाप खड़ा हुआ और अपने हाथ उनकी बगल से ले जाते हुए उनके पेट पे रख के खुद से चिपका लिया| आज बहुत दिनों बाद उनके शरीर की मादक खुशभु ने दिल में हल-चल पैदा कर दी| दिल की धड़कनें तेज हो गईं...धक-धक....धक-धक...धक-धक...धक-धक...धक-धक...धक-धक...धक-धक…
भौजी भी मेरे आगोश में कसमसाने लगीं और मेरे सर पे अपने हाथ पीछे रख के उँगलियाँ चलाने लगीं| मेरे हाथ उनके नंगे पेट पे तेजी से चलने लगे थे...और मैं किसी भी समय सीमा लांघने को तैयार था| मैंने भौजी को अपनी ओर घुमाया और उनके माथे को चूमा| भौजी मेरे शरीर से एक दम बेल की तरह लिपट गईं| मन ही नहीं कर रहा था की उन्हें छोड़ूँ| नीचे लंड ने पेंट में तगड़ा सा उभार बना दिया था और जिस तरह भौजी मुझसे चिपटी हुई थीं मेरा लंड उनकी योनि में गड़ा जा रहा था| भौजी को उभार साफ़ महसूस हो रहा था और उनके मुंह से :सी....सी...." की आवाजें निकलने लगीं थी| दोनों ही बहुत प्यासे थे...पर कुछ तो कारन था की भौजी ने अब तक पहल नहीं की और न ही मुझे पहल करने का कोई अवसर दिया| ऐसा लग रहा था मानो जैसे वो खुद को रोक रहीं हो! पर क्यों? ऐसा क्या था जिसने हमें एक दूसरे से दूर कर दिया था? ये सभी सवाल दिमाग में दौड़ने लगे पर मन अब भी कह रहा था की कुछ कर...कुछ कर ...जिससे वो तेरे करीब आएं...और ये सारी दूरियां मिट जाएँ| भौजी के स्तन मेरे सीने में गड़े जा रहे थे और वासना मुझपे बुरी तरह हावी हो चुकी थी| पर एक मर्यादा थी जो मुझे रोक रही थी... मैं कुछ भी जबरदस्ती से नहीं करना चाहता था...मैं उन्हें दुःख या ग्लानि का आभास तक नहीं करना चाहता था| मैं चाहता था जैसे अब तक होता आया है....जिसमें उनकी पूरी रजामंदी होती थी...वैसे ही सब कुछ हो| मैं अपनी दिमागी ओर जिस्मानी उधेड़-बुन में लगा था की तभी अचानक भौजी बोलीं;
भौजी: मेरे पास आपके लिए एक सरप्राइज है! आप जरा आँखें बंद करिये....
मैं: ठीक है!
तभी मुझे प्लास्टिक की कचर-पचर आवाज सुनाई दी.. और उसके कुछ क्षण बाद भौजी की आवाज सुनाई दी;
भौजी: अब आँखें खोलिए|
जब मैंने आँखें खोली तो देखा भौजी के हाथों में एक सफ़ेद गोल गले की टी-शर्ट है.... जिसपे लिखा था “LOVER”.
मैं: वाओ !!! ये आप ...कैसे?
भौजी: मैं भाई के साथ शहर गई थी विदाई का सामान लेने तब वहाँ एक के बाद एक दूकान छान मारी और आखिर ये टी-शर्ट पसंद आई| इसे पहन के दिखाओ ना!
मैं: लो अभी लो...
मैंने तुरंत एक झटके में अपनी टी-शर्ट उतार फेंकी और भौजी की टी-शर्ट पहनने लगा| ये टी-शर्ट स्किन फिट थी| जब मैंने पहनी तो ये मेरे शरीर से बिलकुल चिपक गई| Biceps पे तो बिलकुल टाइट थी और टी-शर्ट पे लिखा LOVE ठीक मेरे दोनों nipples के बीच आता था| अगर मेरी बॉडी-बिल्डर टाइप बॉडी आती तो Biceps फुलाते ही टी-शर्ट फट जाती! पीछे से टी-शर्ट ने मेरी पीठ और कमर को एक दम परफेक्ट V का अकार दिया था|
मैं: वाओ... Awesome यार! आपको मेरा साइज कैसे पता? और कितने पासी फूके आपने?
भौजी: कुछ ज्यादा नहीं आठ सौ|
मैं: क्या? वापस कर दो ये .... इतनी महंगी टी-शर्ट लेने से पहले पूछ तो लेते?
भौजी: मैं मजाक कर रही थी... और आप पैसों की बात करते हो... मैंने आपको अपना दिल दे दिया...अपनी आत्मा समर्पित कर दी| खबरदार जो इसे उतार तो.... बड़े सोणे लग रहे हो! SEXY !!!
मैं: तो बताओ न कितने में ली?
भौजी: कहा ना ज्यादा महँगी नहीं है|
मैं: अच्छा अब एक return गिफ्ट तो बनता है|
भौजी: return गिफ्ट कैसा?
मैं: अच्छा आओ..पहले गले तो लगो|
भौजी मेरी ओर बढ़ीं ओर मुझे कस के गले लगा लिया|
मैं: पिछले दिन मैं इतना नहाया हूँ की आपकी खुशबु अब मेरे शरीर में नहीं बसती!
भौजी: ह्म्म्म्म्म....
फिर अचानक पांच सेकंड बाद भौजी मुझसे एक दम अलग हो गईं और सामने वाली दिवार पे पीठ लगाके खड़ी हो गईं|
भौजी: नहीं..... हम सम्भोग नहीं कर सकते! आप अभी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो...आज जाके आपका ब्ंउखार उतरा है...कमजोरी कुछ कम हुई है... ऐसे में आप सम्भोग करने से और थक जाओगे और आपको फिर से बुखार चढ़ जाएगा|
मैं: ओह! तो आप मेरी कही पुरानी बात का बदला ले रहे हो? (जब वो बेल्ट वाला कांड हुआ था तब भौजी की पीठ जख्मी थी तब मैंने उन्हें यही बात बोली थी|)
भौजी: नहीं...नहीं... ऐसा नहीं है|
मैं कुछ नहीं बोला और भौजी के घर से निकल बड़े घर आ गया, और आँगन में खड़ा हो के सोचने लगा! नजाने क्यों मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा KLPD हो गया हो!!! अब KLPD क्या होता है ये तो आप सभी जानते हैं| (खड़े लंड पे धोका)
फिर अगले ही पल मुझे एक एहसास हुआ, की भौजी ने जो कहा वो गलत तो नहीं था| अगर मैं उनकी जगह होता तो मैं भी यही करता| मैं सर झुका के खड़ा था ओर सोच रहा था की तभी मुझे किसी के आने के क़दमों की आहट सुनाई दी| मैं पीछे नहीं मुदा क्योंकि मैं जानता था की ये भौजी ही होंगी| उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के मुझे घुमाया ओर मेरे गले लग गईं;
भौजी: प्लीज मुझे माफ़ कर दो! मैं आपका दिल नहीं दुखाना चाहती थी...पर मेरे लिए आपकी सेहत सबसे पहले है| प्लीज....प्लीज....
इतना कहके वो रोने लगीं;
मैं: अरे बाबा मैं आपसे नाराज नहीं हूँ... हाँ एक पल के लिए थोड़ा बुरा लगा था पर यकीन मानो मैं समझ सकता हं आप क्या कह रहे हो ओर आपकी बात की इज्जत करता हूँ| जबतक आप नहीं कहोगे मैं कुछ नहीं करूँगा| अब ठीक है?
भौजी: नहीं.....
मैं: तो?
भौजी कुछ नहीं बोलीं बस मुझसे लिपटी खड़ी रहीं| वो कुछ नहीं बोल रहीं थी बस चुप-चाप मुझे जकड़े खड़ीं थी| मुझे ये डर था की कहीं कोई आ गया तो हमें ऐसे खड़ा देख शक करेगा|
मैं: देखो नेहा आ गई... अब तो छोड़ दो| (मैंने जानबूझ के जूठ बोला|)
भौजी: नहीं
मैं करीब पांच मिनट तक खड़ा रहा फिर मुझे भी जोश आगया;
मैं: तो आप ऐसे नहीं मानोगे?
भौजी ने ना में गर्दन हिलाई| मैंने उन्हें गर्दन पर कूल्हों पर से अपनी गॉड में उठा लिया और अपने कमरे में ले जाकर चारपाई पर लेटा दिया| पर अब भौजी ने अपने दोनों हाथों से मेरी गर्दन को लॉक कर दिया और उसे छोड़े ही नहीं रही थी| मैंने उनके मुख की ओर देखा तो वो गंभीर लग रहीं थीं|
मैं: क्या हुआ?
भौजी ने ना में सर हिला के ये बताना चाहा की कोई बात नहीं है...पर मेरा दिल कह रहा था की उन्होंने मुझे सम्भोग करने के लिए रोक था उसको लेके उन्हें ग्लानि हो रही है| इधर भौजी ने अब तक अपने हाथों का लॉक नहीं खोला था तो मैंने बिना कुछ सोचे उनके ऊपर लेट गया और उनके वक्ष में अपना सर रख दिया| उनकी धड़कनें खूब तेज थीं.... मैं उनकी धड़कनें महसूस करने लगा था| उनका भी वही हाल था जो कुछ क्षण पहले मेरा था| मैंने भौजी की आँखों में झाँका तो कुछ समझ नहीं आया...
पर पता नहीं क्यों मन ने कहा की "Kiss Her" ... इसलिए मैं उनके ऊपर झुकने लगा और फिर उनके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया| जो वासना कुछ देर पहले शांत हो चुकी थी वो एक दम से भड़क उठी और मन बेकाबू हो गया| मैं भौजी को बेतहाशा चूमने लगा... और भुाजी भी मेरी हर Kiss का जवाब दे रहीं थीं| जल्दी-जल्दी में मैंने उनकी साडी ऊपर खींची...अपनी जीन्स की ज़िप खोली लंड बहार निकला और भौजी की टांगों के बीह में आ गया| फिर मैंने नीचे से एक जोर दार धक्का मारा और लंड उनकी योनि में प्रवेश हो गया| मैं हैरान था की भौजी की योनि अंदर से गीली थी और मुझे डर था की कहीं घर्षण के कारन उन्हें तकलीफ ना हो| जैसे ही लंड अंदर दाखिल हुआ भौजी ने अपनी गर्दन को ऊपर की ओर झटका दिया और उनके मुंह से "आह!" निकला| मैंने बिना रुके जल्दी-जल्दी झटके देना शुरू कर दिया और इधर भौजी भी बड़े मजे से मेरा साथ दे रहीं थीं| हम सम्भोग में इतने मशगूल हो गए की ये भी भूल गए की प्रमुख द्वार खुला हुआ है|
बीस मिनट के बाद मैं झाड़ा और मेरे साथ ही भौजी भी झड़ीं ...हम दोनों की आँखें बंद थी और मैं भौजी के ऊपर ऐसे ही पड़ा हुआ था| भौजी की साडी जाँघों तक ऊपर थी और पैर घुटनों से मुड़े हुए थे| तभी अचानक वहाँ नेहा आ गई! उसे देख हम दोनों हड़बड़ा गए पर अगर हम हिलते तो उसे हमारे यौन अंगों की झलक अवश्य मिल जाती और ये अच्छा नहीं होता| इसीलिए हम ऐसे ही पड़े रहे ताकि उसे सब सामान्य लगे... उसने हमें इस स्थिति में देखा और कुछ समझ ना पाई; नासमझी में उसने मुझसे सवाल किया;
नेहा: पापा ....आप ये मम्मी केसाथ क्या कर रहे हो|
उसके इस सवाल से हम दोनों बुरी तरह झेंप गए .... पर जवाब देना अनिवार्य था तो मैंने जवाब कुछ इस प्रकार दिया;
मैं: बेटा मैं आपकी मम्मी को प्यार कर रहा हूँ| (अब इससे उपयुक्त जवाब क्या होता|)
इतना कहते हुए मैंने भौजी की नंगी जाँघ को साडी से ढकने की पूरी कोशिश की और किसी तरह उन्हें थोड़ा बहुत ढक भी दिया|
नेहा: पर वो (चन्दर भैया) तो कभी मम्मी को ऐसे प्यार नहीं करते?
भौजी: बेटा क्योंकि मैं उनसे प्यार नहीं करती....और आप भी तो इन्हें (मुझे) ही पापा कहते हो? उन्हीने थोड़े ही कहते हो!
अब मुझे डर था की अगर कोई और आगया तो सब खत्म हो जाएगा, इसलिए मैंने नेहा से कहा;
मैं: बेटा आप प्रमुख दरवाजा बंद करके आओ फिर बैठ के बातें करते हैं|
नेहा तुरंत दरवाजा बंद करने गई और उसी मौके का फायदा उठा के मैं और भौजी अलग हुए और अपने-अपने कपडे ठीक करके पुनः लेट गए| मुझे भौजी की आँखों में मेरे प्रति चिंता साफ़ दिख रही थी| इतने में नेहा भी आ गई;
मैं: आपको चिंता करने की कोई जर्रूरत नहीं और न ही खुद को दोष देने की कोई जर्रूरत है...मैं बिलकुल ठीक हूँ....
भौजी अब भी थोड़ी परेशान थीं और मैं मन ही मन ये दुआ कर रहा था की मैं बीमार न पड़ जाऊं नहीं तो भौजी का दिल टूट जायेगा और वो इसी तरह खुद को दोष देंगी| अब चूँकि नेहा हमारे पास थी तो तो मैंने माहोल को हल्का करने के लिए नेहा को हमारे बीच में सोने को कहा|
नेहा मुझसे कुछ ज्यादा ही दुलार करती थी, इसलिए बजाय हमारे बीच में लेटने के वो सीधा मेरे पेट पे बैठ गई और मेरे सीने पे सर रख के लेट गई|
भौजी: नेहा बेटा...यहाँ सो जाओ...पापा को आराम करने दो!
पर नेहा नहीं मानी और आखिर कर मुझे ही उसका पक्ष लेना पड़ा|
मैं: कोई बात नहीं सोने दो, वैसे भी बहुत दिन हुए मुझे इसको लाड किये|
भौजी: सर पे चढ़ा रखा है आपने इसे!
मैं: तो चढाउँ नहीं... एक ही तो बेटी है मेरी!
भौजी: बहुत जल्द कोई और भी आने वाला है!
मैं: हाँ!!!
भौजी: मैं आपके लिए दूध लेके आती हूँ|
मैं: नहीं रहने दो...आप यहीं लेटे रहो|
भौजी: आपको जर्रूरत है....
मैं: (बीच में बात काटते हुए) नहीं बाबा...अगर होगी तो मैं आपको बता दूँगा| खेर अब आप (नेहा) ये बताओ की क्या किया इतने दिन नानू के घर? (मैंने बात बदल दी)
भौजी: क्या किया ...पहले दिन तो बस रोती रही की पापा के पास जाना है.... फिर अगले दिन इसे कुछ दोस्त मिल गए और उनके साथ खेलती रही| हाँ दिन में एक बार पूछती थी की हम वापस कब जायेंगे?
मैं: aww !!! बेटा आपने मुझे miss किया?
नेहा ने हाँ में सर हिलाया|
मैं: और आप (भौजी) ....आपका क्या हाल था?
नेहा: मम्मी छुप-छुप के बहुत रोती थी|
मैं: (एकदम से भौजी की ओर देखते हुए) मैंने आपको शादी अटेंड करने भेजा था...रोने नहीं! क्या सोचते होंगे पिताजी (ससुर जी) और माँ (सासु जी)?
भौजी: वो तो ये कह रहे थे की आपने कैसा जादू कर दिया उनकी लड़की पे जो अपने आगे कभी किसी की नहीं सुनती थी वो आपकी बात मान के शादी अटेंड करने आ गई|
मैं: तो साले साहब ने सब कुछ बोल दिया?
भौजी: हाँ... माँ और पिताजी तो आपसे मिलना चाहते थे पर आप हैं की.....
मैं: कोई बात नहीं...मिल लेंगे!
नेहा: पापा .....मैं एक बात पूछूं?
मैं: हाँ बेटा पूछो?
नेहा: पापा आप मुझसे ज्यादा प्यार करते हो या मम्मी से?
मैं: आपसे
नेहा भौजी को अपने जीभ दिखा के चिढ़ाने लगी और बदले में भौजी भी उसे जीभ दिखा के चिढ़ाने लगी| और इधर भौजी मेरी और देख के अपना प्यार भरा गुस्सा दिखाने लगीं;
भौजी: अच्छा जी...तो आप इससे बहुत प्यार करते हो? और हम...हम गए तेल लेने!
मैं: अब क्या करें...हमारी बिटिया है ही इतनी प्यारी!!!
भौजी: और मैं?
मैं: भई आखिर वो है तो आपकी ही बेटी...तो अगर शोरूम शानदार होगा तो जाहिर है की कंपनी भी मशल्ला खूबसूरत होगी|
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Re: एक अनोखा बंधन
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इन बातों ही बातों में नेहा की आँख लग गई .... पर पता नहीं क्यों अंदर ही अंदर मुझे कुछ बुरा लग रहा था| ऐसा लग रहा था की अभी जो हुआ (सम्भोग) वो जबरदस्ती हुआ था| भौजी शायद मन ही मन मेरे ख्यालों को पढ़ चुकीं थीं|
भौजी: क्या हुआ? आप कुछ छुपा रहे हो?
मैं: नहीं तो?
भौजी: आप जानते हो ना आप मुझसे जूठ नहीं बोल सकते| पिछले एक घंटे से आप कोई न कोई बात करके बातों को घुमा देते हो....प्लीज बताओ ना?
मैं: वो......जो कुछ अभी हुआ उसे लेकर थोड़ा परेशान हूँ|
भौजी: क्यों?
मैं: मुझे Guilty फील हो रहा है| ऐसा लग रहा है मैंने आपके साथ जबरदस्ती की...आपको देख के लग रहा है की आप वो सब नहीं karna चाहते थे....बस मेरा मन रखने के लिए आपने वो...... (मैंने बात अधूरी छोड़ दी)
भौजी: I'M Sorry अगर आपको ऐसा लगा| पर मुझे सिर्फ आपकी सेहत की चिंता है.... अगर आप मेरी वजह से बीमार पड़े तो मैं खुद को माफ़ नहीं कर पाऊँगी| मेरे एक दिन एक्स्ट्रा रुकने से आपकी ये हालत हुई| पर माँ-पिताजी ने मुझे जबरदस्ती रोक लिया ....वरना मैं जल्दी आ जाती और तब शायद आपकी ये हालत नहीं होती| मैंने ये सब आपका दिल रखने के लिए कतई नहीं किया...मेरा भी मन था.... पर मैं आपकी सेहत को लेके चिंतित थी इसलिए आप मेरी ख़ुशी नहीं देख पाये| आप ऐसा बिलकुल ना सोचें की आपने कोई जबरदस्ती की है ...या मेरा मन नहीं था| प्लीज ऐसा ऐसा मत सोचा करो...
मैं: वैसे एक बात और है जो मैं जानने को बहुत उत्सुक हूँ?
भौजी: पूछिये?
मैं: उस दिन आपके और चन्दर भैया के बीच में क्या बात हुई? क्योंकि जब भैया अंदर आये थे तो वो गुस्से में थे और जब बहार निकले तो संतुष्ट थे!
आगे भौजी ने मुझे पूरी बात बताई जिसको मैं डायलाग के रूप में लिख रहा हूँ|
चन्दर भैया: (गुस्से में) ये किसका बच्चा है? मैंने तो तुम्हें सालों से नहीं छुआ....तुम तो मुझे अपने पास भी नहीं भटकने देती फिर ये कैसे हुआ?
भौजी: आपका ही बच्चा है...और खबरदार आपने अगर इस बच्चे के बारे में कुछ उल्टा सीधा कहा तो? सुहागरात में जो हुआ उसके बाद मैं कभी आपको अपने पास भी नहीं भटकने दूंगी| मुझसे और मेरे बच्चों से दूर रहना| आपने मेरे साथ धोका किया है...मेरी छोटी बहन के साथ...छी...छी...छी...छी ... मैं आपकी तरह नहीं हूँ जो बहार जाके मुँह मारूँ! वरना मुझ मैं और आप में फर्क ही क्या रह जायेगा?
भैया भौजी के तेवर देख के थोड़ा सहम गए ... ये भौजी का मेरे प्रति POSSESIVENESS थी जो अब उनके सामने माँ के प्यार के रूप में बहार आ रही थी|
चन्दर भैया: (थोड़ा संभल के, पर फिर भी अपनी अकड़ दिखाते हुए) तो आखिर ये सब कैसे हुआ?
भौजी: उस दिन जब आप देसी चढ़ा के आये थे तब आपने जबरदस्ती मेरे साथ बलात्कार किया था...कुछ याद आया?
चन्दर भैया: नहीं...ये नहीं हो सकता ...मुझे अच्छे से याद है उस दिन मैंने तुम्हें नहीं छुआ था|
भौजी: तो मेरी पीठ पे ये निशाँ कैसे आये...जानते हो कितनी गाली बाकि थी मुझे... अब भी मेरे यौन अंगों पे आपके गंदे हाथों के निशान हैं...काटने के निशान...नौचने के निशान..... बता दूँ ये बात अब को? या कर दूँ थाने में कंप्लेंट और वो भी जो तुमने मेरी छोटी बहन के साथ किया ....?
चन्दर भैया: तुम अपने पति के खिलाफ कंप्लेंट करोगी?
भौजी: अगर आप मुझ पे इतना गन्दा इल्जाम लगा सकते हो तो मैं भी आप के खिलाफ कंप्लेंट कर सकती हूँ|
भौजी के तेवर और रवैय्ये ने चन्दर भैया को यकीन दिल दिया था की ये नहीं का बच्चा है|
ये सब बता के भौजी रो पड़ीं ...
मैं: I'm Sorry !!! मुझे ये बात नहीं करनी चाहिए थी|
भौजी: मुझे इस बात का कोई दुःख नहीं है...दुःख है तो इस बात का की मैं इस बच्चे को आपका नाम नहीं दे सकती!
मैं: देखो आप जानते हो ये हमारा बच्चा है...मैं जानता हूँ ये हमारा बच्चा है| बस !!! इसका दूसरा रास्ता था की आप मेरे साथ भाग चलो....पर वो आपके हिसाब से अनुचित है| तो मैं आपको उस बात के लिए जोर नहीं दूँगा|
भौजी ने मेरे दाहिने हाथ को अपना तकिया बने और मुझसे फिर से लिपट गईं| वो बहुत भावुक हो गईं थीं और ऐसे में उन्हें एक कन्धा चाहिए था जिसपे वो अपना सर रख के रो सकें| उनके आसन मुझे टी-शर्ट के ऊपर से महसूस हो रहे थे|
मैं: I LOVE YOU !!!
भौजी: (सुबकते हुए) I LOVE YOU TOO !!!
उन्होंने मेरे गाल पे Kiss किया और हम ऐसे ही लिपटे सो गए| जब मेरी आँख खुली तो भौजी वहाँ नहीं थी|
नेहा मेरी छाती पे लेटी हुई थी, मेरा हाथ अब भी उसकी पीठ पे था| मैं बहुत सावधानी से उठा ताकि नेहा कहीं गिर ना जाए| फिर मैंने हाथ-मुँह धोया और नेहा को जगाने आया| नेहा को गोद में उठा के उसकी आँखें धोई तब जाके नेहा जाएगी| मैं उसे ले के रसोई घर की ओर जा ही रहा था की तभी भौजी आ गईं| उनके हाथ में चाय थी, ओर एक कप में दूध था| साफ़ था की दूध मेरे लिए था, मैंने दूध का कप लिया ओर नेहा को पिलाने लगा;
भौजी: ये आपके लिए है... नेहा के लिए नहीं|
मैं: बच्चे चाय नहीं पीते ....दूध पीते हैं| अब से इसे दूध ही देना...सुबह-शाम|
भौजी: ठीक है कल से दे दूंगी...अभी तो आप दूध पी लो| आपको ज्यादा जर्रूरत है!
मैं: यार.... मुझे कुछ नहीं हुआ है| मैं बिलकुल ठीक हूँ| Stop treating me like a patient!
भौजी: ओह..सॉरी !!! (मैंने उन्हें कुछ ज्यादा ही झिड़क दिया था)
भौजी मुड़ के जाने लगीं, तो मैंने जल्दी से नेहा को गोद से उतार ओर भौजी के कंधे पे हाथ रख के उन्हें रोक ओर अपनी ओर पलटा| बिना देर किये मैंने आने दोनों हाथों से उनका चेहरा थामा ओर उनके होठों पे अपने होंठ रख दिए ओर kiss करने लगा| एक मिनट बाद हम अलग हुए तो मैंने उन्हें; "I'm Sorry" कहा| वो कुछ नहीं बोलीं बस मेरे गले लग गईं| इतने में वहाँ रसिका भाभी आ गईं| उन्हें आता देख मैं भौजी से अलग हो गया|
रसिका भाभी: दीदी..........
भौजी: तेरी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की?
रसिका भाभी: दीदी...एक बार मेरी बात सुन लो प्लीज!!!
भौजी: तेरी.....
मैं: (भौजी की बात काटते हुए) बोलने दो उन्हें|
भौजी: (मेरी ओर देखते हुए) बोल
रसिका भाभी: दीदी मैं बहक गई थी.... प्लीज मुझे माफ़ कर दो! इतने दिनों से उन्होंने मुझे छुआ नहीं और ऐसे में मैं मानु जी की ओर आकर्षित हो गई| उन्होंने ही मुझे उनसे (अजय भैया) से बचाया ओर मैं ये बात भूल गई की.... मेरी वासना मुझ पे हावी हो गई थी! इसलिए मैंने ये पाप किया| मैं आपसे हाथ जोड़के माफ़ी माँगती हूँ| प्लीज मुझे माफ़ कर दो!!! मैं दुबारा ऐसी गलती कभी नहीं करुँगी| मैं समझ चुकी हूँ की ये सिर्फ आप के हैं| मैंने कल रात सब देख लिया था...की आप इनसे कितना प्यार करते हो|
भौजी और मेरी आँखें चौड़ी हो गईं पर दोनों को कोई शिकवा या गिला नहीं था| देख लिया तो देख लिया...
भौजी: देख अगर तूने कोई बकवास की तो..... समझ ले मैं सब बता दूंगी की तूने इनके साथ क्या-क्या करना चाहा था| वैसे भी तू इतनी मशहूर है की कोई तेरी बात कभी नहीं मानेगा|
रसिका भाभी की आँखें झुक गईं .... क्योंकि उनका ब्लैकमेल करने का प्लान फ्लॉप हो चूका था|
वो आगे कुछ नहीं बोलीं बस चुप-चाप चलीं गई| उनके जाते ही भौजी ने मुझसे पूछा;
भौजी: तो सुन लिया आपने?
मैं: हाँ... अब ही इनके अंदर वो कीड़ा कुलबुला रहा है| खेर आपके जवाब ने उनकी बोलती बंद कर दी|
अभी हमारी बातें चल ही रहीं थी की माँ और पिताजी भी आ गए| थोड़ी आव-भगत के बाद उन्हें पता चला की मेरी तबियत ख़राब थी...और तबियत ख़राब होने के पीछे का करना भी क्या था.... खेर उन्होंने उस समय कुछ नहीं कहा| मेरा ये मन्ना है की शायद पिताजी ये बात समझ सकते थे परन्तु माँ को ये बात हजम नहीं हो रही थी| इसका पता मुझे कुछ देर बाद चला| घर में भौजी खाना पका रहीं थीं और मैं और नेहा वहीँ तखत पे खेल रहे थे| माँ आज जहाँ मेरी चारपाई होती थी वहां पर बड़की अम्मा के साथ बैठीं थी और उन्होंने मुझे वहाँ से आवाज दी;
माँ: मानु......इधर आ|
मैं: जी आया!
मैं उनके पास पहुंचा और हाथ बंधे खड़ा हो गया| तभी बड़की अम्मा वहाँ से कुछ काम करने चलीं गई|
माँ: बैठ मेरे पास...मुझे कुछ बात करनी है|
मैं: जी बोलिए|
माँ: बेटा तो इतना होशियार है, समझदार है, फिर तू ऐसा क्यों कर रहा है? आखिर क्यों तू बात को नहीं समझता| तू जानता है की आज नहं तो कल हमने चले जाना है...फिर तू अपनी भौजी से इतना मोह क्यों बढ़ा रहा है? क्यों उसे तकलीफ देना चाहता है?
मेरे पास उनकी बातों का कोई जवाब नहीं था ...मैं सर नीचे झुका के बैठ गया| मैं माँ को क्या जवाब देता...खुद को कैसे रोकता भौजी के करीब जाने से, खासकर तब जब वो हमेशा मेरे सामने रहती हैं| मेरे एक छोटे से मजाक ने उनका क्या हाल किया था ये मैं भलीं-भाँती जानता था| मैं सच में बहुत उदास और परेशान था की मैं क्या करूँ कैसे खुद को कंट्रोल करूँ ....
मैं: माँ...यहाँ पे मेरा कोई दोस्त नहीं है...एक बस वही हैं जिनसे मेरी इतनी बनती है| ऊपर से नेहा के साथ तो जैसे मैं खुद बिलकुल बच्चा बन जाता हूँ| आपका कहना ठीक है की मुझे इतना मोह नहीं बढ़ाना चाहिए पर.... ठीक है... मैं ऐसी गलती फिर नहीं करूँगा|
मैंने माँ से कह तो दिया था पर मैं जानता था की मैं उस पे अमल नहीं कर पाउँगा| मैंने सब समय पे छोड़ दिया और शायद यही मेरी गलती थी....या फिर अब बहुत देर हो चुकी थी!
खेर रात के भोजन के बाद अब बारी थी सोने की| घर की औरतें आज बड़े घर में सोने वालीं थीं और बचे तीन मर्द: मैं, पिताजी और बड़के दादा तो हम सब आज रसोई के पास वाले आँगन में सोने वाले थे| अब समस्या ये थी की भौजी को मेरी ज्यादा ही चिंता थी, तो भोजन के उपरांत वो मेरे पास आईं;
भौजी: सुनिए ... आप कहाँ सोने वाले हो?
मैं: यहाँ आँगन में|
भौजी: ठीक है फिर मैं यहीं अपने घई में साउंगी|
मैं: देखो ऐसे ठीक नहीं लगेगा....सभी औरतें वहाँ सोएंगी और आप यहाँ...बड़की अम्मा क्या कहेंगी?
भौजी: वो सब मुझे नहीं पता....मैं यहीं साउंगी... रात को अगर आपकी तबियत ख़राब हो गई तो आप तो किसी को उठाओगे नहीं... क्योंकि उससे "सबकी नींद डिस्टर्ब हो जाएगी"| मैं यहन हूँगी तो कम से कम रात को उठ के चेक तो कर लिया करुँगी|
मैं: ऑफ-ओह मुझे कुछ नहीं हुआ है.. I M fit and fine
भौजी: वो सब मैं कुछ नहीं जानती| मैं तो यहीं सोउंगी|
अब मुझे इसका हल निकलना था| मैं भौजी को लेके बड़े घर पहुंचा तो वहाँ जाके देखा की सोने का अरेंजमेंट क्या है? घर के आँगन में चार चारपाइयाँ थीं| सबसे दूर वाली रसिका भाभी की, उसके बाद बड़की अम्मा की, उसके बाद माँ की और उसके बाद भौजी की|
मैं: ऐसा करो एक चारपाई यहाँ आपके और माँ के बीच में डाल देते हैं, उसपे मैं सो जाऊँगा| इस तरह मैं आपके सामने भी हूँगा और आपको ज्यादा चिंता भी नहीं रहेगी|
भौजी: ठीक है!
अब मैंने सभी चारपाइयाँ दूर-दूर कीं और मेरी और भौजी की चारपाई के बीच करीब चार फुट का फासला था| बाकी सभी चारपाइयों का भी यही हाल था|
भौजी: अपनी चारपाई इतनी दूर क्यों रखी है|
मैं: (मैंने भौजी को छेड़ते हुए कहा) ऐसा करते हैं मैं आपके साथ ही सो जाता हूँ!
भौजी: हाय!!! मेरी ऐसी किस्मत कहाँ! आप अभी सो जाओगे और आधी रात को चले जाओगे| मजा तो तब आये जब आप रात भर मेरे साथ रहो| काश.....
मैं: अच्छा अब अपनी ख्यालों की दुनिया से बहार आओ और इस चारपाई पे बिस्तर लगवाओ|
खेर मैं चारपाई पे लेट गया ...और करीब आधे घंटे बाद माँ, बड़की अम्मा और रसिका भाभी भी आ गए|
माँ: मानु....तू यहाँ क्या कर रहा है?
मैं: माँ.... आपको बहुत मिस कर रहा था तो सोचा आज आपके पास सो जाऊँ| अब एक चारपाई पे तो आप और मैं आ नहीं सकते ना ही मैं इतना छोटा हूँ की आप मुझे गोदी में सुला लो|
मेरी बात सुन के सब हंसने लगे....माँ भी मुस्कुरा दीं| सब अपनी-अपनी चारपाई पे लेट गए| करीब एक घंटा बीता होगा...मुझे झपकी लगी की तभी अचानक एक एहसास हुआ| ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे माथे को छुआ हो! मैंने आँख खोली तो देखा भौजी हैं| मैंने तुरंत आँख बंद कर ली और ऐसे दिखाया जैसे मैं सो रहा हूँ| दरअसल भौजी मेरा बुखार चेक कर रहीं थीं| उस समय रात के नौ नजी थे| फिर दस बजे दुबारा वो मेरा बुखार चेक करने उठीं| फिर ग्यारह बजे ....फिर बारह बजे...अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ| मैं नहीं चाहता था की कोई मेरी वजह से परेशान हो! जैसे ही भौजी मेरा बुखार चेक कर के लेटीं, मैं उठा और जाके उनके पीछे लेट गया| भौजी ने दाईं और करवट ले रखी थी और मैं उनकी ओर करवट लेकर लेटा, उनकी बगल से होते हुए अपना हाथ उनकी कमर पे रखा और उनके कान में होले से फुसफुसाया;
मैं: कब तक मेरा बुखार चेक करने के लिए उठते रहोगे|
भौजी: आप सोये नहीं अभी तक?
मैं: जिसकी पत्नी बार-बार उठ के उसका बुखार चेक कर रही हो... वो भला सो कैसे सकता है? प्लीज सो जाओ...मैं बिलकुल ठीक हूँ| अगर मुझे तबियत जरा सी भी ख़राब लगेगी तो मैं आपको उठा दूँगा, वादा करता हूँ|
भौजी: पर मुझे नींद नहीं आ रही|
मैं: आपको सुला मैं देता हूँ|
मैंने उनकी गर्दन पे पीछे से kiss किया.... और भौजी के मुख से "सीईईइ ... " की आवाज निकली| कुछ देर मैं उनकी कमर में बाँह डाले लेटा रहा और जब मुझे यकीन हुआ की वो सो गईं हैं तब मैं अपनी चारपाई पे वापस आके लेट गया|
इन बातों ही बातों में नेहा की आँख लग गई .... पर पता नहीं क्यों अंदर ही अंदर मुझे कुछ बुरा लग रहा था| ऐसा लग रहा था की अभी जो हुआ (सम्भोग) वो जबरदस्ती हुआ था| भौजी शायद मन ही मन मेरे ख्यालों को पढ़ चुकीं थीं|
भौजी: क्या हुआ? आप कुछ छुपा रहे हो?
मैं: नहीं तो?
भौजी: आप जानते हो ना आप मुझसे जूठ नहीं बोल सकते| पिछले एक घंटे से आप कोई न कोई बात करके बातों को घुमा देते हो....प्लीज बताओ ना?
मैं: वो......जो कुछ अभी हुआ उसे लेकर थोड़ा परेशान हूँ|
भौजी: क्यों?
मैं: मुझे Guilty फील हो रहा है| ऐसा लग रहा है मैंने आपके साथ जबरदस्ती की...आपको देख के लग रहा है की आप वो सब नहीं karna चाहते थे....बस मेरा मन रखने के लिए आपने वो...... (मैंने बात अधूरी छोड़ दी)
भौजी: I'M Sorry अगर आपको ऐसा लगा| पर मुझे सिर्फ आपकी सेहत की चिंता है.... अगर आप मेरी वजह से बीमार पड़े तो मैं खुद को माफ़ नहीं कर पाऊँगी| मेरे एक दिन एक्स्ट्रा रुकने से आपकी ये हालत हुई| पर माँ-पिताजी ने मुझे जबरदस्ती रोक लिया ....वरना मैं जल्दी आ जाती और तब शायद आपकी ये हालत नहीं होती| मैंने ये सब आपका दिल रखने के लिए कतई नहीं किया...मेरा भी मन था.... पर मैं आपकी सेहत को लेके चिंतित थी इसलिए आप मेरी ख़ुशी नहीं देख पाये| आप ऐसा बिलकुल ना सोचें की आपने कोई जबरदस्ती की है ...या मेरा मन नहीं था| प्लीज ऐसा ऐसा मत सोचा करो...
मैं: वैसे एक बात और है जो मैं जानने को बहुत उत्सुक हूँ?
भौजी: पूछिये?
मैं: उस दिन आपके और चन्दर भैया के बीच में क्या बात हुई? क्योंकि जब भैया अंदर आये थे तो वो गुस्से में थे और जब बहार निकले तो संतुष्ट थे!
आगे भौजी ने मुझे पूरी बात बताई जिसको मैं डायलाग के रूप में लिख रहा हूँ|
चन्दर भैया: (गुस्से में) ये किसका बच्चा है? मैंने तो तुम्हें सालों से नहीं छुआ....तुम तो मुझे अपने पास भी नहीं भटकने देती फिर ये कैसे हुआ?
भौजी: आपका ही बच्चा है...और खबरदार आपने अगर इस बच्चे के बारे में कुछ उल्टा सीधा कहा तो? सुहागरात में जो हुआ उसके बाद मैं कभी आपको अपने पास भी नहीं भटकने दूंगी| मुझसे और मेरे बच्चों से दूर रहना| आपने मेरे साथ धोका किया है...मेरी छोटी बहन के साथ...छी...छी...छी...छी ... मैं आपकी तरह नहीं हूँ जो बहार जाके मुँह मारूँ! वरना मुझ मैं और आप में फर्क ही क्या रह जायेगा?
भैया भौजी के तेवर देख के थोड़ा सहम गए ... ये भौजी का मेरे प्रति POSSESIVENESS थी जो अब उनके सामने माँ के प्यार के रूप में बहार आ रही थी|
चन्दर भैया: (थोड़ा संभल के, पर फिर भी अपनी अकड़ दिखाते हुए) तो आखिर ये सब कैसे हुआ?
भौजी: उस दिन जब आप देसी चढ़ा के आये थे तब आपने जबरदस्ती मेरे साथ बलात्कार किया था...कुछ याद आया?
चन्दर भैया: नहीं...ये नहीं हो सकता ...मुझे अच्छे से याद है उस दिन मैंने तुम्हें नहीं छुआ था|
भौजी: तो मेरी पीठ पे ये निशाँ कैसे आये...जानते हो कितनी गाली बाकि थी मुझे... अब भी मेरे यौन अंगों पे आपके गंदे हाथों के निशान हैं...काटने के निशान...नौचने के निशान..... बता दूँ ये बात अब को? या कर दूँ थाने में कंप्लेंट और वो भी जो तुमने मेरी छोटी बहन के साथ किया ....?
चन्दर भैया: तुम अपने पति के खिलाफ कंप्लेंट करोगी?
भौजी: अगर आप मुझ पे इतना गन्दा इल्जाम लगा सकते हो तो मैं भी आप के खिलाफ कंप्लेंट कर सकती हूँ|
भौजी के तेवर और रवैय्ये ने चन्दर भैया को यकीन दिल दिया था की ये नहीं का बच्चा है|
ये सब बता के भौजी रो पड़ीं ...
मैं: I'm Sorry !!! मुझे ये बात नहीं करनी चाहिए थी|
भौजी: मुझे इस बात का कोई दुःख नहीं है...दुःख है तो इस बात का की मैं इस बच्चे को आपका नाम नहीं दे सकती!
मैं: देखो आप जानते हो ये हमारा बच्चा है...मैं जानता हूँ ये हमारा बच्चा है| बस !!! इसका दूसरा रास्ता था की आप मेरे साथ भाग चलो....पर वो आपके हिसाब से अनुचित है| तो मैं आपको उस बात के लिए जोर नहीं दूँगा|
भौजी ने मेरे दाहिने हाथ को अपना तकिया बने और मुझसे फिर से लिपट गईं| वो बहुत भावुक हो गईं थीं और ऐसे में उन्हें एक कन्धा चाहिए था जिसपे वो अपना सर रख के रो सकें| उनके आसन मुझे टी-शर्ट के ऊपर से महसूस हो रहे थे|
मैं: I LOVE YOU !!!
भौजी: (सुबकते हुए) I LOVE YOU TOO !!!
उन्होंने मेरे गाल पे Kiss किया और हम ऐसे ही लिपटे सो गए| जब मेरी आँख खुली तो भौजी वहाँ नहीं थी|
नेहा मेरी छाती पे लेटी हुई थी, मेरा हाथ अब भी उसकी पीठ पे था| मैं बहुत सावधानी से उठा ताकि नेहा कहीं गिर ना जाए| फिर मैंने हाथ-मुँह धोया और नेहा को जगाने आया| नेहा को गोद में उठा के उसकी आँखें धोई तब जाके नेहा जाएगी| मैं उसे ले के रसोई घर की ओर जा ही रहा था की तभी भौजी आ गईं| उनके हाथ में चाय थी, ओर एक कप में दूध था| साफ़ था की दूध मेरे लिए था, मैंने दूध का कप लिया ओर नेहा को पिलाने लगा;
भौजी: ये आपके लिए है... नेहा के लिए नहीं|
मैं: बच्चे चाय नहीं पीते ....दूध पीते हैं| अब से इसे दूध ही देना...सुबह-शाम|
भौजी: ठीक है कल से दे दूंगी...अभी तो आप दूध पी लो| आपको ज्यादा जर्रूरत है!
मैं: यार.... मुझे कुछ नहीं हुआ है| मैं बिलकुल ठीक हूँ| Stop treating me like a patient!
भौजी: ओह..सॉरी !!! (मैंने उन्हें कुछ ज्यादा ही झिड़क दिया था)
भौजी मुड़ के जाने लगीं, तो मैंने जल्दी से नेहा को गोद से उतार ओर भौजी के कंधे पे हाथ रख के उन्हें रोक ओर अपनी ओर पलटा| बिना देर किये मैंने आने दोनों हाथों से उनका चेहरा थामा ओर उनके होठों पे अपने होंठ रख दिए ओर kiss करने लगा| एक मिनट बाद हम अलग हुए तो मैंने उन्हें; "I'm Sorry" कहा| वो कुछ नहीं बोलीं बस मेरे गले लग गईं| इतने में वहाँ रसिका भाभी आ गईं| उन्हें आता देख मैं भौजी से अलग हो गया|
रसिका भाभी: दीदी..........
भौजी: तेरी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की?
रसिका भाभी: दीदी...एक बार मेरी बात सुन लो प्लीज!!!
भौजी: तेरी.....
मैं: (भौजी की बात काटते हुए) बोलने दो उन्हें|
भौजी: (मेरी ओर देखते हुए) बोल
रसिका भाभी: दीदी मैं बहक गई थी.... प्लीज मुझे माफ़ कर दो! इतने दिनों से उन्होंने मुझे छुआ नहीं और ऐसे में मैं मानु जी की ओर आकर्षित हो गई| उन्होंने ही मुझे उनसे (अजय भैया) से बचाया ओर मैं ये बात भूल गई की.... मेरी वासना मुझ पे हावी हो गई थी! इसलिए मैंने ये पाप किया| मैं आपसे हाथ जोड़के माफ़ी माँगती हूँ| प्लीज मुझे माफ़ कर दो!!! मैं दुबारा ऐसी गलती कभी नहीं करुँगी| मैं समझ चुकी हूँ की ये सिर्फ आप के हैं| मैंने कल रात सब देख लिया था...की आप इनसे कितना प्यार करते हो|
भौजी और मेरी आँखें चौड़ी हो गईं पर दोनों को कोई शिकवा या गिला नहीं था| देख लिया तो देख लिया...
भौजी: देख अगर तूने कोई बकवास की तो..... समझ ले मैं सब बता दूंगी की तूने इनके साथ क्या-क्या करना चाहा था| वैसे भी तू इतनी मशहूर है की कोई तेरी बात कभी नहीं मानेगा|
रसिका भाभी की आँखें झुक गईं .... क्योंकि उनका ब्लैकमेल करने का प्लान फ्लॉप हो चूका था|
वो आगे कुछ नहीं बोलीं बस चुप-चाप चलीं गई| उनके जाते ही भौजी ने मुझसे पूछा;
भौजी: तो सुन लिया आपने?
मैं: हाँ... अब ही इनके अंदर वो कीड़ा कुलबुला रहा है| खेर आपके जवाब ने उनकी बोलती बंद कर दी|
अभी हमारी बातें चल ही रहीं थी की माँ और पिताजी भी आ गए| थोड़ी आव-भगत के बाद उन्हें पता चला की मेरी तबियत ख़राब थी...और तबियत ख़राब होने के पीछे का करना भी क्या था.... खेर उन्होंने उस समय कुछ नहीं कहा| मेरा ये मन्ना है की शायद पिताजी ये बात समझ सकते थे परन्तु माँ को ये बात हजम नहीं हो रही थी| इसका पता मुझे कुछ देर बाद चला| घर में भौजी खाना पका रहीं थीं और मैं और नेहा वहीँ तखत पे खेल रहे थे| माँ आज जहाँ मेरी चारपाई होती थी वहां पर बड़की अम्मा के साथ बैठीं थी और उन्होंने मुझे वहाँ से आवाज दी;
माँ: मानु......इधर आ|
मैं: जी आया!
मैं उनके पास पहुंचा और हाथ बंधे खड़ा हो गया| तभी बड़की अम्मा वहाँ से कुछ काम करने चलीं गई|
माँ: बैठ मेरे पास...मुझे कुछ बात करनी है|
मैं: जी बोलिए|
माँ: बेटा तो इतना होशियार है, समझदार है, फिर तू ऐसा क्यों कर रहा है? आखिर क्यों तू बात को नहीं समझता| तू जानता है की आज नहं तो कल हमने चले जाना है...फिर तू अपनी भौजी से इतना मोह क्यों बढ़ा रहा है? क्यों उसे तकलीफ देना चाहता है?
मेरे पास उनकी बातों का कोई जवाब नहीं था ...मैं सर नीचे झुका के बैठ गया| मैं माँ को क्या जवाब देता...खुद को कैसे रोकता भौजी के करीब जाने से, खासकर तब जब वो हमेशा मेरे सामने रहती हैं| मेरे एक छोटे से मजाक ने उनका क्या हाल किया था ये मैं भलीं-भाँती जानता था| मैं सच में बहुत उदास और परेशान था की मैं क्या करूँ कैसे खुद को कंट्रोल करूँ ....
मैं: माँ...यहाँ पे मेरा कोई दोस्त नहीं है...एक बस वही हैं जिनसे मेरी इतनी बनती है| ऊपर से नेहा के साथ तो जैसे मैं खुद बिलकुल बच्चा बन जाता हूँ| आपका कहना ठीक है की मुझे इतना मोह नहीं बढ़ाना चाहिए पर.... ठीक है... मैं ऐसी गलती फिर नहीं करूँगा|
मैंने माँ से कह तो दिया था पर मैं जानता था की मैं उस पे अमल नहीं कर पाउँगा| मैंने सब समय पे छोड़ दिया और शायद यही मेरी गलती थी....या फिर अब बहुत देर हो चुकी थी!
खेर रात के भोजन के बाद अब बारी थी सोने की| घर की औरतें आज बड़े घर में सोने वालीं थीं और बचे तीन मर्द: मैं, पिताजी और बड़के दादा तो हम सब आज रसोई के पास वाले आँगन में सोने वाले थे| अब समस्या ये थी की भौजी को मेरी ज्यादा ही चिंता थी, तो भोजन के उपरांत वो मेरे पास आईं;
भौजी: सुनिए ... आप कहाँ सोने वाले हो?
मैं: यहाँ आँगन में|
भौजी: ठीक है फिर मैं यहीं अपने घई में साउंगी|
मैं: देखो ऐसे ठीक नहीं लगेगा....सभी औरतें वहाँ सोएंगी और आप यहाँ...बड़की अम्मा क्या कहेंगी?
भौजी: वो सब मुझे नहीं पता....मैं यहीं साउंगी... रात को अगर आपकी तबियत ख़राब हो गई तो आप तो किसी को उठाओगे नहीं... क्योंकि उससे "सबकी नींद डिस्टर्ब हो जाएगी"| मैं यहन हूँगी तो कम से कम रात को उठ के चेक तो कर लिया करुँगी|
मैं: ऑफ-ओह मुझे कुछ नहीं हुआ है.. I M fit and fine
भौजी: वो सब मैं कुछ नहीं जानती| मैं तो यहीं सोउंगी|
अब मुझे इसका हल निकलना था| मैं भौजी को लेके बड़े घर पहुंचा तो वहाँ जाके देखा की सोने का अरेंजमेंट क्या है? घर के आँगन में चार चारपाइयाँ थीं| सबसे दूर वाली रसिका भाभी की, उसके बाद बड़की अम्मा की, उसके बाद माँ की और उसके बाद भौजी की|
मैं: ऐसा करो एक चारपाई यहाँ आपके और माँ के बीच में डाल देते हैं, उसपे मैं सो जाऊँगा| इस तरह मैं आपके सामने भी हूँगा और आपको ज्यादा चिंता भी नहीं रहेगी|
भौजी: ठीक है!
अब मैंने सभी चारपाइयाँ दूर-दूर कीं और मेरी और भौजी की चारपाई के बीच करीब चार फुट का फासला था| बाकी सभी चारपाइयों का भी यही हाल था|
भौजी: अपनी चारपाई इतनी दूर क्यों रखी है|
मैं: (मैंने भौजी को छेड़ते हुए कहा) ऐसा करते हैं मैं आपके साथ ही सो जाता हूँ!
भौजी: हाय!!! मेरी ऐसी किस्मत कहाँ! आप अभी सो जाओगे और आधी रात को चले जाओगे| मजा तो तब आये जब आप रात भर मेरे साथ रहो| काश.....
मैं: अच्छा अब अपनी ख्यालों की दुनिया से बहार आओ और इस चारपाई पे बिस्तर लगवाओ|
खेर मैं चारपाई पे लेट गया ...और करीब आधे घंटे बाद माँ, बड़की अम्मा और रसिका भाभी भी आ गए|
माँ: मानु....तू यहाँ क्या कर रहा है?
मैं: माँ.... आपको बहुत मिस कर रहा था तो सोचा आज आपके पास सो जाऊँ| अब एक चारपाई पे तो आप और मैं आ नहीं सकते ना ही मैं इतना छोटा हूँ की आप मुझे गोदी में सुला लो|
मेरी बात सुन के सब हंसने लगे....माँ भी मुस्कुरा दीं| सब अपनी-अपनी चारपाई पे लेट गए| करीब एक घंटा बीता होगा...मुझे झपकी लगी की तभी अचानक एक एहसास हुआ| ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे माथे को छुआ हो! मैंने आँख खोली तो देखा भौजी हैं| मैंने तुरंत आँख बंद कर ली और ऐसे दिखाया जैसे मैं सो रहा हूँ| दरअसल भौजी मेरा बुखार चेक कर रहीं थीं| उस समय रात के नौ नजी थे| फिर दस बजे दुबारा वो मेरा बुखार चेक करने उठीं| फिर ग्यारह बजे ....फिर बारह बजे...अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ| मैं नहीं चाहता था की कोई मेरी वजह से परेशान हो! जैसे ही भौजी मेरा बुखार चेक कर के लेटीं, मैं उठा और जाके उनके पीछे लेट गया| भौजी ने दाईं और करवट ले रखी थी और मैं उनकी ओर करवट लेकर लेटा, उनकी बगल से होते हुए अपना हाथ उनकी कमर पे रखा और उनके कान में होले से फुसफुसाया;
मैं: कब तक मेरा बुखार चेक करने के लिए उठते रहोगे|
भौजी: आप सोये नहीं अभी तक?
मैं: जिसकी पत्नी बार-बार उठ के उसका बुखार चेक कर रही हो... वो भला सो कैसे सकता है? प्लीज सो जाओ...मैं बिलकुल ठीक हूँ| अगर मुझे तबियत जरा सी भी ख़राब लगेगी तो मैं आपको उठा दूँगा, वादा करता हूँ|
भौजी: पर मुझे नींद नहीं आ रही|
मैं: आपको सुला मैं देता हूँ|
मैंने उनकी गर्दन पे पीछे से kiss किया.... और भौजी के मुख से "सीईईइ ... " की आवाज निकली| कुछ देर मैं उनकी कमर में बाँह डाले लेटा रहा और जब मुझे यकीन हुआ की वो सो गईं हैं तब मैं अपनी चारपाई पे वापस आके लेट गया|