दो भाई दो बहन compleet

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raj..
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Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 19 Dec 2014 14:20

Jemsbond wrote:Great going on..........keep on updating its wonderful to read when you keep on updaing........

Thank you

dhanyawad dost

raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 19 Dec 2014 14:21

18

गतान्क से आगे.......

रिया अब अपनी जीब को पूरी बाहर निकाल उसकी चूत को उपर से नीचे

तक चाटने लगी. उसकी चूत की फांको को खोल वो उसकी चूत को चाट

रही थी.

रोम की चूत मे भी हलचल मचने लग गयी उसने रिया के सिर को

दोनो हाथों से पकड़ा और उसे अपनी चूत पर दबाने लग गयी. रिया

भी अब उसके कुल्हों को पकड़ उसकी चूत को मुँह मे भर जोरों से चूस

रही थी... कभी वो जीब अंदर डाल घूमाती तो कभी जीब को अंदर

बाहर कर उसे चोद्ति..

'ओह हाआँ ऐसी ही चाआतो ओह हाां और ज़ोर से चूवसो ऑश

ज़ोर से चूवसो." रोमा सिसकारियाँ भरने लग गयी थी.

दोनो लड़कियों की मस्ती देख राज का लंड भी फूँकार मारने लग गया

था और थोड़ी ही देर मे वो उसकी शॉर्ट्स के अंदर तन कर खड़ा हो

गया था.

रिया ने तीर्छि नज़रों से राज के लंड को शॉर्ट्स के अंदर खड़े होते

देखा तो रोमा को छोड़ राज की ओर घूम गयी और उसकी शॉर्ट्स को खोल

शॉर्ट और उसकी अंडरवेर दोनो को साथ ही मे खींच कर निकाल दी.

"अब खड़े हो जाओ और वॉश बेसिन का सहारा ले थोडा झुक जाओ," रिया

ने कहा, "अब तुम्हारी बारी है."

पहले तो राज को रिया की बात का अर्थ समझ मे नही आया लेकिन जब

रिया हाथ मे शेविंग फोम लेकर उसकी झांतो पर मलने लगी तो वो

समझ गया कि रिया अब उसकी झाँते सॉफ करना चाहती है. रिया के

हाथों के स्पर्श से उसका लंड मचलने लग गया था.

रिया इस तरह उसके सामने नीचे बैठी थी कि उसका लंड ठीक उसके

मुँह के सामने था.उसने देखा कि राज के लंड से उत्तेजना की बूंदे

चूने लगी थी. उसने अपनी जीब निकली और उन वीर्य की बूँदो को

चाटने लगी.

रिया ने फिर बेसिन मे से रेज़र उठाया और उसकी झांते शेव करने

लगी. उसने पहले कभी किसी मर्द की झाँटे सॉफ नही की थी इसलिए

जब गोलियाँ के अगल बगल का हिस्सा आया तो वो बड़ी सावधानी से राज

के लंड को थोड़ा उपर कर उसकी गोलियाँ के अगल मे बगल मे शेव

करने लगी.

रिया ने रोमा की चूत मे आग लगाकर उसे बीच मे ही छोड़ दिया था

इसलिए वो कुछ दूरी पर खड़ी अपनी चूत को मसल्ते हुए दोनो को देख

रही थी. वो प्यार भरी नज़रों से राज के खड़े लंड को निहार रही

थी.... ओह कितना वक़्त हो गया इसे अपनी चूत मे लिए...वो सोच रही

थी. अपनी उंगली को चूत मे इस कदर अंदर बाहर करने लगी जैसे कि

वो उसकी उंगली नही राज का लंड था जो उसकी चूत के अंदर बाहर हो

रहा है.

थोड़ी ही देर मे रिया ने उसके बाल साफ कर दिए और फिर गरम पानी

से उसके लंड को अछी तरह धो कर सॉफ कर दिया. फिर उसके लंड को

हल्के से चूसा और खड़ी हो गयी.

"रोमा के पास जाओ उसे तुम्हारी बहोत ज़रूरत है," रिया उसके कान मे

धीरे से बोली, और बाथरूम से बाहर चली गयी.

राज ने रोमा की ओर देखा जिन आँखों मे हमेशा खुशी रहा करती

थी आज उन्ही आँखों मे दुख की परछाईयाँ मंडरा रही थी. उसे खुद

से आत्मग्लानि होने लगी.

"तुमने मुझे प्यार करना क्यों छोड़ दिया?" रोमा ने सीधा सवाल

किया.

"तुम जानती हो कि में आज भी तुम्हे उतना ही प्यार करता हूँ." राज ने

जवाब दिया.

राज उसके पास जाकर नीचे पंजों के बल बैठ गया. वो उसने

चूमने के लिए झुका तो उसने हाथ दिखा उसे रोक दिया, "क्या तुम

मेरे साथ आ रहे हो?"

"तुम जानती हो में तुम्हारे साथ आना चाहता हूँ." राज ने कहा.

राज ने ये तो कहा कि वो आना चाहता है, लेकिन ये नही कहा कि हां

वो आ रहा है. लेकिन राज का इतना कहना भी रोमा के लिए बहोत था.

जब राज दूसरी बार उसे चूमने के लिए झुका तो रोमा ने उसे रोका

नही बल्कि उसने खुद अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए. उसे राज

पर विश्वास था अगर उसने कहा कि वो आना चाहता है तो वो ज़रूर

आएगा. उसे ये भी विश्वास था कि वो हमेशा तन और मन से उसके

साथ रहेगा.

थोड़ी देर पहले जहाँ महॉल थोड़ी शिकायत और उदासी का था वो अब

उनकी आपस मे जीब से जीब मिलने से थोड़ा रोमांचकारी हो गया था.

रिया ने दोनो के बदन मे गर्मी लाकर उन्हे छोड़ कर चली गयी थी

जैसे कि वो पहले से ही सब कुछ तय कर चुकी थी. जिस अहसास को राज

और रोमा करीब करीब भूल चुके थे आज फिर उसी उत्साह और

उत्तेजना मे एक दूसरे की जीब चूस रहे थे.

रोमा ने राज को खड़ा किया और अपनी बाहों मे जोरों से भींच

लिया...."तुम नही जानते राज में तुम्हे कितना प्यार करती हूँ."

वो टब के किनारे पर बैठ गयी और राज के जांघों को जो अभी अभी

शेव की हुई थी नहारने लगी. वो अपनी उंगलियों को उसके लंड के

चारों और फिराने लगी... एक अजीब सनसनी राज के बदन मे दौड़ने

लगी. फिर उसने झुकते हुए उसके लंड को अपने गरम मुँह मे लिया. राज

का लंड पूरी तन कर खड़ा था, उसने अपने दोनो हाथ रोमा के सिर पर

रखे और फिर उसके मुँह मे धीरे धीरे धक्के मारने लगा.

उत्तेजना मे राज के लंड से वीर्य की बूंदे छू रही थी जिसे रोमा

अपनी जीब से चाटती और फिर लंड को भींच चूसने लगती. वो अपने

मुँह को उपर नीचे करते हुए उसके लंड को चूस्ति जा रही थी.

रोमा ज़ोर ज़ोर से उसका लंड चूस्ति रही और आख़िर राज ने उसके मुँह

मे पानी छोड़ दिया. रोम की खुद चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी और

उसका दिल कर रहा था कि राज उसकी चूत मे अपना लंड घूसा दे.

वो खड़ी हुई और घूम कर टब का सहारा ले लिया और अपनी टाँगे

फैला झुक गयी. उसके चूतड़ हवा मे हो गया थे और उसकी चूत

खुल गयी और राज निमंत्रण देने लगी.

राज ने अपने लंड को पकड़ा और उसकी गीली चूत पर रगड़ने लगा. वो

अपने लंड को थोड़ा सा अंदर घुसाता फिर निकाल फिर उसकी चूत पर

घिसने लगता. रोमा उत्तेजना मे पागल हुए जा रही थी.... लेकिन राज

था कि वो अपने लंड को उसकी गंद के छेद तक ले जाता और नीचे तक

घीसते हुए लाता.

"ऑश राज क्यों तडपा रहे हो....प्लीज़ डालो ना अपना लंड मेरी चूत

मे ....ओह डालो ना कितना समय हो गाया तुम्हे मालूम है ना...

प्लीज़ चोदो मुझे राज चूड़ो."

राज ने अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रखा और उसके कुल्हों को

पकड़ एक ज़ोर का धक्का मारा. उसका लंड रोमा की चूत की दीवारों को

चीरता हुआ अंदर घुस गया. अब वो धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.

"ऑश राज हां ऐसे ही चोदो ऑश ओह ज़ोर ज़ोर से चोदो ना... हाआँ

चोदो ... अंदर तक घुसा दो अपने लंड को...." रोमा सिसकने लगी.

राज अपने लंड को अंदर तक घुसा देता और रुक कर अपने कूल्हे गोल गोल

घूमा लंड को उसकी चूत मे घूमाता... और फिर बाहर खींच एक

ज़ोर का धक्का मारता. रोमा भी अपने कूल्हे पीछे कर उसे लंड को और

अंदर तक ले लेती.

रोमा ने अपना एक हाथ नीचे किया और राज की गोलियाँ से खेलने लगी.

वो अपने कूल्हे पीछे करने के साथ उसकी गोलैईयों को पकड़ती और

सहला देती. राज की उत्तेजना भी और बढ़ने लगी.... वो किसी घोड़े की

तरह उछा उछल कर अपनी बेहन की चूत मारने लगा.

"ऑश हाआँ ऐसी ही चोदो ऑश राज्ज्जज्ज चोदो और ज़ोर से हाआँ हाआँ

ज़ोर ज़ोर से ओह में तो गयी......." सिसकते हुए रोमा की चूत

ने पानी छोड़ दिया.

राज ने उसके कुल्हों को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर के धक्के मारते हुए अपना

वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया. उसने अपना लंड उसकी चूत से बाहर

निकाला तो दोनो का पानी रोमा की चूत से बह नीचे बाथरूम की टाइल

पर गिरने लगा.

रोमा सीधी हुई और उसने राज के होठों को चूम लिया, "में तुमसे

बहोत प्यार करती हूँ."

* * * * * * * * * *

तीनो हाल मे बैठे टीवी देख रहे थे की तभी उनकी मम्मी ने रोमा से

खाना लगाने के लिए कहा. रोमा और रिया मिलकर खाना लगाने लगे.

तीनो मिलकर खाना खाया.

खाने के बाद उनकी मम्मी ने रिया से कहा, "रिया बेटी ज़रा तुम हम

तीनो को थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दोगि, मुझे इन दोनो से कुछ

ज़रूरी बात करनी है."

रोमा और राज के चेहरे पर हैरानी के भाव आ गये की अचानक मम्मी

को ऐसी क्या ज़रूरी बात करनी है. रिया चुप चाप वहाँ से उठी और

कहा कि वो तालाब के किनारे जा रही है. रोमा को डर था कि कहीं

उनकी मम्मी को उनके रिश्ते का पता तो नही चल गया उसने शंकित

नज़रों से राज की तरफ देखा जैसे पूछ रही हो, ' मम्मी को कैसे

पता चला?'


raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 19 Dec 2014 14:21

दोनो हैरान और हैरत भरी नज़रों से अपनी मा को देख रहे थे.

उन्होने देख की उनकी मा बार बार अपने हाथो को मसल रही शायद जो

वो कहना चाहती थी वो कहने मे हिचकिचा रही थी.

"में ये बात तुम दोनो से बहोत पहले कहने वाली थी लेकिन कहने से

पहले में अपने आपको पक्का कर लेना चाहती थी." उनकी मा ने कहा.

राज और रोमा मम्मी की बात सुनकर मन ही मन डर गये. उन्हे लगा कि

ज़्यादा आत्मविश्वास मे उनसे कहीं ना कहीं कोई चूक हो गयी है. उसने

बेबसी मे अपने कंधे उचका दिए अब किया भी क्या जा सकता था.

रोमा की आँखों मे आँसू आ गये. वो काफ़ी डर गयी थी अंदर से और

उसका शरीर कांप रहा था. दोनो को पता नही था कि ये विषय अब

कैसे और कब ख़तम होगा. राज ने रोमा को दिलासा देने के लिए अपना

हाथ टेबल के नीचे किया और उसकी जांघों को सहलाने लगा.

उनकी मम्मी ने कहना शुरू किया, "राज में जानती हूँ कि तुम आगे

पढ़ना चाहते हो और रोज तुम न्यूज़ पेपर मे अपने लिए नौकरी

ढूँढते रहते हो. लेकिन आज तक कुछ हुआ नही, में जानती हूँ कि

कॉलेज खुलने के दिन करीब आ रहे है."

रोमा ने राज का हाथ दबाया और अस्चर्य से अपनी मा और भाई को

देखने लगी.

"में देखना चाहती थी कि तुम दोनो आगे की पढ़ाई के लिए कितने

सीरीयस हो, जो कि तुम हो. आगे की पढ़ाई काफ़ी महनगी है ये में

जानती हूँ, वैसे तुम स्कॉलरशिप, ट्रस्ट्स से सिफारिश या फिर स्टडी

लोन भी ले सकते हो... लेकिन फिर भी इनके अलावा और भी खर्चे

है जो करने पड़ते है.. सहर मे रहने के लिए घर लेना होगा

वाईगरह.. वाईगरह.." उनकी मम्मी ने आगे कहा.

मम्मी की बात सुनकर राज और रोमा के चेहरे पर खुशी लौट आई.

दोनो ने एक राहत के साँस ली कि जो उन्हे लग रहा था वो बात नही

थी.

"तुम्हारा पिताजी ने तुम दोनो के पढ़ाई के लिए एक फंड मे पैसे जमा

किए थे. उनके जाने के बाद मुझसे जो और जैसे हो सकता था में

उसमे पैसे भरती गयी. लेकिन इन सालों मे फिर भी अछी ख़ासी रकम

जमा हो गयी है. जिंदगी की बहोत ज़रूरतें आई लेकिन मेने उन

पैसों को हाथ नही लगाया. लेकिन वो पैसे आज तुम दोनो के काम आ

सकते है."

उनकी मम्मी ने एक डिमॅंड ड्राफ्ट निकाल कर उनके सामने रख दिया. रकम

देख रोमा और राज को विश्वास नही हो रहा था और वो बार बार उस

रकम को पढ़ रहे थे, "दो लाख पचास हज़ार सात सो अस्सी रुपये."

"तुम दोनो को यहाँ से जल्दी ही रवाना होना पड़ेगा जिससे कॉलेज

खुलने से पहले अड्मिशन वग़ैरह पूरे हो सके. तुम दोनो जब भी

जाने के लिए तैयार हो जाओ तो मुझे बता देना में तुम दोनो को

छोड़ने साथ चलूंगी और तुम दोनो का एक बॅंक अकाउंट खुलवा दूँगी

और एक घर भी देख लूँगी." उनकी मम्मी ने कहा.

बात पूरी करते करते उनकी मम्मी की आँखें भर आई थी. उसे कितना

प्यार था अपने दोनो बच्चो पर, आज वो अपने पैरों पर खड़े हो अपनी

नई जिंदगी शुरू करने जा रहे थे. राज की आँखों मे भी आँसू आ

गये थे और रोमा तो फुट फुट कर रोने लगी थी.

रिया तालाब के किनारे मुलायम घास पर आराम से लेटी थी. तभी

उसने घर के पीछले दरवाज़े को खुलते और बंद होते देखा. उपर

खुला आसमान, तालाब से उठती हल्की पानी की आवाज़ और उपर से हल्की

ठंड उसे बहोत ही अच्छा लग रहा था.

घास पर लेटे लेटे वो राज के बारे मे सोचने लगी. वो दिल की

गहराइयों से राज से प्यार करती थी. उसे विश्वास था कि जितना वो

राज के नज़दीक रहेगी उसे अपना बनाने का उतना ही चान्स है. वो

जानती थी कि राज और रोमा का रिश्ता एक वक़्ती जज़्बा है जो समय के

साथ साथ ठंडा पड़ जाएगा. जब दोनो कॉलेज जाने लगेंगे तो जिंदगी

के सफ़र मे रोमा को ज़रूर को जीवन साथ मिल जाएगा और उस दिन राज

के लिए वहाँ होगी, फिर दोनो नये सिरे से जिंदगी शुरू कर सकते

थे.

रिया घास पर लेटे उनके कदमों की आवाज़ सुनती रही और दुआ कर रही

थी कि उनके साथ भी वो सब ना बीते जो उसके और जय के साथ बीती

थी. ये देख कर तो उसका दिल ही बैठ गया जब उसने दोनो को खुद की

आँखे पौंचते हुए देखा.

"राज सॉरी ये सब......." रिया ने कहना चाहा.

"नही नही.... वो नही था जो तुम सोच रही हो..." रोमा ने कहना

चाहा लेकिन उसने सोचा क्यों ना उसे समझने की जगह ड्राफ्ट ही दीखा

दिया जाए.

जब रिया ने ड्राफ्ट और उसमे भर रकम देखी तो उसने अपनी गर्दन हिला

दी, "मुझे विश्वास नही हो रहा है."

"ये वो पैसे है जो पिताजी ने हमारी पढ़ाई के लिए जमा किए थे.

मम्मी चाहती है कि कॉलेज मे दाखिला ले लें और अपने लिए एक घर

देख ले." रोमा ने बताया.

"ये तो बहोत ही अच्छी बात है," रिया ने खुशी से कहा, "जब जय

और रानी अपने घर मे चले जाएँगे तो तुम दोनो मेरे साथ रहने आ

सकते हो."

"हां ये ठीक रहेगा." रोमा ने रिया को बाहों मे भर चूम लिया."

राज हैरत से दोनो को देखने लगा, "क्या जय कहीं जा रहा है?"

दोनो लड़कियाँ हँसने लगी, "रोमा क्यों ना राज को सब बता दें." रिया

ने कहा.

जय के बारे मे सुनकर राज को विश्वास नही हुआ जब टीना ने उसके बारे

मे सब कुछ बताया, "कमाल है उसने किस तरह अपनी जिंदगी रातों

रात बदल गई. शायद इस जगह से बाहर निकाल कर ही ऐसा कुछ हो

सकता है. हमारी मम्मी ने हमे ये मौका दिया है जिंदगी मे कुछ

करने का.... में थोड़ी देर के लिए घर मे जा रहा हू तुम लोगों को

कुछ चाहिए." राज ने पूछा.

"अगर फ्रिड्ज मे कोल्ड ड्रिंक बची हुई हो तो लेते आना." रिया ने कहा.

राज एक बार आँखों से ओझल हो गया तो रोमा ने रिया से कहा, "मुझे

आज पता चला कि राज पीछले दिनो इतना चिड़चिड़ा क्यों हो गया था.

वो सारा सारा दिन नौकरी ढूनडता रहता था लेकिन कुछ हुआ नही. और

उसे चिंता थी की मेरे साथ जाने के लिए उसके पास पैसे नही थे.

आज मुझे दुख हो रहा है कि में कितना ग़लत सोचती रही उसके बारे

मे."

रोमा की बातें सुन रिया उपर से तो मुस्कुरा रही थी, लेकिन दिल के

अंदर वो उदास थी क्यों कि आने वाले दिनो मे राज के साथ नही रह

सकती थी. उसे याद आने लगा कि क्यों वो भावुक हो बाथरूम मे राज

और रिया को फिर एक होने का मौका दिया शायद ये ही उसकी सबसे बड़ी

ग़लती साबित होगी.

तभी उसके दीमाग मे एक ख़याल आया, "मुझे बाथरूम जाना है, में

अभी आई."

रोमा तो अपने ख़यालों मे खोई हुई थी, कि शहर जाकर कैसे क्या

क्या करेंगे, "ठीक है." उसने बस यही कहा.

रात हो चुकी थी. सिर्फ़ सड़क पर जलती स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी

आ रही थी. वो घर के आधे रास्ते पर थी कि उसे राज आता दिखाई

दिया. उसने पलट कर रोमा की तरफ देखा. अंधेरा होने की वजह से

वो बड़ी मुस्किल से उसे देख पा रही थी, और उसे विश्वास हो गया कि

रोमा भी उन्हे नही देख पाएगी. उसने राज को बीच रास्ते मे ही पकड़

लिया और अपनी शर्ट उतार दी.

"ये तुम क्या कर रही हो?" राज ने हैरत से पूछा.

'कुछ नही अपने नये रूम पार्ट्नर को समझने की कोशिश कर रही

हूँ." रिया उसके कान मे धीरे से बोली.

रिया ने राज को कमर से पकड़ा और अपनी नंगी चुचियों को उसकी

छाती पर रगड़ने लगी. राज को उसके दिल की धड़कनो की आवाज़ के

साथ उसके खड़े निपल का अहसास होने लगा.

जब रिया ने अपने होंठ उसके होठों पर रखे तो राज कोई विरोध नही

किया और अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी.दोनो एक दूसरे को चूमने

लगे और जीब से खेलने लगे. चूमते चूमते दोनो नीचे घास पर

आ गये.

"रिया मुझे नही लगता कि हम सही कर रहे है." राज ने अपनी

निगाहें रोमा की ओर करते हुए कहा.

"राज वो डिमॅंड ड्राफ्ट को अपने हाथों मे पकड़े अपने ख़यालों मे खोई

हुई है. कहने को तो वो वहाँ खड़ी है लेकिन उसका दीमाग इसी ख़याल

मे है कि इन पैसों को कैसे खर्चा किया जाए. मेरा विश्वास करो

उसे पता नही चलेगा."

"नही रिया कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए." राज ने कहा.

पर रिया आज कुछ सुनने को तैयार नही थी. उसने राज को घास पर

लिटा दिया और उसकी छाती पर चढ़ गयी. उसने अपने होठों को राज के

होठों पर रखा और उसके हाथों को पकड़ अपनी नंगी चुचियों पर

रख दिया. दोनो एक दूसरे को बुरी तरह चूमने चूसने लगे और राज

का लंड तन कर खड़ा हो गया.

क्रमशः..................

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