गन्ने की मिठास--27
गतान्क से आगे......................
मैने अपनी उंगली पर थूक लगा कर सुधिया की गंद मे दबा दी और मेरी उंगली सुधिया की मुलायम कसी हुई गंद
मे समा गई, मैं सुधिया की गुदा मे उंगली अंदर बाहर करने लगा और सुधिया आह आह करती हुई सीसीयाने लगी,
सुधिया की चूत को हरिया बराबर नीचे से चोदे जा रहा था और उसके मोटे मोटे दूध को खूब चूसे जा रहा
था,
मैं लगातार सुधिया की गुदाज मोटी गंद को दबाते हुए उसकी गुदा मे उंगली डाल रहा था, जब मैने देखा कि
अब सुधिया खूब कूदने लगी है और खूब सीसियाते हुए हरिया को ज़ोर ज़ोर से चोदने को कहने लगी है तब मैने
अपने मोटे लंड पर खूब सारा थूक लगा कर उसे सुधिया की गुदाज गंद मे लगा कर एक कस कर धक्का उसकी गुदा
मे मार दिया और मेरे लंड का मोटा सूपड़ा सुधिया की गुदा खोल कर उसमे फिट बैठ गया,
सुधिया- ओह बाबाजी मार डाला रे आह सीईइ सीईईईईईईईईई आह ओह
हरिया- उसके मोटे मोटे दूध दबाते हुए, क्या हुआ भौजी बाबाजी ने तुम्हारी गंद मे लंड फसा दिया क्या,
सुधिया- हाँ रे हरिया बाबाजी का बहुत मोटा है पूरी गंद फाडे डाल रहा है,
हरिया- तो क्या हुआ भौजी तुम्हारी गंद है भी तो कस कर मोटे लंड से चोदने लायक, मैं तो कब से तुम्हारी इस
मोटी गंद को खूब कस कस कर चोदना चाहता हू,
सुधिया- आह आ हरामी मैं तो पहले से जानती थी जब तू मुझे जाते हुए मेरे चूतादो को खूब घूरा करता था
हरिया- बाबाजी कैसी है हमारी रामू की मा की मोटी गंद
राज- मैने हरिया की बात सुनी और एक दूसरा धक्का कचकचा कर सुधिया की मोटी गंद मे मार दिया और फिर क्या
था मैं तो समझो मस्त हो गया मेरा पूरा लंड सुधिया की गंद ऐसे जकड़े हुए थी जैसे निचोड़ के रख देगी
सुधिया- आआआआआआ ओह बाबाजी मैं मर जाउन्गि बाबाजी निकाल लो बहुत मोटा लंड है तुम्हारा,
सुधिया की बात सुन कर हरिया समझ गया कि मैने उसकी गंद मे लंड फसा दिया है और हरिया उस घोड़ी को अपने
लंड पर बैठाए उसके दूध के निप्पल को चूस्ता हुआ दबाने लगा, इधर मैं रुका नही और धीरे धीरे अपने लंड
को थोडा बाहर लाता और फिर गच्छ से सुधिया की गुदा मे घुसा देता,
सुधिया कुच्छ ऊह आह सीई ओह बाबाजी आह आह सीयी की आवाज़ निकल रही थी, तभी मैने थोड़ा लंड बाहर खींचा और
कस कर सुधिया की गंद मे मार दिया और सुधिया सीधे हरिया के सीने पर अपनी मोटी मोटी चूचियाँ रख कर
लुढ़क गई, हरिया ने सुधिया की पीठ के आसपास अपने हाथ लेजकर उस गुदाज औरत को अपनी छाती से खूब कस के
जाकड़ लिया और अपनी कमर उठा उठा कर सुधिया की चूत मे लंड पेलने लगा,
अब मुझे ज़्यादा मज़ा आ रहा था, मैं उकड़ू बैठा सुधिया की गंद चोद रहा था और वह रंडी हरिया के उपर
लेटी हुई अपनी चूत और गंद हम दोनो से मरवा रही थी, उसकी सिसकारियो से ऐसा लग रहा था कि उसे बहुत मज़ा आ
रहा है,
तभी मैं भी सुधिया की मोटी गंद मे लंड फसाए उसके उपर लेट गया और उसकी चिकनी पीठ से चिपक
कर खूब गहराई तक सुधिया की गंद मे अपने लंड की घुसाने लगा,
मैं उपर से सुधिया की गंद मे खूब तबीयत से लंड पेल रहा था, मेरे पूरे बदन का वजन सुधिया के जिस्म
पर था और नीचे से हरिया अपनी पूरी ताक़त से सुधिया की चूत मे लंड पेल रहा था, हरिया और मैं दोनो पूरी
ताक़त से नीचे से और उपर से सुधिया की गंद और छूट को उसके नंगे बदन को खूब दबा दबा कर ठोक रहे
थे और सुधिया, ओह ओह आ आ सीईसीई स स आ आ हरिया दूध दबा ना, आ आ ओह बाबा जी बहुत मज़ा आ रहा
है और ठोकिए बाबाजी और चोदिये पूरी गंद फाड़ दीजिए मेरी,
सुधिया की बाते मेरा और हरिया का जोश और बढ़ा रही थी और हम दोनो उपर से और नीचे से उसकी गंद और चूत
को खूब ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे,
गन्ने की मिठास compleet
Re: गन्ने की मिठास
हरिया जहाँ उसकी चूत मे लंड को दबाने की कोशिश कर रहा था वही मैं पूरी
आज़ादी के साथ सुधिया की गंद चोद रहा था, अब मेरा लंड बड़ी आसानी से सुधिया की गंद मे जा रहा था और
उसकी चूत खूब पानी छ्चोड़ रही थी, हरिया ने सुधिया के होंठो को चूसना शुरू कर दिया तब सुधिया थोड़ा
उपर अपने सीने को उठाने लगी तभी मैने उसके दूध को नीचे हाथ लेजाकार पकड़ लिया और कस कस कर तीन चार
धक्के सुधिया की गंद मे मार दिए और सुधिया धदाम से हरिया की छाती से चिपक गई और हरिया ने नीचे
से कस कस कर तीन चार धक्के मारे और उसको खूब कस कर दबोचते हुए मुझसे कहने लगा
हरिया- बाबाजी लगता है भौजी मूतने वाली है,
राज- हरिया अपनी भौजी से पुंछ लो अगर मूतने वाली हो तो हम तीनो एक साथ मुतेन्गे और आज तुम्हारी भौजी की
गंद और चूत को अपने रस से भर देंगे,
हरिया- सुधिया के मूह को उठा कर चूमते हुए, बोलो भौजी तुम मूतने वाली हो ना
सुधिया- सीयी आहह आहह हाँ रे हाँ रे हरिया खूब चोद मैं अब मूतने वाली हू जल्दी चोद कमिने नही तो तेरे मूह
मे मूत दूँगी,
हरिया- मूत दे ना भौजी मैं तो कब से तेरी चूत से मूत पीने को तरस रहा हू, एक बार मैने तुझे छुप कर
मुतते हुए देखा था बस तब से तेरी मोटी धार का मैं दीवाना हो गया हू,
राज- हरिया अब एक साथ मैं और तुम सुधिया बेटी की चूत और गंद को चोद्ते हुए अपना पानी निकालेंगे और फिर
मैने उसकी गंद मे सतसट धक्के मारना शुरू कर दिया और नीचे से हरिया खूब खचा खच लंड पेलने
लगा और सुधिया अपनी जाँघो को और भी खोल कर बुरी तरह गंद हिलाने लगी वह कभी अपनी गंद उपर मारने की
कोशिश करती और कभी नीचे मारने की कोशिश करती, फिर सुधिया के मूह से एक गहरी कराह निकल गई और वह बुरी
तरह हरिया से चिपक गई, मैने भी सुधिया को पूरी तरह जाकड़ लिया और उसकी गंद मे अपने लंड को खूब
गहराई तक ठोक कर अपने पानी को छ्चोड़ना शुरू कर दिया, उधर हरिया ने भी सुधिया की चूत मे अपने लंड को
खूब अंदर तक पेल कर अपना पानी निकाल दिया और फिर मैं और हरिया सुधिया को उपर और नीचे से नंगी अपने
बीच मे दबाए हाफ्ते हुए पड़े रहे,
कुच्छ देर बाद मैं उठा और जब मैने सुधिया के भारी चूतादो को देखा तो वह पूरे लाल हो चुके थे,
मेरे उठने के बाद भी सुधिया हरिया के उपर पड़ी हाफ़ती रही, फिर मैने जल्दी से अपनी धोती पहनी और फिर सुधिया
भी उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी, हरिया ने अपनी धोती पहन कर कहा बाबाजी हम चंदा के पास जा रहे है
आप हमे भी आशीर्वाद देते हुए जाना,
हरिया वहाँ से उठ कर चला जाता है और फिर मैं सुधिया को हाथ पकड़ कर उठा लेता हू और
राज- बेटी तुम ठीक तो हो ना
सुधिया- मुस्कुराते हुए अपनी नज़रे झुका कर, हाँ बाबाजी
राज- बेटी हमने अपना वादा पूरा कर दिया अब हमे भी यहा से प्रस्थान करना होगा क्यो कि हम सिर्फ़ तुम्हारी
खातिर रुके थे अब हमे किसी और का भला करने के लिए जाना होगा,
सुधिया- बाबाजी फिर कब पधारेंगे आप
राज- बेटी हमने तेरे सुख के लिए ही हरिया के दिमाग़ को घुमा कर तेरा दीवाना बना दिया है, अब रामू के अलावा
जब भी तेरा दिल करे तू हरिया से अपनी इच्छा पूरी करवा लेना और शरमाना मत, तू शरमाती बहुत है,
सुधिया- बाबाजी मुझे तो आपकी याद हमेशा आएगी, अब आप कब आओगे
राज- बेटी तू फिकर मत कर हम तो इतनी शक्ति लेकर घूमते है कि कभी भी किसी भी रूप मे आकर हम तुझे अपने
मोटे लंड से भरपूर आनंद पहुचाएगे, अभी तू हमे जानती नही है, तू कहे तो हम किसी जवान लोंडे के रूप
मे आकर भी तुझे चोद सकते है,
आज़ादी के साथ सुधिया की गंद चोद रहा था, अब मेरा लंड बड़ी आसानी से सुधिया की गंद मे जा रहा था और
उसकी चूत खूब पानी छ्चोड़ रही थी, हरिया ने सुधिया के होंठो को चूसना शुरू कर दिया तब सुधिया थोड़ा
उपर अपने सीने को उठाने लगी तभी मैने उसके दूध को नीचे हाथ लेजाकार पकड़ लिया और कस कस कर तीन चार
धक्के सुधिया की गंद मे मार दिए और सुधिया धदाम से हरिया की छाती से चिपक गई और हरिया ने नीचे
से कस कस कर तीन चार धक्के मारे और उसको खूब कस कर दबोचते हुए मुझसे कहने लगा
हरिया- बाबाजी लगता है भौजी मूतने वाली है,
राज- हरिया अपनी भौजी से पुंछ लो अगर मूतने वाली हो तो हम तीनो एक साथ मुतेन्गे और आज तुम्हारी भौजी की
गंद और चूत को अपने रस से भर देंगे,
हरिया- सुधिया के मूह को उठा कर चूमते हुए, बोलो भौजी तुम मूतने वाली हो ना
सुधिया- सीयी आहह आहह हाँ रे हाँ रे हरिया खूब चोद मैं अब मूतने वाली हू जल्दी चोद कमिने नही तो तेरे मूह
मे मूत दूँगी,
हरिया- मूत दे ना भौजी मैं तो कब से तेरी चूत से मूत पीने को तरस रहा हू, एक बार मैने तुझे छुप कर
मुतते हुए देखा था बस तब से तेरी मोटी धार का मैं दीवाना हो गया हू,
राज- हरिया अब एक साथ मैं और तुम सुधिया बेटी की चूत और गंद को चोद्ते हुए अपना पानी निकालेंगे और फिर
मैने उसकी गंद मे सतसट धक्के मारना शुरू कर दिया और नीचे से हरिया खूब खचा खच लंड पेलने
लगा और सुधिया अपनी जाँघो को और भी खोल कर बुरी तरह गंद हिलाने लगी वह कभी अपनी गंद उपर मारने की
कोशिश करती और कभी नीचे मारने की कोशिश करती, फिर सुधिया के मूह से एक गहरी कराह निकल गई और वह बुरी
तरह हरिया से चिपक गई, मैने भी सुधिया को पूरी तरह जाकड़ लिया और उसकी गंद मे अपने लंड को खूब
गहराई तक ठोक कर अपने पानी को छ्चोड़ना शुरू कर दिया, उधर हरिया ने भी सुधिया की चूत मे अपने लंड को
खूब अंदर तक पेल कर अपना पानी निकाल दिया और फिर मैं और हरिया सुधिया को उपर और नीचे से नंगी अपने
बीच मे दबाए हाफ्ते हुए पड़े रहे,
कुच्छ देर बाद मैं उठा और जब मैने सुधिया के भारी चूतादो को देखा तो वह पूरे लाल हो चुके थे,
मेरे उठने के बाद भी सुधिया हरिया के उपर पड़ी हाफ़ती रही, फिर मैने जल्दी से अपनी धोती पहनी और फिर सुधिया
भी उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी, हरिया ने अपनी धोती पहन कर कहा बाबाजी हम चंदा के पास जा रहे है
आप हमे भी आशीर्वाद देते हुए जाना,
हरिया वहाँ से उठ कर चला जाता है और फिर मैं सुधिया को हाथ पकड़ कर उठा लेता हू और
राज- बेटी तुम ठीक तो हो ना
सुधिया- मुस्कुराते हुए अपनी नज़रे झुका कर, हाँ बाबाजी
राज- बेटी हमने अपना वादा पूरा कर दिया अब हमे भी यहा से प्रस्थान करना होगा क्यो कि हम सिर्फ़ तुम्हारी
खातिर रुके थे अब हमे किसी और का भला करने के लिए जाना होगा,
सुधिया- बाबाजी फिर कब पधारेंगे आप
राज- बेटी हमने तेरे सुख के लिए ही हरिया के दिमाग़ को घुमा कर तेरा दीवाना बना दिया है, अब रामू के अलावा
जब भी तेरा दिल करे तू हरिया से अपनी इच्छा पूरी करवा लेना और शरमाना मत, तू शरमाती बहुत है,
सुधिया- बाबाजी मुझे तो आपकी याद हमेशा आएगी, अब आप कब आओगे
राज- बेटी तू फिकर मत कर हम तो इतनी शक्ति लेकर घूमते है कि कभी भी किसी भी रूप मे आकर हम तुझे अपने
मोटे लंड से भरपूर आनंद पहुचाएगे, अभी तू हमे जानती नही है, तू कहे तो हम किसी जवान लोंडे के रूप
मे आकर भी तुझे चोद सकते है,
Re: गन्ने की मिठास
सुधिया- क्या आप सच कह रहे है बाबा जी
राज- तूने देखा ना हमने अपनी शक्ति से हरिया को यहा बुलाया और उसके दिमाग़ को कैसे घुमा दिया है कि उसने
एक बार भी तुझसे कोई सवाल किया या और किसी को बताने के बारे मे सोचा है,
सुधिया- आप सच कहते है बाबाजी नही तो हरिया जैसा कमीना मुझे नंगी देख कर ना जाने क्या क्या कहता आज
आपने मुझे धन्य कर दिया बाबाजी और फिर सुधिया मेरे पेरो मे गिर गई,
मैने उसकी गोरी बाँहो को पकड़ कर उसे उठाया और उसके भरे हुए गालो को सहलाते हुए कहा बेटी अब तुम यहाँ
से जाओ हम भी यहाँ से अब निकलते है,
सुधिया- बाबाजी जब भी आप आओ मेरे घर ज़रूर आना,
सुधिया की चुदाई तो बड़े मस्त तरीके से हमने की लेकिन वह अब भी यही समझ रही थी कि मैं बहुत पहुचा
हुआ आदमी हू और वह मुझसे बहुत प्रभावित थी, उसके जाने के बाद मैं हरिया के पास पहुचा जहाँ मुझे
हरिया ने पानी पिलाया उसके बाद मैने हरिया के साथ एक चिलम और लगाई,
हरिया- वाह बाबू जी मान गये आपको, लेकिन अभी भी हमारा मन सुधिया को और चोदने का कर रहा है बाबूजी
राज- हरिया - हमने उसके सर पर ऐसा हाथ फेरा है कि अब जब भी तुम्हे मोका मिले तुम सुधिया को चोद लेना
वह खुद तुमसे आगे रह कर चुदवायेगि,
हरिया- सच बाबूजी, यह आपने हम पर बड़ा उपकर किया है, अब देखना बाबूजी मैं कैसे दिन रात सुधिया को
खेतो मे नंगी करके चोद्ता हू,
राज- लेकिन रामू का क्या करोगे,
हरिया- कुच्छ नही बाबूजी रामू को चंदा के साथ अपने घर भेज दिया करूँगा वह भी चंदा और रुक्मणी के
साथ मस्ती मार लेगा आख़िर मेरा परिवार का खून ही तो है,
राज- मुस्कुराते हुए वाकई हरिया भाई तुम बहुत बदमाश आदमी हो
हरिया- हस्ते हुए लेकिन बाबूजी आपसे ज़रा सा कम,
मैने हरिया की बात सुन कर उसकी पीठ ठोकते हुए कहा ठीक है हरिया अब मैं ज़रा अपनी साइट पर जा रहा हू और
शाम को घर निकलूंगा, वहाँ मम्मी और संगीता परेशान होगी,
हरिया- बाबूजी काम के चक्कर मे इधर आना मत भूलिएगा और कैसा भी काम हो बस एक बार कहिएगा हरिया
आपके लिए जान भी लगा देगा,
राज- अरे हरिया तुमने इतना कह दिया यही बहुत है, फिर भी कभी ज़रूरत पड़ी तो तुमसे ही कहूँगा, अच्छा अब
मैं चलता हू और फिर मैं तालाब के पास आ गया, मजदूर आ चुके थे और मैने उन्हे काम पर लगा दिया,
दोपहर को जैसे तैसे समय गुजरा और शाम के 4 बजते ही मैं घर की ओर भाग गया,
जब मैं घर पहुचा और मैने दरवाजा अंदर ढकाया तो वह खुल गया और मैं सीधे अंदर चला गया, मैं
वैसे तो जाते ही संगीता को आवाज़ देने लगता था लेकिन आज मैं चुपचाप जब अंदर पहुचा तो मुझे हॉल मे कोई
नही दिखा और जब मैं मम्मी के रूम की ओर बढ़ा और मैने जैसे ही मम्मी के रूम के पर्दे को थोड़ा सा
हटा कर अंदर देखा तो........
अंदर मम्मी मिरर के सामने केवल एक पिंक कलर की ब्रा और पॅंटी पहने अपने गुदाज चिकने बदन को देख रही
थी,
मैं तो मम्मी को ब्रा पॅंटी मे देख कर एक दम से पागल हो गया, मेरा लंड पूरी तरह तन कर खड़ा हो
गया और मेरी मम्मी अपने सुडोल भारी भरकम चूतादो को कभी इधर कभी उधर करके मटका रही थी,
सुधिया को नंगी देख कर मुझे भारी भरकम शरीर वाली औरते अच्छी लगने लगी थी लेकिन मम्मी का शरीर तो
सुधिया से भी जबरदस्त था, मम्मी की मोटी-मोटी गोरी जाँघो ने मुझे पागल कर दिया उनका उठा हुआ पेट और
मोटे-मोटे दूध बहुत सुडोल और गोरे लग रहे थे, कुच्छ देर तक अपने जिस्म को शीशे मे निहारने के बाद
मम्मी ने पास मे पड़े पेटिकोट को उठा कर पहन लिया और फिर ब्लौज और उसके बाद अपनी साडी लपेटने लगी तभी
मैने आवाज़ लगा दी,
राज- मम्मी क्या कर रही हो
रति- अरे राज आ गया तू, क्या बेटा बिना बताए गोल हो जाता है हम मा बेटी को कितनी फिकर हो रही थी,
मैं मम्मी के पीछे से उन्हे अपनी बाँहो मे भर कर उनके गालो को चूमते हुए सॉरी कहने लगा,
मम्मी ने
अपनी साडी बाँधते हुए मेरे गालो को जब चूमा तो उसके रसीले होंठो और उसके बदन से उठने वाली मादक
गंध ने मेरे लंड को पूरी तरह कड़ा कर दिया था, मुझे बार बार मम्मी केवल पॅंटी मे अपनी मोटी गंद
मतकते हुए नज़र आ रही थी, दिल तो ऐसा कर रहा था कि मम्मी की फूली हुई चूत को पॅंटी के उपर से पकड़ कर
मसल दू लेकिन मैं कंट्रोल किए हुए मम्मी से पुच्छने लगा, मम्मी संगीता कहाँ है,
रति- बेटे वह अपनी सहेली के यहाँ गई है तू हाथ मूह धो ले मैं चाइ बना कर लाती हू, मैने मम्मी को गौर से
देखा,
बड़ा मस्त माल लग रही थी, उसके भरे हुए मदमस्त जिस्म के आयेज सुधिया की गदराई जवानी भी फैल थी
और सबसे ज़्यादा जानलेवा तो मम्मी के मोटे मोटे चूतड़ थे जिन्हे अभी भी वह इधर उधर घूमते हुए मटका
कर चल रही थी,
क्रमशः........
राज- तूने देखा ना हमने अपनी शक्ति से हरिया को यहा बुलाया और उसके दिमाग़ को कैसे घुमा दिया है कि उसने
एक बार भी तुझसे कोई सवाल किया या और किसी को बताने के बारे मे सोचा है,
सुधिया- आप सच कहते है बाबाजी नही तो हरिया जैसा कमीना मुझे नंगी देख कर ना जाने क्या क्या कहता आज
आपने मुझे धन्य कर दिया बाबाजी और फिर सुधिया मेरे पेरो मे गिर गई,
मैने उसकी गोरी बाँहो को पकड़ कर उसे उठाया और उसके भरे हुए गालो को सहलाते हुए कहा बेटी अब तुम यहाँ
से जाओ हम भी यहाँ से अब निकलते है,
सुधिया- बाबाजी जब भी आप आओ मेरे घर ज़रूर आना,
सुधिया की चुदाई तो बड़े मस्त तरीके से हमने की लेकिन वह अब भी यही समझ रही थी कि मैं बहुत पहुचा
हुआ आदमी हू और वह मुझसे बहुत प्रभावित थी, उसके जाने के बाद मैं हरिया के पास पहुचा जहाँ मुझे
हरिया ने पानी पिलाया उसके बाद मैने हरिया के साथ एक चिलम और लगाई,
हरिया- वाह बाबू जी मान गये आपको, लेकिन अभी भी हमारा मन सुधिया को और चोदने का कर रहा है बाबूजी
राज- हरिया - हमने उसके सर पर ऐसा हाथ फेरा है कि अब जब भी तुम्हे मोका मिले तुम सुधिया को चोद लेना
वह खुद तुमसे आगे रह कर चुदवायेगि,
हरिया- सच बाबूजी, यह आपने हम पर बड़ा उपकर किया है, अब देखना बाबूजी मैं कैसे दिन रात सुधिया को
खेतो मे नंगी करके चोद्ता हू,
राज- लेकिन रामू का क्या करोगे,
हरिया- कुच्छ नही बाबूजी रामू को चंदा के साथ अपने घर भेज दिया करूँगा वह भी चंदा और रुक्मणी के
साथ मस्ती मार लेगा आख़िर मेरा परिवार का खून ही तो है,
राज- मुस्कुराते हुए वाकई हरिया भाई तुम बहुत बदमाश आदमी हो
हरिया- हस्ते हुए लेकिन बाबूजी आपसे ज़रा सा कम,
मैने हरिया की बात सुन कर उसकी पीठ ठोकते हुए कहा ठीक है हरिया अब मैं ज़रा अपनी साइट पर जा रहा हू और
शाम को घर निकलूंगा, वहाँ मम्मी और संगीता परेशान होगी,
हरिया- बाबूजी काम के चक्कर मे इधर आना मत भूलिएगा और कैसा भी काम हो बस एक बार कहिएगा हरिया
आपके लिए जान भी लगा देगा,
राज- अरे हरिया तुमने इतना कह दिया यही बहुत है, फिर भी कभी ज़रूरत पड़ी तो तुमसे ही कहूँगा, अच्छा अब
मैं चलता हू और फिर मैं तालाब के पास आ गया, मजदूर आ चुके थे और मैने उन्हे काम पर लगा दिया,
दोपहर को जैसे तैसे समय गुजरा और शाम के 4 बजते ही मैं घर की ओर भाग गया,
जब मैं घर पहुचा और मैने दरवाजा अंदर ढकाया तो वह खुल गया और मैं सीधे अंदर चला गया, मैं
वैसे तो जाते ही संगीता को आवाज़ देने लगता था लेकिन आज मैं चुपचाप जब अंदर पहुचा तो मुझे हॉल मे कोई
नही दिखा और जब मैं मम्मी के रूम की ओर बढ़ा और मैने जैसे ही मम्मी के रूम के पर्दे को थोड़ा सा
हटा कर अंदर देखा तो........
अंदर मम्मी मिरर के सामने केवल एक पिंक कलर की ब्रा और पॅंटी पहने अपने गुदाज चिकने बदन को देख रही
थी,
मैं तो मम्मी को ब्रा पॅंटी मे देख कर एक दम से पागल हो गया, मेरा लंड पूरी तरह तन कर खड़ा हो
गया और मेरी मम्मी अपने सुडोल भारी भरकम चूतादो को कभी इधर कभी उधर करके मटका रही थी,
सुधिया को नंगी देख कर मुझे भारी भरकम शरीर वाली औरते अच्छी लगने लगी थी लेकिन मम्मी का शरीर तो
सुधिया से भी जबरदस्त था, मम्मी की मोटी-मोटी गोरी जाँघो ने मुझे पागल कर दिया उनका उठा हुआ पेट और
मोटे-मोटे दूध बहुत सुडोल और गोरे लग रहे थे, कुच्छ देर तक अपने जिस्म को शीशे मे निहारने के बाद
मम्मी ने पास मे पड़े पेटिकोट को उठा कर पहन लिया और फिर ब्लौज और उसके बाद अपनी साडी लपेटने लगी तभी
मैने आवाज़ लगा दी,
राज- मम्मी क्या कर रही हो
रति- अरे राज आ गया तू, क्या बेटा बिना बताए गोल हो जाता है हम मा बेटी को कितनी फिकर हो रही थी,
मैं मम्मी के पीछे से उन्हे अपनी बाँहो मे भर कर उनके गालो को चूमते हुए सॉरी कहने लगा,
मम्मी ने
अपनी साडी बाँधते हुए मेरे गालो को जब चूमा तो उसके रसीले होंठो और उसके बदन से उठने वाली मादक
गंध ने मेरे लंड को पूरी तरह कड़ा कर दिया था, मुझे बार बार मम्मी केवल पॅंटी मे अपनी मोटी गंद
मतकते हुए नज़र आ रही थी, दिल तो ऐसा कर रहा था कि मम्मी की फूली हुई चूत को पॅंटी के उपर से पकड़ कर
मसल दू लेकिन मैं कंट्रोल किए हुए मम्मी से पुच्छने लगा, मम्मी संगीता कहाँ है,
रति- बेटे वह अपनी सहेली के यहाँ गई है तू हाथ मूह धो ले मैं चाइ बना कर लाती हू, मैने मम्मी को गौर से
देखा,
बड़ा मस्त माल लग रही थी, उसके भरे हुए मदमस्त जिस्म के आयेज सुधिया की गदराई जवानी भी फैल थी
और सबसे ज़्यादा जानलेवा तो मम्मी के मोटे मोटे चूतड़ थे जिन्हे अभी भी वह इधर उधर घूमते हुए मटका
कर चल रही थी,
क्रमशः........