बुझाए ना बुझे ये प्यास compleet

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rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:29


"हां" महक ने शरमाते हुए जवाब दिया. राज की ये गंदी बातें उसे
और उत्तेजित कर रही थी... चूत गीली हो चुकी थी और उसे रस
उसकी जाँघो तक बह रहा था......... उसने उसे अभी छिनाल कहा था
और वो गुस्सा होने की बजाई उसकी बात सुनकर उत्तेजित हो गयी थी....
ये लड़का तो उसे बिना चोदे ही उसका पानी छुड़वा देगा...."

"उसने तुम्हारी जमकर चुदाई की की नही?" उसने फिर पूछा.

"हां" उसने झूट बोला.

"क्या तुम्हारी चूत ने पानी छोडा?" उसने पूछा.

"नही" उसने धीरे से कहा.

"फिर तो उसने त्म्हरी जाम कर चुदाई नही की है ना?"" उसने फिर
पूछा.

महक शरम के मारे कोई जवाब नही दे पाई, एक अंजान लड़के से
कैसे कहती की हर रात उसका पति उसे चोदता तो है लेकिन उसकी प्यास
नही बुझा पता है.... वो सिर्फ़ हुम्म कर के रह गयी.

"अगर तुम्हारा पानी नही छूटा तो फिर उसे चोदना नही आता, में
सही कह रहा हूँ ना?"

उसने फिर कोई जवाब नही दिया और चुप चाप अपनी गर्म साँसे फोन के
रेसीएवेर पर छोड़ती रही.

"जान मेरी मेने एक सवाल पूछा है... उसका जवाब दो ना... देखो
मेने तुम्हे छोडा तो तुम्हारी चूत ने पानी चोदा... तुम्हारे पति
तुम्हारी चूत का पानी नही चूड़ा पाया इसका मतलब है की वो तुम्हे
ठीक से नही चोद्ता.... में सही कह रहा हूँ ना? इसका मतलब ये
यही के तुम्हारे पति के मुक़ाबले में तुम्हारी आक्ची चुदाई करता
हूँ." उसने आत्मविश्वास से कहा.

महक जानती भी थी और महसूस भी कर चुकी थी की राज उसके पति
के मुक़ाबले कहीं बेहतर चुदाई करता था.... और राज भी ये बात
जान चुका था.... पर वो ये बात राज से ये बात कबूल करना अपने
पति से बेवफ़ाई करने जैस होगा इसलिए वो फोन पकड़े चुप चाप
बैठी रही..... इस उमीद मे की राज इस विषय को बंद कर वापस
अपनी हरकतों पर आ जाए उससे गॅंड गंदी बातें करे.

"अगर तुम मेरी बात का जवाब नही देना चाहती हो..तो हमारे बीच
और कोई बात करने को कुछ नही बचा है... जब तुम्हे लगे की तुम
जवाब दे सकती हो उस दिन मुझे फोन कर लेना..." उसने बड़ी बेरूख़ी
से कहा.

"ऩही.. नही फोन मत रखना.." वो फोन लगभग चिल्ला पड़ी. तभी
उसे एहसास हुआ की उसकी आवाज़ सुनकर कहीं उसका पति ना जाग
जये.....इस्लिये वो फोन पर धीरे से बोली.... "हां तुमने मुझे
मेरे पति से कहीं ज़्यादा अकचे तरीके से चोदा ये बात मनती हूँ."

"ये हुई ना बात मेरी छिनाल रंडी... मुझे विश्वास नही होता की तुम
इतनी छीनाल भी हो सकती हो... एक दिन मे इतनी बार... पहले में....
फिर पति के साथ... फिर वापस मेरे साथ फोन पर.. तुम्हे रंडी
बनना अच्छा लगता है ना?" उसने फिर आत्मविश्वास से कहा.

महक की समझ मे नही आया की राज की बात का क्या जवाब दे लेकिन
हां उसने महसूस किया की उसे इन सब मे मज़ा आ रहा है और वो सही
मे छिनाल बनने मे आनंद आ रहा है. बहोट कुछ खोया है उसने
अपनी जिंदगी मे अब वो एक छीनाल बनकर.... एक रंडी की तरह जिंदगी
के मज़े लूटना चाहती है.. राज ने उसकी सोई हुई बावनाओं को जगा
दिया था... जो कुछ उसने एहसास कराया था उसमे अलग ही आनंद छिपा
था.....

"हां मुझे तुम्हारे साथ इन सब बातों मे मज़ा आता है... में
तुम्हारी छिनाल रांड़ हूँ..." शब्द तो उसके मुँह से निकाल रहे थे
लेकिन असर उसकी चूत पर हो रहा था


rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:30

बुझाए ना बुझे ये प्यास--12

"क्या तुम्हारी चूत गीली हो चुकी है?" उसने पूछा.

"हां किसी खुली नाल की तरह बह रही है." उसने भी शरम करते
हुए जवाब दिया.

"क्या तुम्हारी चुचियाँ कठोर हो चुकी है... तुम्हारे निपल खड़े
हो गये है?" उसने कहा.

"ऑश हाआं" उसने एक गहरी सांस लेते हुए कहा.

"अपनी चुचियों को गाउन से बाहर निकाल कर अपने निपल को भींचो."

जैसा राज ने कहा उसने वैसे ही किया और उसके मुँह से इस्कारी फूट
पड़ी, 'म्‍म्म्ममममममममम. "

"अपनी उंगली अपनी चूत मे डालो."

महक ने अपने गाउन को अपनी जाँघो पर से खिसकाया और अपन उंगली को
अपनी चूत मे अंदर तक घुसेड दिया..."ओह" एक कराह निकाल पड़ी
उसके मुँह से.

"अब अपनी उंगली से अपनी चूत को चोदो."

उसने अपनी उंगली को थोड़ा बाहर निकाला और फिर उसे अंदर तक घुसा
दिया... वो इसी तरह अपनी उंगली को अंदर बाहर कर अपनी चूत को
चोदने लगी. उसकी सिसकारिया सुन कर वहाँ राज का लंड तन कर खड़ा
हो चुका था. उसने अपने लंड को अपनी अंडरवेर से बाहर निकाला और
उसे मसल्ने लगा.

"मेरा लंड तन कर खड़ा हो चुका है और में इसे जोरों से मसल
रहा हूँ... में जानता हूँ अगर तुम मेरे पास होती तो मेरे लंड को
ज़रूर चूसना पसंद करती...."

"ऑश हाआं हाआं." उसने जवाद दिया, अपने मुँह मे गरम लंड के
एहसास ने उसकी चूत को और गरमा दिया.. उसकी चूत मे जोरों से
खुजली मचने लगी और वो और ज़ोर से अपनी उंगली अंदर बाहर करने
लगी. उसकी सिसकारियों की आवाज़ फोन पर और बढ़ने लगी.

'हां.. में यही चाहता हूँ की तुम अपनी चूत को अपनी उंगली से
तब तक चोदति रहो जब तक की तुम्हारी चूत पानी ना छ्चोड़ दे."

इन गंदी बातों ने महक की चूत की आग और भड़का दी थी.. वो अब
अपनी एक उंगली की बजाई दो उंगली चूत मे डाल कर अंदर बाहर करने
लगी... उसकी चूत मे उबाल बढ़ रहा था.... उसने अपनी सिसकियों को
रोकने के लिए अपना चेहरा वहाँ पड़े एक तकिये मे छुपा लिया और ज़ोर
से सिसकते हुए उंगली अंदर बाहर करने लगी... तभी उसकी चूत ज़ोर
से कड़ी और पानी छोड़ने लगी...

अपनी उखड़ी सांसो पर काबू पाते हुए उसने फोन पर कहा, "ओह राज
मज़ाअ आ गया....."

राज अभी भी अपने लंड को मसल रहा था... वो उसकी सिकियों को फोन
पर सुन रहा था.. वो भी अपने लंड को पानी छुड़ाना चाहता था
लेकिन अभी उसका लंड तय्यार नाहुआ था.. वो और जोरों से अपने लंड को
मसल्ने लगा और महक से बोला.

"मुझसे बात करो और मेरे लंड का पानी छुड़ाने मे मेरी मदद करो."
उसने महक से कहा.

rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:31


महक के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ गयी... वो याद करने
लगी किस तरह राज ने उससे फोन पर बात करते हुए उकसाया था....

"काश इस समय में तुम्हारा लंड चूस रही होती." उसने कहा. "क्या
में तुम्हारा लंड चूसों?"

"हां" उसने जवाब दिया. राज को महक की ये सेक्सी बातें सुनकर मज़ा
आने लगा और वो अपने लंड को ज़ोर से घिसने लगा.

महक को भी इस नये खेल मे मज़ा आने लगा....."में तुम्हारा लंड
चूसना चाहती हूँ... अपनी जीएब तुम्हारे लंड पर घूमना चाहती
हूऊं... और जब तुम्हारा पानी छूटने वाला हूऊ तो में चाहती
हूँ की तुम मेरी चुचियों को अपने रस से नहला दो."

महक की मीठी और सेक्सी आवाज़ ने जादुई असर किया राज पर और उसका
लंड झटके मारने लगा. उसकी गोलैईयों मे उबाल तेज होने लगा.

महक उस लम्हे को याद करने लगी जब शाम को राज ने उसकी चुचियों
को अपने वीर्या की पिचकारी से नहलाया था. वो उसी लम्हे को राज के
साथ इस समाय बाँटना चाहती थी.

"तुम्हे पता है जब तुम मेरी चुचियों पर अपना मदन रस चिड़क कर
चले गये तो में तुम्हारे जाने के बाद उस रस को चट्टी रही.
तुम्हारे वीर्या का स्वाद बहोत अक्चा है." उसने कहा.

"वो मेरे वीर्या को छाती और उसे स्वाद अक्चा लगा"... इस ख़याल ने
ही राज के लंड को और उतेज़ित कर दिया और उसके लंड ने झटका खाते
हुए पिचकारी छ्चोड़ दी... एक लंबी धार ज़मीन पर गिरी फिर दूसरी
फिर तीसरी.... वो हुंकार भर कर अपने लंड का पनी छोड़ता रहा.

महक ने फोन पर उसकी हुंकार सुनी और उसे खुद पर गर्व होने लग
की उसने सिर्फ़ बात करके उसका पानी छुड़वा दिया ठीक उसी तरह जिस
तरह उसने उसकी चूत की प्यास बुझाई थी. राज की हुंकार और
सिसकारियाँ सुन कर उसे आनंद हो रहा था.

जब राज की साँसे थोडी संभली तो उसने फोन पर कहा, "अगली बार जब
तुम्हारा पति जब सहर के बाहर चला जाए तो मुझे फोन करना."
कहकर उसने फोन रख दिया.

महक ने भी फोन रख दिया और अपने कपड़े ठीक कर वहीं सोफे पर
लेट गयी. वो इतना थक चुकी थी की कब उसे गहरी नींद ने आ घेरा
उसे पता ही नही चला.

महक के पति को सहर के बाहर जाने मे अभी दो हफ्ते पड़े थे और
वो पागल हुए जा रही थी... उसकी चूत मे खुजली मची हुई थी...
एक आग लगी हुई थी... उसकी समझ मे नही आ रहा था की वो क्या
करे... उसने राज को फोन नही किया था... वो नही चाहती थी की
उसके पति को किसी प्रकार का शॅक हो या फिर वो पकड़ी जाए......

अपने पति के साथ वो पहले से कहीं उग्र हो गयी थी... हर समय वो
उसे किसी ना किसी अदा या हरकत से उत्तेजित करने लगी... लेकिन वो था
की जैसे उसे किसी चीज़ का असर ही नही होता था.. अपनी तड़पति बीवी
की भावनाओ को वो पढ़ नही पता था.. उसके बदन से निकलती आग को
वो एहसास नही कर सका.. और हर बार की तरह अपना मतलब निकाल वो
उसे तड़प्ता छ्चोड़ देता.

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