रत्ना ने विभा के लिए नाश्ता तैयार किया और सुरेश को भी जगाया
रत्ना : सुरेश विभा घर जा रही है उसे स्टेशन छ्चोड़ आइए जाकर
सुरेश : इतनी जल्दी आज तो उसका इंटरव्यू है ना
रत्ना: न्ही इंटरव्यू कॅन्सल हो गया है वो घर जा रही है
सुरेश: उसको बोलो कि आज रुक जाए
रत्ना: आप क्यों न्ही कहते
सुरेश: न्ही तुम्ही कहो मैं न्ही कहता
रत्ना: विभा आज रुक जा 1 -2 दिन बाद जाना
विभा: न्ही दीदी आज मुझे जाना ही है .मैं और न्ही रुक सकती
रत्ना: सुरेश आप प्लीज़ चले जाओ स्टेशन तक .विभा अकेले कैसे जा पाएगी
सुरेश : ओके
दो नो लोग तैयार हो कर स्टेशन चले जाते है और सुरेश विभा को ट्रेन मैं बैठा देता है और वॉटर बोत्तेल वगीरह लाकर दे देता है ट्रेन अपपने टाइम पर रवाना हो जाती है . मज़े की बात ये कि पूरे रास्ते दोनो के बीच कोई बात न्ही होती है. जो की इश्स बात का सबूत था क़ि विभा कितना ज़्यादा नाराज़ हो कर गई थी
सुरेश घर वापस आ रहा होता है तभी मोबाइल की रिंग बाज़ती है . सुरेश को लगता है की विभा ने कॉल किया है शायद कोई बात करना चाहती है ,शरम की वज़ह से रास्ते मैं बात न्ही की होगी...मोबाइल स्क्रीन देखी तो उसमे उसके बड़े भाई रमेश का नंबर चमक रहा था . रमेश सुरेश से केवल 2 साल ही बड़ा था लेकिन सुरेश रमेश का बहुत आदर करता था रमेश की एक लड़की की जिसकी एज 5 साल थी जिसका नाम ऋतु था और रमेश की वाइफ अलका रत्ना की तरह ही रूप की देवी थी . सुरेश ने कॉल आक्सेप्ट की और
सुरेश एंड: हल्लो भैया, कैसे है
रमेश एंड: हम भाभी बोल रही है , भैया न्ही
सुरेश *: अरे मेरी लाइफ ... कैसी हो और बहुत दिन बाद याद किया
रमेश *: क्या करे तुम याद ही न्ही करते
सुरेश: आओ दिल्ली भी आ जाओ दर्शन करवा जाओ
रमेश: दर्शन करने है तो यही आ जाओ
सुरेश: चलो और बताओ भैया कहा है
रमेश : भैया तो आने वाले है ये बताने के लिए फ़ोन किया था कि हम लोग अबी ही देल्ही के लिए निकल रहे है और साम तक पहुचेंगे . तुम्हे कोई प्राब्लम तो न्ही है अगर हम लोग 3 -4 दिन रुकेंगे तो..
सुरेश: भाभी तुम भी ...तुम्हारा ही तो घर है और तुम थोड़ा तो मेरी भी हो नीचे से ना सही उपर से तो हो ही
रमेश : अच्छा अब मैं फोन रखती हूँ ओके साम को स्टेशन आ जाना............
स्टेशन से लौटते ही सुरेश ने रत्ना से बताया कि भाभी और भैया आ रहे है आज साम को .
सुरेश: रत्ना जानती हो आज क्या है ?
रत्ना : क्या आआआआ?
सुरेश : अज्ज कुछ स्पेशल है तुम्हारे लिए .
रत्ना : क्या स्पेशल है मेरे सेरू जी
सुरेश :अरे आज शाम को भैया और भाभी आ रहे है हामहरे यहा करीब 1 हफ्ते के लिए
रत्ना तो झूम उठी क्योंकि रत्ना की फॅंटेसी उसके " जेठ जी " के लिए बहुत गहरी थी क्योंकि उसके जेठ रमेश बिल्कुल उसके सुरेश जी जैसे लगते थे . इसलिए कई बार तो मर्यादा भी टूटते टूटते बची थी . लेकिन इन्ही टूटतने और मर्यादा बचाने के चक्कर मैं कब वो उसकी तरफ आकर्षित हो गई थी उसे पता ही न्ही चला लेकिन जेठ जी तो जैसे पुरुष न्ही बल्कि "महापुरुष " थे. कई बार स्थितिया गंभीर सी बन गई लेकिन रमेश जी ने अपपने रिश्ते का ख्याल रखते हुए कभी नाज़ुक हो चली स्थितियों का फ़ायदा न्ही उठाया . आज रत्ना को वो दिन याद आ रहा था जब अचानक ही रमेश जी उसके कमरे मैं अचानक आ गये थे जब वो बाथरूम गई हुई थी वो कोई फाइल देख रहे थे और बाथरूम से रत्ना बेहद रोमॅंटिक मूड मैं निकली और पीछे से जाकर रमेश से सुरेश समझ कर चिपक गई थी और अपपनी छातियो का भरपूर दबाव सुरेश {रमेश} की पीठ पर डाल रही थी
रत्ना: जान प्लीज़ चलो ना अभी एक बार और ............
सुरेश [रमेश] :...................................
रत्ना: कल तो बड़े मज़े से घुमा-घुमा कर ले रहे थे ये करो एसे खोलो... साफ क्यों की ...चौड़ी करके खोलो
सुरेश[रमेश] :.....................................
रत्ना: प्लीज़ आऊओ.......
सुरेश का लिंग पकड़ कर खीचते हुए बेड पर ले जाती है और नीचे लेट कर सुरेश [रमेश] को अपपने अप्पर गिरा लेती है लेकिन चेहरे को गौर से देखते ही उसके होश उड़ जाते है और शरम की वज़ह से पानी पानी हो जाती है और अपपना चेहरा अपपनी हथेलियों मैं छिपा लेती है. रमेश जी तुंरंत उठते है और अपपना पसीना पोछ्ते हुए बिना कुछ कहे बाहर निकल जाते है ... रत्ना ने डर की वज़ह से ये बात किसी को न्ही बताई थी ना सुरेश को और ना ही अपपनी जेठानी जी को. किचन मैं पहुचते ही वो अपपनी जेठानी से नज़र भी न्ही मिला पा रही थी लेकिन जब जेठानी ने उससे कुछ कहा ही न्ही तो उसकी जान मैं जान आई...........शायद रमेश जी ने जेठानी जी को कुछ बताया ही न्ही था .......... इस तरह से एक बार न्ही बल्कि कई बार हो चुका था...
पुरानी बात याद करते ही रत्ना के शरीर मैं झुरजुरी आ गई थी . और उसके आँखो के आगे अपपने जेठ जी का चेहरा घूम रा था
ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
अब रत्ना होश मैं आई और सुरेश से बोली ..
रत्ना: सुरेश जी शाम को हम भी चलेंगे अपपके साथ स्टेशन भाभी को लेने
सुरेश : अरे डरो न्ही मेरी जान भैया साथ मैं है भाभी के साथ कुछ न्ही करूँगा
रत्ना: तुम हमेशा उल्टी बात क्यों कहते हो मैने अभी कुछ कहा है
सुरेश : तो तुम क्यों जाना चाहती हो , तुम क्या भैया को देखने जाओगी
रत्ना: ठीक है न्ही जाउन्गि बस, तुम खुश रहो अपपने घर वालो के साथ
सुरेश: अरे भाई चलो मुझे क्या प्राब्लम है
सुरेश मार्केट जाकर कुछ ज़रूरी समान लेकर आता है और तब तक रत्ना घर की साफ सफाई करके घर को ए- 1 ब्ना देती है . फिर रत्ना किचन मैं जाकर पकवान बनाने की तैयारी करने लगती है अपपने जेठ और जेठानी जी के लिए . पीछे से सुरेश आकर रत्ना को दबोच लेता है. और अपपने लिंग का अहसाह रत्ना के चूतड़ो पर करवाता जाता है
सुरेश : [आगे से रत्ना की पुसी सहलाते हुए] रत्ना आज बहुत खुश लग रही हो क्या बात है
रत्ना:मैं तो खुश हूँ लेकिन अपपका मूड फिर बन रहा है क्या
सुरेश : मेरा कब न्ही बना होता है मैं तो चाहता हूँ कि कभी काम पर ना जाउ...
रत्ना: लेकिन कल PVऱ वाली हरक़त.....
सुरेश: अरे सॉरी यार
फिर धीरे से साडी उपर करते ही नरम मुलयेम चूतड़ अपनी हथेलियों मैं भर लेता है और अपपनी उंगलियों से उनकी योंकि फांको को अलग अलग करते हुए शायद ये देखने की कोशिस कर रहा था की अपपनी कितनी गीली है.
रत्ना : क्या कर रहे हो जी, जो करना है करो फिर मैं काम ख़तम करू...खाना भी बनाना है . सब लोग आ रहे है
सुरेश : तुम करो अपपना काम मैं तो केवल पीछे खड़ा हूँ
रत्ना: केवल तुम न्ही खड़े हो कुछ और भी खड़ा है तुम खड़े रहो तो मुझे दिक्कत न्ही है लेकिन उसको खड़ा मत रहने दो न्ही तो बेचारा थक जाएगा ..
सुरेश : तो लो इसको चूस कर बैठा दो..
रत्ना: न्ही ... मुझे मूह न्ही खराब करना है अभी ...
सुरेश: परसो तो खूब चूस रही थी....
रत्ना: तब की बात और थी
सुरेश अब तक उसकी योनि को सहलाते सहलाते पूरी तर कर चुका था कि उंगलियाँ फिसलने लगी थी फिर उसने रत्ना की एक टांग उठा कर कमर से थोड़ा नीचे के ब्राबार अलमारी पर रखे जिससे उसका योनि द्वार पूरी तरह खुल गया और सुरेश ने अपपना लंड उसकी चूत के द्वार पर रखा और धीरे धीरे .........अंदर बाहर करने लगा .........
7 मिनट के "घुड़दौड़" के बाद सुरेश ने अपपने रस का पान रत्ना की योनि को करवा दिया और उसके पेटिकोट मैं अपपना लंड पोछ्कर साफ किया और बाहर आकर सो गया ...रत्ना ने भी काम क्रिया से निबट कर घरेलू काम निपटाए और सो गई .....
शाम को सुरेश ने सारी तैयारियाँ पूरी करने के बाद ट्रॅवेल एजेन्सी को कॉल करके एक रेडियो टॅक्सी हाइयर की और रत्ना के साथ बैठ कर मैं रैलवे स्टेशन के लिए रवाना हो गया . रास्ते भर दिल्ली के बेतरतीब ट्रॅफिक को देखते देखते रत्ना ऊब सी गई तो ड्राइवर से बोली , भैया क्या तुम्हारी कंपनी सीडी प्लेयर व्गारह न्ही रखती अपपनी कार मैं...
ड्राइवर : न्ही , मॅम एसी बात न्ही है , हमारी कंपनी अपपके एंटरटेनमेंट का पूरा ध्यान रखती है बट मोस्ट्ली हम टेप व्गारह न्ही ऑन करते है स्पेशली जब कपल हमारी गाड़ी मैं होते है , .
सुरेश : काफ़ी स्मार्ट हो ...
ड्राइवर : थॅंक्स सर लेकिन अपपके वर्ड्स के जगह हम अपपसे मिलने वाली टिप को ज़्यादा अच्छा थॅंक्स मानते है
सुरेश: अच्छा तब तो तुम्हारी गाड़ी मैं खूब कपल आते होंगे
ड्राइवर : सर बिज़्नेस सीक्रीट्स हम शेर न्ही करते .
सुरेश: अरे यार मेरे कहने का मतलब है कि अगर कपल्स कार मैं सूंचिंग करते है तो तुम्हे कोई ऑब्जेक्षन तो न्ही होता है ..कोई पोलीस का लेफ्डा तो न्ही होता
ड्राइवर : सॉरी , वी डोंट फोर्स और कस्टमर्स टू डू सो.. बट वी कॅन नोट स्टॉप अन्य वन सो.. एक सीक्ट्व अपपके जस्ट पीछे लगा होता है जिस पर अपपकी सारी आक्टिविटी रेकॉर्ड होती जाती है. अगर पोलीस हमसे कोई हेल्प मांगती है तो हम उसे इग्नोर न्ही करते..
सुरेश: तुम तो डरा रहे हो यार ........
ड्राइवर : नो सर मैं तो सच बता रहा हूँ
सुरेश: तो क्या तुम ये कॅमरा ऑफ न्ही करते किसी की रिक्वेस्ट पर...
ड्राइवर: नो सर.............
सुरेश: अगर स्पेशल टिप मिले तो....
ड्राइवर : सर कोई भी टिप मेरी जॉब से ज़्यादा कीमत न्ही रखती...
सुरेश: वूहू..........आइ लाइक दिस....
रत्ना: सुरेश जी शाम को हम भी चलेंगे अपपके साथ स्टेशन भाभी को लेने
सुरेश : अरे डरो न्ही मेरी जान भैया साथ मैं है भाभी के साथ कुछ न्ही करूँगा
रत्ना: तुम हमेशा उल्टी बात क्यों कहते हो मैने अभी कुछ कहा है
सुरेश : तो तुम क्यों जाना चाहती हो , तुम क्या भैया को देखने जाओगी
रत्ना: ठीक है न्ही जाउन्गि बस, तुम खुश रहो अपपने घर वालो के साथ
सुरेश: अरे भाई चलो मुझे क्या प्राब्लम है
सुरेश मार्केट जाकर कुछ ज़रूरी समान लेकर आता है और तब तक रत्ना घर की साफ सफाई करके घर को ए- 1 ब्ना देती है . फिर रत्ना किचन मैं जाकर पकवान बनाने की तैयारी करने लगती है अपपने जेठ और जेठानी जी के लिए . पीछे से सुरेश आकर रत्ना को दबोच लेता है. और अपपने लिंग का अहसाह रत्ना के चूतड़ो पर करवाता जाता है
सुरेश : [आगे से रत्ना की पुसी सहलाते हुए] रत्ना आज बहुत खुश लग रही हो क्या बात है
रत्ना:मैं तो खुश हूँ लेकिन अपपका मूड फिर बन रहा है क्या
सुरेश : मेरा कब न्ही बना होता है मैं तो चाहता हूँ कि कभी काम पर ना जाउ...
रत्ना: लेकिन कल PVऱ वाली हरक़त.....
सुरेश: अरे सॉरी यार
फिर धीरे से साडी उपर करते ही नरम मुलयेम चूतड़ अपनी हथेलियों मैं भर लेता है और अपपनी उंगलियों से उनकी योंकि फांको को अलग अलग करते हुए शायद ये देखने की कोशिस कर रहा था की अपपनी कितनी गीली है.
रत्ना : क्या कर रहे हो जी, जो करना है करो फिर मैं काम ख़तम करू...खाना भी बनाना है . सब लोग आ रहे है
सुरेश : तुम करो अपपना काम मैं तो केवल पीछे खड़ा हूँ
रत्ना: केवल तुम न्ही खड़े हो कुछ और भी खड़ा है तुम खड़े रहो तो मुझे दिक्कत न्ही है लेकिन उसको खड़ा मत रहने दो न्ही तो बेचारा थक जाएगा ..
सुरेश : तो लो इसको चूस कर बैठा दो..
रत्ना: न्ही ... मुझे मूह न्ही खराब करना है अभी ...
सुरेश: परसो तो खूब चूस रही थी....
रत्ना: तब की बात और थी
सुरेश अब तक उसकी योनि को सहलाते सहलाते पूरी तर कर चुका था कि उंगलियाँ फिसलने लगी थी फिर उसने रत्ना की एक टांग उठा कर कमर से थोड़ा नीचे के ब्राबार अलमारी पर रखे जिससे उसका योनि द्वार पूरी तरह खुल गया और सुरेश ने अपपना लंड उसकी चूत के द्वार पर रखा और धीरे धीरे .........अंदर बाहर करने लगा .........
7 मिनट के "घुड़दौड़" के बाद सुरेश ने अपपने रस का पान रत्ना की योनि को करवा दिया और उसके पेटिकोट मैं अपपना लंड पोछ्कर साफ किया और बाहर आकर सो गया ...रत्ना ने भी काम क्रिया से निबट कर घरेलू काम निपटाए और सो गई .....
शाम को सुरेश ने सारी तैयारियाँ पूरी करने के बाद ट्रॅवेल एजेन्सी को कॉल करके एक रेडियो टॅक्सी हाइयर की और रत्ना के साथ बैठ कर मैं रैलवे स्टेशन के लिए रवाना हो गया . रास्ते भर दिल्ली के बेतरतीब ट्रॅफिक को देखते देखते रत्ना ऊब सी गई तो ड्राइवर से बोली , भैया क्या तुम्हारी कंपनी सीडी प्लेयर व्गारह न्ही रखती अपपनी कार मैं...
ड्राइवर : न्ही , मॅम एसी बात न्ही है , हमारी कंपनी अपपके एंटरटेनमेंट का पूरा ध्यान रखती है बट मोस्ट्ली हम टेप व्गारह न्ही ऑन करते है स्पेशली जब कपल हमारी गाड़ी मैं होते है , .
सुरेश : काफ़ी स्मार्ट हो ...
ड्राइवर : थॅंक्स सर लेकिन अपपके वर्ड्स के जगह हम अपपसे मिलने वाली टिप को ज़्यादा अच्छा थॅंक्स मानते है
सुरेश: अच्छा तब तो तुम्हारी गाड़ी मैं खूब कपल आते होंगे
ड्राइवर : सर बिज़्नेस सीक्रीट्स हम शेर न्ही करते .
सुरेश: अरे यार मेरे कहने का मतलब है कि अगर कपल्स कार मैं सूंचिंग करते है तो तुम्हे कोई ऑब्जेक्षन तो न्ही होता है ..कोई पोलीस का लेफ्डा तो न्ही होता
ड्राइवर : सॉरी , वी डोंट फोर्स और कस्टमर्स टू डू सो.. बट वी कॅन नोट स्टॉप अन्य वन सो.. एक सीक्ट्व अपपके जस्ट पीछे लगा होता है जिस पर अपपकी सारी आक्टिविटी रेकॉर्ड होती जाती है. अगर पोलीस हमसे कोई हेल्प मांगती है तो हम उसे इग्नोर न्ही करते..
सुरेश: तुम तो डरा रहे हो यार ........
ड्राइवर : नो सर मैं तो सच बता रहा हूँ
सुरेश: तो क्या तुम ये कॅमरा ऑफ न्ही करते किसी की रिक्वेस्ट पर...
ड्राइवर: नो सर.............
सुरेश: अगर स्पेशल टिप मिले तो....
ड्राइवर : सर कोई भी टिप मेरी जॉब से ज़्यादा कीमत न्ही रखती...
सुरेश: वूहू..........आइ लाइक दिस....
Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
तब तक न्यू देल्ही स्टेशन आ जाता है.. टॅक्सी को बाहर ही रोक कर वो दोनो अंदर जाते है एनक़ुआरी पर पता चलता है कि ट्रॅन आउटर पर है और 10 मिनट पर ही स्टेशन पहुचने वाली है.. दोनो एक एक कॉफी लेते है और ट्रेन का वेट करते है तबी 10 मिनट के बाद ट्रेन आ जाती है ...
और 1स्ट्रीट एसी बॉइगी से उतरते हुए दिखाई दिए .. सुरेश ने जाकर पैर च्छुए भैया और भाभी के और रत्ना ने भी भाभी और भैया के पैर च्छुए लेकिन भैया के पैर छुते वक़्त मुस्कुराहट का राज़ समझ पाना मुस्किल था .
सुरेश: भाभी कोई प्राब्लम तो न्ही हुई आने मैं
भाभी: कैसी प्राब्लम भैया ...बस मज़ा न्ही आया तुम होते तो मज़ा आता
सुरेश: भाभी तुम भी... चलो बाहर टॅक्सी खड़ी है...
सुरेश कुली बुलाता है और कुली सारा समान लेकर चल पड़ता है ...रत्ना आगे बढ़ते ही पैर फँस जाने की वज़ह से गिर पड़ती है ... सुरेश और उसकी भाभी तो आगे निकल चुके थे तभी रमेश जी ने उसे बाँह पकड़ कर उठाया लेकिन बाँह पकड़ते ही रत्ना ने हाथ सिकोड लिए जिसके कारण रमेश का हाथ उसके नरम दूध पर टकरा गया ..रमेश हड़बदा गया लेकिन उसने रत्ना को छ्चोड़ा न्ही........ न्ही तो रत्ना दुबारा गिर जाती और ज़्यादा चोट लग सकती थी...लेकिन रत्ना के नाख़ून मैं ज़्यादा चोट लगी थी और वो खड़ी न्ही हो पा रही थी सुरेश बहुत आगे निकल चुका था और रमेश की वाइफ भी न्ही दिख रही थी कि वो किसे बुलाए की वो रत्ना को सहारा दे... तभी.
रत्ना: भाई साहब आप चलिए मैं आ जाउन्गी
रमेश: कैसे आओगी ..तुम तो खड़ी भी न्ही हो पा रही हो
रत्ना: न्ही मैं कोशिस करती हूँ
रमेश : मैं तुम्हे छ्चोड़कर न्ही जा सकता ...आओ मैं तुम्हे सहारा देता हूँ
इतना कह कर वो उसे कंधे से सहारा देते हुए उठाते है जिससे उसके नरम बूब्स रमेश की आराम पिट्स पर बहुत खुशनुमा अहसास करवा रहे थे .. पर रमेश तो जैसे बुत था ..कोई भाव न्ही था चेहरे पर..सहारा देकर कार तक गये ..फिर देख कर सुरेश बोला ..
सुरेश: अरे ये क्या हुआ..रत्ना
रत्ना: कुछ न्ही ज़रा सा चोट लग गई
भाभी: लेकिन कैसे ...
रमेश: बस अब ठीक है
भाभी सहारा देकर रत्ना को पिच्छली सीट पर बैठा देती है और खुद रत्ना के बगल मैं बैठ जाती है सुरेश दूसरी साइड से रत्ना के बगल मैं बैठ जाता है और अपपनी भतीजी को गोद मैं ले लेता है रमेश जी आगे ड्राइवर के बगल मैं बैठ जाते है ....
सुरेश रत्ना भाभी सभी लोग खूब बातें कर रहे थे लेकिन रत्ना की आँखें केवल मिरर मैं ही देख रही थी...कि रमेश कहा देख रहे है और उसने देखा कि रमेश की आँखें भी उसी पर टिकी है ,............. थोड़ी देर बाद घर आ गया सुरेश ने सारा समान निकाला और अंदर रखा भाभी सहारा देकर रत्ना को अंदर ले गई.. सुरेश ने बिल दिया और अंदर जाकर बैठ गये....रत्ना के पैर मैं चोट थी लेकिन अंदर जाते ही उसने सबसे पहले किचन मैं पहुच कर चाइ का पानी चढ़ाया ..तभी पीछे से भाभी आ गयइ.........
भाभी: तुम क्यों परेशान हो रही हो छ्होटी...जाओ बैठो मैं बनाती हूँ चाई
रत्ना: दीदी मैं ब्ना रही हूँ आप बैठिए थॅकी हुई है आप
भाभी: अरे कैसी थकान... सोते हुए आई हू..
रत्ना: तो तुमने तो मज़े भी लिए होंगे रास्ते मैं भैया से...
भाभी: तू तो ऐसे कह रही है जैसे तुम तो घर से बिना करवाए ही चली गई थी
रत्ना: क्या दीईडी तुम भी...
भाभी: क्यों क्या मैं सुरेश को जानती न्ही... कि वो कही भी निकलने से पहले लेना न्ही भूलता ..
रत्ना सन्नाटे मैं......................हाई मैने क्या पति पाया है..कोई एसा है जो इसका शिकार ना हुआ हो................
क्रमशः..............................................
और 1स्ट्रीट एसी बॉइगी से उतरते हुए दिखाई दिए .. सुरेश ने जाकर पैर च्छुए भैया और भाभी के और रत्ना ने भी भाभी और भैया के पैर च्छुए लेकिन भैया के पैर छुते वक़्त मुस्कुराहट का राज़ समझ पाना मुस्किल था .
सुरेश: भाभी कोई प्राब्लम तो न्ही हुई आने मैं
भाभी: कैसी प्राब्लम भैया ...बस मज़ा न्ही आया तुम होते तो मज़ा आता
सुरेश: भाभी तुम भी... चलो बाहर टॅक्सी खड़ी है...
सुरेश कुली बुलाता है और कुली सारा समान लेकर चल पड़ता है ...रत्ना आगे बढ़ते ही पैर फँस जाने की वज़ह से गिर पड़ती है ... सुरेश और उसकी भाभी तो आगे निकल चुके थे तभी रमेश जी ने उसे बाँह पकड़ कर उठाया लेकिन बाँह पकड़ते ही रत्ना ने हाथ सिकोड लिए जिसके कारण रमेश का हाथ उसके नरम दूध पर टकरा गया ..रमेश हड़बदा गया लेकिन उसने रत्ना को छ्चोड़ा न्ही........ न्ही तो रत्ना दुबारा गिर जाती और ज़्यादा चोट लग सकती थी...लेकिन रत्ना के नाख़ून मैं ज़्यादा चोट लगी थी और वो खड़ी न्ही हो पा रही थी सुरेश बहुत आगे निकल चुका था और रमेश की वाइफ भी न्ही दिख रही थी कि वो किसे बुलाए की वो रत्ना को सहारा दे... तभी.
रत्ना: भाई साहब आप चलिए मैं आ जाउन्गी
रमेश: कैसे आओगी ..तुम तो खड़ी भी न्ही हो पा रही हो
रत्ना: न्ही मैं कोशिस करती हूँ
रमेश : मैं तुम्हे छ्चोड़कर न्ही जा सकता ...आओ मैं तुम्हे सहारा देता हूँ
इतना कह कर वो उसे कंधे से सहारा देते हुए उठाते है जिससे उसके नरम बूब्स रमेश की आराम पिट्स पर बहुत खुशनुमा अहसास करवा रहे थे .. पर रमेश तो जैसे बुत था ..कोई भाव न्ही था चेहरे पर..सहारा देकर कार तक गये ..फिर देख कर सुरेश बोला ..
सुरेश: अरे ये क्या हुआ..रत्ना
रत्ना: कुछ न्ही ज़रा सा चोट लग गई
भाभी: लेकिन कैसे ...
रमेश: बस अब ठीक है
भाभी सहारा देकर रत्ना को पिच्छली सीट पर बैठा देती है और खुद रत्ना के बगल मैं बैठ जाती है सुरेश दूसरी साइड से रत्ना के बगल मैं बैठ जाता है और अपपनी भतीजी को गोद मैं ले लेता है रमेश जी आगे ड्राइवर के बगल मैं बैठ जाते है ....
सुरेश रत्ना भाभी सभी लोग खूब बातें कर रहे थे लेकिन रत्ना की आँखें केवल मिरर मैं ही देख रही थी...कि रमेश कहा देख रहे है और उसने देखा कि रमेश की आँखें भी उसी पर टिकी है ,............. थोड़ी देर बाद घर आ गया सुरेश ने सारा समान निकाला और अंदर रखा भाभी सहारा देकर रत्ना को अंदर ले गई.. सुरेश ने बिल दिया और अंदर जाकर बैठ गये....रत्ना के पैर मैं चोट थी लेकिन अंदर जाते ही उसने सबसे पहले किचन मैं पहुच कर चाइ का पानी चढ़ाया ..तभी पीछे से भाभी आ गयइ.........
भाभी: तुम क्यों परेशान हो रही हो छ्होटी...जाओ बैठो मैं बनाती हूँ चाई
रत्ना: दीदी मैं ब्ना रही हूँ आप बैठिए थॅकी हुई है आप
भाभी: अरे कैसी थकान... सोते हुए आई हू..
रत्ना: तो तुमने तो मज़े भी लिए होंगे रास्ते मैं भैया से...
भाभी: तू तो ऐसे कह रही है जैसे तुम तो घर से बिना करवाए ही चली गई थी
रत्ना: क्या दीईडी तुम भी...
भाभी: क्यों क्या मैं सुरेश को जानती न्ही... कि वो कही भी निकलने से पहले लेना न्ही भूलता ..
रत्ना सन्नाटे मैं......................हाई मैने क्या पति पाया है..कोई एसा है जो इसका शिकार ना हुआ हो................
क्रमशः..............................................