Bahan ki ichha -बहन की इच्छा

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Jemsbond
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Re: Bahan ki ichha -बहन की इच्छा

Unread post by Jemsbond » 25 Dec 2014 09:37

Very Very Nice Story Dear.....

007
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Re: Bahan ki ichha -बहन की इच्छा

Unread post by 007 » 25 Dec 2014 09:39

Jemsbond wrote:Very Very Nice Story Dear.....
rajaarkey wrote:दोस्त बहुत मस्त कहानी है आपकी

shukriya dosto

007
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Re: Bahan ki ichha -बहन की इच्छा

Unread post by 007 » 26 Dec 2014 18:14

बहन की इच्छा—5

गतान्क से आगे…………………………………..

ऊर्मि दीदी के लिए ये सब अन'जाने में हो रहा था जब वो साँस रोक'कर, अप'ने आप को भूला के कोई अच्छा दर्श'नीय स्थान देख'ती थी तभी. मेरी बहन तो सही मायनो में खंडाला के नेचर से भरपूर दर्श'नीय स्थान का मज़ा ले रही थी और में, उस'का भाई सही मायनो में मेरी बहन के जवान अंगो के स्पर्श का मज़ा ले रहा था.

सन सेट स्पाट'पर रंगो की होली खेल'ते खेल'ते पर्वतो के पिछे लूप्त होते ढलते सूरज का हम'ने दर्शन कर लिया. बाद में होटेल में आते आते काफ़ी अंधेरा हो गया. काफ़ी घंटे घूम'ने से हम दोनो अच्छे ख़ासे थक गये थे इस'लिए हम'ने तय किया के रात का खाना खाकर ही हम होटेल रूम में वापस जाएँगे. हम'ने फिर एक अच्छे होटेल में खाना खाया. मेने जान बूझ'कर ऊर्मि दीदी के पसंदीदा डिशस ऑर्डर किए. खाना खाते सम'य में उसे कुच्छ 'सेमी नन्वेज' जोक्स सुनाकर उस'का मनोरंजन कर रहा था. वो दिल खोल'कर हंस रही थी और मेरे जोक्स की दाद दे रही थी. मेने मेरी बहन को इतना खूस और खुल'कर बातें कर'ते पह'ले कभी देखा नही था. होटेल के हमारे रूम पर आने तक में उसे मजेदार बातें सुनाकर हंसता रहा

हम दोनो रूम के अंदर आए और मेने दरवाजा बंद कर दिया. ऊर्मि दीदी जा कर बेड पर बैठ गयी और साऱी के पल्लू से अप'ने चह'रे का पसीना पोन्छ'ने लगी. फिर 'में थक गयी घूम के' ऐसा कह'ते वो पिछे बेड'पर सो गयी. में अंदर आया और उसके नज़दीक बेड पर बैठ गया. ऊर्मि दीदी अप'ने हाथ फैलाकर पड़ी हुई थी. पसीना पोन्छ'ने के लिए निकाला हुआ अपना पल्लू उसके फैले हुए हाथ में ही था जिस'से उसकी छाती खुली पड़ी थी. मेने उसके चह'रे को देखा. उसके चह'रे पर थकान थी और आँखें बंद करके वो चुपचाप पड़ी थी.

ऊर्मि दीदी की बंद आँखों का फ़ायदा लेकर में वासना भरी निगाह से उसे निहार'ने लगा. छाती पर पल्लू ना होने से दीदी की ब्लाउस में ठूंस'कर भरी हुई बड़ी बड़ी छाती साफ नज़र आ रही थी. पसीने से उस'का ब्लाउस भीग गया था जिस'से उस'ने अंदर पह'नी हुई काली ब्रेसीयर और उभारों की गोलाई नज़र आ रही थी. वो ज़ोर से साँस ले रही थी और साँसों की लय पर उसकी छाती के उठान उप्पर नीचे हो रहे थे. ब्लाउस और कमर के बीच उस'का सपाट चिकना पेट दिख रहा था. ज़ोर से साँस लेने की वजह से उस'का पेट भी उप्पर नीचे हो रहा था.

उसकी कमर'पर थोड़ी चरबी चढ़ गयी थी जो पह'ले नही थी. लेकिन उस'से वो और भी सेक्सी दिख रही थी. उसकी गोल गोल नाभी आज मुझे कुच्छ ज़्यादा ही गहरी नज़र आ रही थी.

ऊर्मि दीदी को उस सेक्सी पोज़ में पड़ी देख'कर में काम वासना से व्याकूल हो गया. मेरा लंड कड़ा हो गया था. ऐसा लग रहा था झट से उस'का ब्लाउस फाड़ दूं.. उसकी ब्रेसीयर तोड़ दूं. और उसकी छाती नंगी करके उसे कस के दबा दूं! उसकी गोल नाभी में जीभ डाल के उसे जी भर के चाटू. लेकिन मुझे मालूम था में वैसे नही कर सकता था.

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