मौसी का गुलाम compleet

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raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 15:51

इस दोहरी मार के आगे मेरा शरीर धीरे धीरे नीचे दबाता गया और इंच इंच करके वह मूसल भाले की तरह मेरी आँतों को चौड़ा करता हुआ मेरे चुतडो के बीच धँसने लगा अचानक मेरी गान्ड के मांसपेशियाँ जवाब दे गयीं और ढीली पड गयीं मैं धम्म से मौसाजी की गोद में बैठ गया जड तक उनका लंड मेरे चुतडो में था और उनकी झांतें मेरी गुदा को गुदगुदा रही थीं

मेरे आँसू निकल आए थे और मैं दर्द से बिलखता हुआ दबी आवाज़ में मौसी के मुँह में सिसक रहा था पर एक अभूतपूर्व सुख मेरे लंड को झनझना रहा था बीच बीच में मैं सिर घुमा कर बाजू के बड़े आईने में अपनी गान्ड में घुसते उस भाले को देखा रहा था और वह द्ऱुश्य बहुत ही मादक था

मौसाजी मुझे सूली पर चढाकर अब बिलकुल शांत हो गये और मुझे बहुत प्यार से बाहों में भींच कर चूमते हुए मेरी सांत्वना करने लगे पति पत्नी की जोड़ी अब मुझपर प्यार से भरे चुंबानों की बरसात करते हुए मुझे चुप कराने में लग गयी जब मेरा रोना बंद हो गया तो मौसी मेरे सामने ज़मीन पर बैठ कर मेरा शिश्न चूसने लगी और मौसाजी ने मेरे सिर को अपने हाथों में पकड कर अपनी ओर घुमाया और मेरे मुँह को चूमते हुए मेरे होंठ और जीभ चूसने लगे

सफल सूली अभियान के बाद अंकल गर्व से मुस्कराए और मौसी को वही वीडीओ लगाकर साथ बैठ कर मज़ा लेने को कहा आपस में एक दूसरे को चूमते हुए हम सब वही ब्लू फिल्म देखने लगे फिल्म बिलकुल हमारी रति जैसी ही थी, फरक इतना था कि एक लडके के बजाय एक कमसिन किशोरी अपने डैडी की सूली चढ रही थी वह एक परिवार प्यार या इन्सेस्ट की कथा थी और उसमें मियाँ बीवी मिलकर अपनी ही जवान किशोर बेटी को भोग रहे थे

जब फिल्म के आख़िर में मेरी ही तरह उस रोती चिल्लाती हुई किशोरी को अपने बाप की गोद में बैठकर लंड गान्ड के अंदर लेते हुए दिखाया गया तो मैं वासना से तडप उठा मेरे गुदा में ठुन्स कर भरा हुआ लंड अब मुझे बहुत आनंद दे रहा था अंकल भी धीरे धीरे लंड मुठिया रहे थे जिससे वह गान्ड के अंदर उपर नीचे होकर मुझे और मीठा तडपा रहा था

मुझे उन्होंने मेरे मचलते शिश्न को छूने भी नहीं दिया जिससे अपनी वासना शांत करने का मेरे पास और कोई चारा नहीं था इसके सिवाय कि बार बार मौसाजी और मौसी के मुँह और जीभ को बेतहाशा चूसू मेरे इन चुंबानों का उन्होंने खूब आनंद उठाया "अब समझ में आया बेटे, इसे मीठी सूली क्यों कहते हैं?" मौसी ने पूछा

उसकी चुनमूनियाँ अब ऐसे पसीज रही थी कि पानी बाहर बहने लगा था फिल्म का सूली का सीन खतम होने पर वह हमारे सामने खडी हो गयी और मेरा सिर खींच कर अपनी झांतों में मेरा मुँह दबा दिया मुझे उसने आदेश दिया कि उसकी चुनमूनियाँ चूसू और वह बड़ी खुशी से मैंने किया मेरे मुँह को वह चोदने लगी और मौसाजी उसके मम्मे दबाने लगे

raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 15:51

उधर पिक्चर में उस किशोरी की अम्मा आखरी सीन में अपनी बेटी से चुनमूनियाँ चुसवा रही थी और उसके डैडी कुतिया स्टाइल मे उसकी गान्ड मार रहे थे पिक्चर खतम होने तक मौसाजी ने धीरज रखा फिर खिसका कर मुझे लिए वे फर्श पर आ गये जहाँ पहले ही शन्नो मौसी ने इस काम के लिए एक गद्दी बिछा रखी थी मुझे गद्दी पर लिटाकर वे मुझपर चढ गये और बेतहाशा मेरी गान्ड चोदने लगे

उनका लौडा अब बड़ी आसानी से मेरी मख्खन से चिकनी और फुकला हुई गान्ड में अंदर बाहर हो रहा था उस मोटे लंड और सूजे सुपाडे के घर्षण से मुझे असहनीय सुख मिल रहा था मेरे ख्याल से यही क्षण था जब मैं पूरा गान्डू बन गया इसके बाद मुझे कभी किसीसे गान्ड मराने में बहुत ज़्यादा दर्द नहीं हुआ

मौसी हमारे सामने लेट गई और अपने पति के सिर को अपनी जांघों में लेकर उनसे चुनमूनियाँ चुसवाने लगी पर उसे भी चुदवाने का मन हो रहा था इसलिए मौसाजी ने मेरी गान्ड मारना थोड़ी देर के लिए रोका और अपना लंड वैसे ही मेरी गान्ड में रहने देकर मुझे उठा लिया मौसी हमारे नीचे लेट गई और उन्होंने मुझे मौसी के उपर लिटा दिया मैंने अपना लंड मौसी की चुनमूनियाँ में घुसेडा और मौसी ने मुझे बाँहों मे भर लिया मौसाजी अब मेरे उपर लेट गये और फिर मेरी गान्ड मारने लगे

मेरा अब मस्त सैम्डविच बना गया था मियाँ बीवी के बीच दबा हुआ मैं मौसी को चोद रहा था और मौसाजी मुझे चोद रहे थे उनके धक्के इतने जबरदस्त थे कि मुझे धक्के देने की ज़रूरत ही नहीं थी जैसे उनका लंड मेरे चुतडो को फैलाता हुआ अंदर बाहर होता, अपने आप मेरी शिश्न मौसी की चुनमूनियाँ में अंदर बाहर चलता हम दोनों ने मौसी की एक एक चूची मुँह में ले ली और चूसते हुए चोदते रहे हमारा जो सामूहिक स्खलन हुआ उसे सिवाय स्वर्गिक आनंद के और कोई उपाधि नहीं दी जा सकती

कुछ समय बाद मेरे गुदा में से अपना झडा लंड खींच कर अंकल उठ बैठे मौसी के रस और मेरे वीर्य से लिपटे मेरे शिश्न को उन्होंने चूस डाला फिर झुक कर मौसी की चुनमूनियाँ के रस पर ताव मारने लगे उन्हें असल में उसमें से रसते वीर्य और चुनमूनियाँ रस का पान करना था जो उन्होंने मन भर कर किया अपना लंड उन्होंने मुझसे चुसवाकर सॉफ करवाया अपनी ही गान्ड में से निकला वह लंड चूसने में पहले मुझे कुछ अटपटा लगा पर फिर उस सौंधे स्वाद ने मेरी सब झिझक मिटा दी

कुछ देर बाद सुस्ता कर हम फिर शुरू हो गये दिन भर मेरी चुदाई चलती रही मेरी गान्ड से मौसाजी का मन ही नहीं भर रहा था

क्रमशः……………………

raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 15:53

मौसी का गुलाम---15

गतान्क से आगे………………………….

शाम को हम खाना खाने बाहर गये लौटकर आए और फिर एक दूसरे पर टूट पड़े मौसाजी ने अब एक नया आसन आजमाया

मुझे पलंग पर सीधा लिटा दिया गया मेरे तन्नाए किशोर लंड को प्यार करके और ज़ोर से खड़ा किया गया और मौसाजी मेरे उपर चढ कर अपनी गान्ड फैला कर उसपर बैठ गये अपने गुदा में मेरा पूरा लंड अंदर लेकर वे मेरे पेट पर बैठ गये और उपर नीचे होकर खुद ही अपनी गान्ड मुझसे मरवाने लगे मौसी मेरे मुँह पर अपनी चुनमूनियाँ देकर बैठ गयी मुझसे उसने जीभ अंदर घुसेडने को कहा और फिर उसे चोदते हुए वह मुझे अपनी चुनमूनियाँ का रस पिलाने लगी

उधर अंकल ने मेरे लंड को अपनी गुदा की शक्तिशाली पेशियों से जकड़ा और उसे दुहते हुए उपर नीचे होकर मस्त गान्ड मरवाने लगे साथ ही वी पीछे से मौसीक़ी गर्दन को चूमते हुए अपनी पत्नी के मम्मों को ज़ोर ज़ोर से हार्न जैसे दबाने लगे

जब मैं झड गया तो वे फिर मुझे ओँधा पटककर मेरे उपर चढ गये और मेरी गान्ड मारने लगे

अगले दो तीन दिन हमारी रति ऐसे ही चलती रही अंकल मेरी चिकनी गान्ड के इतने दीवाने थे कि शायद ही ऐसा कोई घंटा बीता हो जब मेरी गान्ड में उनका लंड ना गढ़ा हो

मुझसे अपनी गान्ड चुदवाना भी अंकल को बहुत पसंद था मेरा लंड इतना बड़ा नहीं था कि उनकी मांसल पुष्ट गान्ड को पूरी तरह से तृप्त करा सके पर छोटे होने की कमी मेरा किशोर लंड अपनी कडाई और घंटों खड़ा रहने के गुण से पूरी कर देता था मरवा मरवा कर मैं इतना आदी हो गया कि लगता था कि बस अब जिंदगी भर इसी तरह जानदार कसे जवानों से मरवाता रहूं और उनकी मारता रहूं

एक बार जब मौसाजी बहुत प्यार के मूड में थे, उन्होंने दोपहर भर मुझसे मरवाई मुझे सोफे मे बिठा कर मेरी गोद में बैठकर उन्होंने अपनी गान्ड में मेरा लंड ले लिया और फिर तीन चार घंटे मुझसे मरवाते हुए एक साथ दो तीन ब्लू फिल्में देख डालीं मौसी को उन्होंने अपने आगे बिठा लिया और उससे लंड चुसवाया मौसी को भी मज़ा आया क्योंकि कई दिनों बाद उसे अपने पति का लंड ठीक से चखने मिला

मेरी गोद में बैठकर मुझे उन्होंने अपने निपलो को दबाने और खींचने को कहा और नीचे से ही उछल उछल कर मुझे अपनी गान्ड मारने को कहा उनके वजन के कारण यह कठिन था पर जितना हो सकता था मैंने उनकी गान्ड मारी

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