जिस्म की प्यास compleet

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raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:12

फिर एक दिन मैने चंदर का सेल लिया और तुझे मैसेज करके अपना नंबर. देदिया ताकि तुझे

और चंदर को शक़ ना हो पाए.. फिर हम दोनो ने बात करना शुरू करा मगर

मैं तुझे अपनी आवाज़ नहीं सुनवाना चाहता था इसलिए कभी कॉल नहीं करा..

बिचारे चंदर को तो ये भी नहीं पता मैने उससे उसकी घर की चाबी क्यूँ ली है..

मैं क्या करू.. आगे मयंक कुच्छ बोल पाता ललिता ने एक दम से बिस्तर से उठी और

भाग के उसको चूम लिया.. मयंक कुच्छ पल के लिए घबरा गया मगर जब उसे

ललिता के हाथो की जगह उसके होंठ अपने होंठ पे महसूस वो दंग रह गया...

देखते ही देखते उसने ललिता को बाँहो में ले लिया.. दोनो की ज़ुबान पेच लड़ा रही थी ... मयंक ललिता की पीठ को सहलाने लगा.. फिर मयंक ने ललिता के ड्रेस की ज़िप खोलनी

चाही मगर ललिता ने उसको धक्का दे दिया और बिस्तर पे जाके गिरा..

मयंक ललिता पे नज़रे गढ़ा के सोचने लगा कि अब इसका क्या करने का इरादा और

तभी ललिता ने हाथ पीछे बढ़ा के अपनी ज़िप खोली और ड्रेस को उतार फेका..

ललिता मयंक के पास बढ़ी और उसके चेहरे के पास आके घूम गयी..

मयंक ललिता को थॉंग में देख कर हैरान हो गया.. उसकी बड़े नितंब सॉफ उसके

चेहरे के पास थे.. मयंक ने मौके का फ़ायदा उठाया और उसपर चॅटा मारा..

"आउच" ललिता के मुँह से हल्के से निकला... राल टपकाता हुआ मयंक अब अपनी शर्ट

उताराने लगा... ललिता मूडी और दोनो एक दूसरे को फिर से चूमने लगे..

ललिता ने मयंक की जीन्स का बटन खोलके उसको नीचे खीच दिया.

उसका लॉडा देख कर ललिता की आँखों में चमक आगयि.. उसको वो सहलाने लगी

और जब वो सख़्त हो गया तो आहिस्ते आहिस्ते चूसने लगी.. मयंक ललिता के इस रूप

को देख कर पागल हुआ जा रहा था. ललिता बड़ी खूबी लंड को चूसे जा रही थी

मयंक ने फ़ायदा उठाके ललिता की ब्रा के हुक खोल दिए और ब्रा नीचे जा गिरी.

रोशनी में ललिता के मम्मे और भी ज़्यादा बड़े और गोल लग रहे थे....

मयंक ललिता के स्तनो से खेलने लगा और जब उससे रहा नहीं गया तो उसने ललिता

को बिस्तर पे लिटाया और उसके मम्मो को चूमने लगा काटने लगा.

ललिता हल्के हल्के सिसकिया लेने लगी... फिर उसने हाथ बढ़ा कर ललिता की थॉंग को

उतारना चाहा मगर ललिता ने उसे रोका और खड़ी हो गयी. मयंक को कुच्छ समझ

नहीं आया.. ललिता ने खुद अपनी थॉंग को उतारा मयंक के मुँह पे फेकि..

ललिता एक कुर्सी पे जाके बैठी और अपनी टाँगें चौड़ी करके मयंक को इशारा करके

बुलाने लगी. मयंक भागके गया और ललिता की चूत को चाटने लगा.

मयंक अपने घुटनो के बल ज़मीन पे बैठा हुआ था और ललिता की गीली चूत को

चाटने में लगा हुआ था... ललिता ने पीछे से फूल दान उठाया और

मयंक के सिर पर धड़ाम से मार दिया.... मयंक वही फर्श पे जा गिरा....

मयंक कुच्छ ही सेकेंड में ज़मीन पे गिरके बेहोश हो गया..

ललिता ने मयंक को घूरते हुए कहा " मुझसे पंगे लेने का अंजाम देख लिया

चूतिए... अब लेटे रह यहीं पर" फिर उसने मयंक का फोन उठाया और वहाँ से

अपने सारे मैसेजस डेलीट कर दिए और अपने कपड़े जल्दी से पहेने लगी....

उसने जैसे तैसे अपनी ब्रा और तोंग पहनी और ड्रेस पहनते हुए कमरे के

दरवाज़े की तरफ भागने लगी तो उसकी नज़र एक लंबे मोटे आदमी पे पड़ी जिसकी नज़रे

ललिता पे ही पड़ी थी...

ललिता कमरे के बाहर निकली और चुपचाप घर के दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगी तभी

उस आदमी ने आवाज़ निकली "मेमसाहिब आपका पर्स तो यही हाई" ये सुनके ललिता के

कदम रुक गये....


raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:13

ललिता वापस मूडी और उस आदमी को पर्स देने के लिए कहा....

वो आदमी फिर बोला "तुमने क्या मुझे चूतिया समझ रखा है... अगर तुम

यहाँ से निकली तो मैं अपने साहब को बता दूँगा कि एक लड़की ने बाबा के दोस्त को यहाँ

बेहोशी की हालत में छोड़ दिया था और ये पर्स आराम से बता देगा कि वो लड़की

आख़िर कार थी कौन "

ललिता समझ गयी थी कि ये आदमी यहाँ का चौकीदार है... बड़ी आराम से ललिता बोली " कितने पैसे चाहिए तुम्हे अपना मुँह बंद रखने के लिए"

चौकीदार अपनी आँखें ललिता के बदन पे घूमाते हुए बोला "पैसे ही चाहिए होते तो मैं ये पर्स ही रख लेता" ललिता समझ गयी थी कि ये आदमी क्या चाहता है...

ललिता को खामोश देखकर चौकीदार बोला " बाबा को आने में एक घंटा बचा हुआ है जब तक तुम्हे मेरी नौकरानी बनके रहना होगा"

ये सुनके ही ललिता को गुस्सा चढ़ गया और वो बोली "तुम होश में तो हो 2 पैसे के चौकीदार"

चौकीदार बोला " मेरा नाम गोलू है... और मेरे पास फालतू बातो के लिए वक़्त नही है" ये कहकर गोलू ललिता का पर्स लेकर घर के दरवाज़े की तरफ चलने लगा... ललिता के सामने से चलता हुआ वो घर के दरवाज़े की तरफ बढ़ा और ललिता ने कहा "रूको..."

गोलू बोला "मेरे पीछे पीछे चलो"

ललिता बोली "मगर मेरा पर्स"

गोलू बोला "वो तुम्हे मिल जाएगा"

ललिता गोलू के पीछे चलने लगी... गोलू एक नीली हाफ बाजू वाली शर्ट और खाकी

पॅंट में था... बाल छोटे से किसी मोची से कटवाए हुए लग रहे थे...

तोंद बाहर निकली हुई मगर लंबाई उसकी 5फ 9 इंच तक थी... कुच्छ कदम दूर ही कोठी के

पीछे एक छोटा सा कमरा था... ललिता ने देखा कि गोलू ने उस कमरे का ताला

खोला और उसके अंदर चले गया... ललिता ने जब एक कदम अंदर बढ़ाया तो उसे

उधर एक अजीब सी बू आने लगी... कमरा में एक छोटा सा दीवान था (सोफा)

एक छोटा सा टीवी उर उपर एक पंखा लगा हुआ था... दीवारो पे सफेद रंग था मगर

सीलन थी...कमरे में गंदगी सॉफ दिखाई दे रही थी... एक तार पर गोलू के

कच्छे लटक रहे थे...

गोलू उस दीवान पे अपनी मोटी टाँगें फेला के बैठ गया और बोला "नाम क्या है तेरा" ललिता बोली " ललिता"

गोलू हसके बोला "मिर्ज़ा?? वैसे बदन तो तेरा उससे भी ज़्यादा कातिल है...

आ इधर आ मेरे पास" ललिता उसके पास जाके दीवान पर बैठ गई... ललिता ने अपने

सीधे हाथ से अपने ड्रेस को नीच से पकड़ा हुआ था और उसकी नज़रे पथरीले

फर्श पर थी... गोलू ने अपन उल्टा हाथ बढ़ाया ललिता की सीधी मोटी जाँघ पे रख दिया..

आहिस्ते से उसपे फेरने लग गया... ललिता ने अपनी जाँघ उसके हाथ से दूर करना

चाहा तो उसने बहरहमी से उसे जाकड़ लिया... अपने दूसरे हाथ से उसने ललिता के बालो को सहलाया और पीछे कर दिया और अपने होंठो से ललिता की गोरी गर्दन को चूमने लगा... चौकीदार के हाथ अभी भी ललिता की जाँघ पर उपर नीचे हो रहे थे...

मयंक के साथ वक़्त बिताने की वजह से ललिता की चूत गीली थी और उसकी प्यास भी नही

भुजी थी और अब गोलू उसकी चूत को और तडपा रहा था... गोलू ने अपने सीधे

हाथ से ललिता की गर्दन को दबोचा और बोला " देख बे लौंडिया... मुझे बलात्कार

करने में कोई मज़ा नही आता... जैसे उस छिचोर के साथ अपनी टाँगें चौड़ी

करके बैठ गयी थी ना वैसी ही शुरू होज़ा... जा जाके दरवाज़े पे कुण्डी लगा"

ललिता देवान से उठी और दरवाज़े पे कुण्डी लगाकर उसके सामने खड़ी हो गई...

गोलू चौकीदार ने उसे इशारा करते हुए नंगी होने को कहा...

ललिता ने अपना हाथ पीछे की ओर बढ़ाया जिस वजह से उसके मम्मे और बाहर की

तरफ आ गये... गोलू पॅंट के उपर से ही अपने लंड को सहलाने लगा...

ललिता ने अपनी ड्रेस की चैन खोली और अपने कंधे से उसके स्ट्रॅप को हटाकर नीचे गिरा दिया... उसकी कमर पे वो ड्रेस अटक गया मगर उसकी काली ब्रा गोलाईयो को दिखाने लगी...

गोलू के चेहरे पे एक ही एक्सप्रेशन था वो देख कर ललिता को घबराहट हो रही थी...

(कहाँ आके फस गयी) ललिता के दिमाग़ में यही चल रहा था...

ललिता ने उस ड्रेस को नीचे उतारा तो उसकी कcछि का गीलापन सॉफ दिखाई दे रहा था...

raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:13

"जल्दी कर छिनाल" गोलू ने चिल्लाते हुए कहा... ललिता ने अपने ब्रा के हुक्स खोला

और अपनी साथ ही अपनी पैंटी को भी उतार दिया... गोलू सीटी बजाते हुए अपने कपड़े

उतारने लगा और बोला "तेरे सामने तो अच्छी अच्छी हेरोइन भी फैल है" ललिता गोलू

के नंगे बदन को देखकर हैरान हो गई... उसके बदन पर बाल ही बाल थे...

और उसका लंड जोकि थोड़ा सा जगा हुआ था काफ़ी मोटा लग रहा था...

गोलू ने फिर से ललिता को अपने नज़दीक बुलाया और उसको अपनी गोद में बिठा दिया...

ललिता के नंगे नितंब एक चौकीदार की नंगी जाँघ पर थे...

गोलू ने ललिता के बालो को सहलाते हुए उसके होंठो पे एक पप्पी देदि...

वो ललिता के होंठो को काटने लगा था और ललिता उसे कुच्छ नही कह पा रही थी...

उसके हाथ ललिता के मम्मो को मसल रहे थे... ललिता की चूत हल्का हल्का

पानी निकाल रही थी जोकि गोलू की जाँघ पर गिर रहा था... उसने ललिता को अपनी टाँगो

के सामने फर्श पे बिठा दिया और बोला "चल अब रांड़ की तरह मेरे मोटे

लंड को चूसना शुरू कर.... ललिता उस मोटे काले लंड को हाथ में लिया जिसके आस

पास से वीर्य की बदबू आ रही थी और उसको अपने होंठो से लगाया...

वो बदबू उसे उल्टी करने पर मजबूर कर रही थी मगर किसी तरह वो अपने आपको

संभाल रही थी... साथ में जिस तरह से गोलू उसके गोल मम्मो को नौच

रहा था ललिता दर्द के मारे काप रही थी... ललिता की चूत का पानी फर्श पे बहते

देख गोलू बोला "हाए कुतिया कितने मज़े आ रहे है मेरा लंड चूस्ते हुए तुझे

चल अब ज़्यादा समय नही इसलिए फर्श से उठ"

ललिता को अब लंड चूसने में थोड़ा मज़ा भी आ रहा था मगर वो उठी और

गोलू ने उसे गोद में उठा लिया और देवान पे आधा लिटा दिया यानी उसकी पीठ ही

सिर्फ़ दीवान पर थी.. अपने एक हाथ से ललिता के स्तन को दबाते हुए अपने मोटे

लंड को ललिता की चूत में घुसाने लगा... ललिता दर्द के मारे दीवान पे हिलने लगी... उसका लंड छोटा ज़रूर था मगर काफ़ी मोटा था जिस वजह ललिता को अलग ही

एहसास हो रहा था,, धीरे धीरे वो अपने लंड को हिलाने लग गया....

साथ में वो कुच्छ ना कुच्छ बकने लग गया जैसे कभी ललिता की गीली चूत की

तारीफ करता तो कभी उसके गोल मम्मो की.... उसने अपनी 2 उंगलिया ललिता के मुँह में

भी घुसा दी और ललिता बिना कहें उनको चूसने भी लग गयी....

फिर उसने ललिता को कुतिया की तरह बिठा दिया और अपने हाथ उसकी पतली कमर पे रख दिए... अपना लंड फिरसे उस गीली चूत में डालकर चोद्ने लगा....

अब उसने अपनी उंगलिया ललिता की गान्ड में घुसा दी और ललिता दर्द में मारे चिल्ला दी...

इससे पहले कभी भी उसने अपनी गान्ड में उंगली नही डाली थी...

उसके बाल इधर उधर हीले जा रहे थे... गोलू ने ललिता के जिस्म को जाकड़ लिया और

फर्श पे लेट कर ललिता को चोद्ने लगा... ललिता की पीठ गोलू के पेट से चिपकी हुई थी

और उसकी चूत में गोलू का लंड अभी भी हिल रहा था... ललिता के मम्मो को गोलू

ने अभी भी आज़ाद नही करा था... ललिता ख्वाबो की दुनिया में जा चुकी थी... गोलू अपनी भारी साँसें ले कर बोला "अब बता उस छोटे से लड़के के शहरी लंड में दम है या में देसी लॉड में" ललिता सिसकिया लेके बोली "आपके"... ये सुनके वो और ज़ोर से उसे चोद्ने लग गया...

उसे कभी नही लगता था कि एक ग़रीब 2 पैसे का नौकर भी उसे ऐसी जन्नत दिखा सकता है... गोलू ने तुर्रंत अपना लंड निकाला और ललिता के माथे गाल और होंठ पे अपना सारा

वीर्य चिड़क दिया.... कुच्छ देर ललिता फर्श पर ही लेटी रही और गोलू वहाँ से चले गया... ललिता ने अपने कपड़े एक बार फिरसे पहेने और अपना पर्स लेके वहाँ से चली गयी

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