जिस्म की प्यास--16
गतान्क से आगे……………………………………
डॉली ने अपने हाथो से खुद अपनी पैंटी उतारी और राज को पकड़ा दी. डॉली ने अपनी टाँगों को चुपका दिया
क्यूंकी वो अपनी चूत को दिखाने में शर्मा रही थी... राज फिरसे अपने होंठो से डॉली को चूमने
लगा और डॉली अपनी टाँगें खोलने लगी... राज ने मौका देखकर ही अपनी ज़ुबान डॉली की
चूत की तरफ ले गया और उसे चाटने लगा. डॉली अपने दांतो से अपने होंठो को दबाने लगी.
उसने कभी नही सोचा था कि खुले आम एक गाड़ी में ऐसी हरकते करेगी.... वो चाहती थी ये कभी रुके ना
क्यूंकी राज इस चीज़ माहिर लग रहा था. इतना मज़ा तो उसको कभी अपने पुराने राज के साथ भी
नहीं आया था.... और उसके भाई के प्रति वो रातें हवस की वजह से थी सच्चे प्यार की वजह से नहीं.....
डॉली की चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. राज अब और रुक नहीं सकता था उसने डॉली को अपनी बाँहों
में उठाया और अपने लंड पे बिठा दिया और उसके चोद्ने लगा. डॉली की जांघें राज की जाँघो पे थी और
उसकी गीली चूत राज के तने हुए लंड पर.... डॉली धीरे धीरे ऑश आहह करने लगी.
अब तक वो उतना समझ ही गयी थी कि एक मर्द को कैसे खुश करना है.... जब भी उसे मौका मिलता तो अपनी
कमर को हिलाने लगती जिससे राज का लंड उसकी चूत में गोल गोल घूमने लगता.... राज डॉली की हर्कतो से
काफ़ी ज़्यादा मचल गया और अब साथ ही साथ उसके मम्मो को भी सहलाने लगा. फिर राज ने
सीटो को पीछे कर दिया और डॉली को उठाकर सीट पे लिटा कर चोद्ने लगा. जैसे राज ने अपना लंड फिरसे
डॉली की चूत में डाला डॉली मस्ती में सिसकियाँ लेने लगी..... अब राज बुर्री तरह से लंड
अंदर बाहर करने में लगा था. डॉली दर्द के मारे पागल हुए जा रही थी. उसने अपने नाख़ून राज की गाड़ी की
सीट पे गढ़ा रखे थे और एक नाख़ून ने तो सीट के अंदर भी छेद बना दिया था....
डॉली ने अपने टाँग उठाई और राज के कंधो पे रख दी और फिर राज और ज़ोर से चूत को चोद्ने लगा....
राज को जैसे ही लगा कि वो और नहीं रुक पाएगा तो उसने अपना लंड निकाला और डॉली के मम्मो पे डाल
दिया और कुच्छ छीते उसके गाल पे भी आ गये. राज के बिना कहे ही डॉली ने राज को लंड को पकड़ा और
उसपे लगे हुए पानी को चाटकार सॉफ कर दिया.... वो रात उन दोनो की सबसे यादगार रात थी.
उसे कभी भी वो भुला नहीं सकते थे. राज ने अपने घर पहुचने के बाद अपना फोन देखा तो डॉली
ने मैसेज लिखा था कि "थॅंक्स माइ लव"
जिस्म की प्यास compleet
Re: जिस्म की प्यास
अगली दोपहर बिना किसी परेशानी से डॉली अपने दिल्ली वाले घर में वापस पहुच गयी थी.. रास्ते में उसे काई
बारी ख़याल आया कि वो अपने भाई चेतन से कैसे मिलेगी.... क्या वो अभी भी उस रात को भुला नही होगा??
जो भी होगा उसे किसी तरह चेतन को समझाना ही होगा नही तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी..
मगर फिर वो कल की रात के बारे में सोचती जिस तरह उसके प्यार राज ने उसको गाड़ी में चोदा था वो
मंज़र वो कभी भी भुला नही पाएगी... उस रात के बारे में ध्यान करते हुए ही उसकी चूत में
नमी होने लग जाती.... फिर वो अपने घर के दरवाज़े के पास खड़ी हो गयी और चेतन से मिलने के लिए हिम्मत
जुटाने लग गयी...
जब उसने अपने घर की घंटी बजाई तो दरवाज़ा शन्नो ने खोला और उसको देखकर ही वो उसे गले लग गयी.... दोनो के चेहरे पर खुशी छाइ हुई थी.... शन्नो चिल्लाई "चेतन ललिता तुम्हारी दीदी आ गयी बच्चो जल्दी आओ"
सबसे पहले ललिता आई और डॉली से चिपेट गयी.... दोनो ने एक दूसरे के गालो को चूमा और फिर डॉली की
नज़र चेतन पे पड़ी जोकि धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ रहा था.... चेतन आया मगर वो डॉली से गले नही
मिला सिर्फ़ हाथ मिलाकर उसका समान उठाके डॉली के कमरे में ले गया.... डॉली को ये बात
थोड़ी अजीब सी लगी मगर फिर उसकी मम्मी ने उसका ध्यान अपनी ओर कर लिया... अपने भाई बहन और मम्मी से
मिलके डॉली बहुत खुश हुई.. उसकी मम्मी की आँखों में खुशी के आँसू भी आ गये थे..
जब घर पे सब शांत होने लगा तो डॉली को राज की कमी खल रही थी और तभीतो उसने दिल्ली आने के बाद सबसे
पहला कॉल राज को किया था.. उधर दूसरी ओर राज आज़ाद पंछी की तरह घूम रहा था उसको किसी का
भी डर नहीं था क्यूंकी उसकी गर्लफ्रेंड दिल्ली गयी हुई थी... दोनो ने कुच्छ देर बात करी और फिर राज ने अपने
आपको थोड़ा बिज़ी जताकर फोन काट दिया....
अब शाम आई तो ललिता को भी अपनी सहेली रिचा के घर जाना था रहने के लिए....
उसने और रिचा ने प्लान बनाया था कि वो साथ में एग्ज़ॅम की तैयारी करेंगे.... सबसे ज़्यादा डर ललिता
को मथ्स के पेपर में था और उसने अपनी सहेली रिचा से मदद माँगी जोकि मथ्स की उस्ताद थी..
ललिता का उससे दोस्ती करने का मकसद ही यही था और शायद रिचा का मकसद ये था कि वो ललिता जैसी
खूबसूरत लड़की की सहेली बनना चाहती थी. रिचा ने ललिता को कहा कि वो उसके घर रुक सकती है और दोनो
साथ में एग्ज़ॅम्स के लिए प्रिपेर कर सकते है.. ललिता भी एग्ज़ॅम के डर से मान गयी...
ललिता के एग्ज़ॅम शुरू होने में 5 दिन थे तो वो उन्न 5 दिनो के लिए रिचा के घर चली गयी ताकि वो उसके ट्यूशन
मॅम के साथ भी पढ़ सके.. एग्ज़ॅम की वजह से डॉली ने भी ललिता को रिचा के घर जाने दिया क्यूंकी वो
जानती थी कि ललिता को मथ्स से कितना डर लगता था....
अब घर में सिर्फ़ शन्नो, डॉली और चेतन बचे थे... शन्नो का आज का दिन अजीब तरह से बीता क्यूंकी
उसकी बड़ी बेटी घर आई थी जिससे वो बहुत खुश थी मगर आज वो अपने आपको संतुष्ट नही कर पाई....
वो हॉलो मॅन से बात करना चाहती थी मगर उसने उसको कॉल करने को मना कर दिया था...
रात के कुच्छ 12 बज रहे थे और शन्नो अभी भी नही सोई थी... उसका मन कर रहा था कि वो अपनी अलमारी
में से लंड निकाले और अपनी चूत की कुच्छ सेवा करें मगर उसकी आवाज़ से दोनो बच्चो को शक़ हो जाता
और वो किसी को भी मुँह दिखाने लायक नही रहती... उसने कोशिश करी कि वो अपने तरबूज़ो को दबाए या
अपनी उंगलिओ से अपनी चूत की प्यास भुजाए मगर उसे कोई ख़ास फरक नही पड़ा बल्कि उसकी प्यास और बढ़ गयी....
उसने सोचा कि अगर वो नींद की गोली खा लेगी तो शायद इस बैचानी से मुक्ति मिल जाएगी...
वो बिस्तर से उठी और अपनी अलमारी से नींद की एक गोली निकाली.... अपने कमरे का दरवाज़ा खोलते हुए वो किचन
में पानी पीने के लिए गयी....
बारी ख़याल आया कि वो अपने भाई चेतन से कैसे मिलेगी.... क्या वो अभी भी उस रात को भुला नही होगा??
जो भी होगा उसे किसी तरह चेतन को समझाना ही होगा नही तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी..
मगर फिर वो कल की रात के बारे में सोचती जिस तरह उसके प्यार राज ने उसको गाड़ी में चोदा था वो
मंज़र वो कभी भी भुला नही पाएगी... उस रात के बारे में ध्यान करते हुए ही उसकी चूत में
नमी होने लग जाती.... फिर वो अपने घर के दरवाज़े के पास खड़ी हो गयी और चेतन से मिलने के लिए हिम्मत
जुटाने लग गयी...
जब उसने अपने घर की घंटी बजाई तो दरवाज़ा शन्नो ने खोला और उसको देखकर ही वो उसे गले लग गयी.... दोनो के चेहरे पर खुशी छाइ हुई थी.... शन्नो चिल्लाई "चेतन ललिता तुम्हारी दीदी आ गयी बच्चो जल्दी आओ"
सबसे पहले ललिता आई और डॉली से चिपेट गयी.... दोनो ने एक दूसरे के गालो को चूमा और फिर डॉली की
नज़र चेतन पे पड़ी जोकि धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ रहा था.... चेतन आया मगर वो डॉली से गले नही
मिला सिर्फ़ हाथ मिलाकर उसका समान उठाके डॉली के कमरे में ले गया.... डॉली को ये बात
थोड़ी अजीब सी लगी मगर फिर उसकी मम्मी ने उसका ध्यान अपनी ओर कर लिया... अपने भाई बहन और मम्मी से
मिलके डॉली बहुत खुश हुई.. उसकी मम्मी की आँखों में खुशी के आँसू भी आ गये थे..
जब घर पे सब शांत होने लगा तो डॉली को राज की कमी खल रही थी और तभीतो उसने दिल्ली आने के बाद सबसे
पहला कॉल राज को किया था.. उधर दूसरी ओर राज आज़ाद पंछी की तरह घूम रहा था उसको किसी का
भी डर नहीं था क्यूंकी उसकी गर्लफ्रेंड दिल्ली गयी हुई थी... दोनो ने कुच्छ देर बात करी और फिर राज ने अपने
आपको थोड़ा बिज़ी जताकर फोन काट दिया....
अब शाम आई तो ललिता को भी अपनी सहेली रिचा के घर जाना था रहने के लिए....
उसने और रिचा ने प्लान बनाया था कि वो साथ में एग्ज़ॅम की तैयारी करेंगे.... सबसे ज़्यादा डर ललिता
को मथ्स के पेपर में था और उसने अपनी सहेली रिचा से मदद माँगी जोकि मथ्स की उस्ताद थी..
ललिता का उससे दोस्ती करने का मकसद ही यही था और शायद रिचा का मकसद ये था कि वो ललिता जैसी
खूबसूरत लड़की की सहेली बनना चाहती थी. रिचा ने ललिता को कहा कि वो उसके घर रुक सकती है और दोनो
साथ में एग्ज़ॅम्स के लिए प्रिपेर कर सकते है.. ललिता भी एग्ज़ॅम के डर से मान गयी...
ललिता के एग्ज़ॅम शुरू होने में 5 दिन थे तो वो उन्न 5 दिनो के लिए रिचा के घर चली गयी ताकि वो उसके ट्यूशन
मॅम के साथ भी पढ़ सके.. एग्ज़ॅम की वजह से डॉली ने भी ललिता को रिचा के घर जाने दिया क्यूंकी वो
जानती थी कि ललिता को मथ्स से कितना डर लगता था....
अब घर में सिर्फ़ शन्नो, डॉली और चेतन बचे थे... शन्नो का आज का दिन अजीब तरह से बीता क्यूंकी
उसकी बड़ी बेटी घर आई थी जिससे वो बहुत खुश थी मगर आज वो अपने आपको संतुष्ट नही कर पाई....
वो हॉलो मॅन से बात करना चाहती थी मगर उसने उसको कॉल करने को मना कर दिया था...
रात के कुच्छ 12 बज रहे थे और शन्नो अभी भी नही सोई थी... उसका मन कर रहा था कि वो अपनी अलमारी
में से लंड निकाले और अपनी चूत की कुच्छ सेवा करें मगर उसकी आवाज़ से दोनो बच्चो को शक़ हो जाता
और वो किसी को भी मुँह दिखाने लायक नही रहती... उसने कोशिश करी कि वो अपने तरबूज़ो को दबाए या
अपनी उंगलिओ से अपनी चूत की प्यास भुजाए मगर उसे कोई ख़ास फरक नही पड़ा बल्कि उसकी प्यास और बढ़ गयी....
उसने सोचा कि अगर वो नींद की गोली खा लेगी तो शायद इस बैचानी से मुक्ति मिल जाएगी...
वो बिस्तर से उठी और अपनी अलमारी से नींद की एक गोली निकाली.... अपने कमरे का दरवाज़ा खोलते हुए वो किचन
में पानी पीने के लिए गयी....
Re: जिस्म की प्यास
पूरे घर में शांति फेली हुई थी और उसकी नज़र उस सोफे पे पड़ी जिसपे वो लेट के हॉलो मॅन से फोन पे
बात करती है और अपनी चूत से खेलती है... फिर उसे कुच्छ खुशर पुशर की आवाज़ आई...
हल्की हल्की आवाज़ें उसके कानो में तेज़ होती गयी... उसने किचन से ड्रॉयिंग रूम रूम की तरफ देखा तो
वहाँ कोई नही था... अपना वेहम समझ कर उसने पानी की बॉटल को बंद करके वापस फ्रिड्ज में डाला...
मगर जब वो अपने कमरे की तरफ बढ़ी तो उसे फिर से वैसी ही आवाज़ सुनाई दी.... उसने आगे पीछे
देखा तो कोई दिखाई नही दिया... वो फिर डॉली के कमरे की तरफ बढ़ी जहाँ से बिल्कुल हल्की सी रोशनी आ रही थी...
शन्नो ने हाथ बढ़ा कर बाहर की लाइट बंद करदी और डॉली के दरवाज़े को हल्के से खोला....
दरवाज़ा बिना आवाज़ करें खुला और शन्नो अपनी दोनो नज़रे कमरे के इधर उधर चलाने लगी...
टाय्लेट की लाइट जलने के कारण कमरे में थोड़ी सी रोशनी थी क्यूंकी टाय्लेट का दरवाज़ा 90% बंद था....
शन्नो को फिरसे कुच्छ आवाज़ आई मगर ये कोई बोली नही थी.... उसने अपनी गर्दन पूरी उल्टी तरफ घुमाई तो उसे
बिस्तर पे बैठा हुआ दिखाई दिया.... नज़रे नीचे करते हुए उसने एक लड़की को देखा
(क्यूंकी लंबे बाल उसे दिखाई दे रहे थे) और वो लड़की डॉली के अलावा कोई और नही हो सकती थी....
"आह चूसो दीदी" ये सुनके शन्नो के होश उड़ गये... ये आवाज़ उसके बेटे चेतन की थी जोकि अपनी बड़ी बहन
से अपना लंड चुस्वा रहा था.... ये देख कर/सुनके शन्नो एक दम से वहाँ से अपने कमरे में भाग गयी...
उसकी साँसें हद से ज़्यादा तेज़ हो गयी थी... वो शब्द उसके कानो में बजे जा रहे थे....
वो अपने बिस्तर पे लेटी और अपने आपको पूरा रज़ाई से धक लिया...
उधर जैसी ही शन्नो वहाँ से निकली डॉली ने चेतन का हाथ अपने सिर से हटाया और उसको धक्का दे दिया....
वो बोली "जो हुआ वो ग़लत था और अब वो नही होना चाहिए तुम्हे समझ नही आती क्या..."
चेतन गुस्से में उठा और अपने कमरे में चला गया....
उधर ललिता रिचा के घर में उसके परिवार से मिली.... रिचा के परिवार में 4 लोग थे जिनमें एक रिचा थी और
उसके मा बाप और एक नौकर परशु था जोकि 40 साल तक का था.. रिचा के पास अपना खुद का कमरा था
जोकि सबसे अच्छी बात थी.. जब ललिता आई थी दोनो लड़किया उसी कमरे में पड़ी हुई थी..
ललिता का पढ़ाई में बिकुल भी मन नहीं लग रहा था मगर रिचा उसको मार मार के पढ़ने के लिए कह रह थी..
और ललिता रिचा को डाइयेट के बारे में बता रही थी... उसका प्लान था रिचा को मार मार के पतला करने का ...
कल से रिचा का खाना बंद करवा रखा था उसने. रिचा के मा बाप दोनो काम करते थे इसलिए
शाम तक घर में कोई रोक टोक नहीं थी जो मर्ज़ी आए वो कर सकते थे..
ललिता की पहली रात उसके घर पे काफ़ी बढ़िया बीती थी.. दोनो ने देर रात तक गप्पे लड़ाई और पूरी रात एसी चला के सोए.. सुबह जब ललिता की आँख खुली तो वो बिस्तर पे अकेली लेटी हुई थी.. ललिता को लग रहा था कि अभी सुबह
कुच्छ 4-5 बज रहे होंगे इसलिए वो आँख बंद करके लेटी रही मगर फिर टाय्लेट का दरवाज़ा खुलने की आवाज़
आई और कुच्छ देर में रिचा भी बाहर आ गयी.. ललिता ने अपनी नींद सी भरी आँखें हल्की सी खोली तो रिचा
ने अपना भारी बदन पर टवल लपेटा हुआ और उसके बाल काफ़ी गीले लग रहे थे शायद वो उस समय नाहके आई हो.. फिर रिचा ने पीछे मूड के देखा तो ललिता ने फिर से अपनी आँखें बंद करली..
रिचा ने जल्दी से अपने बदन से टवल हटाया और ललिता ने देखा कि उसने गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी पहेन
रखी थी. रिचा का बदन पीछे से काफ़ी फेला हुआ था.... उसकी ब्रा इतनी खीची हुई थी कि मानो अभी
टूटके गिर जाए... रिचा ने उपर एक टॉप पहेन लिया और नीचे नीले रंग की शॉर्ट्स..
ललिता ने वापस आँखें बंद करली और सो गयी. काफ़ी देर बाद रिचा चिल्लाने लगी कि उठ जा ललिता कब तक सोएगी..
बात करती है और अपनी चूत से खेलती है... फिर उसे कुच्छ खुशर पुशर की आवाज़ आई...
हल्की हल्की आवाज़ें उसके कानो में तेज़ होती गयी... उसने किचन से ड्रॉयिंग रूम रूम की तरफ देखा तो
वहाँ कोई नही था... अपना वेहम समझ कर उसने पानी की बॉटल को बंद करके वापस फ्रिड्ज में डाला...
मगर जब वो अपने कमरे की तरफ बढ़ी तो उसे फिर से वैसी ही आवाज़ सुनाई दी.... उसने आगे पीछे
देखा तो कोई दिखाई नही दिया... वो फिर डॉली के कमरे की तरफ बढ़ी जहाँ से बिल्कुल हल्की सी रोशनी आ रही थी...
शन्नो ने हाथ बढ़ा कर बाहर की लाइट बंद करदी और डॉली के दरवाज़े को हल्के से खोला....
दरवाज़ा बिना आवाज़ करें खुला और शन्नो अपनी दोनो नज़रे कमरे के इधर उधर चलाने लगी...
टाय्लेट की लाइट जलने के कारण कमरे में थोड़ी सी रोशनी थी क्यूंकी टाय्लेट का दरवाज़ा 90% बंद था....
शन्नो को फिरसे कुच्छ आवाज़ आई मगर ये कोई बोली नही थी.... उसने अपनी गर्दन पूरी उल्टी तरफ घुमाई तो उसे
बिस्तर पे बैठा हुआ दिखाई दिया.... नज़रे नीचे करते हुए उसने एक लड़की को देखा
(क्यूंकी लंबे बाल उसे दिखाई दे रहे थे) और वो लड़की डॉली के अलावा कोई और नही हो सकती थी....
"आह चूसो दीदी" ये सुनके शन्नो के होश उड़ गये... ये आवाज़ उसके बेटे चेतन की थी जोकि अपनी बड़ी बहन
से अपना लंड चुस्वा रहा था.... ये देख कर/सुनके शन्नो एक दम से वहाँ से अपने कमरे में भाग गयी...
उसकी साँसें हद से ज़्यादा तेज़ हो गयी थी... वो शब्द उसके कानो में बजे जा रहे थे....
वो अपने बिस्तर पे लेटी और अपने आपको पूरा रज़ाई से धक लिया...
उधर जैसी ही शन्नो वहाँ से निकली डॉली ने चेतन का हाथ अपने सिर से हटाया और उसको धक्का दे दिया....
वो बोली "जो हुआ वो ग़लत था और अब वो नही होना चाहिए तुम्हे समझ नही आती क्या..."
चेतन गुस्से में उठा और अपने कमरे में चला गया....
उधर ललिता रिचा के घर में उसके परिवार से मिली.... रिचा के परिवार में 4 लोग थे जिनमें एक रिचा थी और
उसके मा बाप और एक नौकर परशु था जोकि 40 साल तक का था.. रिचा के पास अपना खुद का कमरा था
जोकि सबसे अच्छी बात थी.. जब ललिता आई थी दोनो लड़किया उसी कमरे में पड़ी हुई थी..
ललिता का पढ़ाई में बिकुल भी मन नहीं लग रहा था मगर रिचा उसको मार मार के पढ़ने के लिए कह रह थी..
और ललिता रिचा को डाइयेट के बारे में बता रही थी... उसका प्लान था रिचा को मार मार के पतला करने का ...
कल से रिचा का खाना बंद करवा रखा था उसने. रिचा के मा बाप दोनो काम करते थे इसलिए
शाम तक घर में कोई रोक टोक नहीं थी जो मर्ज़ी आए वो कर सकते थे..
ललिता की पहली रात उसके घर पे काफ़ी बढ़िया बीती थी.. दोनो ने देर रात तक गप्पे लड़ाई और पूरी रात एसी चला के सोए.. सुबह जब ललिता की आँख खुली तो वो बिस्तर पे अकेली लेटी हुई थी.. ललिता को लग रहा था कि अभी सुबह
कुच्छ 4-5 बज रहे होंगे इसलिए वो आँख बंद करके लेटी रही मगर फिर टाय्लेट का दरवाज़ा खुलने की आवाज़
आई और कुच्छ देर में रिचा भी बाहर आ गयी.. ललिता ने अपनी नींद सी भरी आँखें हल्की सी खोली तो रिचा
ने अपना भारी बदन पर टवल लपेटा हुआ और उसके बाल काफ़ी गीले लग रहे थे शायद वो उस समय नाहके आई हो.. फिर रिचा ने पीछे मूड के देखा तो ललिता ने फिर से अपनी आँखें बंद करली..
रिचा ने जल्दी से अपने बदन से टवल हटाया और ललिता ने देखा कि उसने गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी पहेन
रखी थी. रिचा का बदन पीछे से काफ़ी फेला हुआ था.... उसकी ब्रा इतनी खीची हुई थी कि मानो अभी
टूटके गिर जाए... रिचा ने उपर एक टॉप पहेन लिया और नीचे नीले रंग की शॉर्ट्स..
ललिता ने वापस आँखें बंद करली और सो गयी. काफ़ी देर बाद रिचा चिल्लाने लगी कि उठ जा ललिता कब तक सोएगी..