Unread post
by raj.. » 19 Dec 2014 14:21
दोनो हैरान और हैरत भरी नज़रों से अपनी मा को देख रहे थे.
उन्होने देख की उनकी मा बार बार अपने हाथो को मसल रही शायद जो
वो कहना चाहती थी वो कहने मे हिचकिचा रही थी.
"में ये बात तुम दोनो से बहोत पहले कहने वाली थी लेकिन कहने से
पहले में अपने आपको पक्का कर लेना चाहती थी." उनकी मा ने कहा.
राज और रोमा मम्मी की बात सुनकर मन ही मन डर गये. उन्हे लगा कि
ज़्यादा आत्मविश्वास मे उनसे कहीं ना कहीं कोई चूक हो गयी है. उसने
बेबसी मे अपने कंधे उचका दिए अब किया भी क्या जा सकता था.
रोमा की आँखों मे आँसू आ गये. वो काफ़ी डर गयी थी अंदर से और
उसका शरीर कांप रहा था. दोनो को पता नही था कि ये विषय अब
कैसे और कब ख़तम होगा. राज ने रोमा को दिलासा देने के लिए अपना
हाथ टेबल के नीचे किया और उसकी जांघों को सहलाने लगा.
उनकी मम्मी ने कहना शुरू किया, "राज में जानती हूँ कि तुम आगे
पढ़ना चाहते हो और रोज तुम न्यूज़ पेपर मे अपने लिए नौकरी
ढूँढते रहते हो. लेकिन आज तक कुछ हुआ नही, में जानती हूँ कि
कॉलेज खुलने के दिन करीब आ रहे है."
रोमा ने राज का हाथ दबाया और अस्चर्य से अपनी मा और भाई को
देखने लगी.
"में देखना चाहती थी कि तुम दोनो आगे की पढ़ाई के लिए कितने
सीरीयस हो, जो कि तुम हो. आगे की पढ़ाई काफ़ी महनगी है ये में
जानती हूँ, वैसे तुम स्कॉलरशिप, ट्रस्ट्स से सिफारिश या फिर स्टडी
लोन भी ले सकते हो... लेकिन फिर भी इनके अलावा और भी खर्चे
है जो करने पड़ते है.. सहर मे रहने के लिए घर लेना होगा
वाईगरह.. वाईगरह.." उनकी मम्मी ने आगे कहा.
मम्मी की बात सुनकर राज और रोमा के चेहरे पर खुशी लौट आई.
दोनो ने एक राहत के साँस ली कि जो उन्हे लग रहा था वो बात नही
थी.
"तुम्हारा पिताजी ने तुम दोनो के पढ़ाई के लिए एक फंड मे पैसे जमा
किए थे. उनके जाने के बाद मुझसे जो और जैसे हो सकता था में
उसमे पैसे भरती गयी. लेकिन इन सालों मे फिर भी अछी ख़ासी रकम
जमा हो गयी है. जिंदगी की बहोत ज़रूरतें आई लेकिन मेने उन
पैसों को हाथ नही लगाया. लेकिन वो पैसे आज तुम दोनो के काम आ
सकते है."
उनकी मम्मी ने एक डिमॅंड ड्राफ्ट निकाल कर उनके सामने रख दिया. रकम
देख रोमा और राज को विश्वास नही हो रहा था और वो बार बार उस
रकम को पढ़ रहे थे, "दो लाख पचास हज़ार सात सो अस्सी रुपये."
"तुम दोनो को यहाँ से जल्दी ही रवाना होना पड़ेगा जिससे कॉलेज
खुलने से पहले अड्मिशन वग़ैरह पूरे हो सके. तुम दोनो जब भी
जाने के लिए तैयार हो जाओ तो मुझे बता देना में तुम दोनो को
छोड़ने साथ चलूंगी और तुम दोनो का एक बॅंक अकाउंट खुलवा दूँगी
और एक घर भी देख लूँगी." उनकी मम्मी ने कहा.
बात पूरी करते करते उनकी मम्मी की आँखें भर आई थी. उसे कितना
प्यार था अपने दोनो बच्चो पर, आज वो अपने पैरों पर खड़े हो अपनी
नई जिंदगी शुरू करने जा रहे थे. राज की आँखों मे भी आँसू आ
गये थे और रोमा तो फुट फुट कर रोने लगी थी.
रिया तालाब के किनारे मुलायम घास पर आराम से लेटी थी. तभी
उसने घर के पीछले दरवाज़े को खुलते और बंद होते देखा. उपर
खुला आसमान, तालाब से उठती हल्की पानी की आवाज़ और उपर से हल्की
ठंड उसे बहोत ही अच्छा लग रहा था.
घास पर लेटे लेटे वो राज के बारे मे सोचने लगी. वो दिल की
गहराइयों से राज से प्यार करती थी. उसे विश्वास था कि जितना वो
राज के नज़दीक रहेगी उसे अपना बनाने का उतना ही चान्स है. वो
जानती थी कि राज और रोमा का रिश्ता एक वक़्ती जज़्बा है जो समय के
साथ साथ ठंडा पड़ जाएगा. जब दोनो कॉलेज जाने लगेंगे तो जिंदगी
के सफ़र मे रोमा को ज़रूर को जीवन साथ मिल जाएगा और उस दिन राज
के लिए वहाँ होगी, फिर दोनो नये सिरे से जिंदगी शुरू कर सकते
थे.
रिया घास पर लेटे उनके कदमों की आवाज़ सुनती रही और दुआ कर रही
थी कि उनके साथ भी वो सब ना बीते जो उसके और जय के साथ बीती
थी. ये देख कर तो उसका दिल ही बैठ गया जब उसने दोनो को खुद की
आँखे पौंचते हुए देखा.
"राज सॉरी ये सब......." रिया ने कहना चाहा.
"नही नही.... वो नही था जो तुम सोच रही हो..." रोमा ने कहना
चाहा लेकिन उसने सोचा क्यों ना उसे समझने की जगह ड्राफ्ट ही दीखा
दिया जाए.
जब रिया ने ड्राफ्ट और उसमे भर रकम देखी तो उसने अपनी गर्दन हिला
दी, "मुझे विश्वास नही हो रहा है."
"ये वो पैसे है जो पिताजी ने हमारी पढ़ाई के लिए जमा किए थे.
मम्मी चाहती है कि कॉलेज मे दाखिला ले लें और अपने लिए एक घर
देख ले." रोमा ने बताया.
"ये तो बहोत ही अच्छी बात है," रिया ने खुशी से कहा, "जब जय
और रानी अपने घर मे चले जाएँगे तो तुम दोनो मेरे साथ रहने आ
सकते हो."
"हां ये ठीक रहेगा." रोमा ने रिया को बाहों मे भर चूम लिया."
राज हैरत से दोनो को देखने लगा, "क्या जय कहीं जा रहा है?"
दोनो लड़कियाँ हँसने लगी, "रोमा क्यों ना राज को सब बता दें." रिया
ने कहा.
जय के बारे मे सुनकर राज को विश्वास नही हुआ जब टीना ने उसके बारे
मे सब कुछ बताया, "कमाल है उसने किस तरह अपनी जिंदगी रातों
रात बदल गई. शायद इस जगह से बाहर निकाल कर ही ऐसा कुछ हो
सकता है. हमारी मम्मी ने हमे ये मौका दिया है जिंदगी मे कुछ
करने का.... में थोड़ी देर के लिए घर मे जा रहा हू तुम लोगों को
कुछ चाहिए." राज ने पूछा.
"अगर फ्रिड्ज मे कोल्ड ड्रिंक बची हुई हो तो लेते आना." रिया ने कहा.
राज एक बार आँखों से ओझल हो गया तो रोमा ने रिया से कहा, "मुझे
आज पता चला कि राज पीछले दिनो इतना चिड़चिड़ा क्यों हो गया था.
वो सारा सारा दिन नौकरी ढूनडता रहता था लेकिन कुछ हुआ नही. और
उसे चिंता थी की मेरे साथ जाने के लिए उसके पास पैसे नही थे.
आज मुझे दुख हो रहा है कि में कितना ग़लत सोचती रही उसके बारे
मे."
रोमा की बातें सुन रिया उपर से तो मुस्कुरा रही थी, लेकिन दिल के
अंदर वो उदास थी क्यों कि आने वाले दिनो मे राज के साथ नही रह
सकती थी. उसे याद आने लगा कि क्यों वो भावुक हो बाथरूम मे राज
और रिया को फिर एक होने का मौका दिया शायद ये ही उसकी सबसे बड़ी
ग़लती साबित होगी.
तभी उसके दीमाग मे एक ख़याल आया, "मुझे बाथरूम जाना है, में
अभी आई."
रोमा तो अपने ख़यालों मे खोई हुई थी, कि शहर जाकर कैसे क्या
क्या करेंगे, "ठीक है." उसने बस यही कहा.
रात हो चुकी थी. सिर्फ़ सड़क पर जलती स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी
आ रही थी. वो घर के आधे रास्ते पर थी कि उसे राज आता दिखाई
दिया. उसने पलट कर रोमा की तरफ देखा. अंधेरा होने की वजह से
वो बड़ी मुस्किल से उसे देख पा रही थी, और उसे विश्वास हो गया कि
रोमा भी उन्हे नही देख पाएगी. उसने राज को बीच रास्ते मे ही पकड़
लिया और अपनी शर्ट उतार दी.
"ये तुम क्या कर रही हो?" राज ने हैरत से पूछा.
'कुछ नही अपने नये रूम पार्ट्नर को समझने की कोशिश कर रही
हूँ." रिया उसके कान मे धीरे से बोली.
रिया ने राज को कमर से पकड़ा और अपनी नंगी चुचियों को उसकी
छाती पर रगड़ने लगी. राज को उसके दिल की धड़कनो की आवाज़ के
साथ उसके खड़े निपल का अहसास होने लगा.
जब रिया ने अपने होंठ उसके होठों पर रखे तो राज कोई विरोध नही
किया और अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी.दोनो एक दूसरे को चूमने
लगे और जीब से खेलने लगे. चूमते चूमते दोनो नीचे घास पर
आ गये.
"रिया मुझे नही लगता कि हम सही कर रहे है." राज ने अपनी
निगाहें रोमा की ओर करते हुए कहा.
"राज वो डिमॅंड ड्राफ्ट को अपने हाथों मे पकड़े अपने ख़यालों मे खोई
हुई है. कहने को तो वो वहाँ खड़ी है लेकिन उसका दीमाग इसी ख़याल
मे है कि इन पैसों को कैसे खर्चा किया जाए. मेरा विश्वास करो
उसे पता नही चलेगा."
"नही रिया कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए." राज ने कहा.
पर रिया आज कुछ सुनने को तैयार नही थी. उसने राज को घास पर
लिटा दिया और उसकी छाती पर चढ़ गयी. उसने अपने होठों को राज के
होठों पर रखा और उसके हाथों को पकड़ अपनी नंगी चुचियों पर
रख दिया. दोनो एक दूसरे को बुरी तरह चूमने चूसने लगे और राज
का लंड तन कर खड़ा हो गया.
क्रमशः..................